Thursday, November 7, 2019

देव प्रबोधिनी एकादशी

*त्रिकाल बिनता पुत्र प्रयाश तुलसी यदि।*
*विशिष्यते कायशुद्धिश्चान्द्रायण शतं बिना।।*
*तुलसी गंधमादाय यत्र गच्छन्ति: मारुत:।*
*दिशो दशश्च पूतास्तु: भूत ग्रामश्चतुर्विध:।।*

यदि सुबह, दोपहर और शाम को तुलसी का सेवन किया जाए तो उससे शरीर इतना शुद्ध हो जाता है, जितना अनेक चांद्रायण व्रत के बाद भी नहीं होता। तुलसी की गंध जितनी दूर तक जाती है, वहाँ तक का वातारण और निवास करने वाले जीव निरोगी और पवित्र हो जाते हैं।

*तुलसी का एक पौधा अपने घर में अवश्य लगाएँ।*

If one consumes _Tulsi_ three times (morning, afternoon and evening) a day her/his body will become more clean than it can be done by doing _Chandrayan Vrat_ (a very difficult fasting). All the living beings living in the environment where the aroma (smell) of Tulsi reaches, become healthy and holy.

*Please plant a _Tulsi_ at home.*

*देव प्रबोधिनी एकादशी (तुलसी विवाह) पर हम अपने सोये देवत्व को जागृत करें, ऐसी शुभेच्छा।*

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