Friday, December 25, 2020

प्रभु प्राप्ति

*यत्र योगेश्वर: कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धर:,*
*तत्र श्रीर्विजयो भूतिध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।*

गीता : अध्याय १८: श्लोक ७८।

गीता का अंतिम श्लोक सम्पूर्ण सार बताता है:
जहाँ योगेश्वर भगवान् श्री कृष्ण (परम सत्ता) हैं और जहाँ गाण्डीव-धनुषधारी अर्जुन (पूर्ण समर्पित कर्ता) हैं, वहीं पर श्री, विजय, विभूति और अचल नीति है- ऐसा मेरा मत है।

The last verse of _GEETA_ tells the essence : Wherever there is Shree Krishna, the Lord of all Yog (Almighty) and wherever there is Arjun (a dedicated doer), the supreme archer, there will certainly be unending opulence, victory, prosperity, and righteousness.

*हों अर्जुन सम पूर्ण समर्पित,*
*कृष्ण मिलेंगें है यह निश्चित,*
*विजय विभूति श्री भी होगी,*
*संशय इसमें नहीं है किञ्चित।*

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