Monday, December 27, 2021

भक्ति

*जाति पाँति कुल धर्म बड़ाई।*
*धन बल परिजन गुन चतुराई॥*
*भगति हीन नर सोहइ कैसा।*
*बिनु जल बारिद देखिअ जैसा॥*
रामचरित मानस : अरण्य कांड।

भक्ति की महिमा बताते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा चाहे मनुष्य जाति, पाँति, कुल, धर्म, बड़ाई, धन, बल, कुटुम्ब, गुण और चतुरता आदि से सज्जित हो किन्तु भक्ति से रहित है, तो वह एक जलहीन बादल के समान शोभाहीन दिखाई पड़ता है।

A person who is having a good race, power, religion, magnificence, wealth, strength, family, virtues and cleverness, but is devoid of devotion, then he is like a meager cloud.
 
*भक्ति से शोभा जीवन की,*
*कर लें भक्ति सदा परम की,*
*स्वस्थ रहें हम रहें भक्ति मय,*
*काहे चिन्ता सुख साधन की।*

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Saturday, December 25, 2021

महत्त्व

*उपभोग कातराणां पुरुषाणामर्थसंचयपराणां।*
*कन्यामणिरिव सदने तिष्ठत्यर्थ: परस्यार्थे।।*

अपने परिश्रम द्वारा संपत्ति अर्जित करने में कुशल किंतु उसका उपभोग करने से डरने वाले व्यक्तियों की संपत्ति उनके घर में उनकी एक मणि के समान मूल्यवान और सुन्दर कन्या के समान रहती है, जो अन्ततः (विवाहित हो कर) किसी दूसरे के घर में चली जायेगी।

Those persons who are expert in acquiring wealth but are afraid of enjoying it by conspicuous consumption, their wealth is like their daughter, beautiful and precious like a jewel, who will ultimately (on being married) go to another household.

पुरुषार्थ करें हम अर्थ कमाएँ,
उपभोग साथ में करते जाएँ,
धन का क्या है कब ठहरा है,
अर्थ यही हम अर्थ कमाएँ।

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Friday, December 24, 2021

सदैव शुभ

*ऐश्वर्येऽपि क्षमा यस्य दारिद्र्येऽपि हितैषिता।*
*आपत्तावपि  धीरत्वं  दधतो  मर्त्यता कथं।।*

जो व्यक्ति ऐश्वर्यवान होते हुए भी क्षमाशील होते हैं, दरिद्र होते हुए भी अन्य व्यक्तियों की सहायता को सदैव तत्पर रहते हैं, तथा विपत्ति आने पर भी अपना धैर्य नहीं खोते हैं तो वे भला मृत्यु से क्यों भयभीत होंगे?

Those persons who in spite of being powerful and prosperous are also forgiving in nature, in spite of being poor are always ready to help others, and remain courageous and firm even while facing a calamity, why will they be afraid of their mortality?

क्षमा करें हम धैर्य धरें,
मन में करुणा भाव भरें,
हम सब अंश परम के हैं,
 हम अनिष्ट से नहीं डरें।

आज भारत रत्न *महामना पंडित मदन मोहन मालवीय* एवं *अटल बिहारी वाजपेयी* के जन्मदिवस पर राष्ट्रहित हेतु संकल्पित हों।

प्रभु *यीशु* के जन्मदिन की शुभेच्छाएँ।

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Sunday, November 21, 2021

कर्म

*इह जगति हि न निरीहदेहिनं श्रियः संश्रयन्त।*

इस संसार में जो प्रयत्न नहीं करता है, कर्म नहीं करता है, उसे कभी सम्पन्नता नहीं मिलती है।

In this world one who does not put in effort (i.e. one who is inactive) does not acquire wealth.

गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी रामचरितमानस में लिखा है :

_सकल पदारथ इह जग माहीं,_
_करमहीन नर पावत नाहीं।_

*पाना है यदि कुछ इस जग में, हर पल हम पुरुषार्थ करें,*
*दूर रखें संशय प्रत्येक हम, नहीं हृदय में स्वार्थ भरें,*
*स्वस्थ रहें हम व्यस्त रहें हम, हर पल ईश्वर नाम जपें,*
*जीवन अपना सफल करें, कर्तव्य मार्ग से नहीं टरें।*

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Friday, November 19, 2021

देव दीपावली की शुभकामनाएं

*जगत में झूठी देखी प्रीत।*
*अपने ही सुख सों सब लागे, क्या दारा क्या मीत॥*
*अंतकाल संगी नहिं कोऊ, यह अचरज की रीत॥*
*नानक भव-जल-पार परै जो गावै प्रभु के गीत॥*

कार्तिक पूर्णिमा, देव दीपावली, प्रकाश परब एवं *गुरु नानक देव* की जयंती पर आएँ हम अपने कर्तव्यों (धर्म) के प्रति सजग होने का संकल्प लें एवं दैवीय शक्तियों को स्वयं में अनुभव करें। 

आज वीरांगना झाँसी की रानी *लक्ष्मीबाई* एवं पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की जयंती पर शौर्य और दृढ़ता का वरण करें।

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Sunday, November 14, 2021

जय माँ तुलसी

*त्रिकाल बिनता पुत्र प्रयाश तुलसी यदि।*
*विशिष्यते कायशुद्धिश्चान्द्रायण शतं बिना।।*

यदि सुबह, दोपहर और शाम को तुलसी का सेवन किया जाए तो उससे शरीर इतना शुद्ध हो जाता है, जितना अनेक चांद्रायण व्रत के बाद भी नहीं होता।

If one consumes _Tulsi_ three times (morning, afternoon and evening) a day her/his body will become more clean than it can be done by doing _Chandrayan Vrat_ (a very difficult fasting). 

*Please plant a _Tulsi_ at home.*

*देव प्रबोधिनी एकादशी (तुलसी विवाह) पर हम अपने सोये देवत्व को जागृत करें।*

*तुलसी को अपनाएँ हम,*
*रोग प्रत्येक हराएँ हम,*
*जीवन स्वस्थ बनाएँ हम,*
*सोया देवत्व जगाएँ हम।*

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Wednesday, November 10, 2021

जय छठी मैया

*ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।*
*अनुकंपय माम् भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।*

समस्त प्राणियों को नित्य नवजीवन प्रदान करने वाले ऊर्जा के अक्षुण्ण स्रोत सूर्य देवता की प्रथम किरण ऊषा को अर्घ्य समर्पित करूँ एवं सूर्य देव अपनी असीम अनुकम्पा हम सभी पर बरसाए।

We pray the first ray *Usha* of the eternal source of energy the *Sun* on this auspicious day of *Soorya Shashthi* and be blessed.

आज उदय होते सूर्य की प्रथम किरण *ऊषा* को अर्घ्य देते हुए *सूर्य आराधना के महापर्व सूर्य षष्ठी* (छठ पूजा) पर भगवान भास्कर से हम सभी के जीवन में प्रखरता भरने की प्रार्थना।

छठी मैया हम सबका कल्याण करें।

*किरण प्रथम को अर्घ्य हमारा, सूर्य देव स्वीकार करो,*
*भाव पुष्प अर्पण हैं छठ माँ, हम सबका उद्धार करो।*

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Tuesday, November 9, 2021

जय छठी मैया

*ॐ सूर्य देवं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणा करं।*
*अर्घ्यं च फलं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतै युतम्।।*

हे सूर्य देव! हम आपको सुगंधित पुष्प फल माला अक्षत से परिपूरित पूर्ण श्रद्धा से अर्घ्य अर्पित करते हैं, आप इसे ग्रहण कर हम पर करुणा करो।

O Sun God! We offer you arghya with full devotion, complemented by fragrant flowers fruits garlands, kindly accept and bless us.

*सूर्योपासना के महापर्व सूर्य षष्ठी (छठ पूजा) पर आज अस्ताचलगामी सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देते हुए जीवन में इस विश्वास को दृढ़ करें कि अस्त हुआ सूर्य पुनः नयी आभा के साथ उदय होता है।*

छठी मैया सभी के जीवन में उल्लास एवं स्वास्थ्य भर दे।

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Saturday, November 6, 2021

शुभ रविवार

*एहि तन कर फल बिषय न भाई।*
*स्वर्गउ स्वल्प अंत दुखदाई॥*
*नर तनु पाइ बिषयँ मन देहीं।*
*पलटि सुधा ते सठ बिष लेहीं॥*

रामचरित मानस : उत्तरकांड।

मानव शरीर मिलने का उद्देश्य विषयभोग नहीं है, स्वर्ग का भोग भी थोड़ा लगता है और अंत में दुःख देने लगता है। अतः यदि मनुष्य शरीर पाकर भी विषयों में मन लगाने वाले, किसी मूर्ख के समान अमृत के बदले विष लेने के समान है।

The cause to the human birth is not to be indulged in material things/ pleasures, even pleasure of heaven may seem insufficient and later caused sufferings only. Hence if a human indulge in material things/ pleasures is like a fool who takes venom against nector.

