Monday, August 29, 2022

हर तालिका तीज

*इहैव तैर्जितः सर्गो येषां साम्ये स्थितं मनः।*
*निर्दोषं हि समं ब्रह्म तस्माद्ब्रह्मणि ते स्थिताः।।*
गीता : अध्याय ५, श्लोक १९।

जिस मनुष्य का मन सम-भाव में स्थित रहता है, उसके द्वारा जन्म-मृत्यु के बन्धन रूपी संसार को जीत लिया जाता है क्योंकि वह ब्रह्म के समान निर्दोष एवं सम होता है और सदा परमात्मा में ही स्थित रहता है।

तुलसीदास जी ने भी इस तथ्य को सरल शब्दों में कहा है:
*समरथ कहुँ नहि दोष गुसाईं।*
*रवि पावक सुरसरि की नाईं।*
  
Those whose minds are established in sameness and equanimity have already conquered the conditions of birth and death. They are flawless like Almighty, and thus they are already situated in Almighty.

*हरितालिका तीज दिवस, अनुपम यह त्योहार,*
*हर घर में खुशियाँ बढ़े, सुख समृद्धि अपार।*

आज *हरतालिका तीज* पर माँ भवानी सभी अभीष्ट प्रदान करें, ऐसी अनेकानेक शुभकामनाएँ।

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

निंदा

*तुलसी जे कीरति चहहिं, पर की कीरति खोइ।*
*तिनके मुंह मसि लागिहैं, मिटिहि न मरिहै धोइ।।*

जो लोग दूसरों की निन्दा करके, अपमान करके स्वयं सम्मान पाना चाहते हैं। ऐसे लोगों के मुँह पर ऐसी कालिख लगती है, जो लाखों बार धोने से भी नहीं हटती है।

Those who want to get respect for themselves by insulting others, will be stigmatized, which can't be washed out.

*पर निंदा से दूर रहें हम,*
*आलोचक से नहीं डरें हम,*
*स्व में स्थित स्वस्थ बनें हम,*
*निर्भय स्वस्थ बनें विचरें हम।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