Thursday, December 29, 2022

गुरु गोविंद सिंह जयंती

*चिड़ियाँ नाल मैं बाज लड़ावाँ,* 
*गिदरां नुं मैं शेर बनावाँ,*
*सवा लाख से एक लड़ावाँ,*
*ताँ गोविंद सिंह नाम धरावाँ।*

Today on this auspicious day, the birth anniversary of *Guru Govind Singh*, we solemnly oath to be on the path of our duty.

आज पौष मास शुक्ल पक्ष सप्तमी को *गुरु गोविंद सिंह* की जयंती प्रकाश पर्व पर आएँ हम सब अपने धर्म पर अडिग रहने का संकल्प लें।

*धर्म प्रथम है जीवन में,*
*धर्म सदा हो हर मन में,*
*सीखें हम भी धर्म निभाना,*
*जब तक प्राण रहें तन में।*

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Thursday, November 24, 2022

हरी सुमिरन

*बारि मथें घृत होइ बरु सिकता ते बरु तेल।*
*बिनु हरि भजन न तव तरिअ यह सिद्धांत अपेल॥*
रामचरितमानस : उत्तर काण्ड।

जल को मथने से भले ही घी उत्पन्न हो जाए और भूसे से भले ही तेल निकल आए, परन्तु परमात्मा के सुमिरन के बिना संसार रूपी सागर से नहीं तरा जा सकता, यह सिद्धांत अटल है॥

Even butter can be produced by churning water and the oil can be abstracted from dry straws, But being not on the path of God, one can not distract from the attraction of this world. This theory is unattainable.

*एक परम को जान समझ लें,*
*और परम का सुमिरन कर लें,*
*भव सागर से हम तर जाएँ,*
*साथ परम के सब सुख पा लें।*

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Monday, November 7, 2022

कार्तिक पूर्णिमा

*जगत में झूठी देखी प्रीत।*
*अपने ही सुख सों सब लागे, क्या दारा क्या मीत॥*
*अंतकाल संगी नहिं कोऊ, यह अचरज की रीत॥*
*नानक भव-जल-पार परै जो गावै प्रभु के गीत॥*

कार्तिक पूर्णिमा, देव दीपावली, प्रकाश परब एवं *गुरु नानक देव* की जयंती पर आएँ हम अपने कर्तव्यों (धर्म) के प्रति सजग होने का संकल्प लें एवं दैवीय शक्तियों को स्वयं में अनुभव करें।

आज चंद्र ग्रहण में हम अधिकाधिक साधना करें, उत्सव न मनाएँ।

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Thursday, November 3, 2022

देव दीपावली

*त्रिकाल बिनता पुत्र प्रयाश तुलसी यदि।*
*विशिष्यते कायशुद्धिश्चान्द्रायण शतं बिना।।*
*तुलसी गंधमादाय यत्र गच्छन्ति: मारुत:।*
*दिशो दशश्च पूतास्तु: भूत ग्रामश्चतुर्विध:।।*

यदि सुबह, दोपहर और शाम को तुलसी का सेवन किया जाए तो उससे शरीर इतना शुद्ध हो जाता है, जितना अनेक चांद्रायण व्रत के बाद भी नहीं होता। तुलसी की गंध जितनी दूर तक जाती है, वहाँ तक का वातारण और निवास करने वाले जीव निरोगी और पवित्र हो जाते हैं।

*तुलसी का एक पौधा अपने घर में अवश्य लगाएँ।*

If one consumes _Tulsi_ three times (morning, afternoon and evening) a day her/his body will become more clean than it can be done by doing _Chandrayan Vrat_ (a very difficult fasting). All the living beings living in the environment where the aroma (smell) of Tulsi reaches, become healthy and holy.

*Please plant a _Tulsi_ at home.*

*देव प्रबोधिनी एकादशी (तुलसी विवाह) पर हम अपने सोये देवत्व को जागृत करें।*

*तुलसी को अपनाएँ हम,*
*तन मन स्वस्थ बनाएँ हम,*
*मानवता उर में भर लें,*
*अब देवत्व जगाएँ हम।*

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Sunday, October 30, 2022

जय छठ मैया

*छठी माई चहिहे न होई कवनो कमी,*
*घरवा में भरल रही अन्न धन लक्ष्मी।*

सूर्यवंशी भगवान श्री राम के अयोध्या आगमन के बाद राज्याभिषेक से पूर्व सूर्यषष्ठी पर किये गये तप को अनुभव करते हुए भगवान भास्कर की आराधना के इस महापर्व पर आज उगते हुए सूर्य की प्रथम किरण को अर्घ्य देते हुए छठ माता से इस लोक गीत की प्रार्थना को स्वीकार करने की प्रार्थना।

Experiencing the austerity performed on *Surya Shashti* by Suryavanshi Lord Shri Ram after arrival in Ayodhya before his coronation, on this great festival of worship of Lord Bhaskar, offering prayers to the first ray of rising sun today, We pray *Chhath Mata* to accept prayer of this folk song.

आज *राष्ट्रीय एकता दिवस* पर हम राष्ट्र की अखंडता एवं अक्षुण्णता हेतु संकल्पित हों।

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Saturday, October 29, 2022

जय छठ मैया

*ॐ सूर्य देवं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणा करं।*
*अर्घ्यं च फलं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतै युतम्।।*

हे सूर्य देव! हम आपको सुगंधित पुष्प फल माला अक्षत से परिपूरित पूर्ण श्रद्धा से अर्घ्य अर्पित करते हैं, आप इसे ग्रहण कर हम पर करुणा करो।

O Sun God! We offer you arghya with full devotion, complemented by fragrant flowers fruits garlands, kindly accept and bless us.

*सूर्योपासना के महापर्व सूर्य षष्ठी (छठ पूजा) पर आज अस्ताचलगामी सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देते हुए जीवन में इस विश्वास को दृढ़ करें कि अस्त हुआ सूर्य पुनः नयी आभा के साथ उदय होता है।*

छठी मैया सभी के जीवन में उल्लास एवं स्वास्थ्य भर दे।

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Monday, October 3, 2022

जय माँ

*सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।*
*सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।*

हे समस्त सिद्धियों को देने वाली माँ सिद्धिदात्री, आपको सिद्धगण, गंधर्व, यक्ष, सुर, असुर, इत्यादि पूजते हैं, आप हमारा पूजन भी स्वीकार करो एवं सभी सिद्धि प्रदान करो।

Goddess Siddhidatri who is worshipped by Siddha, Gandharva, Yaksh, Gods, Demons etc., holds Conch, Chakra, Gada and Lotus in her hands, giver of all siddhis and victory all over, be propitious to all.

