Saturday, November 30, 2019

स्वार्थ की पूर्ति

*औचित्य प्रच्युताचारो युक्ता स्वार्थं न साधयेत्।*
*व्याजबालिवधेनैव  रामकीर्तिः  कलङ्किता।।*

नैतिक रूप से अनुचित एवम् अशोभनीय कृत्य द्वारा अपने स्वार्थ की पूर्ति कभी नहीं की जाए।

वानरराज बालि (जिसने अपने अनुज की पत्नी हरण का अक्षम्य अपराध किया था) का वध छल से करने के कारण भगवान श्री राम की कीर्ति भी कलंकित हो गयी थी।

One should never take recourse to morally very low and unfair means to achieve his objectives.

By killing Baali, the King of Vanars (who had kidnapped his brother's wife), in a clandestine manner, even Lord Ram's name and fame was tarnished.

शुभ दिन हो।

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Friday, November 29, 2019

कर्म

*यदतीतमतीतं तत् संदिग्धं यदनागतम्।*
*तस्माद् यत्प्राप्तकालं तन्मानवेन विधीयताम्।।*

जो अतीत है वह तो अतीत ही है, अर्थात् बीत चुका है, एवं जो आने वाला है वह अनिश्चित है। अतः अभी मिले समय अर्थात् वर्तमान से सम्बद्ध होवें एवं कर्म करें।

The Past is the Past, that is, it has passed, and the Future  is uncertain. So, get involved with the Present and do the deeds.

शुभ दिन हो।

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Thursday, November 28, 2019

भाव

*न देवो विद्यते काष्ठे न पाषाणे न मृण्मये।*
*भावे हि विद्यते देवस्तस्माद् भावो हि कारणम्॥*

न ही लकड़ी या पत्थर की मूर्ति में, न ही मिट्टी में अपितु परमेश्वर का निवास तो भावों में यानि हृदय में होता है। इसलिये जहां भाव होता है परमेश्वर वहीं प्रकट हो जाते हैं।

Neither in the idol of wood or stone, nor in the clay, but God resides in the heart, that is, in emotions. Therefore God appears where there is emotion. The belief that makes us feel the presence. Hence, only the emotion/feeling matters – not the material.

शुभ दिन हो।

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Wednesday, November 27, 2019

कटु वचन

*संरोहति अग्निना दग्धं वनं परशुना हतं I*
 *वाचा दुरुक्तं बीभत्सं न संरोहति वाक् क्षतम्॥*

आग से नष्ट हुए या कुल्हाडियों से काटे गये वन में भी धीरे-धीरे पेड़-पौधे उगने लगते हैं, किन्तु अप्रिय और कटु वचनों से दिये गये घाव कभी नहीं भर पाते।

A forest burnt down by fire, or cut down by axe will eventually grow back. But wounds caused by harsh, inappropriate words will never heal.

शुभ दिन हो।

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Tuesday, November 26, 2019

महानता

*गुणैरुत्तङ्गता याति नोच्चैरासनसंस्थित: ।* 
*प्रासादशिखरस्थोऽपि काक: किं गरुडायते।।*

केवल ऊँचे आसन अथवा पद पर आसीन होने से ही एक व्यक्ति महान नहीं हो जाता है।
क्या राजमहल के चोटी पर बैठने से कौआ गरूड़ बन जायेगा? कदापि नहीं!
महानता श्रेष्ठ गुण सदाचार, शील और चरित्र द्वारा ही  प्राप्त होती है।

A Crow sitting on a high rise building or a palace can't be considered as an Eagle, similarly a person sitting at a high place or post cant be considered as a noble person.

Nobility can only be gained by good Character, morals and deeds.

