Friday, December 25, 2020

प्रभु प्राप्ति

*यत्र योगेश्वर: कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धर:,*
*तत्र श्रीर्विजयो भूतिध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।*

गीता : अध्याय १८: श्लोक ७८।

गीता का अंतिम श्लोक सम्पूर्ण सार बताता है:
जहाँ योगेश्वर भगवान् श्री कृष्ण (परम सत्ता) हैं और जहाँ गाण्डीव-धनुषधारी अर्जुन (पूर्ण समर्पित कर्ता) हैं, वहीं पर श्री, विजय, विभूति और अचल नीति है- ऐसा मेरा मत है।

The last verse of _GEETA_ tells the essence : Wherever there is Shree Krishna, the Lord of all Yog (Almighty) and wherever there is Arjun (a dedicated doer), the supreme archer, there will certainly be unending opulence, victory, prosperity, and righteousness.

*हों अर्जुन सम पूर्ण समर्पित,*
*कृष्ण मिलेंगें है यह निश्चित,*
*विजय विभूति श्री भी होगी,*
*संशय इसमें नहीं है किञ्चित।*

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Thursday, December 24, 2020

गीता जयंती

*धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।*
*मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय॥*
(गीता १/१)

युद्ध के मैदान में मोहग्रस्त अर्जुन को जीवन का सार समझाते हुए परम योगीश्वर भगवान् श्रीकृष्ण ने आज ही के दिन मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को गीता का ज्ञान दिया था।
 
सम्पूर्ण गीता का सार एवं जीवन जीने का सूत्र, जो इसके प्रथम श्लोक के पहले दो शब्दों *धर्मक्षेत्रे कुरूक्षेत्रे* में ही समाहित है,

*क्षेत्रे क्षेत्रे धर्म कुरु*

अर्थात जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में धर्म के अनुसार आचरण करें।

We should do all our deeds righteously according to our duty in all the fields of our life.

(यद्यपि श्रीमद्भागवत गीता का यह श्लोक धृतराष्ट्र द्वारा संजय से युद्ध क्षेत्र के क्रिया कलापों को जानने हेतु किया गया प्रश्न है।)

आज गीता जयंती पर आएँ हम सभी इसी सार को अपने जीवन एवं अपने आचरण में धारण करें।

सादर,

*मोक्षदा एकादशी, गीता जयंती की शुभकामनाएँ।*

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Wednesday, December 23, 2020

परम सत्ता

*करोषीव न कर्ता त्वं गच्छसीव न गच्छसि।*
*श्रृणोषि न श्रृणोषीव पश्यसीव न पश्यसि॥*
अध्यात्म रामायण : बालकाण्ड : तृतीय सर्ग श्लोक २३।

परमसत्ता के परम रूपः का वर्णन करते हुए कहा :
हे प्रभु! आप कर्ता नहीं हैं, फिर भी करते हुए प्रतीत होते हैं। चलते नहीं हैं, फिर भी चलते से मालूम होते हैं। न सुनते हुए भी सुनते से दिखाई देते हैं। और न देखते हुए भी देखते हुए जान पड़ते हैं।  

इसी परम रूप का वर्णन तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में किया है:

*बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना।* *कर बिनु करम करइ बिधि नाना॥*
*आनन रहित सकल रस भोगी।* *बिनु बानी बकता बड़ जोगी॥*

The Almighty is not a doer, yet seem to be doing. Don't walk, but appear to be walking.  Don't listen, but look to be listening. And appear to be watching, despite not watching actually.

*परम शक्ति को जानें हम,*
*अन्तस् में है मानें हम,*
*हम सब अंश उसी का हैं,*
*निज को अब पहचानें हम।*

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Tuesday, November 24, 2020

तुलसी विवाह

*त्रिकाल बिनता पुत्र प्रयाश तुलसी यदि।*
*विशिष्यते कायशुद्धिश्चान्द्रायण शतं बिना।।*

यदि सुबह, दोपहर और शाम को तुलसी का सेवन किया जाए तो उससे शरीर इतना शुद्ध हो जाता है, जितना अनेक चांद्रायण व्रत के बाद भी नहीं होता।

If one consumes _Tulsi_ three times (morning, afternoon and evening) a day her/his body will become more clean than it can be done by doing _Chandrayan Vrat_ (a very difficult fasting). 

*Please plant a _Tulsi_ at home.*

*देव प्रबोधिनी एकादशी (तुलसी विवाह) पर हम अपने सोये देवत्व को जागृत करें।*

*तुलसी को अपनाएँ हम,*
*रोग प्रत्येक हराएँ हम,*
*जीवन स्वस्थ बनाएँ हम,*
*सोया देवत्व जगाएँ हम।*

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Friday, November 20, 2020

जय छठ मैया

*ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।*
*अनुकंपय माम् भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।*

समस्त प्राणियों को नित्य नवजीवन प्रदान करने वाले ऊर्जा के अक्षुण्ण स्रोत सूर्य देवता की प्रथम किरण ऊषा को अर्घ्य समर्पित करूँ एवं सूर्य देव अपनी असीम अनुकम्पा हम सभी पर बरसाए।

We pray the first ray *Usha* of the eternal source of energy the *Sun* on this auspicious day of *Soorya Shashthi* and be blessed.