On This Auspicious Occasion of Durga MahaNavami, May all  blessed with Prosperity, Happiness, Health, Wealth And Success.

आज महानवमी के इस अवसर पर माँ दुर्गा हम सभी की समस्त सदिच्छाओं को पूर्णता प्रदान करे।

*शक्ति भक्ति संचित की है,*
*माँ को पूजा अर्पित की है,*
*माँ पूजन सब स्वीकार करो,*
*माँ हम सबका उद्धार करो।*

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जय माँ

*श्वेते वृषे समारूढा, श्वेताम्बरधरा शुचि:।*
*महागौरी शुभं दद्यात्, महादेव प्रमोददा।।*

श्वेत बैल पर सवार, श्वेत वस्त्र धारण करने वाली, अत्यन्त पवित्र और महादेव को अपनी भक्ति से प्रसन्न करने वाली हे माँ महागौरी! हम सबका कल्याण करो।

O Maa Mahagauri, riding on a white bull, wearing white clothes, very pious and pleasing _Mahadev_ with thy devotion! Bless us all.

आज माँ आदि शक्ति के अष्टम स्वरूप महागौरी का पूजन।

*वृषारूढ़ हो आओ माँ, हम सबका कल्याण करो,*
*शक्ति भक्ति का वर दो माँ, यह पूजन स्वीकार करो।*

शक्ति पूजन करें।

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Saturday, October 1, 2022

जय माँ

*जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि।*
*जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तु ते।*
(अर्गला स्तोत्र)

हे देवि चामुण्डे! (चण्ड मुण्ड विनाशिनी) आपकी जय हो। समस्त प्राणियों की पीड़ा हरने वाली देवि! आपकी जय हो। हे सबमें व्याप्त रहने वाली देवि! आपकी जय हो। हे कालरात्रि ! आपको नमन करते हैं।


O Goddess Chamunde! (Chand Mund destroyer) Hail thee. O Goddess who removes the pain of all beings! Hail thee.
O Goddess who pervades all! Hail thee. 
O Kalratri! bows to you.

आज माँ आदिशक्ति के सप्तम स्वरूप कालरात्रि का पूजन अर्चन।

*रूप भयंकर धर आओ माँ,*
*सब कल्मष हर जाओ माँ।*

आज गाँधी जी एवं लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर हम सभी राष्ट्र को सर्वोच्च बनाने हेतु संकल्पित हों।

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Friday, September 30, 2022

जय माँ

*जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।*
*दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।*
(अर्गला स्रोत्र)

हे विजय देने वाली, मंगल करने वाली, भय हरने वाली, दुष्टों का संहार करने वाली, कल्याण करने वाली, करूणा रखने वाली, क्षमा देने वाली, सभी प्रकार के ऐश्वर्य प्रदान करने वाली माँ दुर्गा आपको नमन करते हैं।

O giver of victory, bestower of auspiciousness, remover of fear, destroyer of wicked, doer of welfare, having compassion, giving forgiveness, bestowing all kinds of opulences, Maa Durga bows to you.

आज माँ आदिशक्ति के छठे स्वरूप कात्यायनी का पूजन वंदन।

*माँ आओ कर सिंह सवारी,*
*दूर करो माँ विपदा सारी।*

शक्ति संचय करें।

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Thursday, September 29, 2022

जय माँ

*मत्समः पातकी नास्ति पापघ्नी त्वत्समा न हि।*
*एवं ज्ञात्वा महादेवि यथायोग्यं तथा कुरु॥*
देव्यपराधक्षमापन स्तोत्र : श्लोक 12।

हे महादेवी! मेरे समान कोई पातकी नहीं और आपके समान कोई पाप हरने वाली नहीं है, ऐसा जानकर आपसे मेरे हित में जो उचित हो करने की प्रार्थना करता हूँ।

O Great Goddess! There is no greater sinner than I am and no greater sin-destroyer as you, so, kindly do whatever you think proper for me।

आज पंचम नौरात्रि पर माँ जगदम्बा के स्कंदमाता स्वरूप को नमन।

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Wednesday, September 28, 2022

जय माँ

*न धैर्येण विना लक्ष्मी: न शौर्येण विना जयः।*
*न ज्ञानेन विना मोक्षो न दानेन विना यशः॥*

धैर्य के बिना धन, वीरता के बिना विजय, ज्ञान के बिना मोक्ष और दान के बिना यश प्राप्त नहीं होता है।

One can't achieve Wealth without Patience, 
Triumph without Velour, 
Salvation without Wisdom and 
Fame without Charity.

*आज चतुर्थ नौरात्र पर माँ के कूष्मांडा स्वरूप को नमन।*

शक्ति संचय करें।

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Monday, September 26, 2022

जय माता दी

*सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।* *भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते॥*

सर्वस्वरूपा, सर्वश्वरी तथा सब प्रकार की शक्तियों से सम्पन्न दिव्यरूपा दुर्गा देवी ! सब भयों से हमारी रक्षा करो। आपको नमन करते हैं।

The divine form Durga Devi, the omnipresent, and full of all kinds of powers! Protect us from all fears. We bow to you.

आज द्वितीय नौरात्रि पर माँ आदिशक्ति के ब्रह्मचारिणी स्वरूप को नमन।

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Sunday, September 25, 2022

माँ आदिशक्ति के शैलपुत्री स्वरूप को नमन।

*शिवः शक्त्या युक्तो यदि भवति शक्तः प्रभवितुं,*
*न चेदेवं देवो न खलु कुशलः स्पन्दितुमपि।*

शंकराचार्य कृत सौंदर्य लहरी प्रथम श्लोक।

शक्ति के साथ जुड़ जाने से ही शिव की सक्रियता है अन्यथा वह हिल भी नहीं सकते, स्पंदित भी नहीं हो सकते। बिना शक्ति की सहायता के शिव शव की भाँति निष्क्रिय हैं। शक्ति से ही सक्रियता उत्पन्न होती है और उसी आधार पर सफलता मिलती है।
 
Shiva united with Shakti becomes able to manifest, otherwise, Shiv can not even pulsate and is a cadaver. Shakti gives action and action gives success.

