Tuesday, December 31, 2019

नव वर्ष की शुभकामनाएं

आपको और आपके परिवार को नववर्ष 2020की हार्दिक शुभकामनाएं।
इस अवसर पर ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वह वैभव, ऐश्वर्य, उन्नति, प्रगति, स्वास्थ्य, प्रसिद्धि और समृद्धि के साथ साथ आजीवन आपको जीवन पथ पर गतिमान रखे।
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

Monday, December 30, 2019

कर्म

*अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाऽशुभम्।*
*नाभुक्तं क्षीयते कर्म कल्प कोटि शतेरऽपि॥*

अपना किया हुआ जो कुछ शुभ-अशुभ कर्म है, वह अवश्य ही भोगना पड़ता है। बिना भोगे तो सैंकड़ों-करोड़ों कल्पों के गुजरने पर भी कर्म एवं उसका फल नहीं टल सकता।

The result of any action done either good or bad, has to be enjoyed. It can't be forfeited even after thousands of years.

आएँ एक बार पुनः सन 2019 में किये गये कर्मों का सिंहावलोकन करें एवं सन 2020 हेतु संकल्पित होकर नयी आशा के साथ भविष्य का स्वागत करें।

*सन 2020 के आगमन की शुभेच्छा।*

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Friday, December 27, 2019

परमगति

*तस्मात् असक्त: सततं कार्यं कर्म समाचार।*
*असक्त: अाचरन्कर्म परमाप्नोति पुरुष:।।*
गीता : अध्याय ३, श्लोक १९।

ज्ञानी पुरुष के समान फल की अपेक्षा नहीं रखते हुए, फल की आ‍सक्ति छोड़ कर अपना कर्त्तव्‍य कर्म सदैव करें; क्‍योंकि आ‍सक्ति छोड़ कर कर्म करने वाले मनुष्‍य को परमगति प्राप्‍त होती है।

By efficiently doing his duties without attachment or doing work without attachment, a man attains the supreme.

शुभ दिन हो।

🌸🌺💐🙏🏻

Thursday, December 26, 2019

विदुर नीति

*असम्यगुपयुक्तं हि ज्ञानं सुकुशलैरपि,*
*उपलभ्यं चाविदितं विदितं चाननुष्ठितम्॥*
विदुर नीति

That knowledge is useless, by which one can't sense his duty and that duty is also worthless which has no meaning.

वह ज्ञान व्यर्थ है, जिससे कर्तव्य का बोध न हो और वह कर्तव्य भी व्यर्थ है जिसकी कोई सार्थकता न हों।

शुभ दिन हो।

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Wednesday, December 25, 2019

परमतत्व

*तृषा जाइ बरु मृगजल पाना।* *बरु जामहिं सस सीस बिषाना।*
*अंधकारु बरु रबिहि नसावै।*
*राम बिमुख न जीव सुख पावै॥*
रामचरितमानस : उत्तर काण्ड।

तुलसीदास जी ने परम् तत्व से विमुख होकर सुखी होना नितान्त असम्भव कहा है चाहे नाना प्रकार के असम्भव कार्यों के होने की सम्भावना हो। यथा मरीचिका (मृगतृष्णा) के जल को पीने से भले ही प्यास बुझ जाए, खरगोश के सिर पर भले ही सींग निकल आवे, अन्धकार भले ही सूर्य का नाश कर दे, परन्तु श्री राम से परमतत्व से विमुख होकर जीव सुख नहीं पा सकता।

Even thirst can be satisfied with water from Miraz, a hare can get thrones on its head, dark can destroy the Sun, But no one can get pleasure being against the path of God.

शुभ दिन हो।

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Tuesday, December 24, 2019

दान

*दातव्यं भोक्तव्यं धनविषये संचयो न कर्तव्य:।*
*पश्येह मधुकरीणां संचितार्थ हरन्त्यन्ये।।*

दान कीजिये अथवा उपभोग, किन्तु धन का संचय न कीजिये।
मधुमक्खी का संचित मधु कोर्इ और ले जाता है।

The best use of wealth is to be donated or to be used. but not to be accumulated. The honey accumulated by honeybees is taken by others.

शुभ दिन हो।

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Sunday, December 22, 2019

क्रोध

*क्रोधमुग्धधियां नैव सुखं कालत्रयेऽपि च।*
*दृष्टं कदाप्युलूकानां क्रीडनं फुल्लपङ्कजे।।*

जिन व्यक्तियों का मन सदा क्रोध से भरा रहता है उन्हें न तो वर्तमान में और न ही भविष्य में सुख प्राप्त होता है। क्या कभी उल्लुओं को खिले हुए कमल के फूलों से भरे हुए किसी सरोवर में क्रीड़ा करते हुए देखा है?

Those persons whose mind is always in a state of bewilderment due to their angry nature, neither feel happy and comfortable at present nor in the future. Has any one ever seen owls enjoying the blooming lotus flowers in a lake? 

क्रोध से बचें।

शुभ दिन हो।

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लोक कल्याण

*ये पायवो मामतेयं ते अग्ने, पश्यन्तो अन्धं दुरितादरक्षन्।*
*ररक्ष तान्त्सुकृतो विश्ववेदा, दिप्सन्त इद्रिपवो नाह  देभुः।।*
( ऋग्वेद  1/147/3  )     

परोपकार और परमार्थ के कार्यों में निंदा, लांक्षन, उपहास आदि का भय नहीं करना चाहिए। ऐसे मनुष्यों की रक्षा स्वयं परमात्मा करता है। अतः निश्चिंत होकर लोक - कल्याण में लगे रहना चाहिए।

While doing charity and welfare for others, one should not bother about condemnation, to be ridiculed or taunted, as Almighty himself do care for him. So we should do noble deeds freely.

शुभ दिन हो।

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Thursday, December 19, 2019

अभिमान

*सुनहु राम कर सहज सुभाऊ।* 
*जन अभिमान न राखहिं काऊ॥*
*संसृत मूल सूलप्रद नाना।* 
*सकल सोक दायक अभिमाना॥*

ईश्वर परमसत्ता (श्री राम) का सहज स्वभाव है कि वे अपने भक्त में अभिमान कभी नहीं रहने देते, क्योंकि अभिमान जन्म-मरण रूपी संसार का मूल है और अनेक प्रकार के क्लेशों तथा समस्त दुखों का देने वाला है॥

The arrogance is the root cause of all miseries and conflicts, so the Almighty first removes arrogance from his devotees.

अभिमान त्यागें।

शुभ दिन हो।

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परोपकार

*परोपकाराय फलन्ति वृक्षा:, परोपकाराय वहन्ति नद्य:।*
*परोपकाराय दुहन्ति गाव:, परोपकाराय मिदं शरीरम्॥*

वृक्ष परोपकार के लिए ही फलते हैं।नदी परोपकार के लिए ही बहती है।गाय परोपकार के लिए दूध देती है।इसी प्रकार इस शरीर की सार्थकता परोपकार में ही है।

Trees are flourishing for charity. 
River flows for charity.
Cows give milk for charity. 
The significance of the body is in charity.

शुभ दिन हो।

🌸💐🌹🙏🏼

Tuesday, December 17, 2019

योग्यता

*नाभिषेको न संस्कार: सिंहस्य क्रियते मृगैः।*
*विक्रमार्जितराज्यस्य स्वयमेव मृगेंद्रता।।*

जंगल में पशु, शेर का संस्कार करके या उसपर पवित्र जल का छिड़काव करके उसे राजा घोषित नहीं करते बल्कि शेर अपनी क्षमताओं और योग्यता के बल पर स्वयं ही राजत्व स्वीकार करता है।

Animals do not coronate a lion through sprinkling holy water on him and conducting certain rituals. Lion assumes kingship (effortlessly) through his own prowess. 

Great people do their work  and find their true places in life without any titles and appreciations.

शुभ दिन हो।

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Monday, December 16, 2019

आचरण

*मानहिं मातु पिता नहिं देवा। साधुन्ह सन करवावहिं सेवा॥*
*जिन्ह के यह आचरन भवानी। ते जानेहु निसिचर सब प्रानी॥*

निशिचरों अर्थात् असुरों की पहचान बताते हुए रामचरितमानस में तुलसीदास जी बताते हैं कि जो अपने माता पिता को ईश्वर तुल्य नहीं मानते और साधुओं एवं सज्जन पुरुषों (की सेवा करना तो दूर, उल्टे उन) से सेवा करवाते हैं, ऐसे आचरण के सब प्राणियों को राक्षस ही समझना चाहिए।

Persons who do not respect their parents and guardians and do not serve nobles, saints are to be considered as devils.

माता पिता एवं गुरुओं का सम्मान करें।

शुभ दिन हो।

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Sunday, December 15, 2019

विद्वता

*द्वेष्यो न साधुर्भवति न मेधावी न पण्डित:।*
*प्रिये शुभानि कार्याणि द्वेष्ये पापानि चैव ह।।*

When one hates a person he never regards him as
honest, intelligent or wise. One attributes everything
good to him that he loves and evil to him that one hates.

