Thursday, January 30, 2020

बुद्धिमत्ता

*न ही कश्चित् विजानाति किं कस्य श्वो भविष्यति।*
*अतः श्वः करणीयानि कुर्यादद्यैव बुद्धिमान्॥*

कल क्या होगा यह कोई नहीं जानता है इसलिए कल के करने योग्य कार्य को आज कर लेने वाला ही बुद्धिमान है।

No one knows what is going to happen tomorrow. So doing all of tomorrow's task today is a signature of wise.

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏼

Wednesday, January 29, 2020

मन

*केवलं ग्रह नक्षत्रं न करोति शुभाशुभं।*
*सर्वमात्रकृतं कर्मं लोकवादो ग्रहा इति।।*

किसी व्यक्ति के जीवन में शुभ और अशुभ घटनाएँ उसके द्वारा किये हुए कर्मों से होती हैं और केवल ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव से नहीं होती हैं।
समाज में व्याप्त यह एक गलत धारणा मात्र है।

रामचरितमानस में भी गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है: 

*कादर मन कहुँ एक अधारा।*
*दैव दैव आलसी पुकारा।।*

यह दैव तो कायर के मन का एक आधार (तसल्ली देने का उपाय) है। आलसी लोग ही दैव-दैव पुकारा करते हैं।

Auspicious and inauspicious events in the life of men occur due to their actions and not simply due to influence of planets and stars as is the wrong perception in the society.
We should not leave every thing to the fate but perform virtuous deeds in our life.

शुभ दिन हो।

🌻🌹💐🙏🏼

Monday, January 27, 2020

कर्म

*कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।*
*मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि।।*
गीता : अध्याय 2 श्लोक 47

*निज कर क्रिया रहीम कहि, सिधि भावी के हाथ। *
*पांसे अपने हाथ में, दांव न अपने हाथ॥*

मनुष्य का अधिकार केवल कर्म करने में ही है, उसके परिणामों में कभी नहीं। 
अतः हम कर्मों के परिणाम का हेतु न बनें तथा हमारी कर्म न करने में भी आसक्ति न हो।

A MAN has right to work only, but never to the result thereof. 
So be not instrumental in making our actions bear results, nor let our attachment be to inaction.

शुभ दिन हो।

🌸💐🌹🙏🏼

Sunday, January 26, 2020

मनुष्य शरीर

*नर तन सम नहिं कवनिउ देही। जीव चराचर जाचत तेही॥*
*नरक स्वर्ग अपबर्ग निसेनी। ग्यान बिराग भगति सुभ देनी॥*

तुलसीदास जी ने मनुष्य जन्म को श्रेष्ठ बताते हुए कहा है कि मनुष्य शरीर के समान कोई शरीर नहीं है। चर-अचर सभी जीव उसकी याचना करते हैं। यह मनुष्य शरीर ही  नरक, स्वर्ग और मोक्ष की सीढ़ी है तथा कल्याणकारी ज्ञान, वैराग्य और भक्ति को देने वाला है॥

No creature is like human body. All creatures crave for him. This human body can take to hell, heaven or salvation, and gives wellness, knowledge, mortification and devotion.

स्वस्थ बनें।

शुभ दिन हो।

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Saturday, January 25, 2020

मातृभूमि

*नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम्।*
*महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते।।*

हे वात्सल्य से पूर्ण मातृभूमि!  हम सभी के सुखों में निरन्तर वृद्धि करने वाली, हे हिन्दभूमि! आपको सदैव नमन है।
हे महामंगलमयी पुण्यभूमि! आपके ही कार्य में मेरा यह शरीर अर्पण हो। आपको बारम्बार नमन है, नमन है।

O loving motherland! You increase constantly our happiness, O Indian land! I always salute you.
O virtuous land! May this body be offered in your work only. I bow myself to you. Salute to you.

देश के 71 वें गणतन्त्र दिवस पर आएँ इस महान भूमि का हृदय से वंदन करें एवं राष्ट्रहित सङ्कल्पित होवें।

*शुभकामनाएँ*

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Thursday, January 23, 2020

फल

*आदेयस्य प्रदेयस्य कर्तव्यस्य च कर्मण:।*
*क्षिप्रमक्रियमाणस्य काल: पिबति तद्रसम्॥*

समय एवं परिस्थिति के अनुसार कर्म करना हमारा कर्तव्य है। समय पर नहीं किये गये कार्य का फल समय स्वयं नष्ट कर देता है।

To act as per situation and time is necessary. The work done not on time, does not give any result.

