Friday, October 4, 2019

जय माँ

*संत विटप सरिता, गिरि धरनी।*
*पर हित हेतु सबन्ह कै करनी।।*

परहित को अपनाने हेतु तुलसीदास जी प्रकृति के समस्त सोपानों का उल्लेख करते हुए बताते हैं कि नदियाँ, पर्वत, पृथ्वी, वृक्ष एवं संत सदैव परोपकार में कर्मरत रहते हैं।

All the natural aspects like mountains, earth, rivers, trees along with noble persons do for others only.

*सप्तम नवरात्रि पर माँ के कालरात्रि स्वरूप को नमन*

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