Sunday, August 30, 2020

विद्यार्जन

*विद्वान् प्रशस्यते लोके विद्वान् सर्वत्र गौरवम्,*
*विद्वया लभते सर्वं विद्या सर्वत्र पूज्यते॥*

विद्वान की संसार में प्रशंसा होती है, विद्वान को सर्वत्र गौरव मिलता है, विद्या से सब कुछ प्राप्त होता है और विद्या की सर्वत्र पूजा होती है।

Knowledge is extolled by everyone; knowledge is considered great everywhere; one can attain everything with the help of knowledge; a wise and knowledged person is respected everywhere.

नित्य विद्यार्जन करें।

शुभ दिन हो।

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Friday, August 28, 2020

गुण

*गुणिनि गुणज्ञो रमते नाऽगुणशीलस्य गुणिनि परितोषः।*
*अलिरेति वनात्पद्मं न   दर्दुरस्त्वेकवासोऽपि।।*

गुणवान व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के गुणों को देख कर आनन्दित होते हैं, परन्तु गुण रहित व्यक्तियों को दूसरों के गुणों को देख कर कोई प्रसन्नता नहीं होती है। 
देखो तो ! एक मधुमक्खी वन में खिले हुए कमल पुष्पों से उनका पराग प्राप्त करने हेतु स्वयं उनके पास चली जाती है, परन्तु मेंढक एक ही स्थान पर बने रहते हैं।

Virtuous persons always feel rejoiced on seeing the virtues of others, whereas worthless persons are never happy
on seeing the virtues of others. Look ! how a bee moves around a forest to collect the nectar from Lotus flowers, whereas frogs remain confined at one place.

*भगवान वामन की पूजा एवं परिवर्तिनी एकादशी (जलझूलनी एकादशी) की शुभकामना।*

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Thursday, August 27, 2020

धर्म

*ऐश्वर्यम् अध्रुवं प्राप्य ध्रुवधर्मं मतिं कुरु*
*क्षणादेव विनश्यन्ति सम्पदोऽप्यात्मना सह।*

ऐश्वर्य जो अस्थायी है, उसे प्राप्त करने के स्थान पर अपने चित्त वृत्तियों को धर्म के पालन की ओर लगाएँ, जो शाश्वत है। 
धन संपत्ति और यह शरीर तो क्षणभंगुर है।

Inspite acquiring prosperity and power, which are not permanent, we should direct our minds towards following the _Dharma_ which is eternal. Wealth and prosperity and even human life is destructible instantly.

धन से धर्म जरूरी है,
निज कर्तव्य जरूरी है।

शुभ दिन हो।

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Tuesday, August 25, 2020

अभिमान

*नहिं कोउ अस जनमा जग माहीं,*
*प्रभुता पाइ जाहि मद नाहीं।*

इस जग में अधिकांश मनुष्य पद पाकर अहंकारी हो जाते हैं। प्रयास करें अभिमान से बचें।

No one in mankind in this world who would not be arrogant after getting power.

शुभ दिन हो।

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Sunday, August 23, 2020

विवेक

*यस्य नास्ति स्वयंप्रज्ञा, शास्त्रंतस्य करोति किम्।*
*लोचनाभ्यांविहीनस्य, दर्पणः किं करिष्यति।।*

जिस प्रकार एक दृष्टिहीन व्यक्ति के लिए दर्पण कुछ नहीं कर सकता, उसी प्रकार जिसके पास प्रज्ञा (स्वविवेक) नहीं है, समस्त वेद और शास्त्र मिलकर भी उस व्यक्ति को सन्मार्ग की ओर नहीं ले जा सकते।

A mirror can not be useful for a blind person, similarly, where there is no prudence, all the Vedas and the scriptures can not even lead that person towards the right path.