*शक्ति संचयन के महापर्व शारदीय नौरात्रि में माँ आदिशक्ति के नौ स्वरूपों का पूजन अर्चन कर हम अपनी शक्तियों को संचित करें। माँ हम सभी को स्वास्थ्य, शक्ति एवं समृद्धि प्रदान करे।*

*माँ आदिशक्ति के शैलपुत्री स्वरूप को नमन।*

*आदर्श समाजवाद के प्रणेता अग्रसेन महाराज की जयन्ती पर समाज को संगठित एवं सामर्थ्यवान बनाने का संकल्प लें।*

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Saturday, September 24, 2022

नमन

*यन्मातापितरौ क्लेशं सहेते संभवे नृणाम्।*
*न तस्य निष्कृतिः शक्या कर्तुं वर्षशतैरपि।।*
                                  
अपनी संतान के लालन पालन में माता और पिता जो क्लेश (समस्याएं और कष्ट) सहन करते हैं उसका प्रत्युपकार उनकी संतान के द्वारा सौ वर्षों तक उनकी सेवा करने से भी संभव नहीं है।

The troubles which parents face while upbringing their children can not be recompensed by their children even by taking care of their parents for one hundred years.

आज *सर्वपितृ अमावस्या* पर अपने पूर्वजों के स्वर्ग में अथवा इस पृथ्वी पर किसी और शरीर में होने के विश्वास को दृढ़ करते हुए, उनके आशीर्वाद अपने जीवन में अनुभव करें।

*नमन आज है पितरों को।*

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Sunday, September 18, 2022

गुण

*संत असंतन्हि कै असि करनी।*
*जिमि कुठार चंदन आचरनी॥*
*काटइ परसु मलय सुनु भाई।*
*निज गुन देइ सुगंध बसाई॥*

रामचरितमानस : उत्तरकाण्ड।

संत और असंतों की करनी ऐसी है जैसे कुल्हाड़ी और चंदन का आचरण होता है। कुल्हाड़ी चंदन को काटती है (उसका स्वभाव या काम ही वृक्षों को काटना है), किंतु चंदन अपने स्वभाववश अपना गुण देकर उसे भी (काटने वाली कुल्हाड़ी को) सुगंध से भर देता है।

The practice of saints and dissidents is like the practice of axe and sandalwood. The axe cuts the sandalwood (as its nature or job is to cut down the trees), but the sandalwood by its nature fills it (the cutting axe) with its aroma.

*संत बनें हम श्रेष्ठ कहाएँ,*
*चंदन जैसे हम बन जाएँ,*
*खुद महकें सबको महकाएँ,*
*स्वस्थ रहें हम शुभ को पाएँ।*

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Tuesday, September 13, 2022

हिंदी दिवस

*निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।* 
*बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।*
भारतेन्दु हरिश्चंद्र।

भारत में हिंदी को एक संवैधानिक भाषा के रूप में आज के दिन वर्ष १९४९ में अपनाया गया। 
आएँ आज हिंदी दिवस पर हम हिंदी का अधिकाधिक प्रयोग करने हेतु प्रतिबद्ध हों, संकल्पित हों।

*हम हिंदी में काम करें,*
*हिंदी पर अभिमान करें।*

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Friday, September 9, 2022

क्षमा

*क्षमा वीरस्य भूषणं।*

क्षमा (करना एवं माँगना दोनों) साहसी एवं वीर हृदय के व्यक्तियों का आभूषण है।

To apologize and to forgive, both are courageous acts.

क्षमापना के महापर्व पर, अपनी अज्ञानता (अनजाने) एवं अहम (जानते हुए भी) के कारण आपके प्रति किये गये किसी भी ऐसे व्यवहार के लिए, जिससे आपको कष्ट हुआ हो, मैं हृदय से क्षमा माँगता हूँ।

*क्षमा कर्म से क्षमा वचन से क्षमा हृदय से चाहूँ मैं,*
*क्षमा वीर ही परम वीर है, क्षमा आपसे चाहूँ मैं,*
*एक अहम है ज्ञान विषम है, भूल अवश्यम्भावी है,*
*स्नेह आपका सम्बल मेरा, क्षमा जोड़ कर चाहूँ मैं।*

🙏🏼 *मिच्छामि दुक्कड़म* 🙏🏼

I apologize for all my deeds knowingly or unknowingly that hurt you on this occasion of *Kshmawaani*.

आज से प्रारम्भ श्राद्ध पक्ष में हम अपने पूर्वजों के सूक्ष्म स्नेहाशीष अनुभव करें।

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Tuesday, September 6, 2022

गुण

*गुणिनि गुणज्ञो रमते नाऽगुणशीलस्य गुणिनि परितोषः।*
*अलिरेति वनात्पद्मं न   दर्दुरस्त्वेकवासोऽपि।।*

गुणवान व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के गुणों को देख कर आनन्दित होते हैं, परन्तु गुण रहित व्यक्तियों को दूसरों के गुणों को देख कर कोई प्रसन्नता नहीं होती है। 
देखो तो ! एक मधुमक्खी वन में खिले हुए कमल पुष्पों से उनका पराग प्राप्त करने हेतु स्वयं उनके पास चली जाती है, परन्तु मेंढक एक ही स्थान पर बने रहते हैं।

Virtuous persons always feel rejoiced on seeing the virtues of others, whereas worthless persons are never happy
on seeing the virtues of others. Look ! how a bee moves around a forest to collect the nectar from Lotus flowers, whereas frogs remain confined at one place.

*परिवर्तिनी एकादशी (जलझूलनी एकादशी), डोल ग्यारस, वामन एकादशी पर जीवन में परिवर्तन की महत्ता को आत्मसात करें।*
*अशेष शुभकामनाएँ।*

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Sunday, September 4, 2022

शिक्षक दिवस की शुभ कामनाये

*न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।*

ज्ञान के समान पवित्र करने वाला इस संसार में निःसंदेह कुछ भी नहीं है। 

Undoubtedly, in this world, there is nothing as pure and sublime as knowledge.