शुभ दिन हो।

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Monday, November 25, 2019

कर्तव्य

*योगस्थ: कुरु कर्माणि संग्ङंत्यक्त्वा धनंजय।*
*सिद्ध्यसिद्ध्यो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥*
गीता अध्याय २ श्लोक ४८

परमयोगीश्वर भगवान कृष्ण समझा रहे हैं कि
हे धनंजय। कर्म न करने का आग्रह त्यागकर, सफलता असफलता, यश-अपयश के विषय में समबुद्धि होकर योग युक्त होकर, कर्म कर, (क्योंकि) समत्व को ही योग कहते हैं।

We should perform
our duties established in Yoga, renouncing attachment, and eventempered in success and failure; Envenness of temper is called yoga.

अपने कर्तव्य का पालन करें।

शुभ दिन हो।

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Sunday, November 24, 2019

कठिन समय

*रहिमन विपदा हो भली, जो थोरे दिन होय।*
*हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥*

जीवन में कठिन समय अर्थात्  विपदा का होना अच्छा बताते हुए रहीम जी कहते हैं कि इसी दौरान यह पता चलता है कि दुनिया में कौन हमारा हित या अनहित सोचता है।

It is good in life to be bad time for a while because it distinguishes our well-wishers and others.

शुभ दिन हो।

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हित

*स अर्थो यो हस्ते तत् मित्रं यत् निरन्तरं व्यसने।*
*तत् रूपं यत् गुणाः तत् विज्ञानं यत् धर्मः।।*

वही सच्चा धन है जो अपने हाथ (अधिकार) में हो और वही सच्चा मित्र है जो हमेशा विपत्ति में भी साथ दे। रूपवान होना तभी शोभा देता है जब कि व्यक्ति गुणवान भी हो, तथा वही विज्ञान सही है जो धर्म के सिद्धान्तों के अनुसार (समाज के हित के लिये) हो।

Only that wealth is the real wealth which is in our hands (under control) and only that person is a real friend who constantly supports us even in adversity. Beauty of a person is real only when he is also virtuous and a science or a discipline of learning is real only when it propagates religious austerity and righteousness.

शुभ दिन हो।

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आलस्य का त्याग

*श्रेयांसि च सकलान्यनलसानां हस्ते नित्यसान्निद्ध्यानि I*

इस संसार की सकल संपत्ति एवं श्रेय उन्हीं के हाथ में होता है जो सदैव आलस्य का त्याग कर कर्म में उद्यत रहते हैं।

The gross wealth and credit of this world is in the hands of those who always abandon laziness and remain engaged in _karma_ means action.

कर्म करें।

शुभ दिन हो।

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Thursday, November 21, 2019

प्रकार

*द्वौ अम्भसि निवेष्टव्यौ गले बद्ध्वा दृढां शिलाम्,*
*धनवन्तम् अदातारम् दरिद्रं च अतपस्विनम्।।*

दो प्रकार के लोगों को बड़े पत्थर से बाँधकर गहरे समुद्र में फेंक देना ही उचित है। एक वह जो धनवान होते हुए भी उदारतापूर्वक दान न करता हो, दूसरा वह जो दरिद्र होते हुए भी श्रम न करता हो।

It is advisable to tie two types of people with big stones and throw them into the deep sea. One who does not donate generously despite being rich, and one who does not work hard despite being poor.

शुभ दिन हो।

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Wednesday, November 20, 2019

संगति

*वरं पर्वतदुर्गमेषु भ्रान्तं वनचरैः सः।*
*न मूर्खजनसम्पर्कः सुरेन्द्रभवनेष्वपि।।*

हिंसक पशुओं के साथ जंगल और दुर्गम पहाड़ों पर विचरण करना, मूर्खों के साथ स्वर्ग में रहने से भी श्रेयस्कर है।

It is better to wander with wild animals in forests or trekking in tough mountains than to stay with fools even in a heaven.