यदि कोई किसी से घृणा करता है, तो उसकी ईमानदारी, विद्वता एवं बुद्धिमानी का भी सम्मान नही करता है, जबकि अपने प्रिय को सभी अच्छा एवं अप्रिय को बुरा बताते हैं।

शुभ दिन हो।

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Saturday, December 14, 2019

ज्ञानी

*यस्य सर्वे समारम्भा: कामसंकल्पवर्जिता:।*
*ज्ञानग्निदग्धकर्माणं तमाहु: पण्डितं बुधा:।।*
गीता : अध्याय ४, श्लोक १९।

जिसके सम्पूर्ण कर्म शास्त्रसम्मत, बिना कामना और संकल्प के होते हैं तथा जिसके समस्त कर्म ज्ञानरूप अग्नि के द्वारा भस्म हो गये हैं, उस महापुरुष को ज्ञानीजन भी पण्डित कहते हैं।

Even the wise call him a sage, whose undertaking are free from all desire and thoughts of the world, and whose actions are burnt up by the fire of wisdom.

शुभ दिन हो।

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Friday, December 13, 2019

सत्य वचन

*सत्यस्य वचनं श्रेयः सत्यादपि हितं वदेत्।*
*यद्भूतहितमत्यन्तं एतत् सत्यं मतं मम्।।* 

यद्यपि सत्य वचन बोलना श्रेयस्कर है तथापि उस सत्य को ही बोलना चाहिए जिससे सर्वजन का कल्याण हो। मेरे (अर्थात् श्लोककर्ता नारद के) विचार से तो जो बात सभी का कल्याण करती है वही सत्य है।

Though telling the TRUTH is good but only that truth must be spoken which can benefit all. As per speaker of this quote (Narad muni), that benefits all is only the Truth.

शुभ दिन हो।

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Thursday, December 12, 2019

क्रोध व लोभ

*क्रोधः सुदुर्जयः शत्रुः लोभो व्याधिरनन्तकः।।*

मनुष्य के स्वभाव में क्रोध एक ऐसे शत्रु के समान है जिस पर विजय प्राप्त करना बहुत कठिन होता है, तथा लोभ एक कभी दूर न होने वाली बीमारी के समान होता है।

Anger in a person is like an enemy very difficult to conquer or overcome, and greed is like an endless disease.

क्रोध, लोभ से बचें।

शुभ दिन हो।

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Wednesday, December 11, 2019

अविश्वास

*अतिदाक्षिण्य युक्तानां शङ्कितानि पदे पदे।*
*परापवादिभीरूणां न भवन्ति विभूतियः।।*

In the pursuit for perfection if a highly skilled and learned person remains doubtful in nature, does not believe on others and is afraid of criticism and blame, he can never become a great person.

सर्वोत्तम बनने की चाह में बात बात पर शंका करना तथा दूसरों पर अविश्वास करना ऐसा दुर्गुण हैं जो दक्ष और विद्वान् होने पर भी किसी व्यक्ति को एक महान् व्यक्ति नहीं होने देता है।

शुभ दिन हो।

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Tuesday, December 10, 2019

विचारो के प्रकार

*पिण्डे पिण्डे मतिर्भिन्ना कुण्डे कुण्डे नवं पयः।*
*जातौ जातौ नवाचाराः नव वानी मुखे मुखे॥*

Every body is Unique. No two people have the same mind. Water from no two ponds taste alike. No two cultures have same customs. No two people speak (accent) alike. 
Once we realise this, we shall be more tolerable to opinions that differ from us.

प्रत्येक व्यक्ति विशेष है। कोई दो व्यक्तियों के मन एक समान नहीं होते है। दो तालाबों के पानी का स्वाद एक जैसा नहीं होता। दो संस्कृतियों के रीति रिवाज एक जैसे नहीं होते हैं।
दो व्यक्तियों का उच्चारण / बोलना एक जैसा नहीं होता है।

हम जब इस सत्य को समझ जाते हैं तो अपने से भिन्न विचारों के प्रति ज्यादा सहनशील हो जाते है।

शुभ दिन हो।

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Monday, December 9, 2019

कार्य

*अकर्तव्यं न कर्तव्यं प्राणैः कण्ठगतैरपि।*
*कर्तव्यमेव कर्तव्यं प्राणैः कण्ठगतैरपि।।*

जो कार्य निषिद्ध या न करने के योग्य हों उन्हें प्राण कंठगत होने पर भी (मृत्यु का आसन्न संकट होने पर भी) नहीं करना चाहिये। इस के विपरीत जो कार्य करना अपना कर्तव्य हो उसे अपने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए भी अवश्य करना चाहिये।

One should not do improper or criminal acts even if he faces a threat to his life. On the other hand one should perform his duty even at the cost of his life.

शुभ दिन हो।

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Sunday, December 8, 2019

नियंत्रण

*उच्छिद्यते धर्मवृतं अधर्मो विद्यते महान्।*
*भयमाहुर्दिवारात्रं यदा  पापो  न वार्यते।।*

समाज में जब पापकर्मों (बुरे और निषिद्ध कार्यों ) पर किसी प्रकार का  नियन्त्रण  और प्रतिबन्ध नहीं होता है  तब लोगों के धार्मिक आचरण में न्यूनता (कमी) होने लगती है और अधर्म (बुरे और निषिद्ध कर्मों ) में महान वृद्धि होने से रात दिन सर्वत्र भय व्याप्त हो जाता है।
 
In a society where there is no control over sinful and illegal deeds, there is a steep decline in the  religious austerity of the people, and  as a result  there is abnormal  increase in immorality, and an environment of fear is built up everywhere at all times.

शुभ दिन हो।

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Saturday, December 7, 2019

जीवन का सार

*धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।*
*मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय॥*
(गीता १/१)

युद्ध के मैदान में मोहग्रस्त अर्जुन को जीवन का सार समझाते हुए परम योगीश्वर भगवान् श्रीकृष्ण ने आज ही के दिन मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को गीता का ज्ञान दिया था।
 
सम्पूर्ण गीता का सार एवं जीवन जीने का सूत्र, जो इसके प्रथम श्लोक के पहले दो शब्दों *धर्मक्षेत्रे कुरूक्षेत्रे* में ही समाहित है,

*क्षेत्रे क्षेत्रे धर्म कुरु*

अर्थात जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में धर्म के अनुसार आचरण करें।

We should do all our deeds righteously according to our duty in all the fields of our life.

(यद्यपि श्रीमद्भागवत गीता का यह श्लोक धृतराष्ट्र द्वारा संजय से युद्ध क्षेत्र के क्रिया कलापों को जानने हेतु किया गया प्रश्न है।)

आज गीता जयंती पर आएँ हम सभी इसी सार को अपने जीवन एवं अपने आचरण में धारण करें।

सादर,

*मोक्षदा एकादशी की शुभकामनाएँ।*

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Friday, December 6, 2019

परमात्मा

*करोषीव न कर्ता त्वं गच्छसीव न गच्छसि।*
*श्रृणोषि न श्रृणोषीव पश्यसीव न पश्यसि॥*
अध्यात्म रामायण : बालकाण्ड : तृतीय सर्ग श्लोक २३।

परमसत्ता के परम रूपः का वर्णन करते हुए कहा :
हे प्रभु! आप कर्ता नहीं हैं, फिर भी करते हुए प्रतीत होते हैं। चलते नहीं हैं, फिर भी चलते से मालूम होते हैं। न सुनते हुए भी सुनते से दिखाई देते हैं। और न देखते हुए भी देखते हुए जान पड़ते हैं।  

इसी परम रूप का वर्णन तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में किया है:

*बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना।* *कर बिनु करम करइ बिधि नाना॥*
*आनन रहित सकल रस भोगी।* *बिनु बानी बकता बड़ जोगी॥*

The Almighty is not a doer, yet seem to be doing. Don't walk, but appear to be walking.  Don't listen, but look to be listening. And appear to be watching, despite not watching actually.

परमात्मा को पहचानें।

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Thursday, December 5, 2019

कपट

*कपटेन पुनर्नैव व्यापारो यदि वा कृतः।*
*पुनर्न परिपाकोर्हा हन्डिका काष्टनिर्मिता।।*

यदि कपट पूर्वक (धोखा दे कर) किसी व्यक्ति से कोई व्यापार करने के बाद वही व्यापार उस से पुनः किया जाता है तो वह उसी प्रकार संपन्न नहीं हो सकता है जिस प्रकार लकड़ी से बनी हुई हांडी चूल्हे पर दूसरी बार नहीं चढ़ सकती है।

(इसी भावना को कवि रहीम ने इस प्रकार व्यक्त किया है  - 
फेर न ह्वैहैं कपट सों, जो कीजै ब्यौपार।
रहिमन हांडी काठ की, चढै न दूजी बार॥)
       
Any business is done with someone with deceit or trickery, and if the same business is again done with him, it does not materialise next time, just like a pot made of wood can not be used again for the second time for cooking.

