Sunday, October 27, 2019

मानवता

*अश्विभ्यां प्रात: सवनमिन्द्रेणैन्द्रं माध्यन्दिनम्।*
*वैश्वदेवं सरस्वत्या तृतीयमाप्तं सवनम्॥*

हम मानवता को बढ़ाने वाले बनें। प्रातःकाल हो, मध्य दिन अथवा सन्ध्या हो, हम सदैव मानवता और शान्ति के लिए कर्म करते रहें।

We should be the benefactors of humanity. Be it morning or midday or evening, we should work for the sake of universal peace and happiness.

*पञ्च दिवसीय महापर्व के चतुर्थ दिवस गोवर्धन पूजा, अन्नकूट महोत्सव एवं नूतन वर्षारम्भ की अशेष शुभकामनाएँ।*

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