उदय होते सूर्य की प्रथम किरण *ऊषा* को अर्घ्य देते हुए *सूर्य आराधना के महापर्व सूर्य षष्ठी* (छठ पूजा) पर भगवान भास्कर अपने प्रखर तेज से जीवन के सभी सन्ताप नष्ट करें, ऐसी मंगलकामनाएँ।

*किरण प्रथम को अर्घ्य हमारा, सूर्य देव स्वीकार करो,*
*भाव पुष्प अर्पण करते हैं, हम सबका उद्धार करो।*

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Thursday, November 19, 2020

जय छठ मैया

*ॐ सूर्य देवं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणा करं।*
*अर्घ्यं च फलं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतै युतम्।।*

हे सूर्य देव! हम आपको सुगंधित पुष्प फल माला अक्षत से परिपूरित पूर्ण श्रद्धा से अर्घ्य अर्पित करते हैं, आप इसे ग्रहण कर हम पर करुणा करो।

O Sun God! We offer you arghya with full devotion, complemented by fragrant flowers fruits garlands, kindly accept and bless us.

*सूर्योपासना के महापर्व सूर्य षष्ठी (छठ पूजा) पर आज अस्ताचलगामी सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देते हुए जीवन में इस विश्वास को दृढ़ करें कि अस्त हुआ सूर्य पुनः नयी आभा के साथ शीघ्र उदय होता है।*

छठी मैया सभी के जीवन में उल्लास एवं स्वास्थ्य भर दे।

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Friday, November 13, 2020

शुभ दीपावली

*दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।*
*दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते।।*

*तमसो मा ज्योतिर्गमय*

अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ें।

Come, walk towards LIGHT from Darkness.

दीपक की ज्योति की भाँति हमारी वृत्ति भी सदैव ऊपर उठे, प्रगति करे, इसी भाव को धारण करते हुए हम सभी अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर बढ़ें।

दीप पर्व है दीप जलाएँ,
अंधकार को आज हराएँ,
आलोकित करने हर जीवन,
आएँ हम दीपक बन जाएँ।

*शुभ दीपावली*
*स्वस्थ दीपावली*
*मंगल दीपावली*

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Saturday, November 7, 2020

विचार

*अपवक्ता हृदयाविजश्चित्।* (ऋग्वेद 1/24/8)

उन सभी कुत्सित विचारों को त्याग दीजिये जो आत्मा को कष्ट दे अथवा नष्ट कर दे।

Abandon all sorrowful thoughts which may trouble or destroy the soul.

*हम ईश्वर की संतानें,*
*आज स्वयं को पहचानें।*

स्वस्थ रहें।

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Thursday, November 5, 2020

सम भाव

*इहैव तैर्जितः सर्गो येषां साम्ये स्थितं मनः।*
*निर्दोषं हि समं ब्रह्म तस्माद्ब्रह्मणि ते स्थिताः।।*
गीता : अध्याय ५, श्लोक १९।

जिस मनुष्य का मन सम-भाव में स्थित रहता है, उसके द्वारा जन्म-मृत्यु के बन्धन रूपी संसार को जीत लिया जाता है क्योंकि वह ब्रह्म के समान निर्दोष एवं सम होता है और सदा परमात्मा में ही स्थित रहता है।

तुलसीदास जी ने भी इस तथ्य को सरल शब्दों में कहा है:
*समरथ कहुँ नहि दोष गुसाईं।*
*रवि पावक सुरसरि की नाईं।*
  
Those whose minds are established in sameness and equanimity have already conquered the conditions of birth and death. They are flawless like Almighty, and thus they are already situated in Almighty.

स्वस्थ रहें।

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Sunday, November 1, 2020

व्यवहार

*श्रूयताम धर्मसर्वस्वं श्रुत्वा चैवानुवर्यताम।*
*आत्मनः प्रतिकूलानि, परेषाम न समाचरेत॥*

धर्म का भावार्थ सुनें एवं समझ कर जीवन में अनुपालन करें। दूसरों के साथ वैसा व्यवहार न करें जो स्वयं के लिए प्रतिकूल हो।

किन्तु इसी के साथ नीति कहती है,

*शठे शाठ्यम समाचरेत्*

 दुष्टों के साथ दुष्टतापूर्ण व्यवहार उचित है।

We should follow the cases of religion after thorough analysis. We should not behave others in a way which we didn't like for us.

but it is also said that

_TIT for TAT_

*नहीं किसी का अहित करेंगें,*
*किन्तु न हम अन उचित सहेंगें।*
*स्वस्थ रहेंगें स्वस्थ रखेंगें,*

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Saturday, October 31, 2020

धर्म

*उच्छिद्यते धर्मवृतं अधर्मो विद्यते महान्।*
*भयमाहुर्दिवारात्रं यदा  पापो  न वार्यते।।*

समाज में जब पापकर्मों (बुरे और निषिद्ध कार्यों) पर किसी प्रकार का  नियन्त्रण  और प्रतिबन्ध नहीं होता है  तब लोगों के धार्मिक आचरण में न्यूनता (कमी) होने लगती है और अधर्म (बुरे और निषिद्ध कर्मों) में महान वृद्धि होने से रात दिन सर्वत्र भय व्याप्त हो जाता है।
 
In a society where there is no control over sinful and illegal deeds, there is a steep decline in the  religious austerity of the people, and  as a result  there is abnormal  increase in immorality, and an environment of fear is built up everywhere at all times.

