Sunday, May 29, 2022

वट सावित्री व्रत

*मूले ब्रह्मा त्वचा विष्णु शाखा शंकरमेवच।*
*पत्रे पत्रे सर्वदेवायाम् वृक्ष राज्ञो नमोस्तुते।।*
 
जिस वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा तने पर श्री हरि विष्णु एवं शाखाओं पर देव आदि देव महादेव भगवान शंकर का निवास है और उस वृक्ष के पत्ते पत्ते पर विभिन्न देवताओं का वास है ऐसे वृक्षों के राजा को हमारा नमस्कार है।

Our salutations to the king of trees in which Brahma resides on the roots, Shri Hari Vishnu on the trunk and Dev Adi Dev Mahadev Lord Shankar resides on the branches and various deities on each of leaves.

*आज ज्येष्ठ अमावस्या, बड़ अमावस्या, वट सावित्री एवं शनि जयन्ति के इस विशेष पर्व पर सभी के सौभाग्य में वृद्धि हो ऐसी शुभकामनाएँ।*

*हृदय उदारता भरें,*
*मनुष्यता मनुज धरें,*
*न रोग शोक ग्रस्त हों,*
*सनातनी प्रथा वरें।*

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Friday, May 27, 2022

चरित्र

*वृत्तं यत्नेन संरक्षेत, वित्तम् आयातियाति च।*
*अक्षीणो वित्ततः क्षीणो, वृत्ततस्तु हतोहतः।।*

वृत्त (चरित्र) की सुरक्षा यत्नपूर्वक करनी चाहिए, वित्त (धन) तो आता-जाता रहता है। वित्त के क्षीण (नष्ट) होने से कुछ भी क्षीण नहीं होता, किन्तु वृत्त के नष्ट होने से सब कुछ नष्ट हो जाता है।

We should take care of the character very diligently, the money lost can be earned back. Nothing is impaired due to the loss of wealth, but the destruction of the character destroys everything.

चरित्र हमारा शौर्य भरा हो,
स्वर्ण समान शुद्ध खरा हो,
धर्म सनातन योग तपस्या,
इनसे जीवन नित सँवरा हो।

आज *वीर सावरकर* जयंती पर सदैव राष्ट्र प्रथम हेतु संकल्पित हों।

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Monday, May 23, 2022

ज्ञान

*न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।*
*तत्स्वयं योगसंसिद्ध: कालेनात्मनि विन्दति।।*
गीता : अध्याय ४, श्लोक ३८।

इस संसार में ज्ञान के समान पवित्र करने वाला निस्संदेह कुछ भी नहीं है। यह ज्ञान, कर्मयोग के द्वारा शुद्धान्त:करण हुआ मनुष्य कालांतर में अपने-आप ही आत्मा में पा लेता है।

On this earth, there is nothing which can purify as knowledge. The person who has attained purity of heart through a prolonged practice of Karmayoga automatically sees the light of truth in the self in course of time.

ज्ञान ध्यान तप योग जरूरी,
मिटे परम से अपनी दूरी।

*योग करें और स्वस्थ रहें।*

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Sunday, May 15, 2022

बुद्ध पूर्णिमा

*बुद्धम् शरणम् गच्छामि,* *धम्मम् शरणम् गच्छामि,*
*संघम् शरणम् गच्छामि।*

हम सत्य का अवलम्बन करें,
हम धर्म का अवलम्बन करें,
हम परम शक्ति का अवलम्बन करें।

Let us follow the truth,
Let us follow duties,
Let us trudge for eternal power.