*मिला मनुज तन गर्व करें हम,*
*विषय भोग में क्यों उलझें हम,*
*सत्कर्मों में व्यस्त रहें हम,*
*यह उद्देश्य पूर्ण करें हम।*

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Friday, November 5, 2021

श्री चित्रगुप्त पूजन

*असद्भिः शपथेनोक्तं जले लिखितमक्षरम्।*
*सद्भिस्तु लीलया प्रोक्तं शिलालिखितमक्षरम्॥*

असभ्य ( दुष्ट स्वभाव के) व्यक्तियों द्वारा किसी कार्य को करने हेतु ली गयी शपथ जल में लिखे गये अक्षरों के समान (अस्थायी) होती है ,अर्थात वे उसका अनुपालन नहीं करते हैं। इस के विपरीत सभ्य (सज्जन और सत्यवादी) व्यक्तियों द्वारा हँसी मजाक में भी कही हुई कोई बात एक शिलालेख के समान (स्थायी) होती है,
अर्थात वे जो कहते हैं उसे अवश्य पूरा कर के दिखाते हैं।

The commitments made by persons of evil temperament even under oath are just like words written on the surface of water (which
disappear immediately) and are not honoured by them.  On the other
hand commitments made by upright and truthful persons even casually are like the words engraved on a slab of stone (permanent) and are duly honoured by them.

*पञ्च दिवसीय दीप पर्व के समापन दिवस यम द्वितीया (भाई दूज) पर प्रत्येक भाई एवं बहिन स्वस्थ और संपन्न बने यही प्रार्थना।*

*आज चित्रगुप्त पूजन पर आएँ सदैव सत्कर्मों में रत रहने हेतु संकल्पित होवें।*

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Thursday, November 4, 2021

गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं

*अब कुसल कौसलनाथ आरत जानि जन दरसन दियो।*
*बूड़त बिरह बारीस किरपानिधान मोहि कर गहि लियो॥*
रामचरित मानस : लंकाकांड।

(भगवान राम के वनवास से लौटने पर भरत ने कहा-) हे कोसलनाथ! आपने दुःखी जानकर मुझ दास को दर्शन दिये, जिससे अब मैं कुशल हूँ। इस विरह सागर में डूबते हुए को आपने हाथ पकड़कर बचा लिया॥

(On the return of Lord Ram from exile, Bharat said) O Kosalnath! Knowing my grief, you came and meet me, now I am well. You saved me by holding my hand while drowning in this parting ocean.

 हम भगवान राम के आगमन को अनुभव करते हुए अपने सभी दुःखों से मुक्त हों, स्वस्थ हों, यही शुभेच्छा।

गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट महोत्सव की शुभेच्छाएँ।

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Wednesday, November 3, 2021

दीपावली की शुभकामनाएं

*दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।*
*दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते।।*

*तमसो मा ज्योतिर्गमय*

अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ें।

Come, walk towards LIGHT from Darkness.

*दीप पर्व है दीप जलाएँ,*
*अंधकार को आज हराएँ,*
*आलोकित करने हर जीवन,*
*आएँ हम दीपक बन जाएँ।*

उत्साह, उमंग, आलोक के इस महापर्व *दीप पर्व* पर हम सभी के जीवन में दैवीय प्रकाश बढ़े, यही प्रार्थना।

*शुभ दीपावली*
*स्वस्थ दीपावली*
*मंगल दीपावली*

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Tuesday, November 2, 2021

शुभ छोटी दीपावली

*अग्निर्देवो द्विजातीनां, मुनीनां हृदि दैवतम्।*
*प्रतिमा स्वल्पबुद्धीनां, सर्वत्र समदर्शिनः।।*
चाणक्य नीति

द्विजों अथवा ब्राह्मणों के लिए अग्नि भगवान है। 
मुनियों का भगवान उनके हृदय में स्थित है। 
अल्पबुद्धि लोगों का भगवान प्रस्तर प्रतिमा अर्थात मूर्ति में स्थित है। 
और जो समदर्शी हैं उनके लिए भगवान सर्वत्र हैं।

For the brahmins, fire is God; 
for the ascetics, the Lord is in their hearts; for those with little insight, it is in the statue; for those with equanimity, He is everywhere!

पञ्च दिवसीय सम्पूर्ण महापर्व *दीपावली* (स्वास्थ्य, रूप, समृद्धि, उल्लास एवं सुरक्षा हेतु आराधना का पर्व) के द्वितीय दिवस *रूप चतुर्दशी*, काली चौदस एवम् छोटी दीपावली पर हम सभी स्वस्थ एवं रूपवान बनें।

🙏🏼🙏🏼 *शुभ दीपावली* 🙏🏼🙏🏼

Monday, November 1, 2021

शुभ धनतेरस

*सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।* 
*सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।*

सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।

May all be happy, be free from all diseases, be a witness to all auspicious and no one has to become a partaker of sorrow.

पञ्च दिवसीय सम्पूर्ण महापर्व *दीपावली* (स्वास्थ्य, रूप, समृद्धि, उल्लास एवं सुरक्षा हेतु आराधना का पर्व) के प्रथम दिवस, भगवान धन्वन्तरि के प्राकट्य दिवस *धनतेरस* पर हम सभी स्वास्थ्य रूपी धन से पूरित हों।

🙏🏼🙏🏼 *शुभ धनतेरस* 🙏🏼🙏🏼

Sunday, October 31, 2021

प्रभु भक्ति

*ऊँ विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परा सुव।*
*यद् भद्रं तन्न आ सुव।।*

ऋग्वेद : मण्डल ५, सूक्त ८२/५.

हे सब सुखों के दाता ज्ञान के प्रकाशक सकल जगत के उत्पत्तिकर्ता एवं समग्र ऐश्वर्ययुक्त परमेश्वर! आप हमारे सम्पूर्ण दुर्गुणों, दुर्व्यसनों और दु:खों को दूर कीजिये, और जो कल्याणकारक गुण, कर्म, स्वभाव, सुख और पदार्थ हैं, हमें प्रदान कीजिये।

O the giver of all pleasures, the illuminator of knowledge, the creator of the whole world and the God of all opulence! Kindly take away all our vices, addictions and sorrows, and bestow upon us the beneficial qualities, deeds, nature, pleasures and substances.

आज *रमा एकादशी* से प्रारम्भ होने वाले दीपों के महोत्सव में माँ लक्ष्मी हम सभी को स्वस्थ और समृद्ध बनाए।

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Thursday, October 28, 2021

जय माँ

*अपवक्ता हृदयाविजश्चित्।* (ऋग्वेद 1/24/8)

उन सभी कुत्सित विचारों को त्याग दीजिये जो आत्मा को कष्ट दे अथवा नष्ट कर दे।

Abandon all sorrowful thoughts which may trouble or destroy the soul.

*हम ईश्वर की संतानें,*
*नित्य स्वयं को पहचानें।*

स्वस्थ रहें।

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Wednesday, October 27, 2021

स्वयं

*मुक्ताभिमानी मुक्तो हि बद्धो बद्धाभिमान्यपि।*
*किवदन्तीह सत्येयं या मतिः सा गतिर्भवेत्॥१-११॥*
अष्टावक्र गीता

स्वयं को मुक्त मानने वाला मुक्त ही है और बद्ध मानने वाला बंधा हुआ ही है, यह कहावत सत्य है कि जैसी बुद्धि होती है वैसी ही गति होती है।

If you think you are free you are free. If you think you are bound you are bound. It is rightly said: You become what you think.