आज *शिक्षक दिवस* के अवसर पर शिक्षा का प्रचार प्रसार करने वाले समस्त शिक्षकों को नमन करते हुए शिक्षा के अधिकाधिक प्रसार हेतु संकल्पित हों।

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Monday, August 29, 2022

हर तालिका तीज

*इहैव तैर्जितः सर्गो येषां साम्ये स्थितं मनः।*
*निर्दोषं हि समं ब्रह्म तस्माद्ब्रह्मणि ते स्थिताः।।*
गीता : अध्याय ५, श्लोक १९।

जिस मनुष्य का मन सम-भाव में स्थित रहता है, उसके द्वारा जन्म-मृत्यु के बन्धन रूपी संसार को जीत लिया जाता है क्योंकि वह ब्रह्म के समान निर्दोष एवं सम होता है और सदा परमात्मा में ही स्थित रहता है।

तुलसीदास जी ने भी इस तथ्य को सरल शब्दों में कहा है:
*समरथ कहुँ नहि दोष गुसाईं।*
*रवि पावक सुरसरि की नाईं।*
  
Those whose minds are established in sameness and equanimity have already conquered the conditions of birth and death. They are flawless like Almighty, and thus they are already situated in Almighty.

*हरितालिका तीज दिवस, अनुपम यह त्योहार,*
*हर घर में खुशियाँ बढ़े, सुख समृद्धि अपार।*

आज *हरतालिका तीज* पर माँ भवानी सभी अभीष्ट प्रदान करें, ऐसी अनेकानेक शुभकामनाएँ।

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निंदा

*तुलसी जे कीरति चहहिं, पर की कीरति खोइ।*
*तिनके मुंह मसि लागिहैं, मिटिहि न मरिहै धोइ।।*

जो लोग दूसरों की निन्दा करके, अपमान करके स्वयं सम्मान पाना चाहते हैं। ऐसे लोगों के मुँह पर ऐसी कालिख लगती है, जो लाखों बार धोने से भी नहीं हटती है।

Those who want to get respect for themselves by insulting others, will be stigmatized, which can't be washed out.

*पर निंदा से दूर रहें हम,*
*आलोचक से नहीं डरें हम,*
*स्व में स्थित स्वस्थ बनें हम,*
*निर्भय स्वस्थ बनें विचरें हम।*

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Saturday, August 27, 2022

सद्गुण

*दानं प्रियवाक्य सहितं ज्ञानमगर्वं क्षमान्वितं शौर्यं।*
*वित्तं त्यागनियुक्तं दुर्लभमेतत् चतुष्टय लोके।।*

याचकों को दान देते समय प्रिय वचन कहने वाले, अपने ज्ञानी होने पर गर्व न करने वाले, शूरवीर होने पर भी क्षमाशील, तथा धनवान होते हुए भी दानशील, इन सद्गुणों से युक्त मनुष्य इस संसार में दुर्लभ होते हैं।

Persons endowed with four qualities, namely speaking politely while doing charity, not being proud of being knowledgeable, forgiving in nature in spite of being valorous, and wealthy but also very charitable and detached from their wealth, are very rare in this World.

*स्व पर यदि निर्भर हो जाएँ*
*सब सुख जीवन में भर जाएँ*
*विश्व पटल पर हम छा जाएँ*
*जन जन में विश्वास जगाएँ।*

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Saturday, August 13, 2022

कजली तीज

*न सा दीक्षा न सा भिक्षा न तद्दानं न तत्तपः।*
*न तद् ध्यानं न तद् मौनं दया यत्र न विद्यते ॥*

जहाँ करुणा अथवा दया न हो वहाँ दीक्षा, भिक्षा, दान, तप, ध्यान और मौन सब निरर्थक है।

Where there is no compassion or mercy, then initiation, charity, tenacity, meditation and silence, all are meaningless.

*करुणा है आधार प्रथम,*
*धर्म यही सबसे उत्तम।*

आज भाद्र मास कृष्ण पक्ष तृतीया (कजली तीज, सत्तू तीज) पर माँ पार्वती हम सभी को अभीष्ट प्रदान करे।

*रहे तिरंगा सबसे ऊपर,*
*फहरे हर मन घर पर।*

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Wednesday, August 10, 2022

रक्षा बंधन की शुभ कामनाये

*येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।*
*तेन त्वाम् अनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।*

श्रावणी पूर्णिमा एवं रक्षाबन्धन के इस पुनीत पर्व पर आएँ हम सभी रक्षासूत्र धारण करें एवं जिस प्रकार दानवों के महाबली राजा बलि इस सूत्र में बाँधे गये थे, अर्थात् धर्म में प्रयुक्त किये गये थे, उसी प्रकार हम भी इस सूत्र को धारण कर धर्म के लिए प्रतिबद्ध हों एवं निर्बल की रक्षा हेतु संकल्पित हों। ये रक्षा सूत्र स्थिर रहकर हमें अपना संकल्प स्मरण कराता रहे।

The mighty king of Danavas *BALI* was tied in the sutra, to follow his religion, similarly we too should commit to religion by wearing this sutra and be determined to protect the weak. May the _Raksha Sutras_ remain constant and remind us our duties.

*निज धर्म हेतु संकल्पित हों,*
*निज कर्तव्य हेतु समर्पित हों,*
*निर्बल की रक्षा हित तत्पर,*
*हों धर्म परायण, रक्षित हों।*

भाई बहन के अटूट प्रेम के प्रतीक  इस *रक्षा बन्धन पर्व* की अनंत शुभकामनाएँ। 

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Saturday, August 6, 2022

परख

*यथा चतुर्भि: कनकं परीक्ष्यते निघर्षणच्छेदनतापताडनौः।*
*तथा चतुर्भि: पुरुष परीक्ष्यते त्यागेन शिलेन गुणेन कर्मणा ॥*

जैसे सोने की परख घिसना, तोडना, जलाना और पीटना, चार प्रकार से होती है, उसी प्रकार मनुष्य की परख त्याग, शील, गुण, कर्म इन चार प्रकार से होती है।

The way gold's purity is tested by rubbing, cutting, heating and pounding, similarly, a person's quality is tested by gentleness, manners, habits and deeds.

