रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने शक्ति स्वरूपा नारी को नमन करते हुए कहा है:
*उद्भवस्थितिसंहारकारिणी क्लेशहरिणीम्।*
*सर्वश्रेयस्कारीं सीता नतोऽहं रामवल्लभाम्।।*
उत्पत्ति, स्थिति (पालन) और संहार करने वाली, क्लेशों को हरने वाली तथा समस्त कल्याणों को करने वाली स्वयम् भगवन को प्रिय नारी शक्ति को मैं नमन करता हूँ।
I salute the woman, symbol of power of creation, adherence and destruction, defeating afflictions and doing all the welfare. At last GOD's love, o woman! I bow myself to you.
अपने जीवनसाथी की स्वस्थ एवं दीर्घ जीवन हेतु एक नारी निर्जल कठोर तप करती है, आज *करवा चौथ* व्रतधारी सभी नारियों की मनोकामना माँ भवानी पूर्ण करे एवं उन्हें भी स्वस्थ एवं दीर्घ जीवन प्रदान करें।
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