शुभ दिन हो।

🌸💐🌹🙏🏼

Wednesday, January 22, 2020

हरि विमुख

*तजौ मन, हरि बिमुखन कौ संग।*
*जिनकै संग कुमति उपजत है, परत भजन में भंग।*

सूरदास जी ने हरि विमुख अर्थात् जो अपने कर्तव्य, धर्म एवं स्वयं से विमुख हो का साथ छोड़ने की सलाह देते हुए लिखा है कि ऐसे व्यक्तियों के साथ से कुमति (दुर्बुद्धि) उत्पन्न होती है जो हमें अपने कर्तव्य एवं धर्म से विमुख करती है।

We should leave the company of such persons who are deviated from there duties, self and religion, as it makes us also deviated from our duties and religion.

शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏼

Tuesday, January 21, 2020

अहंकार का त्याग

*सधन सगुन सधरम सगन सबल सुसाइँ महीप।*
*तुलसी जे अभिमान बिनु ते तिभुवन के दीप।*

तुलसीदास जी ने बहुत ही सीधे शब्दों में धनवान, गुणवान, धर्मवान, बलवान, और सर्वप्रिय राजा से भी श्रेष्ठ, तीनों लोकों में प्रकाशित होने वाला, _निरभिमान_ (अर्थात् जिसमें अहंकार न हो) को बताया है।

The person without arrogance is better than a rich, intelligent, spiritual, popular or even a king.

अहंकार को त्यागें।

शुभ दिन हो।

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Monday, January 20, 2020

श्री राम

*तृषा जाइ बरु मृगजल पाना।* *बरु जामहिं सस सीस बिषाना।*
*अंधकारु बरु रबिहि नसावै।*
*राम बिमुख न जीव सुख पावै॥*
रामचरितमानस : उत्तर काण्ड।

तुलसीदास जी ने परम् तत्व से विमुख होकर सुखी होना नितान्त असम्भव कहा है चाहे नाना प्रकार के असम्भव कार्यों के होने की सम्भावना हो। यथा मरीचिका (मृगतृष्णा) के जल को पीने से भले ही प्यास बुझ जाए, खरगोश के सिर पर भले ही सींग निकल आवे, अन्धकार भले ही सूर्य का नाश कर दे, परन्तु श्री राम से परमतत्व से विमुख होकर जीव सुख नहीं पा सकता।

Even thirst can be satisfied with water from Miraz, a hare can get thrones on its head, dark can destroy the Sun, But no one can get pleasure being against the path of God.

शुभ दिन हो।

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Sunday, January 19, 2020

परमात्मा का सुमिरन

*बारि मथें घृत होइ बरु सिकता ते बरु तेल।*
*बिनु हरि भजन न तव तरिअ यह सिद्धांत अपेल॥*
रामचरितमानस : उत्तर काण्ड।

जल को मथने से भले ही घी उत्पन्न हो जाए और बालू (को पेरने) से भले ही तेल निकल आए, परन्तु परमात्मा के सुमिरन के बिना संसार रूपी सागर से नहीं तरा जा सकता, यह सिद्धांत अटल है॥

Even butter can be produced by churning water and the oil can be abstracted from sand, But being not on the path of God, one can not distract from the attraction of this world. This theory is unattainable.

शुभ दिन हो।

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Thursday, January 16, 2020

चाटुकार मित्र

*आगें कह मृदु बचन बनाई।*
*पाछें अनहित मन कुटिलाई॥*
*जाकर ‍चित अहि गति सम भाई।* 
*अस कुमित्र परिहरेहिं भलाई॥*
रामचरित मानस : अरण्य काण्ड।।

मित्र की विशेषताएँ बताते हुए प्रभु श्री राम कुछ मित्रों से दूर रहने की सीख देते हुए कहते हैं कि,
जो सामने तो बना-बनाकर कोमल वचन कहता है और पीठ-पीछे बुराई करता है तथा मन में कुटिलता रखता है- हे भाई! जिसका मन साँप की चाल के समान टेढ़ा है, ऐसे कुमित्र को तो त्यागने में ही भलाई है।

The one who praise with gentle speech before us and vomits venom behind our back and has a crooked mind. Such friends, whose mind is crooked like a snake, it is better to abandon that friend.

चाटुकार मित्रों से बचें।

शुभ दिन हो।

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Tuesday, January 14, 2020

मकर संक्रांति

*गुणः सर्वत्र पूज्यन्ते न महत्योऽपि सम्पदः।*

गुणों की सर्वत्र पूजा होती है, सम्पत्ति का महत्त्व गौण है।

Virtues are admired everywhere, Wealth is secondary.