*सभ्य बनें सज्जन कहलाएँ,*
*जीवन में हम प्रेम बढ़ाएँ,*
*स्वस्थ रहें सदभक्त बनें हम,*
*रोग द्वेष को दूर भगाएँ।*

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Monday, July 25, 2022

महादेव

साकार व निराकार परमात्मा के द्वंद्व को ध्यान में रखते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के अंतिम काण्ड उत्तरकाण्ड में (आठ श्लोक के रुद्राष्टकम् स्तोत्र में) परम शिव की स्तुति करते हुए ईश्वर का जो व्याख्यान किया है उससे साकार व निराकार के द्वंद्व को आसानी से समझ सकते हैं।

*न यावद् उमानाथ पादारविंदं। भजंतीह लोके परे वा नराणां॥*
*न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं। प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं॥*
रुद्राष्टकम : उत्तर कांड, रामचरितमानस।

हे उमानाथ जब तक आपके चरणकमलों को नहीं भजते, तब तक न तो इहलोक और परलोक में सुख-शांति मिलती है और न उनके तापों का नाश होता है। अतः हे समस्त जीवों के हृदय में निवास करने वाले हे प्रभो! प्रसन्न होइए॥

O _Umanath_ unless we worship you, we can't get peace in this world or either elsewhere. Kindly be pleased on us as you reside in the hearts of all of us.

आज श्रावणी शिवरात्रि पर आएँ हम उस निराकार परमात्मा के साकार शिव रूप का ध्यान एवं स्तुति करें।

*शिव को भज लें, जानें हम,*
*शक्तिवान शिव मानें हम,*
*भक्ति शक्ति से स्वस्थ रहें,*
*परम स्वयं पहचानें हम।* 

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Friday, July 22, 2022

स्वभाव

*संपत्सु महतां चित्तं  भवत्युत्पलकोमलं।*
*आपत्सु च महाशैलं शिलासंघात कर्कशम्।।*

महान व्यक्तियों का स्वभाव उनके सुखी और समृद्ध होने पर भी एक पुष्प के समान कोमल होता है एवं विपत्ति की स्थिति में पर्वत की शिलाओं के समान कठोर हो जाता है।

During prosperity the heart of a noble man is kind and soft like a flower. But in adverse times it becomes as hard as rock of a mountain.

*अनुकूल समय में सौम्य रहें हम,*
*विपरीत समय चट्टान बनें हम,*
*हम सब में अंश परम का है,*
*क्यों विचलित हों, क्यों टूटें हम।*

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Wednesday, July 20, 2022

जय श्री राम

*उमा राम गुन गूढ़, पंडित मुनि पावहिं बिरति।*
*पावहिं मोह बिमूढ़, जे हरि बिमुख न धर्म रति॥*

रामचरितमानस : अरण्य कांड।

भगवान शिव पार्वती को कहते हैं : हे पार्वती! श्री राम के गुण गूढ़ हैं, पण्डित और मुनि उन्हें समझकर वैराग्य प्राप्त करते हैं, किंतु जो भगवान से विमुख हैं और जिनको अपने धर्म (कर्तव्य) से प्रेम नहीं है, वे महामूढ़ मोह में उलझ जाते हैं।

The qualities of Shri Ram are esoteric, the pundits and sages attain detachment by understanding them, but those who are estranged from God and who do not love their religion (duties), they get entangled in the great delusion.

राम समझ कर मोह हटा लें,
नित नित अपना धर्म निभा लें,
सहज सरल है प्रभु को पाना,
*धर्म निभा लें प्रभु को पा लें।*

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Monday, July 18, 2022

बुद्धि

*मुक्ताभिमानी मुक्तो हि बद्धो बद्धाभिमान्यपि।*
*किवदन्तीह सत्येयं या मतिः सा गतिर्भवेत्॥१-११॥*
अष्टावक्र गीता

स्वयं को मुक्त मानने वाला मुक्त ही है और बद्ध मानने वाला बंधा हुआ ही है, यह कहावत सत्य है कि जैसी बुद्धि होती है वैसी ही गति होती है।

If you think you are free you are free. If you think you are bound you are bound. It is rightly said: You become what you think.

*पुत्र परम के हम मानें हम,*
*निज मन भी पहचानें हम,*
*मुक्त स्वयं को समझें हम,*
*स्वयं स्वयं को जानें हम।*

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Friday, July 15, 2022

महिमा

*अयि मलयजमहिमाऽयं कस्य गिरामस्तु  विषयस्ते।*
*उद्गिरतो यद्गरलं फणिनः पुष्णासि परिमलोद्गारैः।।*

हे प्रिय चन्दन के वृक्ष! तुम्हारी महिमा सभी लोगों में प्रसंशा और चर्चा का विषय है, क्योंकि तुम्हारी शाखाओं और जड़ों में रहने वाले सर्पों द्वारा तुम पर विष वमन करने पर भी तुम सर्वत्र अपनी सुगन्ध बढ़ा-चढ़ा कर फैला रहे हो।

इसी तथ्य को रहीम जी ने भी  कहा है,
*जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग*
*चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग*

O dear Sandalwood tree! your greatness is the subject matter of praise by people every where,  because in spite of very poisonous snakes dwelling in your branches and roots and spitting poison here and there, you continue to spread more and more fragrance all around.

श्रेष्ठ रहें हम उत्कृष्ट बनें,
सज्जन हों हम स्वस्थ रहें।

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Wednesday, July 13, 2022

हर हर महादेव

*आचारः प्रथमो  धर्मः इत्येतद्विदुषां  वचः।*
*तस्माद्र्रक्षेत् सदाचारं प्राणेभ्य अपि विशेषतः।।*
                       
दूसरों के प्रति अच्छा आचरण करना हमारा सर्व प्रथम धर्म (कर्तव्य) है, ऐसा विद्वज्ज्नों का कहना है। अतः सदाचार की रक्षा (अनुपालन) हमें अपने प्राणों से भी अधिक करनी चाहिए।

Noble and learned persons have proclaimed that good conduct towards others is our first and foremost duty. Therefore, we should  adhere to our good conduct even more than our life.