शुभ दिन हो।

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Wednesday, December 4, 2019

सुख

*बैर न बिग्रह आस न त्रासा।*
*सुखमय ताहि सदा सब आसा॥*
रामचरितमानस : उत्तरकाण्ड

जो मनुष्य न किसी से वैर करे, न लड़ाई-झगड़ा करे, न आशा रखे, न भय ही करे। उसके लिए सभी दिशाएँ सदा सुखमयी हैं। अर्थात् वह सदैव सुखी रहता है।

The man who does not hate anyone, fight or quarrel, does not expect and does not have fear. All directions for him are always pleasant. That is, he is always happy.

शुभ दिन हो।

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Tuesday, December 3, 2019

बुद्धिमत्ता

*निश्चित्य य: प्रक्रमते नान्तर्वसति कर्मण: ।*
*अवन्ध्यकालो वश्यात्मा स वै पण्डित उच्यते ॥*

जो पहले निश्चय करके कार्य का आरम्भ करता है, कार्य के बीच में नहीं रुकता, समय को व्यर्थ नहीं गँवाता और चित्त को वश में रखता है, वही पण्डित कहलाता है।

One who starts the work with determination, does not leave it unfinished, does not waste time and keeps the mind in control, is called Wise.

शुभ दिन हो।

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Monday, December 2, 2019

पद

*उत्तमे सह सङ्गेन को न याति समुन्नतिं।*
*मूर्ध्ना तृणानि धार्यन्ते ग्रथितैः कुसुमैः सह।।*

उत्तम (महान) व्यक्तियों की संगति मे उन्नति और उच्च पद प्राप्त नहीं कर पाए, ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है।
जिस प्रकार साधारण घास के तिनके भी पुष्पों के साथ गूँथे जाने पर लोगों द्वारा मस्तक पर धारण किये जाते हैं।

No person exists who does not achieve high position and advancement in the company of great and excellent person, Even the blades of ordinary grass when ties with beautiful flowers get placed on the foreheads of people.

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏼

Sunday, December 1, 2019

नियति

*जनम मरन सब दुख सुख भोगा।*
*हानि लाभु प्रिय मिलन बियोगा॥*
*काल करम बस होहिं गोसाईं।* 
*बरबस राति दिवस की नाईं॥*
रामचरितमानस : अयोध्या काण्ड।

जन्म-मरण, सुख-दुःख के भोग, हानि-लाभ, प्रियजनों का मिलना-बिछुड़ना, ये सब कर्म एवं समय के अधीन हैं एवं रात और दिन की तरह नियमित बरबस होते रहते हैं।

Birth & Death, Joy & Sorrow, Profit & Loss and Meeting & Separating of Dears; these all events necessarily take place depending on time & karma like days and nights.

शुभ दिन हो।

🌸🌺💐🙏🏻

Saturday, November 30, 2019

स्वार्थ की पूर्ति

*औचित्य प्रच्युताचारो युक्ता स्वार्थं न साधयेत्।*
*व्याजबालिवधेनैव  रामकीर्तिः  कलङ्किता।।*

नैतिक रूप से अनुचित एवम् अशोभनीय कृत्य द्वारा अपने स्वार्थ की पूर्ति कभी नहीं की जाए।

वानरराज बालि (जिसने अपने अनुज की पत्नी हरण का अक्षम्य अपराध किया था) का वध छल से करने के कारण भगवान श्री राम की कीर्ति भी कलंकित हो गयी थी।

One should never take recourse to morally very low and unfair means to achieve his objectives.

By killing Baali, the King of Vanars (who had kidnapped his brother's wife), in a clandestine manner, even Lord Ram's name and fame was tarnished.

शुभ दिन हो।

🌹🌺💐🙏🏼

Friday, November 29, 2019

कर्म

*यदतीतमतीतं तत् संदिग्धं यदनागतम्।*
*तस्माद् यत्प्राप्तकालं तन्मानवेन विधीयताम्।।*

जो अतीत है वह तो अतीत ही है, अर्थात् बीत चुका है, एवं जो आने वाला है वह अनिश्चित है। अतः अभी मिले समय अर्थात् वर्तमान से सम्बद्ध होवें एवं कर्म करें।

The Past is the Past, that is, it has passed, and the Future  is uncertain. So, get involved with the Present and do the deeds.

शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏼

Thursday, November 28, 2019

भाव

*न देवो विद्यते काष्ठे न पाषाणे न मृण्मये।*
*भावे हि विद्यते देवस्तस्माद् भावो हि कारणम्॥*

न ही लकड़ी या पत्थर की मूर्ति में, न ही मिट्टी में अपितु परमेश्वर का निवास तो भावों में यानि हृदय में होता है। इसलिये जहां भाव होता है परमेश्वर वहीं प्रकट हो जाते हैं।

Neither in the idol of wood or stone, nor in the clay, but God resides in the heart, that is, in emotions. Therefore God appears where there is emotion. The belief that makes us feel the presence. Hence, only the emotion/feeling matters – not the material.

शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏼

Wednesday, November 27, 2019

कटु वचन

*संरोहति अग्निना दग्धं वनं परशुना हतं I*
 *वाचा दुरुक्तं बीभत्सं न संरोहति वाक् क्षतम्॥*

आग से नष्ट हुए या कुल्हाडियों से काटे गये वन में भी धीरे-धीरे पेड़-पौधे उगने लगते हैं, किन्तु अप्रिय और कटु वचनों से दिये गये घाव कभी नहीं भर पाते।

A forest burnt down by fire, or cut down by axe will eventually grow back. But wounds caused by harsh, inappropriate words will never heal.

शुभ दिन हो।

🌸🌺💐🙏🏻

Tuesday, November 26, 2019

महानता

*गुणैरुत्तङ्गता याति नोच्चैरासनसंस्थित: ।* 
*प्रासादशिखरस्थोऽपि काक: किं गरुडायते।।*

केवल ऊँचे आसन अथवा पद पर आसीन होने से ही एक व्यक्ति महान नहीं हो जाता है।
क्या राजमहल के चोटी पर बैठने से कौआ गरूड़ बन जायेगा? कदापि नहीं!
महानता श्रेष्ठ गुण सदाचार, शील और चरित्र द्वारा ही  प्राप्त होती है।

A Crow sitting on a high rise building or a palace can't be considered as an Eagle, similarly a person sitting at a high place or post cant be considered as a noble person.

Nobility can only be gained by good Character, morals and deeds.

शुभ दिन हो।

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Monday, November 25, 2019

कर्तव्य

*योगस्थ: कुरु कर्माणि संग्ङंत्यक्त्वा धनंजय।*
*सिद्ध्यसिद्ध्यो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥*
गीता अध्याय २ श्लोक ४८

परमयोगीश्वर भगवान कृष्ण समझा रहे हैं कि
हे धनंजय। कर्म न करने का आग्रह त्यागकर, सफलता असफलता, यश-अपयश के विषय में समबुद्धि होकर योग युक्त होकर, कर्म कर, (क्योंकि) समत्व को ही योग कहते हैं।

We should perform
our duties established in Yoga, renouncing attachment, and eventempered in success and failure; Envenness of temper is called yoga.

अपने कर्तव्य का पालन करें।

शुभ दिन हो।

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Sunday, November 24, 2019

कठिन समय

*रहिमन विपदा हो भली, जो थोरे दिन होय।*
*हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥*

जीवन में कठिन समय अर्थात्  विपदा का होना अच्छा बताते हुए रहीम जी कहते हैं कि इसी दौरान यह पता चलता है कि दुनिया में कौन हमारा हित या अनहित सोचता है।

It is good in life to be bad time for a while because it distinguishes our well-wishers and others.

शुभ दिन हो।

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हित

*स अर्थो यो हस्ते तत् मित्रं यत् निरन्तरं व्यसने।*
*तत् रूपं यत् गुणाः तत् विज्ञानं यत् धर्मः।।*

वही सच्चा धन है जो अपने हाथ (अधिकार) में हो और वही सच्चा मित्र है जो हमेशा विपत्ति में भी साथ दे। रूपवान होना तभी शोभा देता है जब कि व्यक्ति गुणवान भी हो, तथा वही विज्ञान सही है जो धर्म के सिद्धान्तों के अनुसार (समाज के हित के लिये) हो।

Only that wealth is the real wealth which is in our hands (under control) and only that person is a real friend who constantly supports us even in adversity. Beauty of a person is real only when he is also virtuous and a science or a discipline of learning is real only when it propagates religious austerity and righteousness.

