*अग्निर्देवो द्विजातीनां, मुनीनां हृदि दैवतम्।*
*प्रतिमा स्वल्पबुद्धीनां, सर्वत्र समदर्शिनः।।*
चाणक्य नीति
द्विजों अथवा ब्राह्मणों के लिए अग्नि भगवान है।
मुनियों का भगवान उनके हृदय में स्थित है।
अल्पबुद्धि लोगों का भगवान प्रस्तर प्रतिमा अर्थात मूर्ति में स्थित है।
और जो समदर्शी हैं उनके लिए भगवान सर्वत्र हैं।
For the brahmins, fire is God;
for the ascetics, the Lord is in their hearts; for those with little insight, it is in the statue; for those with equanimity, He is everywhere!
पञ्च दिवसीय सम्पूर्ण महापर्व *दीपावली* (स्वास्थ्य, रूप, समृद्धि, उल्लास एवं सुरक्षा हेतु आराधना का पर्व) के द्वितीय दिवस *रूप चतुर्दशी*, काली चौदस एवम् छोटी दीपावली पर हम सभी स्वस्थ एवं रूपवान बनें।
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