धर्म अडिग हो धर्म अटल हो,
करुणा से पूरित हर पल हो,
आज अगर हम धर्म निभाएँ,
तभी सुरक्षित अपना कल हो।

स्वस्थ रहें।

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Friday, October 30, 2020

बाल्मीकि जयंती

*मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगम: शास्वती समा।*
*यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधी: काममोहितम्।।*

हे निषाद। तुझे कभी भी शान्ति न मिले, क्योंकि तूने इस काम से मोहित क्रौंच के जोड़े में से एक की बिना किसी अपराध के ही हत्या कर डाली।

आदि कवि वाल्मीकि जी ने करुणा से भरकर इस प्रथम श्लोक की रचना की एवं तत्पश्चात *रामायण* की रचना की।

एक दस्यु से महर्षि बने *वाल्मीकि* से आज उनकी जयंती पर हम सभी सदैव उत्कृष्टता की ओर बढ़ने का सङ्कल्प लें।

देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिवस पर आज हम सभी *राष्ट्रीय एकता दिवस* पर देश की एकता एवं अखण्डता हेतु संकल्पित हों।

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Thursday, October 29, 2020

शरद पूर्णिमा

*समप्रकास तम पाख दुहु, नाम भेद बिधि कीन्ह।*
*ससि सोषक पोषक समुझि, जग जस अपजस दीन्ह॥*
रामचरित मानस : बालकाण्ड।

एक माह के दो पक्षों (शुक्ल एवं कृष्ण) में प्रकाश एवं अंधकार समान होता है किंतु दोनों की प्रकृति भिन्न है। एक चन्द्रमा को क्रमशः बढ़ाता जाता है और दूसरा घटाता जाता है, इसी कारण एक को यह जग यश देता है जबकि दूसरे को अपयश देता है।

Two fortnights of a month _Shukla_ and _Krishna_ are having same brightness and darkness, but are separated by the nature of both. One increases the moon gradually and other decreases, that is why the world praises one but condemn other.

अमृत वर्षा एवं महारास का यह पर्व *शरद पूर्णिमा, रास पूर्णिमा एवं कोजागरी पूर्णिमा* के नाम से जाना जाता है, हम सभी पर अमृत बरसे एवं हम सभी स्वस्थ बनें।

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Monday, October 26, 2020

परोपकार

*उपकर्तुं यथा स्वल्पं समर्थो न तथा महान्।*
*प्रायः कूपस्तृषां हन्ति सततं न तु वारिधिः।।*

परोपकार करने में एक साधारण व्यक्ति, एक महान व्यक्ति से अधिक समर्थ हो सकता है। उदाहरण स्वरूप एक साधारण कुँआ निरन्तर सामान्य जनों की प्यास बुझाता है न कि विशाल समुद्र।

An ordinary person can be more capable of doing charity than a great person. For example, an ordinary well continuously quenches the thirst of ordinary people and not the vast sea.

*हम उपकार करें जीवन में,*
*पर अभिमान करें न मन में।*

आज पापांकुशा एकादशी पर स्वस्थ रहने का संकल्प लें।

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Saturday, October 24, 2020

जय माता दी

*सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।*
*शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥*

हे त्रिनेत्री, महासुंदरी, शरण में आये को अभय देने वाली, सभी मङ्गलकारकों की मङ्गलमयी माँ, आपकी स्तुति करते हैं। आप सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करें एवं सिद्धियां प्रदान करें।

Prayer to Goddess : 
Thy is the Giver of Refugee, With Three Eyes and a Shining beautiful face. Thy is the Auspiciousness in all the auspicious, Auspiciousness thyself, Complete with All the Auspicious Attributes, fulfill all the objectives of the Devotees.

*नवम नौरात्रि पर माँ सिद्धिदात्री हम सभी की संचित शक्तियों को पूर्णता प्रदान करे एवं वांछित फल दे।*

आज *विजय दशमी* का पर्व भी है, हम सभी अपनी संचित शक्तियों का उपयोग कर स्वयं पर विजय प्राप्त करें, यही शक्ति हमें इस महामारी से विजय दिलाए ऐसी शुभकामना।

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Friday, October 23, 2020

जय माता दी

*वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृत शेखराम्।*
*सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥*

सिंह पर सवार, चार भुजा वाली, शीष पर अर्धचंद्र धारण किये, समस्त कामनाओं की पूर्ति करने वाली यशस्विनी माँ महागौरी को नमन।

I bow to Yashaswini Maa Mahagauri, who Riding on a lion, having four arms, holding a crescent on her head, bestow all the wishes.