आज तथागत बुद्ध के जन्मदिन, *वैशाख पूर्णिमा, बुद्ध जयंती* पर आएँ अपने कर्तव्य मार्ग पर अडिग रहने का संकल्प लें।

*हम कर्तव्य मार्ग पर अडिग रहें,*
*हम योग ध्यान से स्वस्थ रहें।*

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विवेक

*सहसा विदधीत न क्रियामविवेकः परमापदां पदम्।*
*वृणते हि विमृश्यकारिणं गुणलुब्धाः स्वयमेव संपदः।।*

आवेश में आ कर बिना सोचे समझे कोई कार्य नहीं करना चाहिए। 
विवेकशून्यता बड़ी विपत्तियों का द्वार है। 
जो व्यक्ति सोच समझकर कार्य करता है; गुणों से आकृष्ट होने वाली माँ लक्ष्मी स्वयं ही उसका चुनाव कर लेती है |

One should not indulge in action in a hurry.
Indiscretion becomes a step towards extreme troubles.
Glory (good results) always enticed by virtuosity prefer one who exercises discretion.

*विवेक साथ हो सदा,*
*निभाएँ हरेक कायदा,*
*न योग दूर हो कभी,*
*मिले हरेक फ़ायदा।*

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Tuesday, May 10, 2022

भाव

*न देवो विद्यते काष्ठे न पाषाणे न मृण्मये।*
*भावे हि विद्यते देवस्तस्माद् भावो हि कारणम्॥*

न ही लकड़ी या पत्थर की मूर्ति में, न ही मिट्टी में अपितु परमेश्वर का निवास तो भावों में यानि हृदय में होता है। अतः जहाँ भाव होता है, परमेश्वर वहीं प्रकट हो जाते हैं।

Neither in the idol of wood or stone, nor in the clay, but God resides in the notion. Therefore God appears where there is notion. The belief that makes us feel the presence. Hence, only the emotion/feeling matters – not the material.

भाव और विश्वास साथ हो,
पत्थर में भी परम प्राप्त हो,
नित्य योग हम अपनाएँ,
स्वस्थ रहें परम को पाऍं।

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Saturday, May 7, 2022

मातृ दिवस की शुभ कामनाये

*उपाध्यायात् दश आचार्यः आचार्याणां शतं पिता।*
*सहस्रं तु पित्रन् माता गौरवेण अतिरिच्यते।।*

शिक्षा और ज्ञान प्रदान करने में आचार्य, सामान्य शिक्षकों से दस गुणा श्रेष्ठ होता है और एक सौ आचार्यों से भी श्रेष्ठ एक पिता होता है। परन्तु एक माता श्रेष्ठता और सम्मान में पिता से भी हजार गुणा श्रेष्ठ होती है।

समस्त प्राणिमात्र में जन्मदात्री माता द्वारा अपनी संतान को शिक्षित करने और पालने पोसने में किया गया योगदान, अन्य व्यक्तियों के योगदान से हजारों गुणा महत्त्वपूर्ण है।

In respect of training and providing education professor is ten times superior than a primary level teacher, and the father is hundred times superior than the Professor, But the Mother is thousand times superior and respectable than the father.

The role of a mother in upbringing the child and in educating him, is thousand times better than other means.

माँ का दर्ज़ा सबसे ऊँचा इस जग में,
माँ ने ही सब सम्भाला इस जग में,
माँ के अंक पले भगवान स्वयं भी,
राम कृष्ण ने माँ को पूजा इस जग में।

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Tuesday, May 3, 2022

शुभ बुधवार

*ममैवांशो जीवलोके जीवभूत: सनातन:।*
*मन:षष्ठानीन्द्रियाणि प्रकृतिस्थानि कर्षति।।*

गीता : अध्याय 15, श्लोक 7।

गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं,
इस संसार में प्रत्येक जीव मेरा ही अंश है, और वह सनातन है। यही सनातन अंश इस प्रकृति में मन सहित छः इंद्रियों को स्वयं में आकर्षित करता है, अर्थात इस संसार को स्वयं का मान लेता है।

Shri Krishna says in Gita,
Every living being in this world is a part of me, and it is eternal. This eternal part attracts the six senses including the mind from this worldly nature and accepts this world as its own.

हम सब अंश परम के हैं,
मन में यह अभिमान करें,
स्वास्थ्य हमारा प्रथम धर्म,
योग करें हम ध्यान करें।

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