Saturday, September 28, 2019

जय माता दी

*रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।*

माँ आदि शक्ति से प्रार्थना:
हमें आध्यात्मिक रूप प्रदान कीजिये,
आध्यात्मिक विजय प्रदान कीजिये,
आध्यात्मिक यश प्रदान कीजिये एवं हमारे अंतस की बुराइयों को मिटा दीजिये।

Grant us Spiritual Beauty,
Grant us Spiritual Victory, Grant us Spiritual Glory and Please Destroy our Inner Enemies.

*शक्ति संचयन के महापर्व शारदीय नौरात्रि में माँ आदिशक्ति के नौ स्वरूपों का पूजन अर्चन कर हम अपनी शक्तियों को संचित करें।*

*माँ के प्रथम रूप शैलपुत्री स्वरूप को नमन।*

*राम राज्य एवं आदर्श समाजवाद के प्रणेता अग्रसेन महाराज की जयन्ती की भी अशेष शुभकामनाएँ।*

कर्म

*केवलं ग्रह नक्षत्रं न करोति शुभाशुभं।*
*सर्वमात्रकृतं कर्मं लोकवादो ग्रहा इति।।*

किसी व्यक्ति के जीवन में शुभ और अशुभ घटनाएँ उसके द्वारा किये हुए कर्मों से होती हैं और केवल ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव से नहीं होती हैं।
समाज में व्याप्त यह एक गलत धारणा मात्र है।

रामचरितमानस में भी गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है:

*कादर मन कहुँ एक अधारा।*
*दैव दैव आलसी पुकारा।।*

यह दैव तो कायर के मन का एक आधार (तसल्ली देने का उपाय) है। आलसी लोग ही दैव-दैव पुकारा करते हैं।

Auspicious and inauspicious events in the life of men occur due to their actions and not simply due to influence of planets and stars as is the wrong perception in the society.
We should not leave every thing to the fate but perform virtuous deeds in our life.