Sunday, February 2, 2020

सज्जनता

*जग बहु नर सर सरि सम भाई।*
*जे निज बाढ़ि बढ़हि जल पाई॥*
*सज्जन सकृत सिंधु सम कोई।* 
*देखि पूर बिधु बाढ़इ जोई॥*
रामचरित मानस : बालकाण्ड

In this world the most of the people are as of ponds and rivers which please while they get more. But very few are like the sea which high tides to see the full moon means become happy to see others prosperity.

इस जगत में तालाबों और नदियों के समान जल पाकर अपनी ही बाढ़ से बढ़ने वाले मनुष्यों की संख्या ही अधिक है, अर्थात्‌ अपनी ही उन्नति से प्रसन्न होने वाले अधिक हैं।
समुद्र के जैसा चन्द्रमा को पूर्ण देखकर, अर्थात दूसरों का उत्कर्ष देखकर उमड़ पड़ने वाला तो कोई एक बिरला ही सज्जन होता है।

ईर्ष्या से बचें, सज्जन बनें।

शुभ दिन हो।

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