शुभ दिन हो।

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Thursday, August 20, 2020

सदगुण

*दानं प्रियवाक्य सहितं ज्ञानमगर्वं क्षमान्वितं शौर्यं।*
*वित्तं त्यागनियुक्तं दुर्लभमेतत् चतुष्टय लोके।।*

याचकों को दान देते समय प्रिय वचन कहने वाले, अपने ज्ञानी होने पर गर्व न करने वाले, शूरवीर होने पर भी क्षमाशील तथा धनवान होते हुए भी दानशील, इन सद्गुणों से युक्त मनुष्य इस संसार में दुर्लभ होते हैं।

Persons endowed with four qualities, namely speaking politely while doing charity, not being proud of being knowledgeable, forgiving in nature in spite of being valorous, and wealthy but also very charitable and detached from their wealth, are very rare in this World.

*हरितालिका तीज दिवस, अनुपम यह त्योहार,*
*हर घर में खुशियाँ बढ़े, सुख समृद्धि अपार।*

शुभ दिन हो।

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Wednesday, August 19, 2020

कर्म

*सुखदु:खे समे कृत्वा लाभालाभो जयाजयौ।*
*ततो यूद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि।।*

कर्म करने की प्रेरणा देते हुए भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं:

जय-पराजय, लाभ-हानि और सुख-दु:ख को समान समझ कर, युद्ध के लिये उद्यत हो। इस प्रकार युद्ध करने से पाप को नहीं प्राप्त होगा।

Treating alike victory and defeat, gain and loss, pleasure and pain, get ready for the fight; thus you will not incur sin.

शुभ दिन हो।

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Tuesday, August 18, 2020

विद्या

*अविनीतस्य या विद्या सा चिरं नैव तिष्ठति।*
*मर्कटस्य गले बद्धा मणीनां मालिका यथा।।*

अविनीत (दुष्ट और दुर्व्यवहार् करने वाले) व्यक्ति द्वारा अर्जित विद्या उसके पास चिरकाल तक वैसे ही नहीं रह सकती है जिस प्रकार एक बंदर के गले में पडी हुई मणियों की माला उसके द्वारा शीघ्र नष्ट कर दी जाती है।
(एक बन्दर को हार के मूल्यवान होने का कोई ज्ञान नहीं होता है और वह उसका सदुपयॊग करने के बदले उसे देर सवेर नष्ट कर देता है। और यही हाल दुष्ट व्यक्ति द्वारा प्राप्त विद्या का भी होता है।)

The knowledge and learning earned by a wicked and rude person does not stay with him for a long time just like a necklace studded with precious stones put on the neck of a monkey.
(A monkey does not know the value of a necklace studded with precious stones and sooner or later breaks it and throws it, and so is the case of the knowledge acquired by a wicked person.)

शुभ दिन हो।

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Monday, August 17, 2020

उपदेश

*उपदेशो न दातव्यो यादृशे तादृशे नरे।*
*पश्य वानर मूर्खेण सुगृही निगृही कृता।।*

किसी मूर्ख एवं अनजान व्यक्ति को बिना माँगे कभी भी उपदेश नहीं देना चाहिए। संस्कृत के प्रसिद्ध ग्रन्थ हितोपदेश में वर्णित एक वानर और बया पक्षी की कहानी में एक मूर्ख वानर ने एक बया को उसका घोंसला तोड़ कर गृह विहीन कर दिया क्योंकि उसने वानर को तेज़ वर्षा में यहाँ वहाँ शरण ढूँढने पर घर बनाने की सलाह दी थी।

One should never preach or give guidance without being asked for to unknown and foolish persons. 
In a story from HITOPDESH, a monkey destroyed a beautiful abode of a weaving bird listening her advise to make home his own while the bird sees it searching shelter during the rain.

शुभ दिन हो।

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Sunday, August 16, 2020

मानसिकता

*ईर्ष्ययैव समुद्विग्नाः पुरुषाद्दुष्टचेतसः।*
*अतिसक्ता: पलायन्ते श्रीधृतिस्मृतिकीर्तयः।।*

दुष्ट मानसिकता वाले तथा दूसरों की उन्नति और समृद्धि पर अत्यधिक ईर्ष्या करने वाले व्यक्तियों की समृद्धि, आत्मबल, धैर्य, स्मृति तथा समाज में यश और प्रसिद्धि, शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं।

Those evil-minded persons who are addicted to jealousy and get perturbed over the prosperity of others, their fortune, glory, courage and self control, awareness and fame in society, all these vanishes quickly.

