सावन 2021
25 जुलाई से 22 अगस्त तक रहेगा सावन, पहले सोमवार को करें बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक
जानें विधि विधान से पूजन के बारे में
सावन में चार सोमवार पड़ रहे हैं। प्रथम सोमवार 26 जुलाई, द्वितीय सोमवार 2 अगस्त, तृतीय सोमवार 9 अगस्त एवं चतुर्थ सोमवार 16 अगस्त को है। संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत 27 जुलाई मंगलवार को, नाग पंचमी 28 जुलाई बुधवार, कामदा एकादशी व्रत चार अगस्त बुधवार को है।
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वाराणसी। भगवान शिव को समर्पित श्रावण मास में व्रत, दर्शन और पूजन से सभी मनोरथ पूर्ण होंगे। सावन में इस बार चार सोमवार पड़ रहे हैं और इसमें भगवान शिव का विशेष पूजन अनुष्ठान व्रत करने का विशेष फल मिलता है। श्रावण मास रविवार से शुरू होकर रविवार को ही समाप्त हो रहा है। सावन 25 जुलाई से आरंभ होकर 22 अगस्त तक रहेगा।
ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि भगवान शिव के दर्शन पूजन, अर्चना एवं व्रत से जीवन में सर्व संकटों के निवारण के साथ अभीष्ट की प्राप्ति होती है। सावन में चार सोमवार पड़ रहे हैं। प्रथम सोमवार 26 जुलाई, द्वितीय सोमवार 2 अगस्त, तृतीय सोमवार 9 अगस्त एवं चतुर्थ सोमवार 16 अगस्त को है। संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत 27 जुलाई मंगलवार को, नाग पंचमी 28 जुलाई बुधवार, कामदा एकादशी व्रत चार अगस्त बुधवार को है। शिवजी की प्रसन्नता के लिए किए जाने वाला प्रदोष व्रत 5 अगस्त गुरुवार तथा 20 अगस्त शुक्रवार को रखा जाएगा।
महाशिवरात्रि भी इस बार 6 अगस्त शुक्रवार को पड़ रही है। इसके अतिरिक्त हरियाली अमावस्या 8 अगस्त रविवार को है। इन दिनों शिव भक्त भगवान शिव का विशेष दर्शन पूजन एवं व्रत रखकर मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं। नाग पंचमी 13 अगस्त शुक्रवार को मनाई जाएगी तथा इस मास का प्रमुख पर्व रक्षाबंधन 22 अगस्त रविवार को हर्षोल्लास के साथ मनेगा।
काशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री ज्योतिषाचार्य पं. दीपक मालवीय ने बताया कि श्रद्धालुओं को शिव कृपा प्राप्त करने के लिए प्रात: काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सायं काल प्रदोष काल में भगवान शिव की पंचोपचार व षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए भगवान शिव को प्रिय धतूरा, बेल पत्र, मदार की माला, भांग, ऋ तु फल, दूध, दही, चीनी, मिश्री, मिष्ठान आदि अर्पित करना चाहिए। भगवान शिव की महिमा में शिव मंत्र, शिव स्तोत्र, शिव चालीसा, शिव साधना एवं शिव महिमा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। शिवपुराण में वर्णित मंत्र को विशेष फलदायी माना गया है।
पार्थिव शिवलिंग का करें पूजन
ज्योतिषाचार्य पं. जैन ने बताया कि सावन में मंत्र ऊं नम: शिवाय शुभम शुभम कुरु कुरु शिवाय नम: ओम या ऊं नम: शिवाय का अधिकतम संख्या में जप करना चाहिए। श्रावण मास में शिव जी की कृपा प्राप्त करने के लिए नित्य प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधि विधान पूर्वक उनकी पूजा करनी चाहिए। आरोग्य सुख एवं व्याधियों की निवृत्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। आर्थिक समृद्धि के लिए शिव स्तोत्र का पाठ साथ ही शिवजी का गन्ने के रस से अभिषेक करना चाहिए। कुंवारी कन्याओं को वर की प्राप्ति के लिए श्रावण मास में प्रत्येक सोमवार का व्रत करना चाहिए और शिव जी का दूध से अभिषेक करना चाहिए।
प्रदोष एवं चतुर्दशी व्रत है फलदायी
सोमवार, प्रदोष एवं शिव चतुर्दशी व्रत रखना विशेष फलदायी रहता है। जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प योग है उन्हें नाग पंचमी के दिन शिव पूजा करके नाग नागिन का जोड़ा शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए। जिन्हें जन्म कुंडली के मुताबिक शनि ग्रह की महादशा अंतर्दशा और प्रत्यंतर दशा चल रही हो उन्हें शनि ग्रह की साढ़ेसाती या ढैया हो उन्हें श्रावण मास में विधि विधान पूर्वक व्रत उपवास रखकर भगवान शिव की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
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