Monday, October 12, 2020

मधुर वचन

*दातृत्वं प्रियवक्तृत्वं धीरत्वमुचितज्ञता।*
*अभ्यासेन न लभ्यन्ते चत्वार: सहजा गुणा:।।*

दान देने की इच्छा, मधुर वचन बोलना, सहनशीलता और उचित-अनुचित का ज्ञान- ये चार बातें मनुष्यों में सहज स्वभाव से ही होती है, इन्हें अभ्यास से प्राप्त नहीं किया जा सकता।

Willingness to donate, speak sweet words, tolerance and knowledge to distinguish proper and inappropriate - these four things happen in human by nature only, they cannot be achieved through practice.

यदि मिला है मानव का तन,
कर लें प्रभु का थोड़ा सुमिरन,
स्वस्थ रहें खुश रखें यह मन,
होगा सार्थक अपना जीवन।

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