ईर्ष्या से बचें।

शुभ दिन हो।

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Friday, August 14, 2020

स्वतंत्रता दिवस

*पारतंत्र्यं महादु:खम् स्वातंत्र्यं परन्तं सुखम्।*

पराधीन होना महान दुःख है एवं स्वाधीन होना ही सबसे बड़ा सुख है।

Being Dependent is the greatest sorrow, while independence is the greatest happiness.

Value the independence.

हम अपनी स्वतंत्रता का महत्त्व समझें एवं इसका सम्मान करें।

*आज़ादी के महापर्व पर, हम  सङ्कल्प महान करें,*
*भारत फिर से विश्व गुरु हो, वह चरित्र निर्माण करें।*

भारत देश के *74वें स्वतंत्रता दिवस* पर कोटि कोटि शुभकामनाएँ एवं बधाई।

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Thursday, August 13, 2020

प्रार्थना

*आकाशात् पतितं तोयं यथा गच्छति सागरम्।*
*सर्वदेवनमस्कार: केशवं प्रति गच्छति॥*

जिस प्रकार आकाश से गिरा जल विविध नदियों के माध्यम से अंतत: सागर से जा मिलता है, उसी प्रकार उपासना प्रार्थना किसी भी रूप की की जाए, परम् सत्ता को प्राप्त होती है।

As the water falls down in rain, through different rivers, finally reaches the Ocean, the worship of any divine aspect ultimately reaches the Supreme Being.

*जिस स्वरूप से ध्यान लगे,*
*वह स्वरूप भगवान लगे,*

शुभ दिन हो।

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Wednesday, August 12, 2020

शुभ मंगल

*परोऽपि हितवान् बन्धुः बन्धुरप्यहितः परः।*
*अहितो देहजो व्याधिः हितमारण्यमौषधम्॥*

बीमारियाँ हमारे शरीर के भीतर रहते हुए भी हमारा बुरा करती हैं और औषधियाँ हमसे दूर वनों में रहकर भी हमारा भला करती हैं (अर्थात् व्याधियाँ हमारी शत्रु हैं और औषधियाँ मित्र)। इसी प्रकार रिश्तेदार न होते हुए भी जो हमारा हित करे वही वास्तव में अपना होता है और रिश्तेदार होते हुए भी हमारा अहित करे तो वह पराया ही होता है।

Illness stays within us and damages while medicines stay far from us and make us well. Similarly, not the one who stays near to us is our well-wisher, but who wishes well for us is our near and dear.

*नहीं दूर का शत्रु जरूरी,*
*नहीं पास का मित्र जरूरी,*
*हितकर हो जो वह अपना है,*
*चाहे हो कितनी भी दूरी।*

शुभ दिन हो।

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Tuesday, August 11, 2020

कृष्ण जन्माष्टमी

*यदा-यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।*
*अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्‌॥*
*परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।*
*धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥*
गीता : अध्याय ४, श्लोक ७-८।

*जब जब होय धर्म की हानी,* 
*बाढ़हिं असुर, अधम, अभिमानी,*
*तब तब प्रभु धर विविध शरीरा,* 
*हरहि कृपानिधि, सज्जन पीरा।*
रामचरितमानस : बालकाण्ड

जब जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ अर्थात्‌ साकार रूप में लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ। सज्जन पुरुषों की रक्षार्थ, पाप कर्म करने वालों को नष्ट करने के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं युग-युग में अर्थात् हर समय प्रकट होता हूँ। 

The assurance of Almighty to all mankind is, "Whenever virtue subsides and wickedness prevails, I manifest Myself. To establish virtue, to destroy evil, to save the good I come at every Yuga (age).

