Saturday, September 4, 2021

शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं

*अपूर्व: कोपि कोशोयं विद्यते तव भारति।*
*व्ययतो वृद्धिमायाति क्षयमायाति संचयात्॥*

विद्या रूपी कोष अपूर्व है, आश्चर्य जनक है। विद्या का उपयोग करने से एवं दूसरों में बाँटने से वह बढ़ती है। इसके विपरीत संग्रहित करने से क्षीण होती जाती है।

The knowledge has different characteristics. It increases while being spent and decreases while being kept unused.

शिक्षा का उपयोग करें,
अधिकाधिक सहयोग करें,
सीखें भी सिखलाएँ भी,
विद्या को फैलाएँ भी।

आज *शिक्षक दिवस* पर सभी सीखाने वाले शिक्षकों को नमन करते हुए शिक्षा के अधिकाधिक प्रचार प्रसार हेतु संकल्पित हों।

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