Friday, September 27, 2019

प्रणाम

*वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।*
*तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही।।*
गीता : अध्याय २, श्लोक २२।

Just like people shed worn-out clothes and wear new ones, our soul casts off its worn-out body and enters a new one.

जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नये वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीर को त्यागकर दूसरे नये शरीर को धारण करती है।

*सर्वपितृ अमावस्या* पर आएँ अपने पूर्वजों के स्वर्ग में अथवा इस पृथ्वी पर किसी और शरीर में होने के विश्वास को दृढ़ करते हुए, उनके आशीर्वाद को अनुभव करें।

शुभ दिन हो।

🙏🙏🙏🙏

काशी की महिमा

सुनो बनारस
आता हूँ....
पर जाने देना !

चार कचौड़ी, पुरवा लस्सी
गरम जलेबी, चाय पे अस्सी
चाट टमाटर, गोल गुलप्पा
गली-गली और चप्पा-चप्पा
दो दिन ज़्यादा खाता हूँ...
तो खाने देना !
सुनो बनारस
आता हूँ....
पर जाने देना !

अड़ी-अड़ी और घाट-घाट पे
मित्रों के संग बात-बात में
अबे-तबे और हँसी ठहाका
भूल के दुनिया भर का स्यापा
अपना समय बिताता हूँ
बिताने देना
सुनो बनारस
आता हूँ....
पर जाने देना !

का गुरु... कइसन हौ भईया
देखा बचा, पीछे हौ गइया
अंग्रेज़ी को भूल-भुला के
पी ठंडई और पान घुला के
भोजपुरी बतियाता हूँ...
बतियाने देना !
सुनो बनारस
आता हूँ....
पर जाने देना !

देखो रजा कसम है तुमको
रोक ना लेना देखो हमको
हवा तुम्हारी, खुशबू, मिट्टी
यादें थोड़ी सी खटमिट्ठी
बाँध पोटली में रस थोड़ा
अपने संग ले जाता हूँ
ले जाने देना
सुनो बनारस
आता हूँ....
पर जाने देना !
महादेव !

बगावत

दरिया अब तेरी खैर नही,
बूंदो ने बगावत कर ली है
नादाँ ना समझ, बुजदिल इनको,
लहरों ने बगावत कर ली है
हम परवाने है, मौत समां,
मरने का किसको ख़ौफ़ यहाँ,
ऐ तलवार तुझे झुकना होगा,
गर्दन ने बगावत कर ली है।