*ईश पुत्र हम मानें हम,*
*निज मन को पहचानें हम,*
*मुक्त स्वयं को समझें हम,*
*स्वयं स्वयं को जानें हम।*

आज *अहोई अष्टमी* पर सभी संतानों के स्वास्थ्य की रक्षा हो एवं व्रतधारिणी माताओं के अभीष्ट पूर्ण हों।

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Tuesday, October 26, 2021

आचरण

*आचाराल्लभते आयु: आचारादीप्सिता: प्राजा:,*
*आचाराद्धनमक्षय्यम् आचारो हन्त्यलक्षणम्।।*

अच्छे आचरण अर्थात सदव्यवहार से दीर्घ आयु, श्रेष्ठ सन्तति, चिर समृद्धि प्राप्त होती है, तथा अपने दोषों का भी नाश होता है। प्रत्येक परिस्थिति हमारे हाथ में नहीं किन्तु हमारा आचरण हमारे वश में है।

Good conduct means good behavior, gives longevity, great progeny, everlasting prosperity, and also destroys one's own faults. Every situation is not in our hands but our conduct is under our control.

*व्यवहार हमारा अच्छा हो,*
*व्यवहार हमारा सच्चा हो,*
*हम स्वच्छ रहें हम स्वस्थ रहें,*
*हम व्यस्त रहें हम मस्त रहें।*

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Monday, October 25, 2021

अहम से बचे

*प्रकृते: क्रियमाणानि गुणै: कर्माणि सर्वश:।*
*अहंकारविमूढात्मा कर्ताहमिति मन्यते।।*
गीता : अध्याय ३, श्लोक २७।

वास्तव में सम्पूर्ण कर्म सब प्रकार से प्रकृति के गुणों द्वारा किये जाते हैं तथापि जिसका अन्त:करण अहंकार से मोहित हो रहा है, ऐसा अज्ञानी 'मैं कर्ता हूँ' ऐसा मानता है।

All actions are being performed by the modes of nature (Primordial matter). The foolish, whose mind is deluded by egoism, thinks: “I am the doer".

अहम से बचें, परम को समझें,
मैं करता हूँ, यह न समझें,
स्व में स्थित स्वस्थ रहें।

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Saturday, October 23, 2021

करवा चौथ

रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने शक्ति स्वरूपा नारी को नमन करते हुए कहा है:

*उद्भवस्थितिसंहारकारिणी क्लेशहरिणीम्।*
*सर्वश्रेयस्कारीं सीता नतोऽहं रामवल्लभाम्।।*

उत्पत्ति, स्थिति (पालन) और संहार करने वाली, क्लेशों को हरने वाली तथा समस्त कल्याणों को करने वाली स्वयम् भगवन को प्रिय नारी शक्ति को मैं नमन करता हूँ।

I salute the woman, symbol of power of creation, adherence and destruction, defeating afflictions and doing all the welfare. At last GOD's love, o woman! I bow myself to you.

अपने जीवनसाथी की स्वस्थ एवं दीर्घ जीवन हेतु एक नारी निर्जल कठोर तप करती है, आज *करवा चौथ* व्रतधारी सभी नारियों की मनोकामना माँ भवानी पूर्ण करे एवं उन्हें भी स्वस्थ एवं दीर्घ जीवन प्रदान करें।

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Friday, October 22, 2021

परम सत्ता

*सगुनहि अगुनहि नहिं कछु भेदा।* *गावहिं मुनि पुरान बुध बेदा॥*
*अगुन अरूप अलख अज जोई।* *भगत प्रेम बस सगुन सो होई॥*

रामचरितमानस में परम सत्ता के सगुण और निर्गुण (निराकार एवं साकार) रूप में कोई भेद नहीं बताया है।
परम सत्ता, जो निर्गुण, अरूप (निराकार), अलख (अव्यक्त) और अजन्मा है, वही भक्तों के प्रेमवश सगुण रूप धारण करती है। 
अर्थात् भावना की प्रखरता सूक्ष्म चेतना को स्थूल स्वरूप में अवतरित कर देती है।

In the form of saguna and nirguna (formless and true) of supreme power, there is not described any distinction.

The supreme power, which is Nirguna, Arup (formless), Alakh (latent) and unborn, holds the Saguna form due to love for the devotees. 
*The intensity of the perception and belief transforms the subtle consciousness into a gross form.*

स्वस्थ रहें।

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Thursday, October 21, 2021

माँ तुलसी की महिमा

🔸कार्तिक मास में तुलसी की महिमा🔸

          ब्रह्मा जी कहे हैं कि कार्तिक मास में जो भक्त प्रातः काल स्नान करके पवित्र हो कोमल तुलसी दल से भगवान् दामोदर की पूजा करते हैं, वह निश्चय ही मोक्ष पाते हैं। पूर्वकाल में भक्त विष्णुदास भक्तिपूर्वक तुलसी पूजन से शीघ्र ही भगवान् के धाम को चला गया और राजा चोल उसकी तुलना में गौण हो गए। तुलसी से भगवान् की पूजा, पाप का नाश और पुण्य की वृद्धि करने वाली है। अपनी लगाई हुई तुलसी जितना ही अपने मूल का विस्तार करती है, उतने ही सहस्रयुगों तक मनुष्य ब्रह्मलोक में प्रतिष्ठित रहता है। यदि कोई तुलसी संयुत जल में स्नान करता है तो वह पापमुक्त हो आनन्द का अनुभव करता है। जिसके घर में तुलसी का पौधा विद्यमान है, उसका घर तीर्थ के समान है, वहाँ यमराज के दूत नहीं जाते। जो मनुष्य तुलसी काष्ठ संयुक्त गंध धारण करता है, क्रियामाण पाप उसके शरीर का स्पर्श नहीं करते। जहाँ तुलसी वन की छाया हो वहीं पर पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध करना चाहिए। जिसके कान में, मुख में और मस्तक पर तुलसी का पत्ता दिखाई देता है, उसके ऊपर यमराज दृष्टि नहीं डाल सकते।
          प्राचीन काल में हरिमेधा और सुमेधा नामक दो ब्राह्मण थे। वह जाते-जाते किसी दुर्गम वन में परिश्रम से व्याकुल हो गए, वहाँ उन्होंने एक स्थान पर तुलसी दल देखा। सुमेधा ने तुलसी का महान् वन देखकर उसकी परिक्रमा की और भक्ति पूर्वक प्रणाम किया। यह देख हरिमेधा ने पूछा कि 'तुमने अन्य सभी देवताओं व तीर्थ-व्रतों के रहते तुलसी वन को प्रणाम क्यों किया ?' तो सुमेधा ने बताया कि 'प्राचीन काल में जब दुर्वासा के शाप से इन्द्र का ऐश्वर्य छिन गया तब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मन्थन किया तो धनवंतरि रूप भगवान् श्री हरि और दिव्य औषधियाँ प्रकट हुईं। उन दिव्य औषधियों में मण्डलाकार तुलसी उत्पन्न हुई, जिसे ब्रह्मा आदि देवताओं ने श्री हरि को समर्पित किया और भगवान् ने उसे ग्रहण कर लिया। भगवान् नारायण संसार के रक्षक और तुलसी उनकी प्रियतमा है। इसलिए मैंने उन्हें प्रणाम किया है।'
          सुमेधा इस प्रकार कह ही रहे थे कि सूर्य के समान अत्यंत तेजस्वी विशाल विमान उनके निकट उतरा। उन दोनों के समक्ष वहाँ एक बरगद का वृक्ष गिर पड़ा और उसमें से दो दिव्य पुरुष प्रकट हुए। उन दोनों ने हरिमेधा और सुमेधा को प्रणाम किया। दोनों ब्राह्मणों ने उनसे पूछा कि आप कौन हैं ? तब उनमें से जो बड़ा था वह बोला, मेरा नाम आस्तिक है। एक दिन मैं नन्दन वन में पर्वत पर क्रीड़ा करने गया था तो देवांगनाओं ने मेरे साथ इच्छानुसार विहार किया। उस समय उन युवतियों के हार के मोती टूटकर तपस्या करते हुए लोमश ऋषि पर गिर पड़े। यह देखकर मुनि को क्रोध आया। उन्होंने सोचा कि स्त्रियाँ तो परतंत्र होती हैं। अत: यह उनका अपराध नहीं, दुराचारी आस्तिक ही शाप के योग्य है। ऐसा सोचकर उन्होंने मुझे शापित किया - "अरे तू ब्रह्म राक्षस होकर बरगद के पेड़ पर निवास कर।" जब मैंने विनती से उन्हें प्रसन्न किया तो उन्होंने शाप से मुक्ति की विधि सुनिश्चित कर दी कि जब तू किसी ब्राह्मण के मुख से तुलसी दल की महिमा सुनेगा तो तत्काल तुझे उत्तम मोक्ष प्राप्त होगा। इस प्रकार मुक्ति का शाप पाकर मैं चिरकाल से इस वट वृक्ष पर निवास कर रहा था। आज दैववश आपके दर्शन से मेरा छुटकारा हुआ है।
          तत्पश्चात् वे दोनों श्रेष्ठ ब्राह्मण परस्पर पुण्यमयी तुलसी की प्रशंसा करते हुए तीर्थ यात्रा को चल दिए। इसलिए भगवान् विष्णु को प्रसन्नता देने वाले इस कार्तिक मास में तुलसी की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
                ०   ०   ०