माँ दुर्गा का अष्टम स्वरूप महागौरी हम सभी को अपने अनुग्रह से पूरित करे।

दुर्गा महाष्टमी की अनन्त शुभकामनाओं के साथ माँ से समस्त विश्व को इस महामारी से मुक्त करने की प्रार्थना।

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Tuesday, October 20, 2020

मित्र

*अपि संपूर्णता युक्तैः कर्तृव्या सुहृदो बुधैः।*
*नदीशः परिपूर्णोऽपि चन्द्रोदयमपेक्षते।।*

जिस प्रकार समुद्र को अथाह जल राशि के होते हुए भी ज्वार उत्पन्न करने के लिए चन्द्रमा की आवश्यकता पड़ती है। 
उसी तरह सर्वगुण संपन्न विद्वान् व्यक्ति को भी किसी विशेष कार्य को संपन्न करने हेतु अपने मित्रों की सहायता की आवश्यकता पड़ती है।

The Ocean, which is full to the brim with water, needs the Moon to raise its water level in the sky and to create high tide.
Similarly learned persons, well versed in various disciplines of learning, need the assistance of their friends for accomplishing a particular task.

*पंचम नौरात्र पर माँ के स्कंदमाता स्वरूप को नमन*

जब तक दवाई नहीं,
तब तक ढिलाई नहीं,
मित्र रखें, दूरी रखें,
स्वस्थ रहें, स्वस्थ रखें।

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Monday, October 19, 2020

यश

*न धैर्येण विना लक्ष्मी: न शौर्येण विना जयः।*
*न ज्ञानेन विना मोक्षो न दानेन विना यशः॥*

धैर्य के बिना धन, वीरता के बिना विजय, ज्ञान के बिना मोक्ष और दान के बिना यश प्राप्त नहीं होता है।

One can't achieve Wealth without Patience, 
Triumph without Velour, 
Salvation without Wisdom and 
Fame without Charity.

*आज चतुर्थ नौरात्र पर माँ के कूष्मांडा स्वरूप को नमन।*

स्वस्थ रहें।

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Sunday, October 18, 2020

सतर्क रहें

*अल्प: अपि ह्यरिरत्यन्तं वर्धमान पराक्रमः।*
*वल्मीको मूलज इव ग्रसते वृक्षमन्तिकात्।।*

एक शत्रु यद्यपि बहुत छोटा ही क्यों न हो, कुछ समय के बाद उसकी शक्ति में अत्यन्त वृद्धि हो जाती है और अन्ततः वह अस्तित्व का संकट उसी प्रकार उत्पन्न कर देता है जैसे एक वृक्ष की जड़ के पास स्थित एक दीमकों की छोटी सी बांबी धीरे धीरे सारे वृक्ष को ही चट कर जाती है।

An enemy, however may be small in the start, becomes very powerful with the passage of time and becomes a threat to life, just like a small termite hill at the root of a tree spreads and ultimately destroys the entire tree.

*आज तृतीय नौरात्रि पर माँ के चंद्रघंटा स्वरूप को नमन*

पुनः पुनः यह एक निवेदन,
रहें स्वच्छ, स्वस्थ रहे तन,
कर लें अधिकाधिक प्रभु सुमिरन,
धन्य बने हम सबका जीवन।

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Saturday, October 17, 2020

परोपकार

*उपकारः परो धर्मः परोर्थः कर्मनैपुणं।*
*पात्रे दानं परः कामः परो मोक्षो वितृष्णता।।*

निस्वार्थ भाव से लोगों की सहायता करना सर्वोत्तम धार्मिक आचरण है, सर्वोत्तम संपत्ति किसी भी प्रकार के कार्य में निपुणता है, सुपात्र व्यक्तियों को दान देना सर्वोत्तम दान है। इसके पश्चात अत्यधिक लालच न करते हुए अपनी इच्छाओं की पूर्ति और अन्ततः मोक्ष की प्राप्ति ही जीवन का सर्वोत्तम ध्येय है।

Helping voluntarily the needy persons is the best form of religious austerity and the best form of wealth is expertise in any subject or work. Giving donations to most deserving persons is the best form of charity and fulfilling one's needs without being greedy and ultimately attaining emancipation (Moksha) is the best aim of one's life.

*नौरात्रि में माँ के द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी को नमन*

तप बल से हम सज्जित हों,
हो स्वस्थ स्वयं में स्थित हों,
माँ के चरणों में ध्यान सदा,
देश धर्म हेतु समर्पित हों।

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Thursday, October 15, 2020

स्वाध्याय

*पठतो नास्ति मूर्खत्वं जपतो नास्ति पातकम्।*
*मौनिनः कलहो नास्ति न भयं चास्ति जाग्रतः।।*

अध्ययन करने वाले को मूर्खता नहीं आती, परम तत्व को स्मरण करने वाला बुरे कर्मों से दूर रहता है, मौन रहने वाले का झगड़ा नहीं होता और जागृत अर्थात सतर्क रहने वाले को भय नहीं होता।

A knowledge seeker/learner doesn't have imbecility; a contemplating person won't have sin; a silent observer won't get in strife; there is no fear for the awakened/ alert person. 

स्वाध्याय करें, स्मरण करें,
हम सतर्क हो नहीं डरें,
निज स्वास्थ्य का ध्यान धरें,
परम् तत्व का ध्यान करें।

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Wednesday, October 14, 2020

कर्तव्य

*चला लक्ष्मीश्चला: प्राणाश्चलं जीवित-यौवनम्।*
*चलाचले च संसारे धर्म एको हि निश्चलः॥*

धन सम्पदा आती है जाती है, जीवन, यौवन भी चले जाते हैं, इस चलाचल (आने जाने वाले) संसार में मात्र एक धर्म अर्थात कर्तव्य ही निश्चल है।

Wealth comes and goes, life and youth also don't remain, in this world of coming and going, the _Dharma_ only is eternal.

