Friday, June 19, 2020

ज्ञान

*पहिले यह मन काग था, करता जीवन घात।*
*अब तो मन हंसा हुआ, मोती चुनि-चुनि खात॥*

कबीर कहते हैं कि सामान्य मनुष्य का मन एक कौए की  तरह होता है, जो कुछ भी उठा कर खा लेता है और जीवन को कष्ट पूर्ण कर लेता है।
लेकिन एक ज्ञानी का मन उस हंस के समान होता है जो चुन चुन कर केवल मोती खाता है।

Kabir says that the common man's mind is like a crow, which eats anything and make it's life miserable. But the mind of a wise man is like a swan that choose only pearls.

*जीवन में हर दम सत्य चुनें,*
*मोती चुनता वह हंस बनें,*
*बाधा विघ्नों से नहीं डरें,*
*हम व्यस्त रहें, हम स्वस्थ रहें।*

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