   "जय  श्री कृष्णा राधे राधे 🙏

परिणाम

*एकवापीभवं  तोयं   पात्रापात्र  विशेषतः।*
*आम्रे मधुरतामेति  निम्बे कटुकतामपि।।*

एक ही तालाब का जल, विशेषतः योग्य तथा अयोग्य प्राप्तकर्ताओं  के द्वारा प्रयुक्त हो कर ,अलग अलग परिणाम देता है। उदाहरण स्वरूप आम के वृक्ष को सिंचित करने  से उसके फलों में मिठास उत्पन्न होती है  परन्तु नीम के वृक्ष में कटुकता ही उत्पन्न होती है।

एक ही साधन का सज्जन व्यक्ति सदुपयोग करते हैं और दुर्जन दुरुपयोग करते हैं और उसके परिणाम भी तदनुसार अच्छे और बुरे होते हैं।

Water from the same pond used for irrigation purposes produces different results depending upon the  competence
or incompetence of the recipients, e.g while the Mango tree produces sweet fruits, all the products of Neem tree  are bitter in taste."

The competent persons put to good use the resources available to them and the same resources are misused by incompetent persons producing bad results.

स्वस्थ रहें।

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Tuesday, October 19, 2021

बाल्मीकि जयंती

*मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगम: शास्वती समा।*
*यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधी: काममोहितम्।।*

हे निषाद। तुझे कभी भी शान्ति न मिले, क्योंकि तूने इस काम से मोहित क्रौंच के जोड़े में से एक की बिना किसी अपराध के ही हत्या कर डाली।

आदि कवि वाल्मीकि जी ने करुणा से भरकर इस प्रथम श्लोक की रचना की एवं तत्पश्चात *रामायण* की रचना की।

एक दस्यु से महर्षि बने *वाल्मीकि* की जयंती पर हम सदैव उत्कृष्टता की ओर बढ़ने का संकल्प लें।

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Monday, October 18, 2021

जय श्री राम

*फूलइ फरइ न बेत, जदपि सुधा बरषहिं जलद।*
*मूरुख हृदयँ न चेत, जौं गुर मिलहिं बिरंचि सम॥*

रामचरितमानस : लंका काण्ड।

मंदोदरी के समझाने पर भी मदान्ध रावण के न समझने पर गोस्वामी तुलसीदास जी ने बेंत (बाँस) का उदाहरण देते हुए बताते हैं कि
यद्यपि बादल अमृत-सा जल बरसाते हैं तथापि बेत फूलता-फलता नहीं। इसी प्रकार ब्रह्मा के समान ज्ञानी गुरु मिलने पर भी मूर्ख के हृदय में चेत (ज्ञान) नहीं होता॥

Despite good rain like nectar, the bamboo does not flourish. Similarly, even after getting a knowledgeable mentor like Brahma, the fool hearted can't attain perception (intellect).

*व्यर्थ नहीं अभिमान करें,*
*सोचें तनिक विचार करें,*
व्यस्त रहें हम स्वस्थ रहें।

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Sunday, October 17, 2021

सत्कर्म

*नाम्भोधिरर्थितामेति सदाम्भोभिश्च पूर्यते।*
*आत्मा तु पात्रतां नेयः पात्रमायान्ति संपदः।।*
       
यद्यपि समुद्र ने जल की कभी कामना नहीं की और न ही किसी से इस हेतु संपर्क किया परन्तु फिर भी वह सदा जल से भरा ही रहता है। इसी तरह यदि कोई व्यक्ति धर्म का पालन कर अपने को सुयोग्य बना ले तो उसे सुपात्र जान कर धन संपत्ति स्वयं ही उसके पास आ जाती है।

{इसी भावना को गोस्वामी तुलसीदास जी ने 'रामचरितमानस' में भी व्यक्त किया है: 
जिमि सरिता सागर मंहुं जाहीं।
जद्यपि ताहि कामना नाहीं। 
तिमि सुख संपति बिनहिं बुलाये। धर्मशील पहिं जाहिं सुभाये।। (बालकाण्ड पद २९४ ) }

The ocean neither desires nor approaches any one for water, but still it always remains full with water. Similarly, if a person makes himself worthy through performing his duties well with religious austerity, then considering him as a proper recipient, wealth itself favours him, although he may not desire it.

*हम अपना कर्तव्य निभाएँ,*
*जीवन सुख से भरा बनाएँ।*

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Saturday, October 16, 2021

शुभ रविवार

*अधर्मेणैधते  तावत्ततो  भद्राणि  पश्यति।*
*ततः सपत्नाञ्जयति समूलस्तु विनश्यति।।*
                                          
कभी कभी पापकर्म में लिप्त रहने पर भी थोड़े समय के लिए लोग समृद्ध और सुखी हो जाते हैं और उनके शत्रु भी पराजित हो जाते हैं। परन्तु अन्ततः वह पापकर्म करने वाला भी समूल नष्ट हो जाता है।

Sometimes persons engaged in sinful deeds also become prosperous and happy for a short period, are able to conquer their enemies. But ultimately such persons are annihilated.

सदा पाप से हम बचें,
कर्तव्य मार्ग से नहीं टरें,
व्यस्त रहें हम मस्त रहें।

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पापांकुशा एकादशी

*उपकर्तुं यथा स्वल्पं समर्थो न तथा महान्।*
*प्रायः कूपस्तृषां हन्ति सततं न तु वारिधिः।।*

परोपकार करने में एक साधारण व्यक्ति, एक महान व्यक्ति से अधिक समर्थ हो सकता है। उदाहरण स्वरूप एक साधारण कुँआ निरन्तर सामान्य जनों की प्यास बुझाता है न कि विशाल समुद्र।

An ordinary person can be more capable of doing charity than a great person. For example, an ordinary well continuously quenches the thirst of ordinary people and not the vast sea.

*यदि उपकार करें जीवन में,*
*हो अभिमान भला क्यों मन में।*

आज पापांकुशा एकादशी पर स्वस्थ रहने का संकल्प लें।

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Wednesday, October 13, 2021

महानवमी

*सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।*
*सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।*

हे समस्त सिद्धियों को देने वाली माँ सिद्धिदात्री, आपको सिद्धगण, गंधर्व, यक्ष, सुर, असुर, इत्यादि पूजते हैं, आप हमारा पूजन भी स्वीकार करो एवं सभी सिद्धि प्रदान करो।

Goddess Siddhidatri who is worshipped by Siddha, Gandharva, Yaksh, Gods, Demons etc., holds Conch, Chakra, Gada and Lotus in her hands, giver of all siddhis and victory all over, be propitious to all.

On This Auspicious Occasion of Durga MahaNavami, May all  blessed with Prosperity, Happiness, Health, Wealth And Success.

आज महानवमी के इस अवसर पर माँ दुर्गा हम सभी की समस्त सदिच्छाओं को पूर्णता प्रदान करे।

*शक्ति भक्ति संचित की है,*
*माँ को पूजा अर्पित की है,*
*माँ पूजन सब स्वीकार करो,*
*माँ हम सबका उद्धार करो।*

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Tuesday, October 12, 2021

जय माँ महागौरी

*श्वेते वृषे समारूढा, श्वेताम्बरधरा शुचि:।*
*महागौरी शुभं दद्यात्, महादेव प्रमोददा।।*

श्वेत बैल पर सवार, श्वेत वस्त्र धारण करने वाली, अत्यन्त पवित्र और महादेव को अपनी भक्ति से प्रसन्न करने वाली हे माँ महागौरी! हम सबका कल्याण करो।

O Maa Mahagauri, riding on a white bull, wearing white clothes, very pious and pleasing _Mahadev_ with thy devotion! Bless us all.