निज कर्तव्य का भान करें,
अटल यही है मान करें,
जीवन यौवन धन जाने हैं,
परम तत्व का ध्यान करें।

स्वस्थ रहें।

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Monday, October 12, 2020

मधुर वचन

*दातृत्वं प्रियवक्तृत्वं धीरत्वमुचितज्ञता।*
*अभ्यासेन न लभ्यन्ते चत्वार: सहजा गुणा:।।*

दान देने की इच्छा, मधुर वचन बोलना, सहनशीलता और उचित-अनुचित का ज्ञान- ये चार बातें मनुष्यों में सहज स्वभाव से ही होती है, इन्हें अभ्यास से प्राप्त नहीं किया जा सकता।

Willingness to donate, speak sweet words, tolerance and knowledge to distinguish proper and inappropriate - these four things happen in human by nature only, they cannot be achieved through practice.

यदि मिला है मानव का तन,
कर लें प्रभु का थोड़ा सुमिरन,
स्वस्थ रहें खुश रखें यह मन,
होगा सार्थक अपना जीवन।

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Thursday, October 8, 2020

गुण

*पात्रविशेषे न्यस्तं गुणान्तरं व्रजति  शिल्पमाधातुः।*
*जलमिव समुद्रशुक्तौ मुक्ताफलतां  पयोदस्य।।*

वर्षा की बूंदें जब समुद्र में उत्पन्न सीपियों के अन्दर विशेष परिस्थिति में प्रवेश करती हैं तो कालान्तर में वह मोती बन जाती हैं। इसी प्रकार गुण ग्रहण करने की विशेष क्षमता वाले सामान्य व्यक्ति जब गुणी व्यक्तियों के संपर्क में आते हैं तो वे भी गुणवान हो जाते हैं।

When rain drops enter inside ordinary sea shells during a particular auspicious time, they become pearl bearing shells.
Similarly, a complete change in the merits can occur in only those persons who are endowed with special qualities of acquiring virtues by coming in contact with virtuous and knowledgeable persons.

गुणवानों का साथ रखें,
किन्तु दूरी अवश्य रखें।
मुख को ढककर सदा रखें,
स्वस्थ बनें, स्वस्थ रखें।

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Wednesday, October 7, 2020

संचय

*कबिरा सो धन संचिये, जो आगे को होय।*                      *सीस चढ़ाये पोटली, जात न देख्यो कोय।।*

कबीर कहते हैं कि उस धन का संचय करो जो भविष्य में अर्थात इहलोक में भी काम आए क्योंकि मृत्यु के पश्चात सर पर धन की गठरी बाँध कर ले जाते तो किसी को नहीं देखा।

One should collect the wealth of good deeds which can be used after death also as no body can take this physical wealth with him to another world.

स्वस्थ रहें।

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Tuesday, October 6, 2020

जीवन

*पुनर्वित्तं पुनर्मित्रं पुनर्भार्या पुनर्मही।*
*एतत्सर्वं पुनर्लभ्यं न शरीरं पुनः पुनः॥*

One can get wealth back, all his assets back, friends and wife back, and all the power back. But no one can get his life back once it is gone.

राज मित्र धन संपदा, परिजन अरु परिवार।
खोवे तो पुनि मिल सके, हमको बारम्बार।।

किन्तु तन से प्राण प्रभो, निकसे जो इक बार।
लौट सके न कबहु पुनि, पुनि पुनि करो विचार।।

जीवन है अनमोल जान लें,
स्वस्थ रहें हम नित्य ठान लें।

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Monday, October 5, 2020

सार तत्त्व

*अणुभ्यश्च महद्भ्यश्च शास्त्रेभ्यः कुशलो नरः।*
*सर्वतः सारमादद्यात्पुष्पेभ्य इव षट्पदः।।*

जिस तरह से मधुमक्खी विभिन्न प्रकार के पुष्पों का सार (पराग और मधु) ग्रहण कर लेती है, 
उसी प्रकार विद्वान एवम्  कुशल जन एक अणु समान छोटी अथवा बहुत बड़ी वस्तु से, सर्वत्र इधर उधर विचरण कर उसका सार तत्व ग्रहण कर लेते हैं।

Learned persons, expert in various Scriptures, collect the essence of various disciplines of learning by roaming everywhere just like the honey bees, who collect the nectar from all types of flowers.

सीख बड़ा भी उतनी देता,
छोटा जितना सिखला देता,
हम भी सबसे अच्छा सीखें,
स्वस्थ रहें, समृद्ध बनें।

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Saturday, October 3, 2020

स्नेह

*आवत ही हरषै नहीं, नैनन नहीं सनेह।*
*तुलसी तहां न जाइये, कंचन बरसे मेह॥*

तुलसी दास जी कहते हैं कि जिस स्थान पर लोग आपके जाने से प्रसन्न न होवें और जहाँ लोगों की आँखों में आपके लिए प्रेम अथवा स्नेह ना हो ऐसे स्थान पर भले ही धन की कितनी भी वर्षा हो रही हो, नहीं जाना चाहिए।

At the place where people are not happy to see you and where there is no love or affection for you in their eyes, no matter how profitable to visit there, you should not go.

