Tuesday, September 29, 2020

सुख दुःख

*सुखमापतितं सेव्यं दु:खमापतितं तथा।*
*चक्रवत् परिवर्तन्ते दु:खानि च सुखानि च॥*

जीवन में आने वाले सुख का आनन्द लें तथा दु:ख को भी स्वीकार करें।
सुख और दु:ख एक के बाद एक चक्रवत आते रहते हैं।

We should accept sorrow in life as well as joyous moments. Sorrow and Joy both are inevitable and come turn by turn.

सुख दुख दोनों बहते रहते, अविरल समय प्रवाहों में,
सुख है दुःख की गोदी में,
दुःख है सुख की बाहों में।

स्वस्थ रहें।

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