शुभ दिन हो।

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आलस्य का त्याग

*श्रेयांसि च सकलान्यनलसानां हस्ते नित्यसान्निद्ध्यानि I*

इस संसार की सकल संपत्ति एवं श्रेय उन्हीं के हाथ में होता है जो सदैव आलस्य का त्याग कर कर्म में उद्यत रहते हैं।

The gross wealth and credit of this world is in the hands of those who always abandon laziness and remain engaged in _karma_ means action.

कर्म करें।

शुभ दिन हो।

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Thursday, November 21, 2019

प्रकार

*द्वौ अम्भसि निवेष्टव्यौ गले बद्ध्वा दृढां शिलाम्,*
*धनवन्तम् अदातारम् दरिद्रं च अतपस्विनम्।।*

दो प्रकार के लोगों को बड़े पत्थर से बाँधकर गहरे समुद्र में फेंक देना ही उचित है। एक वह जो धनवान होते हुए भी उदारतापूर्वक दान न करता हो, दूसरा वह जो दरिद्र होते हुए भी श्रम न करता हो।

It is advisable to tie two types of people with big stones and throw them into the deep sea. One who does not donate generously despite being rich, and one who does not work hard despite being poor.

शुभ दिन हो।

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Wednesday, November 20, 2019

संगति

*वरं पर्वतदुर्गमेषु भ्रान्तं वनचरैः सः।*
*न मूर्खजनसम्पर्कः सुरेन्द्रभवनेष्वपि।।*

हिंसक पशुओं के साथ जंगल और दुर्गम पहाड़ों पर विचरण करना, मूर्खों के साथ स्वर्ग में रहने से भी श्रेयस्कर है।

It is better to wander with wild animals in forests or trekking in tough mountains than to stay with fools even in a heaven.

मूर्खों की संगति से बचें।

शुभ दिन हो।

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Tuesday, November 19, 2019

स्वभावगत कुटिलता

*शिरसि  विधृतो अपि  नित्यं  यत्नादपि सेवितो बहुस्नेहै:।*
*तरुणीकच  इव  नीचः कौटिल्यं  नैव  विजहाति।*

एक युवती यद्यपि नित्य अपने सिर के केशों को बडे़ यत्न और प्रेम पूर्वक तैल लगा कर संवारती है, फिर भी उसके केश आपस में उलझना नहीं छोड़ते हैं। वैसे ही नीच व्यक्ति के साथ चाहे कितना ही प्रेमपूर्वक व्यवहार क्यों न किया जाए वे अपनी स्वभावगत कुटिलता को नहीं छोडत़े हैं।

A young woman daily grooms her hair with much care and devotion by applying hair oil to them, but still the hairs continue to get entangled with each other. Likewise, wicked and mean persons also do not give up their crookedness, no matter how nicely we may treat them.

शुभ दिन हो।

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Monday, November 18, 2019

ज्ञान

*न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।*
*तत्स्वयं योगसंसिद्ध: कालेनात्मनि विन्दति।।*
गीता : अध्याय ४, श्लोक ३८।

इस संसार में ज्ञान के समान पवित्र करने वाला निस्संदेह कुछ भी नहीं है। यह ज्ञान, कर्मयोग के द्वारा शुद्धान्त:करण हुआ मनुष्य कालांतर में अपने-आप ही आत्मा में पा लेता है।

On this earth, there is nothing which can purify as knowledge. The person who has attained purity of heart through a prolonged practice of Karmayoga automatically sees the light of truth in the self in course of time.

शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏻

Sunday, November 17, 2019

गुण

*काकस्य गात्रं यदि काञ्चनस्य  माणिक्यरत्नं यदि चन्चुदेशे।*
*एकैकपक्षे ग्रथितं मणीनां तथाऽपि  काको न तु राजहंसः।।*
                                                                        
एक कौए का शरीर स्वर्णिम हो जाए और उस की चोंच में माणिक्य और रत्न लगा दिये जाएँ, प्रत्येक पंख में मणियां गूंथ दी जाएँ, फिर भी वह कौआ ही रहेगा न कि राजहंस कहलायेगा।

Even if a Crow's body colour may be changed into golden hue, gems and precious stones be studded on its beak, precious stones be braided on each of its feathers, it will still remain a Crow and will not become a Swan.

गुणहीन व्यक्ति को अलंकृत कर देने से वह गुणवान नहीं हो सकता।

शुभ दिन हो।

🌹🌸💐🙏🏼

Saturday, November 16, 2019

परख

*यथा चतुर्भि: कनकं परीक्ष्यते निघर्षणच्छेदनतापताडनौः।*
*तथा चतुर्भि: पुरुष परीक्ष्यते त्यागेन शिलेन गुणेन कर्मणा ॥*

The way gold's purity is tested by rubbing, cutting, heating and pounding, similarly, a person's quality is tested by gentleness, manners, habits and deeds.

जैसे सोने की परख घिसना, तोडना, जलाना और ताडना (पीटना) आदि चार प्रकार से होती है, उसी प्रकार मनुष्य की जाँच भी त्याग, शील, गुण, कर्म आदि चार प्रकार से होती है।

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏼

Friday, November 15, 2019

प्रयत्न

*यत्ने कृते यदि न सिद्धयति कोऽत्र दोषः।*

प्रयत्न करने पर भी यदि सिद्धि (सफलता) नहीं मिलती है, तो प्रयत्न में रह गये दोष (कमी) को खोजना चाहिए।

If we do not success despite various attempts, we should find the loopholes in the attempts.

पुनः प्रयत्न करें।

शुभ दिन हो।

🌺🌹💐🙏🏼

Thursday, November 14, 2019

लक्ष्य

*जाति पात पूछे नहीं कोई,*
*हरि को भजे सो हरि का होई।*

साध्य अर्थात लक्ष्य कभी भी जाति अथवा पंथ के बारे में नहीं पूछता वरन जो लक्ष्य को प्रति क्षण स्मरण करता है उसे लक्ष्य प्राप्त होता है।

Goal or achieving something never asks about caste or creed, but one who remembers his goal every moment, achieves the goal.

शुभ दिन हो।

🌸🌺💐🙏🏻

Wednesday, November 13, 2019

आचरण

*आचाराल्लभते आयु: आचारादीप्सिता: प्राजा:,*
*आचाराद्धनमक्षय्यम् आचारो हन्त्यलक्षणम्।।*

Good conduct means good behavior, gives longevity, great progeny, everlasting prosperity, and also destroys one's own faults. Every situation is not in our hands but our conduct is under our control.

अच्छे आचरण अर्थात सदव्यवहार से दीर्घ आयु, श्रेष्ठ सन्तति, चिर समृद्धि प्राप्त होती है, तथा अपने दोषों का भी नाश होता है। प्रत्येक परिस्थिति हमारे हाथ में नहीं किन्तु हमारा आचरण हमारे वश में है।

शुभ दिन हो।

🌸🌺💐🙏🏻

Tuesday, November 12, 2019

व्यर्थ

*ऊसरो च क्षेत्रेषु यथा बीजो हि निष्फलं।*
*उपकारोऽपि नीचानां कृतो भवति तादृशः।।*

जिस प्रकार एक ऊसर खेत में फसल उगाने के लिये बीज बोना व्यर्थ होता है (क्योंकि खेत की मिट्टी में नमक की मात्रा अत्यधिक होने से उस में कोई फसल नहीं उग सकती है), उसी प्रकार नीच व्यक्तियों के प्रति कोई उपकार करना भी व्यर्थ ही होता है।

Just as it is useless to sow seeds in a farm having saline soil (unfit for cultivation) where no crop can grow, similarly the   favours done to wicked and mean persons are also useless and do not bear any fruitful results.

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏼

Sunday, November 10, 2019

परमतत्व

*कमठ पीठ जामहिं बरु बारा।*
*बंध्या सुत बरु काहुहि मारा॥*
*फूलहिं नभ बरु बहुबिधि फूला।*
*जीव न लह सुख हरि प्रतिकूला॥*
रामचरितमानस : उत्तर काण्ड।

तुलसीदास जी ने परमतत्व की महत्ता बताते हुए लिखा है कि कछुए की पीठ पर भले ही बाल उग आवें, बाँझ का पुत्र भले ही किसी को मार डाले, आकाश में भले ही अनेकों प्रकार के फूल खिल उठें, परंतु श्री हरि अर्थात् परमतत्व से विमुख होकर जीव सुख नहीं प्राप्त कर सकता।

Even a turtle got hairs on its back, a non existng person can kill someone, even if the sky may blossom with different types of flowers, But a  person cannot get pleasure while not on the path of God.

शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏻

Friday, November 8, 2019

विचार

*मनस्यन्यद्वचस्यन्यत्कार्ये चाऽन्यदुरात्मनाम् ।*
*मनस्येकं वचस्येकं कर्मण्येकं महात्मनाम् ।।*

दुष्ट और नीच व्यक्तियों के विचार कुछ और होते है पर वे कहते कुछ और ही हैं और करते भी कुछ और ही हैं। इसके विपरीत सज्जन और महान् व्यक्ति जो सोचते हैं वही कहते हैं और करते भी वही हैं।

The thoughts of wicked and mean persons are different than what they speak and ultimately do, whereas the thoughts, their expression and subsequent action by the noble and righteous persons are always the same.