*समय अभी ऐसा ही जानो,*
*मिलो दूर से कहना मानो।*

स्वस्थ रहें।

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Wednesday, September 30, 2020

परिस्थिति

*उग्रत्वं च मृदुत्वं च समग्रं वीक्ष्य संश्रयेत्।*
*अन्धकारम् असंहृत्य न उग्रो भवति भास्करः।।*

जिस प्रकार सन्ध्या तथा प्रातःकाल के समय सूर्य अपने प्रखर रूप मे नहीं रहता है। उसी प्रकार परिस्थिति के अनुसार ही मनुष्य को उग्र अथवा मृदु व्यवहार करना चाहिए। परिस्थिति अनुकूल न हो तो क्रोध करने से कोई लाभ नहीं होता है।

Simile of the setting and rising Sun, while dealing with others one should behave firmly (angrily) or gently (with courtesy) only after properly assessing the prevailing situation. When the situation is adverse showing anger does not help at all.

प्रातः संध्या धीमा रहता,
देख समय सूर्य चमकता,
जीवन का यह पाठ सिखाता,
समयानुकूल व्यवहार सुहाता।

स्वस्थ रहें।

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Tuesday, September 29, 2020

सुख दुःख

*सुखमापतितं सेव्यं दु:खमापतितं तथा।*
*चक्रवत् परिवर्तन्ते दु:खानि च सुखानि च॥*

जीवन में आने वाले सुख का आनन्द लें तथा दु:ख को भी स्वीकार करें।
सुख और दु:ख एक के बाद एक चक्रवत आते रहते हैं।

We should accept sorrow in life as well as joyous moments. Sorrow and Joy both are inevitable and come turn by turn.

सुख दुख दोनों बहते रहते, अविरल समय प्रवाहों में,
सुख है दुःख की गोदी में,
दुःख है सुख की बाहों में।

स्वस्थ रहें।

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Monday, September 28, 2020

परिश्रम

*यथा हि एकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत्।*
*एव पुरूषकारेण विना दैवं न सिध्यति॥*

जिस प्रकार एक पहिये वाले रथ की गति सम्भव नहीं है, उसी प्रकार पुरुषार्थ एवम् परिश्रम के बिना केवल भाग्य से कार्य सिद्ध नहीं होते हैं।

Just like a chariot cannot run with only a single wheel, similarly luck alone cannot work without efforts.

आएँ हम पुरुषार्थ करें,
कभी विफलता से न डरें।

स्वस्थ रहें।

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Sunday, September 27, 2020

मित्र

*अर्चयेदेव मित्राणि सति वाऽसति वा धने।*
*नानर्थयन् प्रजानति मित्राणं सारफल्गुताम्॥*
महाभारत : विदुर नीति

Friends should be respected in every situation, whether they have money or not and they should be helped in times of need even if there is no direct benefit.

मित्रों का हर स्थिति में आदर करना चाहिए, चाहे उनके पास धन हो अथवा न हो तथा मित्र से कोई स्वार्थ न होने पर भी आवश्यकता के समय उनकी सहायता करनी चाहिए।

*जीवन की हर एक डगर,*
*मित्र जरूरी पग पग पर।*

स्वस्थ रहें।

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Saturday, September 26, 2020

उत्साह

*उत्साहो बलवानार्य नास्त्युत्साहात्परं बलम्।*
*सोत्साहस्य च लोकेषु न किंचिदपि दुर्लभम्॥*
वाल्मीकि रामायण : किष्किन्धा काण्ड ; १/१२१

Enthusiasm is the power of men. Nothing is as powerful as enthusiasm. Nothing is difficult in this world for an enthusiastic person.

उत्साह पुरुषों का बल है, उत्साह से बढ़कर और कोई बल नहीं है। उत्साहित व्यक्ति के लिए इस लोक में कुछ भी दुर्लभ नहीं है। 

*तुम उत्साह कभी मत खोना,*
*हारेगा निश्चित कोरोना।*

स्वस्थ रहें।

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Friday, September 25, 2020

धैर्य

*अभिवर्षति योऽनुपालयन्विधिबीजानि विवेकवारिणा।*
*स सदा फलशालिनीं क्रियां शरदं लोक इव अधितिष्ठति॥*
किरातार्जुनीय : द्वितीय सर्ग।

जो कृत्य या करने योग्य कार्य रूपी बीजों को विवेक रूपी जल से धैर्य के साथ सींचता है वह मनुष्य फलदायी शरद ऋतु की भांति कर्म-साफल्य को प्राप्त करता है।

A person who irrigates the seeds of work or doable work with patience through water like prudence, attains success like a fruitful autumn.