*सूर्य देवता के उत्तर पथ पर गतिमान होने के पर्व मकर संक्रांति, उत्तरायण * की सभी को हृदय से शुभकामनाएँ।

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Sunday, January 12, 2020

सत्कर्म

*कबिरा सो धन संचिये, जो आगे को होय।*                                                                    *सीस चढ़ाए पोटली, जात न देख्यो कोय।।*

कबीर कहते हैं कि उस धन का संचय करो जो भविष्य में अर्थात इहलोक में भी काम आये क्योंकि मृत्यु के पश्चात सर पर धन की गठरी बाँध कर ले जाते तो किसी को नहीं देखा।

One should collect the wealth of good deeds which can be used after death also as no body can take this physical wealth with him to another world.

सत्कर्म संचित करें।

शुभ दिन हो।

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राष्ट्रीय युवा दिवस

ब्रह्माण्ड की समस्त शक्तियाँ हमारे पास है। ये विडम्बना है कि हम अपने हाथों से अपनी आँखों को बंद कर अंधकार का प्रलाप करते हैं।

All the powers in the universe are already ours. It is we who have put our hands before our eyes and cry that it is dark.

स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन एवं *राष्ट्रीय युवा दिवस* पर संकल्प लें:

*उठें, जागे और रुके नहीं जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो।*

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Thursday, January 9, 2020

पापकर्म

*अधर्मेणैधते  तावत्ततो  भद्राणि  पश्यति।*
*ततः सपत्नाञ्जयति समूलस्तु विनश्यति।।"*
                                          
कभी कभी पापकर्म में लिप्त रहने पर भी थोड़े समय के लिए लोग समृद्ध और सुखी हो जाते हैं और उनके शत्रु भी पराजित हो जाते हैं। परन्तु अन्ततः वह पापकर्म करने वाला भी समूल नष्ट हो जाता है।

Sometimes persons engaged in sinful deeds also become prosperous and happy for a short period, are able to conquer their enemies. But ultimately such persons are annihilated.

शुभ दिन हो।

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Wednesday, January 8, 2020

लक्ष्य

*रत्नैर्महाब्धे:  तुतुषुर्न  देवाः न  भेजिरे  भीमविषेन  भीतिम्।*
*सुधां विना न प्रययुर्विरामं न निश्चितार्थाद्विस्मरन्ति धीराः।।*
                                                
समुद्र मन्थन द्वारा अनेक रत्नों को प्राप्त कर के भी देवगण संतुष्ट नहीं हुए और भयङ्कर कालकूट विष के प्रकट होने पर भी न तो भयभीत हुए और न निरुत्साहित हुए। उन्होंने अपने प्रयासों को तब तक विराम नहीं दिया जब तक कि उन्हें *अमृत* की प्राप्ति नहीं हो गयी। 

सचमुच दृढ निश्चय वाले और वीर व्यक्ति अपने उद्देश्य और लक्ष्य को कभी भी नहीं भूलते हैं।

During the course of churning of the Ocean by the Gods, they were not satisfied after getting many jewels, nor they were deterred and afraid when the awesome poison 'Kaalkoot' came out of the depth of the Ocean and they did not stop their endeavour, until they got 'Amruta' _the divine nectar_. 

It is true that brave and strong minded persons never forget their objective and the goal.

शुभ दिन हो।

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Saturday, January 4, 2020

परमतत्व

*यच्चापि सर्वभूतानां बीजं तदहमर्जुन।*
*न तदस्ति विना यत्स्यान्मया भूतं चराचरम् ।।*
गीता : अध्याय १०, श्लोक ३९।
परमतत्व की व्यापकता को समझाते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं,

और हे अर्जुन! जो सब भूतों (प्रत्येक जीव) की उत्पत्ति का कारण है, वह भी मैं ही हूँ, क्योंकि ऐसा चर और अचर कोई भी नहीं है, जो मुझसे रहित हो।

Arjuna! I am even that which is the seed of all life, as there is no creature, moving or inert, which exists without Me.

कण कण में व्याप्त परमतत्व को अनुभव करें।

शुभ दिन हो।

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Friday, January 3, 2020

आदि एवं अंत

*अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थित:।*
*अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च।* 

गीता : अध्याय 10, श्लोक 20

गीता के अध्यायों में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं अर्थात परमतत्व के विराट स्वरूप के बारे में अर्जुन को विस्तार से बताते हुए कहते हैं,

हे अर्जुन! मैं सब भूतों (नश्वर शरीरों) के हृदय में स्थित सबका आत्मा हूँ तथा सम्पूर्ण भूतों (घटनाओं) का आदि (प्रारम्भ), मध्य और अन्त भी मैं ही हूँ।

Arjuna! I am the Self, seated in the hearts of all creatures. I am the beginning, the middle and the end of all beings.

परमतत्व को समझें।

शुभ दिन हो।

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