Tuesday, June 28, 2022

कामना

*अधना धनमिच्छन्ति वाचं चैव चतुष्पदाः।*
*मानवाः स्वर्गमिच्छन्ति मोक्षमिच्छन्ति देवताः॥*

निर्धन व्यक्ति धन की कामना करते हैं और चौपाये अर्थात पशु बोलने की शक्ति चाहते हैं। मनुष्य स्वर्ग की इच्छा करता है और स्वर्ग में रहने वाले देवता मोक्ष-प्राप्ति की इच्छा करते हैं। इस प्रकार जो प्राप्त है, सभी उससे आगे की कामना करते हैं।

A poor wishes for wealth, an animal wishes if it could speak. Man desires heaven while the deities living in heaven desire salvation. Thus everyone wishes beyond what he has.

*सदा आगे बढेंगें हम,*
*यही बस लक्ष्य लेंगें हम,*
*सहायक दूसरों के हित,*
*नयी आशा बनेंगें हम।*

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Monday, June 27, 2022

सदैव शुभ

*एहि तन कर फल बिषय न भाई।*
*स्वर्गउ स्वल्प अंत दुखदाई॥*
*नर तनु पाइ बिषयँ मन देहीं।*
*पलटि सुधा ते सठ बिष लेहीं॥*

रामचरित मानस : उत्तरकांड।

मानव शरीर मिलने का उद्देश्य विषयभोग नहीं है, स्वर्ग का भोग भी थोड़ा लगता है और अंत में दुःख देने लगता है। अतः यदि मनुष्य शरीर पाकर भी विषयों में मन लगाने वाले, किसी मूर्ख के समान अमृत के बदले विष लेने के समान है।

The cause to the human birth is not to be indulged in material things/ pleasures, even pleasure of heaven may seem insufficient and later caused sufferings only. Hence if a human indulge in material things/ pleasures is like a fool who takes venom against nector.

*मिला मनुज तन गर्व करें हम,*
*विषय भोग में क्यों उलझें हम,*
*सत्कर्मों में व्यस्त रहें हम,*
*यह उद्देश्य पूर्ण करें हम।*

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Friday, June 24, 2022

स्वभाव

*स्वभावं न जहात्येव साधुरापदतोsपि  सन्*
*कर्पूरः पावकस्पृस्तिः सौरभं लभतेतराम् ।*

सज्जन व्यक्ति अपना नैसर्गिक अच्छा स्वभाव किसी बडी आपदा के उपस्थित होने पर भी उसी प्रकार नहीं त्यागते जैसा कि कपूर आग के संपर्क में आ कर जल जाने पर और भी अधिक सुगन्ध देने लगता है।

Noble persons do not shed their inherent good nature even while facing a calamity just like the Camphor, which on coming into contact with fire and while burning emits even more fragrance.

स्वस्थ रहें हम व्यस्त रहें हम,
*श्रेष्ठ बनें मानव बन जाएँ।*

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Monday, June 20, 2022

योग दिवस

*सुनहु उमा ते लोग अभागी।*
*हरि तजि होहिं बिषय अनुरागी॥*
रामचरित मानस : अरण्यकांड।

गोस्वामी तुलसीदास जी ने भगवान शिव के माध्यम से कहा;, हे पार्वती ! सुनो, वे लोग अभागे हैं, जो ईश्वर को छोड़कर विषयों से अनुराग करते हैं।

Goswami Tulsidas ji told through Lord Shiva, O Parvati! Listen, those people are unfortunate, who love worldly things other than God.

*योग करें हम, योग करें हम,*
*स्वस्थ रहें हम, स्वस्थ रहें हम।*

आज 8वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आएँ योग द्वारा एक स्वस्थ जीवन का संकल्प लें।

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Friday, June 17, 2022

क्रोध

*क्रोधः सुदुर्जयः शत्रुः लोभो व्याधिरनन्तकः।।*

मनुष्य के स्वभाव में क्रोध एक ऐसे शत्रु के समान है जिस पर विजय प्राप्त करना बहुत कठिन होता है, तथा लोभ एक कभी दूर न होने वाली बीमारी के समान होता है।

Anger in a person is like an enemy very difficult to conquer or overcome, and greed is like an endless disease.

*क्रोध लोभ से बचना है,*
*योग नित्य ही करना है,*
*स्वस्थ हमेशा रहना है,*
*सदा सुखी अब बनना है।*

8वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में 3 दिन शेष हैं।

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