*अहम त्याग दें, मास अहम है,*
*सावन में शिव शक्ति परम है,*
*गुरु की शिक्षा साथ सदा हो,*
*संचित कर लें जो भी कम है।*

आज से प्रारम्भ शिव आराधना के श्रावण मास में स्वास्थ्य साधना करें।

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Monday, July 11, 2022

मोह / अहम

*मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला।*
*तिन्ह ते पुनि उपजहिं बहु सूला॥*
रामचरितमानस : उत्तर काण्ड।

मोह (सब कुछ मेरा होने का अहम) ही सब रोगों की जड़ है। इस एक से ही और बहुत से शूल (व्याधि) उत्पन्न होते हैं।

Moh (the ego that everything is mine) is the root of all miseries. This only produces many other diseases.

रहे कमल ज्यों ऊपर जल में,
हम जग में निर्लिप्त रहें,
*मोह मूल है हर व्याधि का,*
*मोह तजें हम स्वस्थ रहें।*

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Tuesday, July 5, 2022

भक्ति

*जातें बेगि द्रवउँ मैं भाई।*
*सो मम भगति भगत सुखदाई॥*
रामचरितमानस : अरण्य कांड।

श्री राम लक्ष्मण को भक्ति की महिमा बताते हुए कहते हैं, हे भाई! जिससे मैं शीघ्र ही प्रसन्न होता हूँ, वह मेरी भक्ति है जो भक्तों को सुख देने वाली है।

Describing the importance of devotion to Lakshmana, Shri Ram says, O brother! By which I am soon pleased, it is devotion to me. The devotion to me gives happiness to the devotees.

राम चरण अनुराग रखें हम,
सुख पाएँ सन्मार्ग चलें हम।
योग ध्यान से स्वस्थ रहें हम।

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Tuesday, June 28, 2022

कामना

*अधना धनमिच्छन्ति वाचं चैव चतुष्पदाः।*
*मानवाः स्वर्गमिच्छन्ति मोक्षमिच्छन्ति देवताः॥*

निर्धन व्यक्ति धन की कामना करते हैं और चौपाये अर्थात पशु बोलने की शक्ति चाहते हैं। मनुष्य स्वर्ग की इच्छा करता है और स्वर्ग में रहने वाले देवता मोक्ष-प्राप्ति की इच्छा करते हैं। इस प्रकार जो प्राप्त है, सभी उससे आगे की कामना करते हैं।

A poor wishes for wealth, an animal wishes if it could speak. Man desires heaven while the deities living in heaven desire salvation. Thus everyone wishes beyond what he has.

*सदा आगे बढेंगें हम,*
*यही बस लक्ष्य लेंगें हम,*
*सहायक दूसरों के हित,*
*नयी आशा बनेंगें हम।*

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Monday, June 27, 2022

सदैव शुभ

*एहि तन कर फल बिषय न भाई।*
*स्वर्गउ स्वल्प अंत दुखदाई॥*
*नर तनु पाइ बिषयँ मन देहीं।*
*पलटि सुधा ते सठ बिष लेहीं॥*

रामचरित मानस : उत्तरकांड।

मानव शरीर मिलने का उद्देश्य विषयभोग नहीं है, स्वर्ग का भोग भी थोड़ा लगता है और अंत में दुःख देने लगता है। अतः यदि मनुष्य शरीर पाकर भी विषयों में मन लगाने वाले, किसी मूर्ख के समान अमृत के बदले विष लेने के समान है।

The cause to the human birth is not to be indulged in material things/ pleasures, even pleasure of heaven may seem insufficient and later caused sufferings only. Hence if a human indulge in material things/ pleasures is like a fool who takes venom against nector.

*मिला मनुज तन गर्व करें हम,*
*विषय भोग में क्यों उलझें हम,*
*सत्कर्मों में व्यस्त रहें हम,*
*यह उद्देश्य पूर्ण करें हम।*

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Friday, June 24, 2022

स्वभाव

*स्वभावं न जहात्येव साधुरापदतोsपि  सन्*
*कर्पूरः पावकस्पृस्तिः सौरभं लभतेतराम् ।*

सज्जन व्यक्ति अपना नैसर्गिक अच्छा स्वभाव किसी बडी आपदा के उपस्थित होने पर भी उसी प्रकार नहीं त्यागते जैसा कि कपूर आग के संपर्क में आ कर जल जाने पर और भी अधिक सुगन्ध देने लगता है।

Noble persons do not shed their inherent good nature even while facing a calamity just like the Camphor, which on coming into contact with fire and while burning emits even more fragrance.

स्वस्थ रहें हम व्यस्त रहें हम,
*श्रेष्ठ बनें मानव बन जाएँ।*

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Monday, June 20, 2022

योग दिवस

*सुनहु उमा ते लोग अभागी।*
*हरि तजि होहिं बिषय अनुरागी॥*
रामचरित मानस : अरण्यकांड।

गोस्वामी तुलसीदास जी ने भगवान शिव के माध्यम से कहा;, हे पार्वती ! सुनो, वे लोग अभागे हैं, जो ईश्वर को छोड़कर विषयों से अनुराग करते हैं।

Goswami Tulsidas ji told through Lord Shiva, O Parvati! Listen, those people are unfortunate, who love worldly things other than God.

*योग करें हम, योग करें हम,*
*स्वस्थ रहें हम, स्वस्थ रहें हम।*

आज 8वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आएँ योग द्वारा एक स्वस्थ जीवन का संकल्प लें।

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Friday, June 17, 2022

क्रोध

*क्रोधः सुदुर्जयः शत्रुः लोभो व्याधिरनन्तकः।।*

मनुष्य के स्वभाव में क्रोध एक ऐसे शत्रु के समान है जिस पर विजय प्राप्त करना बहुत कठिन होता है, तथा लोभ एक कभी दूर न होने वाली बीमारी के समान होता है।

Anger in a person is like an enemy very difficult to conquer or overcome, and greed is like an endless disease.

*क्रोध लोभ से बचना है,*
*योग नित्य ही करना है,*
*स्वस्थ हमेशा रहना है,*
*सदा सुखी अब बनना है।*

8वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में 3 दिन शेष हैं।

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Sunday, May 29, 2022

वट सावित्री व्रत

*मूले ब्रह्मा त्वचा विष्णु शाखा शंकरमेवच।*
*पत्रे पत्रे सर्वदेवायाम् वृक्ष राज्ञो नमोस्तुते।।*
 
जिस वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा तने पर श्री हरि विष्णु एवं शाखाओं पर देव आदि देव महादेव भगवान शंकर का निवास है और उस वृक्ष के पत्ते पत्ते पर विभिन्न देवताओं का वास है ऐसे वृक्षों के राजा को हमारा नमस्कार है।

Our salutations to the king of trees in which Brahma resides on the roots, Shri Hari Vishnu on the trunk and Dev Adi Dev Mahadev Lord Shankar resides on the branches and various deities on each of leaves.