शुभ दिन हो।

💐🌸🌹🙏🏼

Thursday, November 7, 2019

देव प्रबोधिनी एकादशी

*त्रिकाल बिनता पुत्र प्रयाश तुलसी यदि।*
*विशिष्यते कायशुद्धिश्चान्द्रायण शतं बिना।।*
*तुलसी गंधमादाय यत्र गच्छन्ति: मारुत:।*
*दिशो दशश्च पूतास्तु: भूत ग्रामश्चतुर्विध:।।*

यदि सुबह, दोपहर और शाम को तुलसी का सेवन किया जाए तो उससे शरीर इतना शुद्ध हो जाता है, जितना अनेक चांद्रायण व्रत के बाद भी नहीं होता। तुलसी की गंध जितनी दूर तक जाती है, वहाँ तक का वातारण और निवास करने वाले जीव निरोगी और पवित्र हो जाते हैं।

*तुलसी का एक पौधा अपने घर में अवश्य लगाएँ।*

If one consumes _Tulsi_ three times (morning, afternoon and evening) a day her/his body will become more clean than it can be done by doing _Chandrayan Vrat_ (a very difficult fasting). All the living beings living in the environment where the aroma (smell) of Tulsi reaches, become healthy and holy.

*Please plant a _Tulsi_ at home.*

*देव प्रबोधिनी एकादशी (तुलसी विवाह) पर हम अपने सोये देवत्व को जागृत करें, ऐसी शुभेच्छा।*

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Wednesday, November 6, 2019

भाव

*इहैव तैर्जितः सर्गो येषां साम्ये स्थितं मनः।*
*निर्दोषं हि समं ब्रह्म तस्माद्ब्रह्मणि ते स्थिताः।।*
गीता : अध्याय ५, श्लोक १९।

जिस मनुष्य का मन सम-भाव में स्थित रहता है, उसके द्वारा जन्म-मृत्यु के बन्धन रूपी संसार को जीत लिया जाता है क्योंकि वह ब्रह्म के समान निर्दोष एवं सम होता है और सदा परमात्मा में ही स्थित रहता है।

तुलसीदास जी ने भी इस तथ्य को सरल शब्दों में कहा है:
*समरथ कहुँ नहि दोष गुसाईं।*
*रवि पावक सुरसरि की नाईं।*
  
Those whose minds are established in sameness and equanimity have already conquered the conditions of birth and death. They are flawless like Almighty, and thus they are already situated in Almighty.

शुभ दिन हो।

🌹🌺💐🙏🏻

स्वस्थ रहें

*मात्रा समं नास्ति शरीर पोषणं*
*चिन्ता समं नास्ति शरीर शोषणं।*
*मित्रं विना नास्ति शरीर तोषणं*
*विद्या विना नास्ति शरीर भूषणं।।*

मनुष्य के शरीर के सही पोषण हेतु सही मात्रा में पौष्टिक भोजन के समान अन्य कोई वस्तु नहीं होती है और न सदैव चिन्तित रहने के समान शरीर को नष्ट करने वाली कोई और वस्तु होती है। बिना किसी अच्छे मित्र के कोई व्यक्ति आनन्दित और संतुष्ट नहीं हो सकता है तथा विद्या के बिना शरीर को सुशोभित करने वाले आभूषण व्यर्थ हैं।

Nothing is comparable to taking right quantity of nourishing food for proper upkeep of human body, and nothing is more harmful than worries for withering or destroying the health. Without having a noble friend there is no pleasure and satisfaction in life, and there is no better adornment of one's personality than being a learned person.

स्वस्थ रहें। व्यस्त रहें। मस्त रहें।

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏼

Tuesday, November 5, 2019

प्रार्थना

*आकाशात् पतितं तोयं यथा गच्छति सागरम्।*
*सर्वदेवनमस्कार: केशवं प्रति गच्छति॥*

जिस प्रकार आकाश से गिरा जल विविध नदियों के माध्यम से अंतत: सागर से जा मिलता है, उसी प्रकार उपासना प्रार्थना किसी भी रूप की की जाए, परम् सत्ता को प्राप्त होती है।

As the water falls down in rain, through different rivers, finally reaches the Ocean, the worship of any divine aspect ultimately reaches the Supreme Being.

शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏼

Sunday, October 27, 2019

मानवता

*अश्विभ्यां प्रात: सवनमिन्द्रेणैन्द्रं माध्यन्दिनम्।*
*वैश्वदेवं सरस्वत्या तृतीयमाप्तं सवनम्॥*

हम मानवता को बढ़ाने वाले बनें। प्रातःकाल हो, मध्य दिन अथवा सन्ध्या हो, हम सदैव मानवता और शान्ति के लिए कर्म करते रहें।

We should be the benefactors of humanity. Be it morning or midday or evening, we should work for the sake of universal peace and happiness.

*पञ्च दिवसीय महापर्व के चतुर्थ दिवस गोवर्धन पूजा, अन्नकूट महोत्सव एवं नूतन वर्षारम्भ की अशेष शुभकामनाएँ।*

🌸🌹💐🙏🏼

Saturday, October 26, 2019

शुभ दीपावली

*दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।*
*दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते।।*

*तमसो मा ज्योतिर्गमय*

अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ें।

Come, walk towards LIGHT from Darkness.

दीपक प्रकाश का द्योतक है एवम् प्रकाश ज्ञान का।
जिस प्रकार दीपक की ज्योति हमेशा ऊपर की ओर उठती है, उसी प्रकार हमारी वृत्ति भी सदा ऊपर उठे, प्रगति करे, दीप प्रज्वलन का यही भाव धारण करते हुए हम सभी अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर बढ़ें।

इस दीप पर्व पर अधिक से अधिक दीपक जलाएँ।

*शुभ दीपावली*
*मंगल दीपावली*

🎉🎊🙏🏻

Friday, October 25, 2019

छोटी दीवाली

*अग्निर्देवो द्विजातीनां, मुनीनां हृदि दैवतम्।*
*प्रतिमा स्वल्पबुद्धीनां, सर्वत्र समदर्शिनः।।*

द्विजों अथवा ब्राह्मणों के लिए अग्नि भगवान है।
मुनियों का भगवान उनके हृदय में स्थित है।
अल्पबुद्धि लोगों का भगवान प्रस्तर प्रतिमा अर्थात मूर्ति में स्थित है।
और जो समदर्शी हैं उनके लिए भगवान सर्वत्र हैं।

दीपों के इस पञ्च दिवसीय सम्पूर्ण महापर्व (स्वास्थ्य, रूप, समृद्धि, उल्लास एवं सुरक्षा हेतु आराधना का पर्व) के द्वितीय दिवस *रूप चतुर्दशी*, काली चौदस एवम् छोटी दीवाली की असीम शुभकामनाएँ।

🙏🏼🙏🏼 *शुभ दीपावली* 🙏🏼🙏🏼

Thursday, October 24, 2019

धनतेरस

*सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।*
*सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।*

सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।

दीपों के इस पञ्च दिवसीय सम्पूर्ण महापर्व (स्वास्थ्य, रूप, समृद्धि, उल्लास एवं सुरक्षा हेतु आराधना का पर्व) के प्रथम दिवस, भगवान धन्वन्तरि के प्राकट्य दिवस *धनतेरस* पर हम सभी स्वास्थ्य रूपी धन से पूरित होवें ऐसी असीम शुभकामनाएँ।

🙏🏼🙏🏼 *शुभ धनतेरस* 🙏🏼🙏🏼

Wednesday, October 23, 2019

आन्तरिक शक्ति

*अन्तःसारविहीनस्य  सहायः किं करिष्यति।*
*मलयेऽपि  स्थितो  वेणुर्वेणुरेव  न चन्दनः।।*

जिस व्यक्ति में स्वयं अपनी आन्तरिक शक्ति या सामर्थ्य न हो उसकी सहायता करने से कुछ भी लाभ नहीं होता है। उदाहरणार्थ मलय प्रदेश में चन्दन वृक्ष के वनों में उगे हुए बाँस के वृक्ष बाँस के ही  रहते हैं और चन्दन नहीं हो जाते हैं।

It is of no use to help a person who is devoid of inner strength and capability, just like the bamboo trees growing in the Malaya region in a forest of Sandalwood trees remain as bamboo trees and do not become sandal wood trees.

