*रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।*
*त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति॥*
हे माँ! आप प्रसन्न होने पर सब रोगों को नष्ट कर देती हो और कुपित होने पर मनोवांछित सभी कामनाओं का नाश कर देती हो। जो आपकी शरण में हैं, उन पर विपत्ति तो आती ही नहीं। आपकी शरण में मनुष्य दूसरों को शरण देने वाले हो जाते हैं।
O mother! When you are happy, you destroy all diseases and when you are angry, you destroy all desires. Those who are in your shelter, there is no calamity on them. Even they become givers of shelter to others.
आज माँ आदिशक्ति के चंद्रघंटा एवं कूष्मांडा स्वरूप का पूजन नमन।
*शक्ति संचय करें।*
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