मूर्खों की संगति से बचें।

शुभ दिन हो।

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Tuesday, November 19, 2019

स्वभावगत कुटिलता

*शिरसि  विधृतो अपि  नित्यं  यत्नादपि सेवितो बहुस्नेहै:।*
*तरुणीकच  इव  नीचः कौटिल्यं  नैव  विजहाति।*

एक युवती यद्यपि नित्य अपने सिर के केशों को बडे़ यत्न और प्रेम पूर्वक तैल लगा कर संवारती है, फिर भी उसके केश आपस में उलझना नहीं छोड़ते हैं। वैसे ही नीच व्यक्ति के साथ चाहे कितना ही प्रेमपूर्वक व्यवहार क्यों न किया जाए वे अपनी स्वभावगत कुटिलता को नहीं छोडत़े हैं।

A young woman daily grooms her hair with much care and devotion by applying hair oil to them, but still the hairs continue to get entangled with each other. Likewise, wicked and mean persons also do not give up their crookedness, no matter how nicely we may treat them.

शुभ दिन हो।

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Monday, November 18, 2019

ज्ञान

*न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।*
*तत्स्वयं योगसंसिद्ध: कालेनात्मनि विन्दति।।*
गीता : अध्याय ४, श्लोक ३८।

इस संसार में ज्ञान के समान पवित्र करने वाला निस्संदेह कुछ भी नहीं है। यह ज्ञान, कर्मयोग के द्वारा शुद्धान्त:करण हुआ मनुष्य कालांतर में अपने-आप ही आत्मा में पा लेता है।

On this earth, there is nothing which can purify as knowledge. The person who has attained purity of heart through a prolonged practice of Karmayoga automatically sees the light of truth in the self in course of time.

शुभ दिन हो।

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Sunday, November 17, 2019

गुण

*काकस्य गात्रं यदि काञ्चनस्य  माणिक्यरत्नं यदि चन्चुदेशे।*
*एकैकपक्षे ग्रथितं मणीनां तथाऽपि  काको न तु राजहंसः।।*
                                                                        
एक कौए का शरीर स्वर्णिम हो जाए और उस की चोंच में माणिक्य और रत्न लगा दिये जाएँ, प्रत्येक पंख में मणियां गूंथ दी जाएँ, फिर भी वह कौआ ही रहेगा न कि राजहंस कहलायेगा।

Even if a Crow's body colour may be changed into golden hue, gems and precious stones be studded on its beak, precious stones be braided on each of its feathers, it will still remain a Crow and will not become a Swan.

गुणहीन व्यक्ति को अलंकृत कर देने से वह गुणवान नहीं हो सकता।

शुभ दिन हो।

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Saturday, November 16, 2019

परख

*यथा चतुर्भि: कनकं परीक्ष्यते निघर्षणच्छेदनतापताडनौः।*
*तथा चतुर्भि: पुरुष परीक्ष्यते त्यागेन शिलेन गुणेन कर्मणा ॥*

The way gold's purity is tested by rubbing, cutting, heating and pounding, similarly, a person's quality is tested by gentleness, manners, habits and deeds.

जैसे सोने की परख घिसना, तोडना, जलाना और ताडना (पीटना) आदि चार प्रकार से होती है, उसी प्रकार मनुष्य की जाँच भी त्याग, शील, गुण, कर्म आदि चार प्रकार से होती है।

शुभ दिन हो।

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Friday, November 15, 2019

प्रयत्न

*यत्ने कृते यदि न सिद्धयति कोऽत्र दोषः।*

प्रयत्न करने पर भी यदि सिद्धि (सफलता) नहीं मिलती है, तो प्रयत्न में रह गये दोष (कमी) को खोजना चाहिए।

If we do not success despite various attempts, we should find the loopholes in the attempts.

पुनः प्रयत्न करें।

शुभ दिन हो।

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Thursday, November 14, 2019

लक्ष्य

*जाति पात पूछे नहीं कोई,*
*हरि को भजे सो हरि का होई।*

साध्य अर्थात लक्ष्य कभी भी जाति अथवा पंथ के बारे में नहीं पूछता वरन जो लक्ष्य को प्रति क्षण स्मरण करता है उसे लक्ष्य प्राप्त होता है।

Goal or achieving something never asks about caste or creed, but one who remembers his goal every moment, achieves the goal.

