Friday, May 7, 2021

माँ

*उपाध्यायात् दश आचार्यः आचार्याणां शतं पिता।*
*सहस्रं तु पित्रन् माता गौरवेण अतिरिच्यते।।*

शिक्षा और ज्ञान प्रदान करने में आचार्य, सामान्य शिक्षकों से दस गुणा श्रेष्ठ होता है और एक सौ आचार्यों से भी श्रेष्ठ एक पिता होता है। परन्तु एक माता श्रेष्ठता और सम्मान में पिता से भी हजार गुणा श्रेष्ठ होती है।

समस्त प्राणिमात्र में जन्मदात्री माता द्वारा अपनी संतान को शिक्षित करने और पालने पोसने में किया गया योगदान, अन्य व्यक्तियों के योगदान से हजारों गुणा महत्त्वपूर्ण है।

In respect of training and providing education professor is ten times superior than a primary level teacher, and the father is hundred times superior than the Professor, But the Mother is thousand times superior and respectable than the father.

The role of a mother in upbringing the child and in educating him, is thousand times better than other means.

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रबिन्द्रनाथ टैगोर

हम यह प्रार्थना न करें कि समस्या न आएँ वरन् यह प्रार्थना करें कि हम उनका सामना निडरता से करें।
- रबीन्द्रनाथ टैगोर।

Let us not pray that there will be no  problem but ought to pray that we face them fearlessly and bravely.
- Rabindra Nath Tagore.

आएँ आज रबीन्द्रनाथ जी की जयंती पर उनके इसी विचार को समझते हुए इस कोरोना नामक समस्या से पूरे मनोयोग से लड़ने हेतु सङ्कल्प लें।

*क्यों हम चाहें सुख का जीवन,*
*बिन अवरोध समस्या जीवन,*
*मन में ये सङ्कल्प सदा हो,*
*निर्भय हों, हो जैसा जीवन।*

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