*समै समै सुंदर सबै, रूप कुरूप न कोय।*
*मन की रुचि जेत जितै, तित तेती रुचि होय।*
बिहारी सतसई
समय-समय पर सभी सुन्दर हैं, कोई सुन्दर और कोई कुरूप नहीं है। मन की प्रवृत्ति जिधर जितनी होती है, उधर उतनी ही आसक्ति होती है।
All are beautiful at times, nothing is beautiful ugly. Wherever there is tendency of the mind, there will be more attachment.
एक परम में ध्यान धरें,
व्यस्त रहें हम स्वस्थ रहें।
No comments:
Post a Comment