आज श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर परमसत्ता के इस सङ्कल्प को स्वयं में अवतरित करें, जो हमारी समस्त बुराइयों को नष्ट कर दे।

*श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।* 

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Sunday, August 9, 2020

धैर्य

*धीराः शोकं तरिष्यन्ति लभन्ते सिद्धिमुत्तमं।*
*धीरैः संप्राप्ते लक्ष्मी: धैर्यं सर्वत्र साधनम् ।।*

धैर्यवान व्यक्ति शोक रूपी सागर को तैर कर उत्तम सफलता तथा धन सम्पत्ति प्राप्त कर लेते हैं। धैर्य ही हर प्रकार की विपरीत परिस्थितियों पर सफलता पाने का उत्तम साधन है।

People who have patience are able to fathom the ocean of sorrows and achieve success in their endeavors and become rich.
Patience is the best means of achieving success in every field during adversity.

*धीरज सहचर यदि होता है,* 
*जीवन सहज सरल होता है,*
*समय चक्र है चलता रहता,*
*समय एक सा कब होता है।*


शुभ दिन हो।

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Thursday, August 6, 2020

यत्न

*यद्यत् परवशं कर्म तत्तद् यत्नेन वर्जयेत्।*
*यद्यदात्मवशं तु स्यात् तत्तत् सेवेत यत्नतः॥*
मनुस्मृति: ४/१५९ अ

जो कर्म दूसरे के आधीन हैं, उन को यत्न से छोड़ दें और जो अपने अधीन हैं, उनको यत्न से करें।

Try to avoid the work for which we have to depend on others. Try to finish the work fast for which we can do independently.

*कार्य अगर है अपने वश में, शीघ्र उसे निपटाएँ हम,*
*नाम राम का संग सदा हो, यह विश्वास जगाएँ हम।*

शुभ दिन हो।

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Monday, August 3, 2020

जय श्री राम

*तृषा जाइ बरु मृगजल पाना।* *बरु जामहिं सस सीस बिषाना।*
*अंधकारु बरु रबिहि नसावै।*
*राम बिमुख न जीव सुख पावै॥*
रामचरितमानस : उत्तर काण्ड।

तुलसीदास जी ने परम् तत्व से विमुख होकर सुखी होना नितान्त असम्भव कहा है चाहे नाना प्रकार के असम्भव कार्यों के होने की सम्भावना हो। यथा मरीचिका (मृगतृष्णा) के जल को पीने से भले ही प्यास बुझ जाए, खरगोश के सिर पर भले ही सींग निकल आवे, अन्धकार भले ही सूर्य का नाश कर दे, परन्तु श्री राम से अर्थात परमतत्व से विमुख होकर जीव सुख नहीं पा सकता।

Even thirst can be satisfied with water from Miraz, a hare can get thrones on its head, dark can destroy the Sun, But no one can get pleasure being against the path of *RAM* means the Almighty.

*राम राम मय सब जीवन हों,*
*पुलकित हर्षित सबके मन हों,*

शुभ दिन हो।

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Sunday, August 2, 2020

रक्षा बंधन

*येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।*
*तेन त्वाम् अनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।*

श्रावणी पूर्णिमा एवं रक्षाबन्धन के इस पुनीत पर्व पर आएँ हम सभी रक्षासूत्र धारण करें एवं जिस प्रकार दानवों के महाबली राजा बलि इस सूत्र में बाँधे गये थे, अर्थात् धर्म में प्रयुक्त किये गये थे, उसी प्रकार हम भी इस सूत्र को धारण कर धर्म के लिए प्रतिबद्ध हों एवं निर्बल की रक्षा हेतु संकल्पित हों। ये रक्षा सूत्र स्थिर रहकर हमें अपना संकल्प स्मरण कराता रहे।

The mighty king of the Danavas *BALI* was tied in the sutra, that is, indulged in religion, similarly we too should commit to religion by wearing this sutra and be determined to protect the weak. These _Raksha Sutras_ should remain constant and remind us.

रक्षा बन्धन पर्व की अनंत शुभकामनाएँ।

*संकल्पित हों, संयमित हो,*
*स्वच्छ रहें तो सुरक्षित हों।*

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