आज माँ आदि शक्ति के अष्टम स्वरूप महागौरी का पूजन।

*वृषारूढ़ हो आओ माँ, हम सबका कल्याण करो,*
*शक्ति भक्ति भर दो माँ, यह पूजन स्वीकार करो।*

शक्ति पूजन करें।

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Monday, October 11, 2021

जय माँ कालरात्रि

*जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि।*
*जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तु ते।*
(अर्गला स्तोत्र)

हे देवि चामुण्डे! (चण्ड मुण्ड विनाशिनी) आपकी जय हो। समस्त प्राणियों की पीड़ा हरनेवाली देवि! आपकी जय हो। हे सबमें व्याप्त रहने वाली देवि! आपकी जय हो। हे कालरात्रि ! आपको नमन करते हैं।


O Goddess Chamunde! (Chand Mund destroyer) Hail thee. O Goddess who removes the pain of all beings! Hail thee.
O Goddess who pervades all! Hail thee. 
O Kalratri! bows to you.

आज माँ आदिशक्ति के सप्तम स्वरूप कालरात्रि का पूजन अर्चन।

*रूप भयंकर धर आओ माँ,*
*सब कल्मष हर जाओ माँ।*

शक्ति संचय करें।

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Sunday, October 10, 2021

जय माँ कात्यायनी

*जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।*
*दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।*
(अर्गला स्रोत्र)

हे विजय देने वाली, मंगल करने वाली, भय हरने वाली, दुष्टों का संहार करने वाली, कल्याण करने वाली, करूणा रखने वाली, क्षमा देने वाली, सभी प्रकार के ऐश्वर्य प्रदान करने वाली माँ दुर्गा आपको नमन करते हैं।

O giver of victory, bestower of auspiciousness, remover of fear, destroyer of wicked, doer of welfare, having compassion, giving forgiveness, bestowing all kinds of opulences, Maa Durga bows to you.

आज माँ आदिशक्ति के छठे स्वरूप कात्यायनी का पूजन वंदन।

*माँ आओ कर सिंह सवारी,*
*दूर करो माँ विपदा सारी।*

शक्ति संचय करें।

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Saturday, October 9, 2021

जय माँ स्कन्दमाता

*सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।*
*भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवी नमोऽस्तु ते।*

हे सर्वस्वरूपा, सर्वेश्वरी तथा सब प्रकार की शक्तियों से सम्पन्न दिव्यरूपा दुर्गे देवी! सब प्रकार के भय से हमारी रक्षा कीजिये। आपसे यही प्रार्थना है।

O Omnipresence, Sarveshwari and Divya Roopa Durga Devi, endowed with all kinds of powers! Protect us from all kinds of fear. We pray to you.

आज माँ आदिशक्ति के स्कंदमाता स्वरूप का पूजन वंदन।

*हर भय से माँ अब दूर करो,*
*हर विपद हमारी दूर करो।*

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Friday, October 8, 2021

जय माँ

*रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।*
*त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति॥*

हे माँ! आप प्रसन्न होने पर सब रोगों को नष्ट कर देती हो और कुपित होने पर मनोवांछित सभी कामनाओं का नाश कर देती हो। जो आपकी शरण में हैं, उन पर विपत्ति तो आती ही नहीं। आपकी शरण में मनुष्य दूसरों को शरण देने वाले हो जाते हैं।

O mother! When you are happy, you destroy all diseases and when you are angry, you destroy all desires. Those who are in your shelter, there is no calamity on them. Even they become givers of shelter to others.

आज माँ आदिशक्ति के चंद्रघंटा एवं कूष्मांडा स्वरूप का पूजन नमन।

*शक्ति संचय करें।*

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Thursday, October 7, 2021

ब्रह्मचारिणी स्वरूप

*दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।*
*दारिद्र्य दु:ख भयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽ‌र्द्रचित्ता॥*

हे माँ दुर्गे! आप स्मरण करने पर सब प्राणियों का भय हर लेती हैं और स्वस्थ पुरुषों द्वारा चिन्तन करने पर उन्हें परम कल्याणमयी बुद्धि प्रदान करती हैं। 
दु:ख, दरिद्रता और भय हरने वाला आपके अतिरिक्त  दूसरा कौन है, जिसका चित्त सबका उपकार करने के लिए सदा ही आर्द्र रहता हो।

He Maa Durga! On remembering you, you take away the fear of all beings, and on contemplation by healthy men, you bestow them with supremely beneficial intelligence.
Who is the one who removes sorrow, poverty and fear other than you, whose heart is always moist to do everyone's favour.

आज शारदीय नवरात्रि पर्व के द्वितीय दिवस पर माँ आदि शक्ति के ब्रह्मचारिणी स्वरूप से प्रार्थना।

*शक्ति संचय करें।*

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Wednesday, October 6, 2021

आदि शक्ति

*रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।*

माँ आदि शक्ति से प्रार्थना:
हमें आध्यात्मिक रूप प्रदान कीजिये,
आध्यात्मिक विजय प्रदान कीजिये,
आध्यात्मिक यश प्रदान कीजिये एवं हमारे अंतस की बुराइयों को मिटा दीजिये।

Grant us Spiritual Beauty, 
Grant us Spiritual Victory, Grant us Spiritual Glory and Please Destroy our Inner Enemies.

*शक्ति संचयन के महापर्व शारदीय नौरात्रि में माँ आदिशक्ति के नौ स्वरूपों का पूजन अर्चन कर हम अपनी शक्तियों को संचित करें। माँ हम सभी को स्वास्थ्य, शक्ति एवं समृद्धि प्रदान करे।*

*माँ आदिशक्ति के शैलपुत्री स्वरूप को नमन।*

*आदर्श समाजवाद के प्रणेता अग्रसेन महाराज की 5145वीं जयन्ती पर समाज को संगठित एवं सामर्थ्यवान बनाने का संकल्प लें।*

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Tuesday, October 5, 2021

सदैव शुभ

*वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।*
*तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही।।*
गीता : अध्याय २, श्लोक २२।

जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नये वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीर को त्यागकर दूसरे नये शरीर को धारण करती है।

Just like people shed worn-out clothes and wear new ones, our soul casts off its worn-out body and enters a new one.

आज *सर्वपितृ अमावस्या* पर अपने पूर्वजों के स्वर्ग में अथवा इस पृथ्वी पर किसी और शरीर में होने के विश्वास को दृढ़ करते हुए, उनके आशीर्वाद को अनुभव करें। 

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जय श्री राम

*समै समै सुंदर सबै, रूप कुरूप न कोय।*
*मन की रुचि जेत जितै, तित तेती रुचि होय।*
बिहारी सतसई

समय-समय पर सभी सुन्दर हैं, कोई सुन्दर और कोई कुरूप नहीं है। मन की प्रवृत्ति जिधर जितनी होती है, उधर उतनी ही आसक्ति होती है।

All are beautiful at times, nothing is beautiful ugly. Wherever there is tendency of the mind, there will be more attachment.

एक परम में ध्यान धरें,
व्यस्त रहें हम स्वस्थ रहें।

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Saturday, October 2, 2021

गुण अवगुण

*भलेउ पोच सब बिधि उपजाये।*
*गनि गुन दोष बेद बिलगाये॥*
*कहहिं बेद इतिहास पुराना।*
*बिधि प्रपंचु गुन अवगुन साना॥*
रामचरित मानस : बालकाण्ड।

भला अथवा बुरा, सभी प्रकृति जनित हैं, किन्तु गुण और दोषों को विचार कर वेदों ने उनको अलग-अलग कर दिया है। वेद, इतिहास और पुराण कहते हैं कि यह सृष्टि गुण एवं अवगुण दोनों से भरी हुई है॥

All the Good and Evil is created by spreme power Nature and can be distinguished by their characteristics. It is well known truth that this world is full of Good and Bad both.

