लल्लन की कलम से ...............
Thursday, October 28, 2021
जय माँ
*अपवक्ता हृदयाविजश्चित्।* (ऋग्वेद 1/24/8)
उन सभी कुत्सित विचारों को त्याग दीजिये जो आत्मा को कष्ट दे अथवा नष्ट कर दे।
Abandon all sorrowful thoughts which may trouble or destroy the soul.
*हम ईश्वर की संतानें,*
*नित्य स्वयं को पहचानें।*
स्वस्थ रहें।
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
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