*कर्म सींचे धैर्य रखकर,*
*जल विवेकवान हृदय से,*
*हम सफल निश्चित ही होंगें,*
*जीत जाएँ हार के भय से।*
स्वस्थ रहें।

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Thursday, September 24, 2020

अहम

*अहं कर्तेत्यहंमानमहाकृष्णा हि दन्शितः।*
*नाहं कर्तेति विश्वासामृतं पीत्वा सुखी भव।।*
अष्टावक्र गीता : अध्याय १, श्लोक ८।

*मैं कर्ता हूँ* इस अहं रूपी सर्प के दंश से हम सभी पीड़ित हैं अतः *मैं कर्ता नहीं हूँ* इस अमृत का पान करें एवम् सुखी हो जाएँ।

*I am the doer*, we all have been suffering from this ego, so take the nectar of *I am not the doer* and be happy.

अहम् को त्यागें।

*मुझे नहीं होगा कोरोना,*
*इसी अहम का मन में होना,*
*घातक है यह इसको छोड़ें,*
*घर की सीमा अभी न तोड़ें।*

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Wednesday, September 23, 2020

आंतरिक शक्ति

*अन्तः सारविहीनस्य सहायः किं करिष्यति।*
*मलयेऽपि स्थितो वेणुर्वेणुरेव न चन्दनः।।*

जिस व्यक्ति में स्वयं अपनी आन्तरिक शक्ति या सामर्थ्य न हो उसकी सहायता करने से कुछ भी लाभ नहीं होता है। उदाहरणार्थ मलय प्रदेश में चन्दन वृक्ष के वनों में उगे हुए बाँस के वृक्ष बाँस के ही  रहते हैं और चन्दन नहीं हो जाते हैं।

It is of no use to help a person who is devoid of inner strength and capability, just like the bamboo trees growing in the Malaya region in a forest of Sandalwood trees remain as bamboo trees and do not become sandal wood trees.

*अपनी अन्तस शक्ति बढ़ाएँ,*
*कोरोना को मार भगाएँ।*

स्वस्थ रहें।

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Tuesday, September 22, 2020

ज्ञान

*ज्ञान मान जहँ एकउ नाहीं।*
*देख ब्रह्म समान सब माहीं॥*
रामचरित मानस: अरण्य काण्ड।

ज्ञान वह है, जहाँ अभिमान रूपी दोष नहीं है और जो सबमें समान रूप से ब्रह्म का स्वरूप ही देखता है।

Intellect is the absence of ego and treating all equally.

*स्वयं बचें औरों को बचाएँ,*
*कोरोना को मार भगाएँ।*

स्वस्थ रहें।

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Monday, September 21, 2020

हरि आराधना

*जाति पात पूछे नहीं कोई,*
*हरि को भजे सो हरि का होई।*

साध्य अर्थात लक्ष्य कभी भी जाति अथवा पंथ के बारे में नहीं पूछता वरन जो लक्ष्य को प्रति क्षण स्मरण करता है उसे लक्ष्य प्राप्त होता है।

Goal or achieving something never asks about caste or creed, but one who trudges his goal every moment, achieves the goal.

*एक लक्ष्य स्वस्थ रहें सब,*
*इस संकट से जीतें सब।*

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Sunday, September 20, 2020

हित

*स अर्थो यो हस्ते तत् मित्रं यत् निरन्तरं व्यसने।*
*तत् रूपं यत् गुणाः तत् विज्ञानं यत् धर्मः।।*

वही सच्चा धन है जो अपने हाथ (अधिकार) में हो और वही सच्चा मित्र है जो हमेशा विपत्ति में भी साथ दे। रूपवान होना तभी शोभा देता है जब कि व्यक्ति गुणवान भी हो, तथा वही विज्ञान सही है जो धर्म के सिद्धान्तों के अनुसार (समाज के हित के लिए) हो।

Only that wealth is the real wealth which is in our hands (under control) and only that person is a real friend who constantly supports us even in adversity. Beauty of a person is real only when he is also virtuous and a science or a discipline of learning is real only when it propagates religious austerity and righteousness.

स्वास्थ्य हमारा हाथ हमारे।

स्वस्थ रहें।

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Saturday, September 19, 2020

धर्म

*अकृत्यं नैव कर्तव्यं प्राणत्यागेऽप्युपस्थिते ।*
*न च कृत्यं परित्याज्यं एष धर्मः सनातनः॥*

प्राण त्याग करने की परिस्थिति में भी अयोग्य/ निषिद्ध काम नहीं करना चाहिए, और करने योग्य काम नहीं छोडना चाहिए – यह सनातन धर्म है।

One should not do improper or criminal acts even if he faces a threat to his life, and should perform his duties. 

*स्वस्थ रहें, शक्ति संचित करें।*

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Friday, September 18, 2020

सत्संग

*तात स्वर्ग अपवर्ग सुख, धरिअ तुला इक अंग।*
*तूल न ताहि सकल मिलि, जो सुख लव सतसंग।।*
रामचरित मानस : सुन्दर काण्ड।

The advantages of good company can't be measured even with all of the pleasures of all heavens.

