Thursday, September 10, 2020

महापुरुषों का साथ

*महाजनस्य संसर्गः, कस्य नोन्नतिकारकः।*
*पद्मपत्रस्थितं तोयम्, धत्ते मुक्ताफलश्रियम् ॥*

महापुरुषों का सामीप्य किसके लिए लाभदायक नहीं होता?
कमल के पत्ते पर पड़ी हुई पानी की बूँद भी मोती जैसी शोभा प्राप्त कर लेती है।

For whom is the company of great people not beneficial? Even a water droplet when on lotus petal, shines like a pearl.

शुभ दिन हो।

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निकटता

*माभूत्सज्जनयोगो  यदि  योगो मा पुनः स्नेहो,*
*स्नेहो यदि विरहो मा यदि विरहो जीविता आशा का।*

सज्जन व्यक्तियों से अति निकटता मत करो, और उनसे स्नेह होने पर सम्बन्ध विच्छेद न करो, क्योंकि यदि ऐसा हो जाए तो फिर जीवित रहने की आशा करना व्यर्थ है।

दुष्ट और सज्जन व्यक्तियों की तुलना करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी कहा है कि -
*मिलत एक दारुण दुःख देहीं।*
 *विछुरत एक प्राण हर लेहीं।*

One should not have close association with noble and righteous persons, and if perchance this happens do not develop affection with them.  However, if love and affection is developed, it should be ensured that there is no parting away or separation, because then what is the use of remaining alive.

शुभ दिन हो।

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