Monday, September 30, 2019

जय श्री राम

*आवत ही हरषै नहीं, नैनन नहीं सनेह।*
*तुलसी तहां न जाइये, कंचन बरसे मेह॥*

तुलसी दास जी कहते हैं कि जिस स्थान पर लोग आपके जाने से प्रसन्न न होवें और जहाँ लोगों की आँखों में आपके लिए प्रेम अथवा स्नेह ना हो ऐसे स्थान पर भले ही धन की कितनी भी वर्षा हो रही हो, नहीं जाना चाहिए।

At the place where people are not happy to see you and where there is no love or affection for you in their eyes, no matter how profitable to visit there, you should not go.

*माँ के तृतीय चन्द्रघण्टा स्वरूप को नमन*

शुभ दिन हो।

🌸🌺💐🙏🏼

Sunday, September 29, 2019

जय माता दी

*जाति पाँति कुल धर्म बड़ाई।*
*धन बल परिजन गुन चतुराई॥*
*भगति हीन नर सोहइ कैसा।*
*बिनु जल बारिद देखिअ जैसा॥*

भक्ति की महिमा बताते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा चाहे मनुष्य जाति, पाँति, कुल, धर्म, बड़ाई, धन, बल, कुटुम्ब, गुण और चतुरता आदि से सज्जित हो किन्तु भक्ति से रहित है, तो वह एक जलहीन बादल अर्थात  शोभाहीन दिखाई पड़ता है।

A person who is having a good race, power, religion, magnificence, wealth, strength, family, virtues and cleverness, but is devoid of devotion, then he is like a meager cloud.

*द्वितीय नवरात्र पर माँ के ब्रह्मचारिणी रूप को नमन।*

शुभ दिन हो।

🌸🌺🌹🙏🏻

Saturday, September 28, 2019

जय माता दी

*रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।*

माँ आदि शक्ति से प्रार्थना:
हमें आध्यात्मिक रूप प्रदान कीजिये,
आध्यात्मिक विजय प्रदान कीजिये,
आध्यात्मिक यश प्रदान कीजिये एवं हमारे अंतस की बुराइयों को मिटा दीजिये।

Grant us Spiritual Beauty,
Grant us Spiritual Victory, Grant us Spiritual Glory and Please Destroy our Inner Enemies.

*शक्ति संचयन के महापर्व शारदीय नौरात्रि में माँ आदिशक्ति के नौ स्वरूपों का पूजन अर्चन कर हम अपनी शक्तियों को संचित करें।*

*माँ के प्रथम रूप शैलपुत्री स्वरूप को नमन।*

*राम राज्य एवं आदर्श समाजवाद के प्रणेता अग्रसेन महाराज की जयन्ती की भी अशेष शुभकामनाएँ।*

कर्म

*केवलं ग्रह नक्षत्रं न करोति शुभाशुभं।*
*सर्वमात्रकृतं कर्मं लोकवादो ग्रहा इति।।*

किसी व्यक्ति के जीवन में शुभ और अशुभ घटनाएँ उसके द्वारा किये हुए कर्मों से होती हैं और केवल ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव से नहीं होती हैं।
समाज में व्याप्त यह एक गलत धारणा मात्र है।

रामचरितमानस में भी गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है:

*कादर मन कहुँ एक अधारा।*
*दैव दैव आलसी पुकारा।।*

यह दैव तो कायर के मन का एक आधार (तसल्ली देने का उपाय) है। आलसी लोग ही दैव-दैव पुकारा करते हैं।

Auspicious and inauspicious events in the life of men occur due to their actions and not simply due to influence of planets and stars as is the wrong perception in the society.
We should not leave every thing to the fate but perform virtuous deeds in our life.

Friday, September 27, 2019

प्रणाम

*वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।*
*तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही।।*
गीता : अध्याय २, श्लोक २२।

Just like people shed worn-out clothes and wear new ones, our soul casts off its worn-out body and enters a new one.

जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नये वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीर को त्यागकर दूसरे नये शरीर को धारण करती है।

*सर्वपितृ अमावस्या* पर आएँ अपने पूर्वजों के स्वर्ग में अथवा इस पृथ्वी पर किसी और शरीर में होने के विश्वास को दृढ़ करते हुए, उनके आशीर्वाद को अनुभव करें।

शुभ दिन हो।

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काशी की महिमा

सुनो बनारस
आता हूँ....
पर जाने देना !

चार कचौड़ी, पुरवा लस्सी
गरम जलेबी, चाय पे अस्सी
चाट टमाटर, गोल गुलप्पा
गली-गली और चप्पा-चप्पा
दो दिन ज़्यादा खाता हूँ...
तो खाने देना !
सुनो बनारस
आता हूँ....
पर जाने देना !

अड़ी-अड़ी और घाट-घाट पे
मित्रों के संग बात-बात में
अबे-तबे और हँसी ठहाका
भूल के दुनिया भर का स्यापा
अपना समय बिताता हूँ
बिताने देना
सुनो बनारस
आता हूँ....
पर जाने देना !

का गुरु... कइसन हौ भईया
देखा बचा, पीछे हौ गइया
अंग्रेज़ी को भूल-भुला के
पी ठंडई और पान घुला के
भोजपुरी बतियाता हूँ...
बतियाने देना !
सुनो बनारस
आता हूँ....
पर जाने देना !

देखो रजा कसम है तुमको
रोक ना लेना देखो हमको
हवा तुम्हारी, खुशबू, मिट्टी
यादें थोड़ी सी खटमिट्ठी
बाँध पोटली में रस थोड़ा
अपने संग ले जाता हूँ
ले जाने देना
सुनो बनारस
आता हूँ....
पर जाने देना !
महादेव !

बगावत

दरिया अब तेरी खैर नही,
बूंदो ने बगावत कर ली है
नादाँ ना समझ, बुजदिल इनको,
लहरों ने बगावत कर ली है
हम परवाने है, मौत समां,
मरने का किसको ख़ौफ़ यहाँ,
ऐ तलवार तुझे झुकना होगा,
गर्दन ने बगावत कर ली है।

Thursday, September 26, 2019

शुभ दिन

*उपर्जितानां वित्तानां त्याग एव हि रक्षणम्।*
*तडगोदरसंस्थानां परिवाह इवाम्भसाम्॥*

जैसे तालाब में भरे हुए जल को निकालते रहने से उसकी पवित्रता और शुद्धता बनी रहती है। उसी प्रकार उपार्जित धन को व्यय कर देना (दान अथवा भोग) ही उसकी रक्षा का एकमात्र उपाय है।

The water of a pond remains pure while being fetched regularly, likewise the money earned can be saved by donation or consumption only.

शुभ दिन हो।

🌺🌹💐🙏🏼