शुभ दिन हो।

🌸🌺🌹🙏🏻

Tuesday, October 22, 2019

परम की प्राप्ति

*जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं,*
*प्रेम गली अति साँकरी, ता में दो न समाहिं।*

कबीर जी ने परम की प्राप्ति हेतु स्वयं को पूर्ण समर्पण की व्याख्या करते हुए कहा है कि यदि मैं अर्थात स्वयं को अपने अहम को जब तक नहीं हटाते, उस परम की प्राप्ति नहीं हो सकती क्योंकि यह राह बहुत संकरी है इसमें केवल एक ही परम अथवा अहम ही समा सकते हैं।

Saint KABIR has explained the way to find Almighty by eliminating self with an example of a very narrow passage of love through which only one can pass either self or Almighty.

अहम को त्यागें, परम को पावें,
ऐसा ही सब ग्रंथ बतावे।

शुभ दिन हो।

🌸🌺🌹🙏🏻

Monday, October 21, 2019

जय श्री राम

*समप्रकास तम पाख दुहु, नाम भेद बिधि कीन्ह।*
*ससि सोषक पोषक समुझि, जग जस अपजस दीन्ह॥*
रामचरित मानस : बालकाण्ड।

एक माह के दो पक्षों शुक्ल एवं कृष्ण में प्रकाश एवं अंधकार समान होता है किंतु दोनों की प्रकृति भिन्न है। एक चन्द्रमा को क्रमशः बढ़ाता जाता है और दूसरा घटाता जाता है, इसी कारण एक को यह जग यश देता है जबकि दूसरे को अपयश देता है।

Two fortnights of a month _Shukla_ and _Krishna_ are having same brightness and darkness, but are separated by the nature of both. One increases the moon gradually and other decreases, that is why the world praises one but condemn other.

*विकासोन्मुख रहें।*

शुभ दिन हो।

🌹🌸💐🙏🏻

Sunday, October 20, 2019

कर्म

*आपत्सु किं विषादेन सम्पतौ विस्मयेन किं।*
*भवितव्यं भवत्येव कर्मणामेष निश्चयः।।*

आपदा (दुर्भाग्य) के आने पर विषाद करने से और धन संपत्ति प्राप्त होने पर हर्ष एवं आश्चर्य करने से कुछ नहीं होगा क्योंकि जैसे कर्म (अच्छे या बुरे) किये गये होंगे, उनके अनुसार ही जो होना होता है, वह अवश्य ही घटित होगा।

It is futile to grieve while facing adversity or misfortune and also marveling at acquisition of wealth, because whatever is destined will definitely happen according to the deeds (good or bad).

शुभ दिन हो।

🌹🌸💐🙏🏼

Saturday, October 19, 2019

आत्मकार्य

*आत्मकार्य महाकार्य परकार्यं न केवलं।*
*आत्मकार्यस्य दोषेण कूपे पतति मानवः।।*

केवल अन्य व्यक्तियों की सहायता करना ही एक महान् कार्य नहीं है वरन् स्वयं अपने कार्यों को भी भली प्रकार संपन्न करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि स्वयं अपने कार्यों के दोषयुक्त होने के कारण मानव का अधःपतन (एक कुएँ में गिरने के समान) हो जाता है।

Helping others in accomplishing their tasks is not the only virtuous deed but doing one's own tasks properly is also equally important, because any shortcomings in one's own tasks result into his downfall just like falling into a deep well.

शुभ दिन हो।

🌹🌸💐🙏🏼

समुचित प्रयोग

*अमंत्रं अक्षरं नास्ति, नास्ति मूलं अनौषधः।*
*अयोग्यः पुरूषः नास्ति, योजकः तत्र दुर्लभः।।*

संसार में कोई ऐसा अक्षर नहीं है जिससे कोई मंत्र न शुरू होता हो। कोई ऐसा मूल (जड़) नहीं जो किसी रोग की औषधि नहीं है, तथा दुनिया में कोई भी व्यक्ति पूर्णतः अयोग्य नहीं है जो किसी काम न आ सके।
किन्तु उक्त तीनों का (मंत्र, औषधि और व्यक्ति का) समुचित प्रयोग करने वाले योजक कठिनता से मिलते हैं।

There is no letter in the world that starts no mantra. There is no such root which is not the medicine of any disease, and no one in the world is completely disqualified who can not do any work.

But the one who uses of the said three (mantra, medicine and person) is rare.

शुभ दिन हो।

🌹🌸💐🙏🏼

Friday, October 18, 2019

सन्तुष्टता

बहुत समय पहले की बात है ,
चंदनपुर का राजा बड़ा प्रतापी था ,
दूर-दूर तक उसकी समृद्धि की चर्चाएं होती थी, उसके
महल में हर एक सुख-सुविधा की वस्तु उपलब्ध थी पर फिर भी अंदर से उसका मन अशांत रहता था। उसने कई ज्योतिषियों और पंडितों से इसका कारण जानना चाहा, बहुत से विद्वानो से मिला, किसी ने कोई अंगूठी पहनाई तो किसी ने यज्ञ कराए , पर फिर भी राजा का दुःख दूर नहीं हुआ, उसे शांति नहीं मिली।
एक दिन भेष बदल कर राजा अपने राज्य की सैर पर निकला। घूमते- घूमते वह एक खेत के निकट से गुजरा , तभी उसकी नज़र एक किसान पर पड़ी , किसान ने फटे-पुराने वस्त्र धारण कर रखे थे और वह पेड़ की छाँव में बैठ कर भोजन कर रहा था।
किसान के वस्त्र देख राजा के मन में आया कि वह किसान को कुछ स्वर्ण मुद्राएं दे दे ताकि उसके जीवन मे कुछ खुशियां आ पाये।
राजा किसान के सम्मुख जा कर बोला – ” मैं एक राहगीर हूँ , मुझे तुम्हारे खेत पर ये चार स्वर्ण मुद्राएँ गिरी मिलीं , चूँकि यह खेत तुम्हारा है इसलिए ये मुद्राएं तुम ही रख लो। “
किसान – ” ना – ना सेठ जी , ये मुद्राएं मेरी नहीं हैं , इसे आप ही रखें या किसी और को दान कर दें , मुझे इनकी कोई आवश्यकता नहीं। “
किसान की यह प्रतिक्रिया राजा को बड़ी अजीब लगी , वह बोला , ” धन की आवश्यकता किसे नहीं होती भला आप लक्ष्मी को ना कैसे कर सकते हैं ?”
“सेठ जी , मैं रोज चार आने कमा लेता हूँ , और उतने में ही प्रसन्न रहता हूँ… “, किसान बोला।
“क्या ? आप सिर्फ चार आने की कमाई करते हैं , और उतने में ही प्रसन्न रहते हैं , यह कैसे संभव है !” , राजा ने अचरज से पुछा।
” सेठ जी”, किसान बोला ,” प्रसन्नता इस बात पर निर्भर नहीं करती की आप कितना कमाते हैं या आपके पास कितना धन है …. प्रसन्नता उस धन के प्रयोग पर निर्भर करती है। “
” तो तुम इन चार आने का क्या-क्या कर लेते हो ?, राजा ने उपहास के लहजे में प्रश्न किया।
किसान भी बेकार की बहस में नहीं पड़ना चाहता था उसने आगे बढ़ते हुए उत्तर दिया , ”
इन चार आनो में से एक मैं कुएं में डाल देता हूँ , दुसरे से कर्ज चुका देता हूँ , तीसरा उधार में दे देता हूँ और चौथा मिटटी में गाड़ देता हूँ ….”
राजा सोचने लगा , उसे यह उत्तर समझ नहीं आया। वह किसान से इसका अर्थ पूछना चाहता था , पर वो जा चुका था।
राजा ने अगले दिन ही सभा बुलाई और पूरे दरबार में कल की घटना कह सुनाई और सबसे किसान के उस कथन का अर्थ पूछने लगा।
दरबारियों ने अपने-अपने तर्क पेश किये पर कोई भी राजा को संतुष्ट नहीं कर पाया , अंत में किसान को ही दरबार में बुलाने का निर्णय लिया गया।
बहुत खोज-बीन के बाद किसान मिला और उसे कल की सभा में प्रस्तुत होने का निर्देश दिया गया।
राजा ने किसान को उस दिन अपने भेष बदल कर भ्रमण करने के बारे में बताया और सम्मान पूर्वक दरबार में बैठाया।
” मैं तुम्हारे उत्तर से प्रभावित हूँ , और तुम्हारे चार आने का हिसाब जानना चाहता हूँ; बताओ, तुम अपने कमाए चार आने किस तरह खर्च करते हो जो तुम इतना प्रसन्न और संतुष्ट रह पाते हो ?” , राजा ने प्रश्न किया।
किसान बोला ,” हुजूर , जैसा की मैंने बताया था , मैं एक आना कुएं में डाल देता हूँ , यानि अपने परिवार के भरण-पोषण में लगा देता हूँ, दुसरे से मैं कर्ज चुकता हूँ , यानि इसे मैं अपने वृद्ध माँ-बाप की सेवा में लगा देता हूँ , तीसरा मैं उधार दे देता हूँ , यानि अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा में लगा देता हूँ, और चौथा मैं मिटटी में गाड़ देता हूँ , यानि मैं एक पैसे की बचत कर लेता हूँ ताकि समय आने पर मुझे किसी से माँगना ना पड़े और मैं इसे धार्मिक ,सामजिक या अन्य आवश्यक कार्यों में लगा सकूँ। “
राजा को अब किसान की बात समझ आ चुकी थी। राजा की समस्या का समाधान हो चुका था , वह जान चुका था की यदि उसे प्रसन्न एवं संतुष्ट रहना है तो उसे भी अपने अर्जित किये धन का सही-सही उपयोग करना होगा।

