Saturday, April 25, 2020

धर्म विमुख

*बलवान् अपि अशक्तोऽसौ धनवानपि निर्धनः।*
*श्रुतवान् अपि मूर्खोऽसौ यो धर्मविमुखो जनः॥*

जो व्यक्ति अपने धर्म (कर्तव्य) से विमुख होता है, वह बलवान हो कर भी असमर्थ, धनवान हो कर भी निर्धन तथा ज्ञानी हो कर भी मूर्ख होता है।

The person who deviates from his duties, his abilities, wealth and intellect are of no use.

*वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया "अक्षय तृतीया" (आखा तीज) भगवान परशुराम के अवतरण दिवस पर आएँ  अपने कर्तव्य निर्वहन हेतु उनके आदर्शों एवं तपस्या को अपने जीवन में उतारें एवं समस्त विघ्नों के विरुद्ध संकल्पित हों।*

*शनै शनै हम जीत रहे हैं,*
*किन्तु शत्रु भी बहुत बढ़े हैं,*
*नहीं साधना खत्म हुई है,*
*क्यों घर छोड़ें क्या जल्दी है।* 

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