Wednesday, March 10, 2021

हर हर महादेव

साकार व निराकार परमात्मा के द्वंद्व को ध्यान में रखते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड में (आठ श्लोक के रुद्राष्टकम् स्तोत्र में) परम शिव की स्तुति करते हुए ईश्वर का जो व्याख्यान किया है उससे साकार व निराकार के द्वंद्व को हम जैसे मूढ़ भी आसानी से समझ कर उस परम पिता परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

रुद्राष्टकम् का छठा श्लोक :

*कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी,* *सदासच्चिदानन्द दाता पुरारि।*
*चिदानन्द सन्दोह मोहापहारि, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारि।६।*

कलाओं से परे, कल्याणस्वरूप, कल्प का अंत (प्रलय) करने वाले, सज्जनों को सदा आनन्द देने वाले, त्रिपुर (समस्त पापों) के शत्रु, सच्चिनानंद, मन के मोह को हरने वाले, हे प्रभु! प्रसन्न हों, प्रसन्न हों।

Beyond the all worldly things, arts, Kalyansarupa, who ends the Kalpa (holocaust), always brings joy to the mankind, the enemy of all sins, defeats the fascination, O Lord Shiva be happy, be happy.

महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर आएँ हम निराकार परमात्मा के साकार शिव रूप का ध्यान एवं स्तुति करें।

*शिव एवं सती के महामिलन के पर्व महाशिवरात्रि की कोटि कोटि शुभकामनाएँ।*

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