#हरि_बोल   #हरि_ॐ  #हर_हर_महादेव

गुण

*अष्टौ गुणा पुरुषं दीपयंति*
    *प्रज्ञा सुशीलत्वदमौ श्रुतं च।*
*पराक्रमश्चबहुभाषिता च*
    *दानं यथाशक्ति कृतज्ञता च॥*

बाहरी आडम्बर, वस्त्र, आभूषण नहीं अपितु ये आठ गुण पुरुष (मनुष्य) को सुशोभित करते हैं - बुद्धि, सत्चरित्र, आत्म-नियंत्रण, शास्त्र-अध्ययन, साहस, मितभाषिता, यथाशक्ति दान और कृतज्ञता।

External pomp, not clothing, ornaments, but these eight qualities beautify men (human) - intellect, good character, self-control, study, courage, reticency, virtuous charity and gratitude.

शुभ दिन हो।

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Wednesday, October 16, 2019

उपदेश

*उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये।*
*पयः पान भुजङ्गानां केवलं विषवर्धनं।।*

मूर्खों  का क्रोध उन्हें उपदेश देने से शान्त नहीं होता है वरन् और अधिक बढ़ जाता है और वे उपदेश देने वाले को ही हानि पँहुचा सकते हैं। जिस प्रकार कि सांपों को दूध पिलाने से केवल उनके विष की ही वृद्धि होती है।

The anger of foolish persons can not be subdued by preaching them (but on the contrary increases and may harm the preacher), just like a snake being fed with milk, which will results only in increase of its poison.

अपने जीवन साथी के स्वस्थ एवं दीर्घ जीवन हेतु कठोर तपस्या के पर्व *करवा चौथ* पर ईश्वर मनोकामना पूर्ण करें।
अशेष शुभकामनाएँ।

शुभ दिन हो।

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Tuesday, October 15, 2019

क्रूरता

*सर्प क्रूर खलः क्रूरः, सर्पात् क्रूरतरः खलः।*
*सर्पः शाम्यति मन्त्रैश्च दुर्जनः केन शाम्यति॥*

साँप भी क्रूर होता है और दुष्ट भी क्रूर होता है, किन्तु दुष्ट साँप से अधिक क्रूर होता है। क्योंकि साँप के विष का तो मन्त्र से शमन हो सकता है, किन्तु दुष्ट के विष का शमन किसी प्रकार से नहीं हो सकता।

The serpent is cruel and the wicked is cruel too, but the wicked is more cruel than the serpent. Because snake venom can be suppressed by mantra, but the poison of the wicked can not be cured.

शुभ दिन हो।

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Monday, October 14, 2019

सम्मान

*प्रावृषेन्यस्य मालिन्यं, दोषः कोऽभीष्टवर्षिण:।*
*शरदाऽभ्रस्य शुभ्रत्वं, वद  कुत्रोपयुज्यते।।*

कौन कहता है कि वर्षा ऋतु में बादलों का कालापन उनका एक दोष है? उनसे तो  जलवृष्टि की ही कामना की जाती है। भला शरद ऋतु के शुभ्र (सफ़ेद) बादलों की क्या उपयोगिता है?

Who says that the dark blackness of the rain clouds is their defect? Every one expects rain from them. On the other hand what is the usefulness of pure white clouds of the autumn season?

सम्मान गुणों का करें, रंग रूप का नहीं।

शुभ दिन हो।

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Sunday, October 13, 2019

अविनीत

*अविनीतस्य या विद्या सा चिरं नैव तिष्ठति।*
*मर्कटस्य गले बद्धा मणीनां मालिका यथा।।*

अविनीत (दुष्ट और दुर्व्यवहार् करने वाले) व्यक्ति द्वारा अर्जित विद्या उसके पास चिरकाल तक वैसे ही नहीं रह सकती है जिस प्रकार एक बंदर के गले में पडी हुई मणियों की माला उसके द्वारा शीघ्र नष्ट कर दी जाती है।
(एक बन्दर को हार के मूल्यवान होने का कोई ज्ञान नहीं होता है और वह उसका सदुपयॊग करने के बदले उसे देर सवेर नष्ट कर देता है। और यही हाल दुष्ट व्यक्ति द्वारा प्राप्त विद्या का भी होता है।)

The knowledge and learning earned by a wicked and rude person does not stay with him for a long time just like a necklace studded with precious stones put on the neck of a monkey.
(A monkey does not know the value of a necklace studded with precious stones and sooner or later breaks it and throws it, and so is the case of the knowledge acquired by a wicked person.)

शुभ दिन हो।

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Saturday, October 12, 2019

शरद पूर्णिमा

*कर्मायत्तं फलं पुसां बुध्दि: कर्मानुसारिणी।*
*तथापि सुधियश्चाऽर्या: सुविचार्यैव कुर्वते॥*

मनुष्यों को फल कर्म के अनुसार मिलता है और बुध्दि भी कर्मों के अनुसार ही चलती है, फिर भी विद्वान और सज्जन भली भांती सोच विचार कर ही किसी कार्य को करते है।

Man gets results according to their deeds and their intellect also works according to their deeds, though the learned and noble persons do any work after proper thoughts.

अमृत वर्षा एवं महारास का यह पर्व *शरद पूर्णिमा, रास पूर्णिमा एवं कोजागरी पूर्णिमा* के नाम से जाना जाता है, हम सभी पर अमृत बरसे ऐसी शुभकामनाओं के साथ,

शुभ दिन हो।

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जय श्री राम

आज आपको एक ऐसे कथा के बारे में बताने जा रहा हूँ,,

जिसका विवरण संसार के किसी भी पुस्तक में आपको नही मिलेगा,,
जय श्री राम, जय श्री राम,,

कथा का आरंभ तब का है ,,

जब बाली को ब्रम्हा जी से ये वरदान प्राप्त हुआ,,
की जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा,,
उसकी आधी ताक़त बाली के शरीर मे चली जायेगी,,

और इससे बाली हर युद्ध मे अजेय रहेगा,,

सुग्रीव, बाली दोनों ब्रम्हा के औरस ( वरदान द्वारा प्राप्त ) पुत्र हैं,,

और ब्रम्हा जी की कृपा बाली पर सदैव बनी रहती है,,

बाली को अपने बल पर बड़ा घमंड था,,
उसका घमंड तब ओर भी बढ़ गया,,
जब उसने करीब करीब तीनों लोकों पर विजय पाए हुए रावण से युद्ध किया और रावण को अपनी पूँछ से बांध कर छह महीने तक पूरी दुनिया घूमी,,

रावण जैसे योद्धा को इस प्रकार हरा कर बाली के घमंड का कोई सीमा न रहा,,

अब वो अपने आपको संसार का सबसे बड़ा योद्धा समझने लगा था,,

और यही उसकी सबसे बड़ी भूल हुई,,

अपने ताकत के मद में चूर एक दिन एक जंगल मे पेड़ पौधों को तिनके के समान उखाड़ फेंक रहा था,,

हरे भरे वृक्षों को तहस नहस कर दे रहा था,,

अमृत समान जल के सरोवरों को मिट्टी से मिला कर कीचड़ कर दे रहा था,,

एक तरह से अपने ताक़त के नशे में बाली पूरे जंगल को उजाड़ कर रख देना चाहता था,,

और बार बार अपने से युद्ध करने की चेतावनी दे रहा था- है कोई जो बाली से युद्ध करने की हिम्मत रखता हो,,
है कोई जो अपने माँ का दूध पिया हो,,
जो बाली से युद्ध करके बाली को हरा दे,,

इस तरह की गर्जना करते हुए बाली उस जंगल को तहस नहस कर रहा था,,

संयोग वश उसी जंगल के बीच मे हनुमान जी,, राम नाम का जाप करते हुए तपस्या में बैठे थे,,

बाली की इस हरकत से हनुमान जी को राम नाम का जप करने में विघ्न लगा,,

और हनुमान जी बाली के सामने जाकर बोले- हे वीरों के वीर,, हे ब्रम्ह अंश,, हे राजकुमार बाली,,
( तब बाली किष्किंधा के युवराज थे) क्यों इस शांत जंगल को अपने बल की बलि दे रहे हो,,

