Friday, October 30, 2020

बाल्मीकि जयंती

*मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगम: शास्वती समा।*
*यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधी: काममोहितम्।।*

हे निषाद। तुझे कभी भी शान्ति न मिले, क्योंकि तूने इस काम से मोहित क्रौंच के जोड़े में से एक की बिना किसी अपराध के ही हत्या कर डाली।

आदि कवि वाल्मीकि जी ने करुणा से भरकर इस प्रथम श्लोक की रचना की एवं तत्पश्चात *रामायण* की रचना की।

एक दस्यु से महर्षि बने *वाल्मीकि* से आज उनकी जयंती पर हम सभी सदैव उत्कृष्टता की ओर बढ़ने का सङ्कल्प लें।

देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिवस पर आज हम सभी *राष्ट्रीय एकता दिवस* पर देश की एकता एवं अखण्डता हेतु संकल्पित हों।

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