तुलसीदास जी ने आगे की चौपाइयों में अच्छे एवं बुरे के कई उदाहरण देते हुए इस कथन की पुष्टि की है।

दुख सुख पाप पुन्य दिन राती।
साधु असाधु सुजाति कुजाती।।
दानव देव ऊँच अरु नीचू। 
अमिअ सुजीवनु माहुरु मीचू।।
माया ब्रह्म जीव जगदीसा।
लच्छि अलच्छि रंक अवनीसा।।
कासी मग सुरसरि क्रमनासा।
मरु मारव महिदेव गवासा।।
सरग नरक अनुराग बिरागा।
निगमागम गुन दोष बिभागा।।

*ज्यों काँटों की चुभन मिली, फूलों की मुस्कान को,*
*भला बुरा दोनों है जग में, मानें परम विधान को,*
*भेद करें हम, भले बुरे में, समझें निज कल्याण को,*
*है आवश्यक सामंजस्य, जीवन में उत्थान को।*

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Friday, October 1, 2021

आत्म सन्तोष

*असन्तोषः परं दुःखं सतोषः परमं सुखं।*
*सुखार्थी पुरुषस्तस्यात्सन्तुष्टः सततं भवेत् ।।*

जो व्यक्ति संतोषी नहीं होता है वह सदैव ही अत्यन्त दुःखी रहता है और जो व्यक्ति संतोषी होता है वह परम सुख का अनुभव करता है। अतएव सुख की कामना करने वाले व्यक्ति को सदैव संतुष्ट रहना चाहिए।

The person who is not satisfied is always very unhappy and the person who is content feels the ultimate happiness. Therefore a person who desires happiness should always be satisfied.

*आज महात्मा गाँधी एवं लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिन पर हम सभी अपने राष्ट्र हेतु समर्पित होने का संकल्प लें।*

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Wednesday, September 29, 2021

उत्साह

*उत्साहो बलवानार्य नास्त्युत्साहात्परं बलम्।*
*सोत्साहस्य च लोकेषु न किंचिदपि दुर्लभम्॥*
वाल्मीकि रामायण : किष्किन्धा काण्ड ; १/१२१

उत्साह पुरुषों का बल है, उत्साह से बढ़कर और कोई बल नहीं है। उत्साहित व्यक्ति के लिए इस लोक में कुछ भी दुर्लभ नहीं है। 

Enthusiasm is the power of men. Nothing is as powerful as enthusiasm. Nothing is difficult in this world for an enthusiastic person.

स्वस्थ रहें।

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Monday, September 20, 2021

कर्म

*यथा  धेनु  सहस्रेषु  वत्सो गच्छति  मातरम्|*
*तथा  यच्च  कृतं  कर्म  कर्तारमनुगच्छति||*
चाणक्य नीति (१३/१५)

जिस प्रकार हजारों गायों के एक समूह में उनके बछडे अपनी अपनी माताओं को ढूढ कर उनके पास चले जाते हैं, उसी प्रकार किसी व्यक्ति द्वारा किये गये कर्म भी उस के पीछे पीछे उस का अनुसरण करते हैं, अर्थात किये गये अच्छे या बुरे कर्मों के परिणाम उसी को ही भोगने पडते हैं।

In a herd of thousands of cows their calves recognise their respective mothers and then follow
them, in the same manner the deeds done by a person follow him thereby implying that ultimately he has to face the consequences of good or bad deeds done by him.

कर्मों का फल नहीं टरे,
निज कर्मों का ध्यान करें।

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Sunday, September 19, 2021

गणपति बप्पा मोरया

*यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्।*
*इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च॥*

पिछले 10 दिवस के भगवान गणेश के सामीप्य एवं आतिथ्य के आनंद को सम्पूर्णता देते हुए भावपूर्ण विसर्जन कर अगले बरस फिर आने की विनम्र प्रार्थना करते हैं।

*अनंत चतुर्दशी पर विघ्नहर्ता गणेश हम सभी के विघ्न दूर करें एवं जीवन को मंगलमय बनाए।*

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Wednesday, September 15, 2021

ॐ नमो भगवते वासुदेव

*योगस्थ: कुरु कर्माणि संग्ङंत्यक्त्वा धनंजय।*
*सिद्ध्यसिद्ध्यो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥*
गीता अध्याय २ श्लोक ४८

परमयोगीश्वर भगवान कृष्ण समझा रहे हैं कि
हे धनंजय। कर्म न करने का आग्रह त्यागकर, सफलता असफलता, यश-अपयश के विषय में समबुद्धि होकर योग युक्त होकर, कर्म कर, (क्योंकि) समत्व को ही योग कहते हैं।

We should perform
our duties established in Yoga, renouncing attachment, and eventempered in success and failure; Envenness of temper is called yoga.

*कर्तव्य सदा निर्वाह करें,*
*व्यस्त रहें हम स्वस्थ रहें।*

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Tuesday, September 14, 2021

जय गणपति

*यमर्थसिध्दि: परमा न मोहयेत्*
*तथैव काले व्यसनं न मोहयेत्।*
*सुखं च दु:खं च तथैव मध्यमं*
*निषेवते य: स धुरन्धरो नर:॥*

जिसको सफलता, विफलता विचलित न कर सके,
किसी समय विपत्ति भी विचलित न कर सके तथा जो सुख दु:ख को और उनके बीच की स्थिति को समय के अनुसार सहन कर लेता है, वही मनुष्य धुरन्धर अथवा नेतृत्व करने वाला होता है।

One who is not affected with success and failure, is not affected by any misfortune, and who manages in joy and grief and the mean time equally is the true leader.

सफल विफल से न डरें हम,
श्रेष्ठ बनें नेतृत्व करें हम,
*व्यस्त रहें हम स्वस्थ रहें हम।*

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Monday, September 13, 2021

हिंदी दिवस की शुभकामनाएं

*निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।* 
*बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।*
भारतेन्दु हरिश्चंद्र।

भारत में हिंदी को एक संवैधानिक भाषा के रूप में आज के दिन वर्ष 1949 में अपनाया गया। 
आएँ आज हिंदी दिवस पर हम हिंदी का अधिकाधिक प्रयोग करने हेतु प्रतिबद्ध हों, संकल्पित हों।

*हम हिंदी में काम करें,*
*हिंदी पर अभिमान करें,*

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Thursday, September 9, 2021

श्री गणेश चतुर्थी

*एकदन्तं महाकायं लम्बोदर गजाननम्।*
*विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥*

एक दाँत से सुशोभित, विशाल शरीर वाले, बड़े उदर वाले (सभी बातों को उदरस्थ करने वाले), गज के मुख वाले एवं समस्त विघ्नों के विनाशकर्ता दिव्य भगवान हेरम्ब को प्रणाम करता हूँ।

आएँ हम आज *गणेश चतुर्थी* इस विशेष अवसर पर अपने जीवन में गणेश को स्थापित करें एवं भगवान हेरम्ब हमारे सभी कार्यों को अभीष्ट सफलता प्रदान करे। 

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Wednesday, September 8, 2021

हरतालिका तीज

*इहैव तैर्जितः सर्गो येषां साम्ये स्थितं मनः।*
*निर्दोषं हि समं ब्रह्म तस्माद्ब्रह्मणि ते स्थिताः।।*
गीता : अध्याय ५, श्लोक १९।

जिस मनुष्य का मन सम-भाव में स्थित रहता है, उसके द्वारा जन्म-मृत्यु के बन्धन रूपी संसार को जीत लिया जाता है क्योंकि वह ब्रह्म के समान निर्दोष एवं सम होता है और सदा परमात्मा में ही स्थित रहता है।

तुलसीदास जी ने भी इस तथ्य को सरल शब्दों में कहा है:
*समरथ कहुँ नहि दोष गुसाईं।*
*रवि पावक सुरसरि की नाईं।*
  
Those whose minds are established in sameness and equanimity have already conquered the conditions of birth and death. They are flawless like Almighty, and thus they are already situated in Almighty.

आज *हरतालिका तीज* पर माँ भवानी सभी अभीष्ट प्रदान करें, ऐसी शुभकामनाएँ।

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Saturday, September 4, 2021

शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं

*अपूर्व: कोपि कोशोयं विद्यते तव भारति।*
*व्ययतो वृद्धिमायाति क्षयमायाति संचयात्॥*

विद्या रूपी कोष अपूर्व है, आश्चर्य जनक है। विद्या का उपयोग करने से एवं दूसरों में बाँटने से वह बढ़ती है। इसके विपरीत संग्रहित करने से क्षीण होती जाती है।

The knowledge has different characteristics. It increases while being spent and decreases while being kept unused.