*आज ज्येष्ठ अमावस्या, बड़ अमावस्या, वट सावित्री एवं शनि जयन्ति के इस विशेष पर्व पर सभी के सौभाग्य में वृद्धि हो ऐसी शुभकामनाएँ।*

*हृदय उदारता भरें,*
*मनुष्यता मनुज धरें,*
*न रोग शोक ग्रस्त हों,*
*सनातनी प्रथा वरें।*

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Friday, May 27, 2022

चरित्र

*वृत्तं यत्नेन संरक्षेत, वित्तम् आयातियाति च।*
*अक्षीणो वित्ततः क्षीणो, वृत्ततस्तु हतोहतः।।*

वृत्त (चरित्र) की सुरक्षा यत्नपूर्वक करनी चाहिए, वित्त (धन) तो आता-जाता रहता है। वित्त के क्षीण (नष्ट) होने से कुछ भी क्षीण नहीं होता, किन्तु वृत्त के नष्ट होने से सब कुछ नष्ट हो जाता है।

We should take care of the character very diligently, the money lost can be earned back. Nothing is impaired due to the loss of wealth, but the destruction of the character destroys everything.

चरित्र हमारा शौर्य भरा हो,
स्वर्ण समान शुद्ध खरा हो,
धर्म सनातन योग तपस्या,
इनसे जीवन नित सँवरा हो।

आज *वीर सावरकर* जयंती पर सदैव राष्ट्र प्रथम हेतु संकल्पित हों।

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Monday, May 23, 2022

ज्ञान

*न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।*
*तत्स्वयं योगसंसिद्ध: कालेनात्मनि विन्दति।।*
गीता : अध्याय ४, श्लोक ३८।

इस संसार में ज्ञान के समान पवित्र करने वाला निस्संदेह कुछ भी नहीं है। यह ज्ञान, कर्मयोग के द्वारा शुद्धान्त:करण हुआ मनुष्य कालांतर में अपने-आप ही आत्मा में पा लेता है।

On this earth, there is nothing which can purify as knowledge. The person who has attained purity of heart through a prolonged practice of Karmayoga automatically sees the light of truth in the self in course of time.

ज्ञान ध्यान तप योग जरूरी,
मिटे परम से अपनी दूरी।

*योग करें और स्वस्थ रहें।*

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Sunday, May 15, 2022

बुद्ध पूर्णिमा

*बुद्धम् शरणम् गच्छामि,* *धम्मम् शरणम् गच्छामि,*
*संघम् शरणम् गच्छामि।*

हम सत्य का अवलम्बन करें,
हम धर्म का अवलम्बन करें,
हम परम शक्ति का अवलम्बन करें।

Let us follow the truth,
Let us follow duties,
Let us trudge for eternal power.

आज तथागत बुद्ध के जन्मदिन, *वैशाख पूर्णिमा, बुद्ध जयंती* पर आएँ अपने कर्तव्य मार्ग पर अडिग रहने का संकल्प लें।

*हम कर्तव्य मार्ग पर अडिग रहें,*
*हम योग ध्यान से स्वस्थ रहें।*

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विवेक

*सहसा विदधीत न क्रियामविवेकः परमापदां पदम्।*
*वृणते हि विमृश्यकारिणं गुणलुब्धाः स्वयमेव संपदः।।*

आवेश में आ कर बिना सोचे समझे कोई कार्य नहीं करना चाहिए। 
विवेकशून्यता बड़ी विपत्तियों का द्वार है। 
जो व्यक्ति सोच समझकर कार्य करता है; गुणों से आकृष्ट होने वाली माँ लक्ष्मी स्वयं ही उसका चुनाव कर लेती है |

One should not indulge in action in a hurry.
Indiscretion becomes a step towards extreme troubles.
Glory (good results) always enticed by virtuosity prefer one who exercises discretion.

*विवेक साथ हो सदा,*
*निभाएँ हरेक कायदा,*
*न योग दूर हो कभी,*
*मिले हरेक फ़ायदा।*

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Tuesday, May 10, 2022

भाव

*न देवो विद्यते काष्ठे न पाषाणे न मृण्मये।*
*भावे हि विद्यते देवस्तस्माद् भावो हि कारणम्॥*

न ही लकड़ी या पत्थर की मूर्ति में, न ही मिट्टी में अपितु परमेश्वर का निवास तो भावों में यानि हृदय में होता है। अतः जहाँ भाव होता है, परमेश्वर वहीं प्रकट हो जाते हैं।

Neither in the idol of wood or stone, nor in the clay, but God resides in the notion. Therefore God appears where there is notion. The belief that makes us feel the presence. Hence, only the emotion/feeling matters – not the material.

भाव और विश्वास साथ हो,
पत्थर में भी परम प्राप्त हो,
नित्य योग हम अपनाएँ,
स्वस्थ रहें परम को पाऍं।

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Saturday, May 7, 2022

मातृ दिवस की शुभ कामनाये

*उपाध्यायात् दश आचार्यः आचार्याणां शतं पिता।*
*सहस्रं तु पित्रन् माता गौरवेण अतिरिच्यते।।*

शिक्षा और ज्ञान प्रदान करने में आचार्य, सामान्य शिक्षकों से दस गुणा श्रेष्ठ होता है और एक सौ आचार्यों से भी श्रेष्ठ एक पिता होता है। परन्तु एक माता श्रेष्ठता और सम्मान में पिता से भी हजार गुणा श्रेष्ठ होती है।

समस्त प्राणिमात्र में जन्मदात्री माता द्वारा अपनी संतान को शिक्षित करने और पालने पोसने में किया गया योगदान, अन्य व्यक्तियों के योगदान से हजारों गुणा महत्त्वपूर्ण है।

In respect of training and providing education professor is ten times superior than a primary level teacher, and the father is hundred times superior than the Professor, But the Mother is thousand times superior and respectable than the father.

The role of a mother in upbringing the child and in educating him, is thousand times better than other means.

