*ऊँ विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परा सुव।*
*यद् भद्रं तन्न आ सुव।।*
ऋग्वेद : मण्डल ५, सूक्त ८२/५.
हे सब सुखों के दाता ज्ञान के प्रकाशक सकल जगत के उत्पत्तिकर्ता एवं समग्र ऐश्वर्ययुक्त परमेश्वर! आप हमारे सम्पूर्ण दुर्गुणों, दुर्व्यसनों और दु:खों को दूर कीजिये, और जो कल्याणकारक गुण, कर्म, स्वभाव, सुख और पदार्थ हैं, हमें प्रदान कीजिये।
O the giver of all pleasures, the illuminator of knowledge, the creator of the whole world and the God of all opulence! Kindly take away all our vices, addictions and sorrows, and bestow upon us the beneficial qualities, deeds, nature, pleasures and substances.
आज *रमा एकादशी* से प्रारम्भ होने वाले दीपों के महोत्सव में माँ लक्ष्मी हम सभी को स्वस्थ और समृद्ध बनाए।
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