हरे भरे पेड़ों को उखाड़ फेंक रहे हो,
फलों से लदे वृक्षों को मसल दे रहे हो,,
अमृत समान सरोवरों को दूषित मलिन मिट्टी से मिला कर उन्हें नष्ट कर रहे हो,,
इससे तुम्हे क्या मिलेगा,,

तुम्हारे औरस पिता ब्रम्हा के वरदान स्वरूप कोई तुहे युद्ध मे नही हरा सकता,,

क्योंकि जो कोई तुमसे युद्ध करने आएगा,,
उसकी आधी शक्ति तुममे समाहित हो जाएगी,,

इसलिए हे कपि राजकुमार अपने बल के घमंड को शांत कर,,

और राम नाम का जाप कर,,
इससे तेरे मन में अपने बल का भान नही होगा,,
और राम नाम का जाप करने से ये लोक और परलोक दोनों ही सुधर जाएंगे,,

इतना सुनते ही बाली अपने बल के मद चूर हनुमान जी से बोला- ए तुच्छ वानर,, तू हमें शिक्षा दे रहा है, राजकुमार बाली को,,
जिसने विश्व के सभी योद्धाओं को धूल चटाई है,,

और जिसके एक हुंकार से बड़े से बड़ा पर्वत भी खंड खंड हो जाता है,,

जा तुच्छ वानर, जा और तू ही भक्ति कर अपने राम वाम के,,

और जिस राम की तू बात कर रहा है,
वो है कौन,

और केवल तू ही जानता है राम के बारे में,

मैंने आजतक किसी के मुँह से ये नाम नही सुना,

और तू मुझे राम नाम जपने की शिक्षा दे रहा है,,

हनुमान जी ने कहा- प्रभु श्री राम, तीनो लोकों के स्वामी है,,
उनकी महिमा अपरंपार है,
ये वो सागर है जिसकी एक बूंद भी जिसे मिले वो भवसागर को पार कर जाए,,

बाली- इतना ही महान है राम तो बुला ज़रा,,
मैं भी तो देखूं कितना बल है उसकी भुजाओं में,,

बाली को भगवान राम के विरुद्ध ऐसे कटु वचन हनुमान जो को क्रोध दिलाने के लिए पर्याप्त थे,,

हनुमान- ए बल के मद में चूर बाली,,
तू क्या प्रभु राम को युद्ध मे हराएगा,,
पहले उनके इस तुच्छ सेवक को युद्ध में हरा कर दिखा,,

बाली- तब ठीक है कल के कल नगर के बीचों बीच तेरा और मेरा युद्ध होगा,,

हनुमान जी ने बाली की बात मान ली,,

बाली ने नगर में जाकर घोषणा करवा दिया कि कल नगर के बीच हनुमान और बाली का युद्ध होगा,,

अगले दिन तय समय पर जब हनुमान जी बाली से युद्ध करने अपने घर से निकलने वाले थे,,
तभी उनके सामने ब्रम्हा जी प्रकट हुए,,

हनुमान जी ने ब्रम्हा जी को प्रणाम किया और बोले- हे जगत पिता आज मुझ जैसे एक वानर के घर आपका पधारने का कारण अवश्य ही कुछ विशेष होगा,,

ब्रम्हा जी बोले- हे अंजनीसुत, हे शिवांश, हे पवनपुत्र, हे राम भक्त हनुमान,,
मेरे पुत्र बाली को उसकी उद्दंडता के लिए क्षमा कर दो,,

और युद्ध के लिए न जाओ,

हनुमान जी ने कहा- हे प्रभु,,
बाली ने मेरे बारे में कहा होता तो मैं उसे क्षमा कर देता,,
परन्तु उसने मेरे आराध्य श्री राम के बारे में कहा है जिसे मैं सहन नही कर सकता,,
और मुझे युद्ध के लिए चुनौती दिया है,,
जिसे मुझे स्वीकार करना ही होगा,,
अन्यथा सारी विश्व मे ये बात कही जाएगी कि हनुमान कायर है जो ललकारने पर युद्ध करने इसलिए नही जाता है क्योंकि एक बलवान योद्धा उसे ललकार रहा है,,

तब कुछ सोंच कर ब्रम्हा जी ने कहा- ठीक है हनुमान जी,,
पर आप अपने साथ अपनी समस्त सक्तियों को साथ न लेकर जाएं,,
केवल दसवां भाग का बल लेकर जाएं,,
बाकी बल को योग द्वारा अपने आराध्य के चरणों में रख दे,,
युद्ध से आने के उपरांत फिर से उन्हें ग्रहण कर लें,,

हनुमान जी ने ब्रम्हा जी का मान रखते हुए वैसे ही किया और बाली से युद्ध करने घर से निकले,,

उधर बाली नगर के बीच मे एक जगह को अखाड़े में बदल दिया था,,

और हनुमान जी से युद्ध करने को व्याकुल होकर बार बार हनुमान जी को ललकार रहा था,,

पूरा नगर इस अदभुत और दो महायोद्धाओं के युद्ध को देखने के लिए जमा था,,

हनुमान जी जैसे ही युद्ध स्थल पर पहुँचे,,
बाली ने हनुमान को अखाड़े में आने के लिए ललकारा,,

ललकार सुन कर जैसे ही हनुमान जी ने एक पावँ अखाड़े में रखा,,

उनकी आधी शक्ति बाली में चली गई,,

बाली में जैसे ही हनुमान जी की आधी शक्ति समाई,,

बाली के शरीर मे बदलाव आने लगे,
उसके शरीर मे ताकत का सैलाब आ गया,
बाली का शरीर बल के प्रभाव में फूलने लगा,,
उसके शरीर फट कर खून निकलने लगा,,

बाली को कुछ समझ नही आ रहा था,,

तभी ब्रम्हा जी बाली के पास प्रकट हुए और बाली को कहा- पुत्र जितना जल्दी हो सके यहां से दूर अति दूर चले जाओ,

बाली को इस समय कुछ समझ नही आ रहा रहा,,
वो सिर्फ ब्रम्हा जी की बात को सुना और सरपट दौड़ लगा दिया,,

सौ मील से ज्यादा दौड़ने के बाद बाली थक कर गिर गया,,

कुछ देर बाद जब होश आया तो अपने सामने ब्रम्हा जी को देख कर बोला- ये सब क्या है,

हनुमान से युद्ध करने से पहले मेरा शरीर का फटने की हद तक फूलना,,
फिर आपका वहां अचानक आना और ये कहना कि वहां से जितना दूर हो सके चले जाओ,

मुझे कुछ समझ नही आया,,

ब्रम्हा जी बोले-, पुत्र जब तुम्हारे सामने हनुमान जी आये, तो उनका आधा बल तममे समा गया, तब तुम्हे कैसा लगा,,

बाली- मुझे ऐसा लग जैसे मेरे शरीर में शक्ति की सागर लहरें ले रही है,,
ऐसे लगा जैसे इस समस्त संसार मे मेरे तेज़ का सामना कोई नही कर सकता,,
पर साथ ही साथ ऐसा लग रहा था जैसे मेरा शरीर अभी फट पड़ेगा,,,

ब्रम्हा जो बोले- हे बाली,

मैंने हनुमान जी को उनके बल का केवल दसवां भाग ही लेकर तुमसे युद्ध करने को कहा,,
पर तुम तो उनके दसवें भाग के आधे बल को भी नही संभाल सके,,

सोचो, यदि हनुमान जी अपने समस्त बल के साथ तुमसे युद्ध करने आते तो उनके आधे बल से तुम उसी समय फट जाते जब वो तुमसे युद्ध करने को घर से निकलते,,

इतना सुन कर बाली पसीना पसीना हो गया,,

और कुछ देर सोच कर बोला- प्रभु, यदि हनुमान जी के पास इतनी शक्तियां है तो वो इसका उपयोग कहाँ करेंगे,,

ब्रम्हा- हनुमान जी कभी भी अपने पूरे बल का प्रयोग नही कर पाएंगे,,
क्योंकि ये पूरी सृष्टि भी उनके बल के दसवें भाग को नही सह सकती,,

ये सुन कर बाली ने वही हनुमान जी को दंडवत प्रणाम किया और बोला,, जो हनुमान जी जिनके पास अथाह बल होते हुए भी शांत और रामभजन गाते रहते है और एक मैं हूँ जो उनके एक बाल के बराबर भी नही हूँ और उनको ललकार रहा था,,
मुझे क्षमा करें,,

और आत्मग्लानि से भर कर बाली ने राम भगवान का तप किया और अपने मोक्ष का मार्ग उन्ही से प्राप्त किया,,

तो बोलो,
पवनपुत्र हनुमान की जय,
जय श्री राम जय श्री राम,,

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*कृपया ये कथा जन जन तक पहुचाएं,और पुण्य के भागी बने,,जय श्री राम जय हनुमान🙏🙏*

*🙏राम राम जी🙏*