Thursday, February 13, 2020

अभ्यास

*जलबिन्दुनिपातेन क्रमश: पूर्यते घट:।* 
*स हेतु: सर्वविद्यानां धर्मस्य च धनस्य च॥*

पानी की एक एक बूंद भी निरंतर गिरने से घड़ा भर जाता है, उसी प्रकार धीरे धीरे अभ्यास करने से सब विद्याओं की प्राप्ति हो जाती है, एवम् थोड़ा थोड़ा करके ही धर्म और धन का संचय भी हो जाता है।

A pot is filled by tiny drops of water pouring regularly in it.
Similarly, regular little efforts make a person learned, wealthy and blissful.

निरंतर प्रयास करें।

शुभ दिन हो।

🌺🌹💐🙏🏼