Thursday, November 4, 2021

गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं

*अब कुसल कौसलनाथ आरत जानि जन दरसन दियो।*
*बूड़त बिरह बारीस किरपानिधान मोहि कर गहि लियो॥*
रामचरित मानस : लंकाकांड।

(भगवान राम के वनवास से लौटने पर भरत ने कहा-) हे कोसलनाथ! आपने दुःखी जानकर मुझ दास को दर्शन दिये, जिससे अब मैं कुशल हूँ। इस विरह सागर में डूबते हुए को आपने हाथ पकड़कर बचा लिया॥

(On the return of Lord Ram from exile, Bharat said) O Kosalnath! Knowing my grief, you came and meet me, now I am well. You saved me by holding my hand while drowning in this parting ocean.

 हम भगवान राम के आगमन को अनुभव करते हुए अपने सभी दुःखों से मुक्त हों, स्वस्थ हों, यही शुभेच्छा।

गोवर्धन पूजा एवं अन्नकूट महोत्सव की शुभेच्छाएँ।

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