शुभ दिन हो।

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Wednesday, November 13, 2019

आचरण

*आचाराल्लभते आयु: आचारादीप्सिता: प्राजा:,*
*आचाराद्धनमक्षय्यम् आचारो हन्त्यलक्षणम्।।*

Good conduct means good behavior, gives longevity, great progeny, everlasting prosperity, and also destroys one's own faults. Every situation is not in our hands but our conduct is under our control.

अच्छे आचरण अर्थात सदव्यवहार से दीर्घ आयु, श्रेष्ठ सन्तति, चिर समृद्धि प्राप्त होती है, तथा अपने दोषों का भी नाश होता है। प्रत्येक परिस्थिति हमारे हाथ में नहीं किन्तु हमारा आचरण हमारे वश में है।

शुभ दिन हो।

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Tuesday, November 12, 2019

व्यर्थ

*ऊसरो च क्षेत्रेषु यथा बीजो हि निष्फलं।*
*उपकारोऽपि नीचानां कृतो भवति तादृशः।।*

जिस प्रकार एक ऊसर खेत में फसल उगाने के लिये बीज बोना व्यर्थ होता है (क्योंकि खेत की मिट्टी में नमक की मात्रा अत्यधिक होने से उस में कोई फसल नहीं उग सकती है), उसी प्रकार नीच व्यक्तियों के प्रति कोई उपकार करना भी व्यर्थ ही होता है।

Just as it is useless to sow seeds in a farm having saline soil (unfit for cultivation) where no crop can grow, similarly the   favours done to wicked and mean persons are also useless and do not bear any fruitful results.

शुभ दिन हो।

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Sunday, November 10, 2019

परमतत्व

*कमठ पीठ जामहिं बरु बारा।*
*बंध्या सुत बरु काहुहि मारा॥*
*फूलहिं नभ बरु बहुबिधि फूला।*
*जीव न लह सुख हरि प्रतिकूला॥*
रामचरितमानस : उत्तर काण्ड।

तुलसीदास जी ने परमतत्व की महत्ता बताते हुए लिखा है कि कछुए की पीठ पर भले ही बाल उग आवें, बाँझ का पुत्र भले ही किसी को मार डाले, आकाश में भले ही अनेकों प्रकार के फूल खिल उठें, परंतु श्री हरि अर्थात् परमतत्व से विमुख होकर जीव सुख नहीं प्राप्त कर सकता।

Even a turtle got hairs on its back, a non existng person can kill someone, even if the sky may blossom with different types of flowers, But a  person cannot get pleasure while not on the path of God.

शुभ दिन हो।

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Friday, November 8, 2019

विचार

*मनस्यन्यद्वचस्यन्यत्कार्ये चाऽन्यदुरात्मनाम् ।*
*मनस्येकं वचस्येकं कर्मण्येकं महात्मनाम् ।।*

दुष्ट और नीच व्यक्तियों के विचार कुछ और होते है पर वे कहते कुछ और ही हैं और करते भी कुछ और ही हैं। इसके विपरीत सज्जन और महान् व्यक्ति जो सोचते हैं वही कहते हैं और करते भी वही हैं।

The thoughts of wicked and mean persons are different than what they speak and ultimately do, whereas the thoughts, their expression and subsequent action by the noble and righteous persons are always the same.

