Thursday, November 24, 2022

हरी सुमिरन

*बारि मथें घृत होइ बरु सिकता ते बरु तेल।*
*बिनु हरि भजन न तव तरिअ यह सिद्धांत अपेल॥*
रामचरितमानस : उत्तर काण्ड।

जल को मथने से भले ही घी उत्पन्न हो जाए और भूसे से भले ही तेल निकल आए, परन्तु परमात्मा के सुमिरन के बिना संसार रूपी सागर से नहीं तरा जा सकता, यह सिद्धांत अटल है॥

Even butter can be produced by churning water and the oil can be abstracted from dry straws, But being not on the path of God, one can not distract from the attraction of this world. This theory is unattainable.

*एक परम को जान समझ लें,*
*और परम का सुमिरन कर लें,*
*भव सागर से हम तर जाएँ,*
*साथ परम के सब सुख पा लें।*

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