शिक्षा का उपयोग करें,
अधिकाधिक सहयोग करें,
सीखें भी सिखलाएँ भी,
विद्या को फैलाएँ भी।

आज *शिक्षक दिवस* पर सभी सीखाने वाले शिक्षकों को नमन करते हुए शिक्षा के अधिकाधिक प्रचार प्रसार हेतु संकल्पित हों।

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Sunday, August 29, 2021

श्री कृष्णा जन्मोत्सव

*यदा-यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।*
*अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्‌॥*
*परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।*
*धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥*
गीता : अध्याय ४, श्लोक ७-८।

*जब जब होय धर्म की हानी,* 
*बाढ़हिं असुर, अधम, अभिमानी,*
*तब तब प्रभु धर विविध शरीरा,* 
*हरहि कृपानिधि, सज्जन पीरा।*
रामचरितमानस : बालकाण्ड

भगवान श्री कृष्ण ने सम्पूर्ण मानव जाति को यह आश्वासन देते हुए कहा है कि
जब जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ अर्थात्‌ साकार रूप में लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ। सज्जन पुरुषों की रक्षार्थ, पाप कर्म करने वालों को नष्ट करने के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं युग-युग में अर्थात् हर समय प्रकट होता हूँ। 

The assurance of _Krishn_ to all mankind is, "Whenever virtue subsides and wickedness prevails, I manifest Myself. To establish virtue, to destroy evil, to save the good I come at every Yuga (age).

आज श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर परमसत्ता के इस सङ्कल्प को स्वयं में अवतरित करें, जो हमारी समस्त बुराइयों को नष्ट कर दे।

*श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।* 

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Friday, July 30, 2021

जय श्री राम

*नाथ सुहृद सुठि सरल चित, सील सनेह निधान।*
*सब पर प्रीति प्रतीति जियँ, जानिअ आपु समान॥*
रामचरित मानस : अयोध्या काण्ड।

परम सत्ता की विशेषताएँ बताते हुए तुलसीदास जी कहते हैं कि हे नाथ! आप परम सुहृद् (बिना ही कारण परम हित करने वाले), सरल हृदय तथा शील और स्नेह के भंडार हैं, आपका सभी पर प्रेम और विश्वास है, और अपने हृदय में सबको अपने ही समान जानते हैं।

The Almighty has supreme and simple heart full of modesty and affection, and also has love and faith in all knowing everyone.

*परम दया के हैं आगार,*
*करुणा के अतिशय भण्डार,*
*हितकारी हम सबके हैं,*
*नित्य परम को नम: कार।*

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Saturday, July 24, 2021

हर हर महादेव

*जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं,*
*प्रेम गली अति साँकरी, ता में दो न समाहिं।*

कबीर जी ने परम की प्राप्ति हेतु स्वयं के पूर्ण समर्पण की व्याख्या करते हुए कहा है कि मैं अर्थात अपने अहम को जब तक नहीं हटाते, उस परम की प्राप्ति नहीं हो सकती क्योंकि यह राह बहुत संकरी है इसमें केवल एक ही परम अथवा अहम ही समा सकते हैं।

Saint KABIR has explained the way to find Almighty by eliminating self with an example of a very narrow passage of love through which only one can pass either self or Almighty.

*अहम त्याग दें, मास अहम है,*
*सावन में शिव शक्ति परम है,*
*गुरु की शिक्षा साथ सदा हो,*
*संचित कर लें जो भी कम है।*

आज से प्रारम्भ शिव आराधना के श्रावण मास में स्वास्थ्य साधना करें।

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Wednesday, July 21, 2021

हर हर महादेव

सावन 2021
25 जुलाई से 22 अगस्त तक रहेगा सावन, पहले सोमवार को करें बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक
जानें विधि विधान से पूजन के बारे में
सावन में चार सोमवार पड़ रहे हैं। प्रथम सोमवार 26 जुलाई, द्वितीय सोमवार 2 अगस्त, तृतीय सोमवार 9 अगस्त एवं चतुर्थ सोमवार 16 अगस्त को है। संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत 27 जुलाई मंगलवार को, नाग पंचमी 28 जुलाई बुधवार, कामदा एकादशी व्रत चार अगस्त बुधवार को है।
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वाराणसी। भगवान शिव को समर्पित श्रावण मास में व्रत, दर्शन और पूजन से सभी मनोरथ पूर्ण होंगे। सावन में इस बार चार सोमवार पड़ रहे हैं और इसमें भगवान शिव का विशेष पूजन अनुष्ठान व्रत करने का विशेष फल मिलता है। श्रावण मास रविवार से शुरू होकर रविवार को ही समाप्त हो रहा है। सावन 25 जुलाई से आरंभ होकर 22 अगस्त तक रहेगा।
ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि भगवान शिव के दर्शन पूजन, अर्चना एवं व्रत से जीवन में सर्व संकटों के निवारण के साथ अभीष्ट की प्राप्ति होती है। सावन में चार सोमवार पड़ रहे हैं। प्रथम सोमवार 26 जुलाई, द्वितीय सोमवार 2 अगस्त, तृतीय सोमवार 9 अगस्त एवं चतुर्थ सोमवार 16 अगस्त को है। संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत 27 जुलाई मंगलवार को, नाग पंचमी 28 जुलाई बुधवार, कामदा एकादशी व्रत चार अगस्त बुधवार को है। शिवजी की प्रसन्नता के लिए किए जाने वाला प्रदोष व्रत 5 अगस्त गुरुवार तथा 20 अगस्त शुक्रवार को रखा जाएगा।
महाशिवरात्रि भी इस बार 6 अगस्त शुक्रवार को पड़ रही है। इसके अतिरिक्त हरियाली अमावस्या 8 अगस्त रविवार को है। इन दिनों शिव भक्त भगवान शिव का विशेष दर्शन पूजन एवं व्रत रखकर मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं। नाग पंचमी 13 अगस्त शुक्रवार को मनाई जाएगी तथा इस मास का प्रमुख पर्व रक्षाबंधन 22 अगस्त रविवार को हर्षोल्लास के साथ मनेगा।
काशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री ज्योतिषाचार्य पं. दीपक मालवीय ने बताया कि श्रद्धालुओं को शिव कृपा प्राप्त करने के लिए प्रात: काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सायं काल प्रदोष काल में भगवान शिव की पंचोपचार व षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए भगवान शिव को प्रिय धतूरा, बेल पत्र, मदार की माला, भांग, ऋ तु फल, दूध, दही, चीनी, मिश्री, मिष्ठान आदि अर्पित करना चाहिए। भगवान शिव की महिमा में शिव मंत्र, शिव स्तोत्र, शिव चालीसा, शिव साधना एवं शिव महिमा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। शिवपुराण में वर्णित मंत्र को विशेष फलदायी माना गया है।
पार्थिव शिवलिंग का करें पूजन
ज्योतिषाचार्य पं. जैन ने बताया कि सावन में मंत्र ऊं नम: शिवाय शुभम शुभम कुरु कुरु शिवाय नम: ओम  या ऊं नम: शिवाय का अधिकतम संख्या में जप करना चाहिए। श्रावण मास में शिव जी की कृपा प्राप्त करने के लिए नित्य प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधि विधान पूर्वक उनकी पूजा करनी चाहिए। आरोग्य सुख एवं व्याधियों की निवृत्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। आर्थिक समृद्धि के लिए शिव स्तोत्र का पाठ साथ ही शिवजी का गन्ने के रस से अभिषेक करना चाहिए। कुंवारी कन्याओं को वर की प्राप्ति के लिए श्रावण मास में प्रत्येक सोमवार का व्रत करना चाहिए और शिव जी का दूध से अभिषेक करना चाहिए।
प्रदोष एवं चतुर्दशी व्रत है फलदायी
सोमवार, प्रदोष एवं शिव चतुर्दशी व्रत रखना विशेष फलदायी रहता है। जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प योग है उन्हें नाग पंचमी के दिन शिव पूजा करके नाग नागिन का जोड़ा शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए। जिन्हें जन्म कुंडली के मुताबिक शनि ग्रह की महादशा अंतर्दशा और प्रत्यंतर दशा चल रही हो उन्हें शनि ग्रह की साढ़ेसाती या ढैया हो उन्हें श्रावण मास में विधि विधान पूर्वक व्रत उपवास रखकर भगवान शिव की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