माँ का दर्ज़ा सबसे ऊँचा इस जग में,
माँ ने ही सब सम्भाला इस जग में,
माँ के अंक पले भगवान स्वयं भी,
राम कृष्ण ने माँ को पूजा इस जग में।

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Tuesday, May 3, 2022

शुभ बुधवार

*ममैवांशो जीवलोके जीवभूत: सनातन:।*
*मन:षष्ठानीन्द्रियाणि प्रकृतिस्थानि कर्षति।।*

गीता : अध्याय 15, श्लोक 7।

गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं,
इस संसार में प्रत्येक जीव मेरा ही अंश है, और वह सनातन है। यही सनातन अंश इस प्रकृति में मन सहित छः इंद्रियों को स्वयं में आकर्षित करता है, अर्थात इस संसार को स्वयं का मान लेता है।

Shri Krishna says in Gita,
Every living being in this world is a part of me, and it is eternal. This eternal part attracts the six senses including the mind from this worldly nature and accepts this world as its own.

हम सब अंश परम के हैं,
मन में यह अभिमान करें,
स्वास्थ्य हमारा प्रथम धर्म,
योग करें हम ध्यान करें।

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Saturday, April 9, 2022

राम नवमी की शुभ कामनाये

*जोग लगन ग्रह बार तिथि, सकल भये अनुकूल।*
*चर अरु अचर हर्षजुत, राम जनम सुखमूल॥*

योग, लग्न, ग्रह, वार और तिथि सभी अनुकूल हो गये। जड़ और चेतन सब हर्ष से भर गये। श्री राम का जन्म सभी सुखों को देने वाला  है॥

*नौमी तिथि मधु मास पुनीता।* *सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥*
*मध्यदिवस अति सीत न घामा।* 
*पावन काल लोक बिश्रामा॥*

*सीतल मंद सुरभि बह बाऊ।* *हरषित सुर संतन मन चाऊ॥*
*बन कुसुमित गिरिगन मनिआरा।* 
*स्रवहिं सकल सरिताऽमृत धारा।।*

चैत्र का पवित्र माह था, नवमी तिथि थी। शुक्ल पक्ष और भगवान का प्रिय अभिजित्‌ मुहूर्त था। दोपहर का समय था। न अधिक सर्दी थी, न अधिक धूप (गरमी) थी। वह पवित्र समय सब लोकों को शांति देने वाला था॥

शीतल, मंद और सुगंधित हवा बह रही थी। देवता हर्षित थे और संतों के मन में बड़ा चाव था। वन फल फूलों से लदे हुए थे, पर्वतों के समूह मणियों से जगमगा रहे थे और सारी नदियाँ अमृत की धारा बहा रही थीं॥

*आज माँ के सिद्धिदात्री स्वरूप का नमन करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के प्राकट्य दिवस रामनवमी की अनन्त शुभकामनाएँ।*

*राम सृष्टि के हर कण कण में,*
*राम बसे हैं जन गण मन में,*
*राम सहज हैं राम सुलभ हैं,*
*सरल हृदय को मिलते क्षण में।*

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Thursday, March 17, 2022

होली की शुभ कामनाये

*नाना वर्ण विराजते हि गगनं,*
               *सोल्लास सर्वे जनाः।*
*प्रतिबीथ्याभिषिक्तबालसुहृदा,*
                 *खेलन्ति रड़्गैर्मुदा।।*
*आशासे उत्सवमिदं प्रहरयेद्*
             *निखिलान् हि कष्टान्तव।*
*होल्योत्सवमेतत् हि स्यात्,*
            *सुसुफलं भूयोशुभाषंदा।।*

जिस होलिकोत्सव में आकाश विभिन्न वर्णों से विराजित होता है, सभी जन उल्लास से भरे रहते हैं। गली गली में रंगों से खेलते हुए बाल सखा आनन्दित होते हैं। ऐसा होलिकोत्सव हम सभी के कष्टों पर कठोर प्रहार कर हम सभी के जीवन को सफलताओं तथा शुभांषाओं से भर दे, ऐसी ईश्वर से प्रार्थना है।

This auspicious festival of colours _HOLI_ when the sky is full of different colours, all people are full of joy, may defeat all our sorrows and bring success and boons in our lives.

होली की अनंत शुभकामनाएँ।

🎉🎊🎈🎁🌺🌸🍄🌻🥀🍀🍁🍂

Sunday, March 6, 2022

हर हर महादेव

*ब्यापि रहेउ संसार महुँ, माया कटक प्रचंड।*
*सेनापति कामादि भट, दंभ कपट पाषंड॥*
*सो दासी रघुबीर कै समुझें मिथ्या सोपि।*
*छूट न राम कृपा बिनु नाथ कहउँ पद रोपि॥*

रामचरितमानस : उत्तरकाण्ड।

कागभुशुण्डि एवं गरुड़ संवाद।
माया की प्रचंड सेना संसार भर में फैली हुई है। कामादि (काम, क्रोध और लोभ) उसके सेनापति हैं और दम्भ, कपट, पाखंड आदि योद्धा हैं।
यह माया श्री रघुवीर की दासी है। यद्यपि समझ लेने पर यह माया मिथ्या है, किंतु श्री राम की कृपा के बिना इस माया से नहीं बचा जा सकता। हे नाथ! यह मैं प्रतिज्ञा करके कहता हूँ।

Maya's mighty army is spread all over the world. Lust, Anger and Greed are its commanders and arrogance, deceit, hypocrisy etc. are warriors.
This Maya is maidservant of Shri Raghuveer. Although this maya is false when understood, but without the grace of Shri Ram, this maya cannot be avoided.

राम कृपा से जीवन बदलें,
राम कृपा हृदय बसा लें।

आज उत्तरप्रदेश के 54 निर्वाचन क्षेत्रों में होने वाले चुनाव में अवश्य मतदान करें।

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Tuesday, March 1, 2022

सुख

*जो अति आतप ब्याकुल होई।*
*तरु छाया सुख जानइ सोई॥*
रामचरितमानस : उत्तरकाण्ड।

जो धूप से अत्यंत व्याकुल होता है, वही वृक्ष की छाया का सुख जानता है।

He who is distraught by the sun knows the pleasure of the shade of a tree.

हम अपने हित को पहचानें,
अपना हित किसमें हम जानें,
भले बुरे का भेद जानकर,
सुख सच्चा ही अच्छा मानें।

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