Saturday, March 20, 2021

मनुष्य

*इहलोके हि धनिनां परोअपि स्वजनायते।*
*स्वजनास्तु दरिद्राणां जीवितामेव नश्यति।।*

इस संसार में धनवान व्यक्तियों से अनजान व्यक्ति भी ऐसा सम्मान युक्त और मृदुल व्यवहार करते हैं कि जैसे वे उनके निकट सम्बन्धी हों। इसके विपरीत दरिद्र अथवा विपन्न व्यक्तियों के निकट संबन्धी भी उनसे ऐसा व्यवहार करते हैं मानो वे जीते जी मर चुके हों।

In this world rich persons are treated by unknown persons with courtesy and respect as if they are close relatives. Whereas in the case of poor people, even their close relatives treat them as if they are no more alive.

मानव रब की उत्तम रचना,
मानव से ही नाता रखना,
धन माया सब आनी जानी,
पहले सीखें मानव बनना।

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