शुभ दिन हो।

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Thursday, November 7, 2019

देव प्रबोधिनी एकादशी

*त्रिकाल बिनता पुत्र प्रयाश तुलसी यदि।*
*विशिष्यते कायशुद्धिश्चान्द्रायण शतं बिना।।*
*तुलसी गंधमादाय यत्र गच्छन्ति: मारुत:।*
*दिशो दशश्च पूतास्तु: भूत ग्रामश्चतुर्विध:।।*

यदि सुबह, दोपहर और शाम को तुलसी का सेवन किया जाए तो उससे शरीर इतना शुद्ध हो जाता है, जितना अनेक चांद्रायण व्रत के बाद भी नहीं होता। तुलसी की गंध जितनी दूर तक जाती है, वहाँ तक का वातारण और निवास करने वाले जीव निरोगी और पवित्र हो जाते हैं।

*तुलसी का एक पौधा अपने घर में अवश्य लगाएँ।*

If one consumes _Tulsi_ three times (morning, afternoon and evening) a day her/his body will become more clean than it can be done by doing _Chandrayan Vrat_ (a very difficult fasting). All the living beings living in the environment where the aroma (smell) of Tulsi reaches, become healthy and holy.

*Please plant a _Tulsi_ at home.*

*देव प्रबोधिनी एकादशी (तुलसी विवाह) पर हम अपने सोये देवत्व को जागृत करें, ऐसी शुभेच्छा।*

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Wednesday, November 6, 2019

भाव

*इहैव तैर्जितः सर्गो येषां साम्ये स्थितं मनः।*
*निर्दोषं हि समं ब्रह्म तस्माद्ब्रह्मणि ते स्थिताः।।*
गीता : अध्याय ५, श्लोक १९।

जिस मनुष्य का मन सम-भाव में स्थित रहता है, उसके द्वारा जन्म-मृत्यु के बन्धन रूपी संसार को जीत लिया जाता है क्योंकि वह ब्रह्म के समान निर्दोष एवं सम होता है और सदा परमात्मा में ही स्थित रहता है।

तुलसीदास जी ने भी इस तथ्य को सरल शब्दों में कहा है:
*समरथ कहुँ नहि दोष गुसाईं।*
*रवि पावक सुरसरि की नाईं।*
  
Those whose minds are established in sameness and equanimity have already conquered the conditions of birth and death. They are flawless like Almighty, and thus they are already situated in Almighty.

शुभ दिन हो।

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स्वस्थ रहें

*मात्रा समं नास्ति शरीर पोषणं*
*चिन्ता समं नास्ति शरीर शोषणं।*
*मित्रं विना नास्ति शरीर तोषणं*
*विद्या विना नास्ति शरीर भूषणं।।*

मनुष्य के शरीर के सही पोषण हेतु सही मात्रा में पौष्टिक भोजन के समान अन्य कोई वस्तु नहीं होती है और न सदैव चिन्तित रहने के समान शरीर को नष्ट करने वाली कोई और वस्तु होती है। बिना किसी अच्छे मित्र के कोई व्यक्ति आनन्दित और संतुष्ट नहीं हो सकता है तथा विद्या के बिना शरीर को सुशोभित करने वाले आभूषण व्यर्थ हैं।

Nothing is comparable to taking right quantity of nourishing food for proper upkeep of human body, and nothing is more harmful than worries for withering or destroying the health. Without having a noble friend there is no pleasure and satisfaction in life, and there is no better adornment of one's personality than being a learned person.

स्वस्थ रहें। व्यस्त रहें। मस्त रहें।

शुभ दिन हो।

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Tuesday, November 5, 2019

प्रार्थना

*आकाशात् पतितं तोयं यथा गच्छति सागरम्।*
*सर्वदेवनमस्कार: केशवं प्रति गच्छति॥*

जिस प्रकार आकाश से गिरा जल विविध नदियों के माध्यम से अंतत: सागर से जा मिलता है, उसी प्रकार उपासना प्रार्थना किसी भी रूप की की जाए, परम् सत्ता को प्राप्त होती है।

As the water falls down in rain, through different rivers, finally reaches the Ocean, the worship of any divine aspect ultimately reaches the Supreme Being.

शुभ दिन हो।

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