Saturday, June 26, 2021

Life - Story written and Directed by Ashutosh Sinha

OTT प्लेटफार्म Phunflix पर बॉलीवुड की लेटेस्ट रिलीज़ हिंदी फिल्म "Life" इन दिनों काफी चर्चाओं में है | ग्लोबल इश्यू, पर्यावरण पर बनी फिल्म "Life" की कहानी, दिल को छू लेने वाली एक रियल घटना पर आधारित है | "Life" लेंथ में छोटी है, पर इसकी मारक क्षमता अद्भुत है |  कहा जा रहा है फिल्म "Life" के बारे में कि ये फिल्म बॉलीवुड में  ट्रेंड सेटर का काम करेगी | क्योंकि आज लोगों के पास समय की बहुत कमी है, ऐसे में कम समय खर्च कर दर्शक बेहतरीन फिल्में देखना चाहते हैं | इसीलिए लेखक एवं निर्देशक आशुतोष सिन्हा की फिल्म "Life" को दर्शकों का अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है |
          फिल्म "Life" के लीड रोल में कृष्णा भट्ट और नैना सिंह की जोड़ी ने बहुत ही उम्दा काम किया है | वेद मिश्रा का बैकग्राउंड म्यूजिक लाजवाब है | एडिटिंग में नीरज सिन्हा ने कमाल किया है |

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Lead Actress - Naina SinghLead Actor - Krishna BhattDirector - Ashutosh Sinha

Sunday, June 20, 2021

निर्जला एकादशी एवं योगदिवस की शुभकामनाएं

*एव सर्वात्मना कार्या रक्षा योगविदानिशं।*
*धर्मार्थकाममोक्षाणां  शरीरं साधनं यतः।।*

हमें अपने शरीर की रक्षा मनोयोग पूर्वक करनी चाहिए क्योंकि एक मात्र हमारा शरीर ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष अर्थात् जीवन के सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने का साधन है।

We should always protect our body with special care, because body is the only means of achieving religious austerity, wealth, fulfillment of all desires and ultimately deliverance from the cycle of rebirth (emancipation).

आज *अंतरराष्ट्रीय योग दिवस* एवं *निर्जला एकादशी* पर सङ्कल्प लें कि हम अपने स्वास्थ्य की रक्षा हेतु नित्य योग करेंगें एवं अभक्ष्य का सेवन नहीं करेंगें। 

*प्रथम जरूरी स्वस्थ रहें हम,*
*नित्य योग से स्वस्थ रहें हम।*

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Saturday, June 19, 2021

गंगा दशहरा

*ॐ भूः भुवः स्वः*
*तत् सवितु: वरेण्यं*
*भर्गोदेवस्य धीमहि*
*धियो यो न: प्रचोदयात्।*

हे परमेश्वर! आप हमारे प्रियतम् प्राण हो, हमें अशुभ संकल्पों तथा भौतिक विपत्तियों से दूर करो। हम आपके शुद्ध प्रकाशमय स्वरुप का दर्शन अपने अन्त: करण में नित्य करें।
हे दिव्य प्रकाशक! हमें प्रकाश की ओर ले चलो, आपका प्रकाशमय स्वरुप हमारी बुद्धियों को सन्मार्ग में प्रवृत्त करें।

Almighty God is cause of our existence and is dearer to us than our life. He permeates the whole universe, keeps all beings under control and is abode of all. He is, most acceptable, and he is pure intelligence. May he always safeguard our intellectual faculties from all evil that we might otherwise fall into, and lead them on to do only what is good.

*सर्व पाप हारी माँ गंगा एवं विवेक की अधिष्ठात्री देवी माँ गायत्री* के अवतरण दिवस ज्येष्ठ शुक्ल दशमी (गंगा दशमी, गायत्री जयन्ति) पर हम सभी पवित्र एवं विवेकवान बनें, माँ गंगा जीवन के सब संतापों को शांत करें एवं स्वस्थ बनें।

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Saturday, June 5, 2021

विश्व पर्यावरण दिवस

*पत्रपुष्पफलच्छायामूलवल्कलदारुभिः।*
*धन्यामहीरुहा येभ्यो निराशा यान्ति नाऽर्थिनः।।*
                                             
धन्य हैं वे वृक्ष जो अपने पत्तों, फूलों, फलों, जड़ों, छाल, लकड़ी और छाया से प्राणिमात्र की सहायता करते हैं और उनके पास से कोई भी याचक निराश नहीं लौटता है।

Blessed are the trees, who help all the living beings by providing their leaves, flowers, fruits, roots, bark and cool shade, and nobody  returns with empty hands.

वृक्षों से हम देना सीखें,
वृक्षों को पालें हम सींचें।

*विश्व पर्यावरण दिवस पर आएँ हम अधिकाधिक वृक्ष लगाने का सङ्कल्प लें।*

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Wednesday, June 2, 2021

एकांतचित्त

*एकाकी चिन्तयेन्नित्यं विविक्ते हितं आत्मनः।*
*एकाकी चिन्तयानो हि परं श्रेयोऽधिगच्छति।।*
मनुस्मृति : 4/258

मनुष्य को नित्यप्रति एकान्त स्थान में एकाकी बैठकर आत्म-हित का चिन्तन करना चाहिए। एकाकी आत्म-चिन्तन करने वाला मनुष्य परम कल्याण को प्राप्त होता है।

One should think of self-interest by sitting alone in a secluded place every day. A man who contemplates alone attains supreme welfare.

*नित्य अकेले बैठ मनन हो,*
*आत्म निरीक्षण पर चिन्तन हो,*
*स्व में स्थित स्वस्थ रहें हम,*
*सुरभित विकसित तब जीवन हो।*

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Sunday, May 30, 2021

कर्म

*न मां कर्माणि लिम्पन्ति न मे कर्मफले स्पृहा।*
*इति मां योऽभिजानाति कर्मभिर्न स बध्यते।।*

गीता : अध्याय 4, श्लोक 14।

कर्मों की दिव्यता महत्त्व बतलाते हुए भगवान श्री कृष्ण निष्काम भाव से कर्म करने के लिये अर्जुन को आज्ञा देते हैं-
कर्मों के फल में मेरी स्पृहा नहीं है, इसलिए मुझे कर्म लिप्त नहीं करते– इस प्रकार जो मुझे तत्त्व से जान लेता है, वह भी कर्मों से नहीं बँधता।

Since I have no craving for the fruit of acions; actions do not contaminate Me, Even he who thus knows Me in reality is not bound by actions.

हम कर्मों से डरें नहीं,
पर कर्मों से बँधे नहीं,
कर्म हमारे वश में हैं,
फल प्रभु के वश में हैं।

स्वस्थ रहें।

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Thursday, May 27, 2021

जय माँ

*उच्छिद्यते धर्मवृतं अधर्मो विद्यते महान्।*
*भयमाहुर्दिवारात्रं यदा  पापो  न वार्यते।।*

समाज में जब पापकर्मों (बुरे और निषिद्ध कार्यों) पर किसी प्रकार का नियन्त्रण  और प्रतिबन्ध नहीं होता है  तब लोगों के धार्मिक आचरण में न्यूनता (कमी) होने लगती है और अधर्म (बुरे और निषिद्ध कर्मों) में वृद्धि होने से रात दिन सर्वत्र भय व्याप्त हो जाता है।
 
In a society where there is no control over sinful and illegal deeds, there is a steep decline in the  religious austerity of the people, and  as a result  there is abnormal  increase in immorality, and an environment of fear is built up everywhere at all times.

धर्म अडिग हो धर्म अटल हो,
करुणा से पूरित हर पल हो,
आज अगर हम धर्म निभाएँ,
तभी सुरक्षित अपना कल हो।

स्वस्थ रहें।

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Monday, May 24, 2021

जय श्री हरि

*ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।*
*नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम्॥*

 हे उग्र एवं शूर-वीर महाविष्णु, आपका तेज एवं ताप चतुर्दिक फैला हुआ है। हे नरसिंह भगवान, आप सर्वव्यापी भद्र हैं, आप मृत्यु के भी यम हैं। मैं आपको नमन करता हूँ।

आज *भगवान नृसिंह प्राकट्य दिवस* (नरसिंह चतुर्दशी) पर भगवान के इस उग्र रूप से पृथ्वी पर आये महामारी रूपी संकट को मिटाने की प्रार्थना करते हैं।

व्याधियाँ इतनी बढ़ी है,
हर किसी के सर चढ़ी है,
दीप करता प्रार्थना है,
धैर्य रखने की घड़ी है।

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