Friday, July 10, 2020

दुर्वचन

*आवत गारी एक है, उलटन होय अनेक।*
*कह कबीर नहिं उलटिये, वही एक की एक॥*

अगर गाली अथवा दुर्वचन के प्रतिउत्तर में गाली ही दी जाए, तो गालियों की संख्या एक से बढ़कर अनेक हो जाती है। संत कबीर दास कहते हैं कि यदि गाली को पलटा न जाए अर्थात गाली का प्रतिउत्तर गाली से न दिया जाए, तो वह गाली एक ही रहेगी।

If we abuse to answer the abuse, then only abusive language increases. But if abuse is not to be reversed or answered by abusing then it will not multiply.

*कहें नहीं कुछ भला नहीं जो,*
*कहें नहीं जो ठीक लगे तो।*

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उद्धार

*पार्थ नैवेह नामुत्र विनाशस्तस्य विद्यते।*
*न हि कल्याणकृत्कश्चिद्दुर्गतिं तात गच्छति।।*
गीता : अध्याय ६, श्लोक ४०।

हे पार्थ! स्वयं के उद्धार एवं उत्थान हेतु अर्थात् परम की प्राप्ति हेतु कर्म करने वाला मनुष्य दुर्गति को प्राप्त नहीं होता।
उस पुरुष का न तो इस लोक में नाश होता है और न परलोक में ही। 

Dear Arjuna, who strives for self-redemption (i.e., God-realization, there is no fall for him either here or hereafter, never meets with evil destiny. 

*हम अपना उत्थान करें,*
*औरों का भी ध्यान करें,*
*स्वहित जाँचें परहित देखें,*
*स्व का सब का मान करें।*

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