स्वर्ग और अपवर्ग के सभी सुखों को तराजू के एक पलड़े पर रखें और सत्संग के लेशमात्र के सुख को दूसरे पर तो भी सत्संग का सुख ही भारी होगा। स्वर्ग और मोक्ष का सुख भी सत्संग की तुलना में कम है।

*सुसंगत होती सदा सुखदायी।*
*सुख स्वर्ग से भी न हो भरपाई।*

स्वस्थ रहें।

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Thursday, September 17, 2020

विद्वान

*निश्चित्य य: प्रक्रमते नान्तर्वसति कर्मण: ।*
*अवन्ध्यकालो वश्यात्मा स वै पण्डित उच्यते ॥*

जो पहले निश्चय करके कार्य का आरम्भ करता है, कार्य के बीच में नहीं रुकता, समय को व्यर्थ नहीं गँवाता और चित्त को वश में रखता है, वही पण्डित कहलाता है।

One who starts the work with determination, does not leave it unfinished, does not waste time and keeps the mind in control, is called Wise.

आज से प्रत्येक तीन वर्षों में एक बार हिन्दी पञ्चाङ्ग के अनुसार होने वाले अधिक मास का प्रारम्भ हो रहा है, उसके पश्चात शारदीय नवरात्र का प्रारम्भ होगा।

आएँ इस *आश्विन अधिक मास* में अधिकाधिक घर में रहते हुए अपनी शक्तियों का संचय करें।


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Wednesday, September 16, 2020

जीवन प्रकिया

*वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।*
*तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही।।*
गीता : अध्याय २, श्लोक २२।

Just like people shed worn-out clothes and wear new ones, our soul casts off its worn-out body and enters a new one.

जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नये वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीर को त्यागकर दूसरे नये शरीर को धारण करती है।

*सर्वपितृ अमावस्या* पर आएँ अपने पूर्वजों के स्वर्ग में अथवा इस पृथ्वी पर किसी और शरीर में होने के विश्वास को दृढ़ करते हुए, उनके आशीर्वाद को अनुभव करें। 

शुभ दिन हो।

*कोरोना से बचना है,*
*हल्के में नहीं लेना है।*

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Tuesday, September 15, 2020

सुसंगति

*एक घडी आधी घड़ी, आधी में पुनि आध।*
*तुलसी संगत साधु की, हरे कोटि अपराध।।*

तुलसीदास जी ने सुसंगति के महत्त्व का बखान करते हुए कहा है कि भले एवं सच्चे लोगों की अतिअल्प संगति भी हमारे जीवन से कई प्रकार के कल्मष एवम् पापों को हर लेती है।

रामचरित मानस में भी तुलसीदास जी ने भक्ति के नौ मार्गों (नवधा भक्ति) में सर्व प्रथम अच्छे लोगों की संगति बताया है: 
*प्रथम भगति संतन कर संगा।*

A very short period with a noble person certainly removes many sins from our life and makes us pious.

शुभ दिन हो।

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Monday, September 14, 2020

परम सत्ता

*नाथ सुहृद सुठि सरल चित, सील सनेह निधान।*
*सब पर प्रीति प्रतीति जियँ, जानिअ आपु समान॥*
रामचरित मानस : अयोध्या काण्ड।

परम सत्ता की विशेषताएँ बताते हुए तुलसीदास जी कहते हैं कि हे नाथ! आप परम सुहृद् (बिना ही कारण परम हित करने वाले), सरल हृदय तथा शील और स्नेह के भंडार हैं, आपका सभी पर प्रेम और विश्वास है, और अपने हृदय में सबको अपने ही समान जानते हैं।

The Almighty has supreme and simple heart full of modesty and affection, and also has love and faith in all knowing everyone.

*परम परम दयालु हैं, करुणा के भण्डार,*
*हितकारी सबके सदा, करूँ नित नमस्कार।*

शुभ दिन हो।

🌹🌸💐🙏🏻

Sunday, September 13, 2020

राष्ट्र भाषा हिन्दी

*निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।* 
*बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।*
भारतेन्दु हरिश्चंद्र।

भारत में हिन्दी को एक संवैधानिक भाषा के रूप में आज के दिन वर्ष 1949 में अपनाया गया। 
आएँ आज हिन्दी दिवस पर हम हिन्दी का अधिकाधिक प्रयोग करने हेतु प्रतिबद्ध हों, संकल्पित हों।

शुभ दिन हो।

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Saturday, September 12, 2020

संतोष

*असन्तोषः परं दुःखं सतोषः परमं सुखं।*
*सुखार्थी पुरुषस्तस्यात्सन्तुष्टः सततं भवेत् ।।*

जो व्यक्ति संतोषी नहीं होता है वह सदैव ही अत्यन्त दुःखी रहता है और जो व्यक्ति संतोषी होता है वह परम सुख का अनुभव करता है। अतएव सुख की कामना करना वाले व्यक्ति को सदैव संतुष्ट रहना चाहिये।

A person who is not contended or satisfied at what he has got or achieved, always remains unhappy, whereas a person who is satisfied at his lot, enjoys supreme bliss. Therefore, seekers of happiness must always remain satisfied at what they have achieved.

शुभ दिन हो।

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Friday, September 11, 2020

प्रभु सुमिरन

*बारि मथें घृत होइ बरु सिकता ते बरु तेल।*
*बिनु हरि भजन न तव तरिअ यह सिद्धांत अपेल॥*
रामचरितमानस : उत्तर काण्ड।

जल को मथने से भले ही घी उत्पन्न हो जाए और बालू (को पेरने) से भले ही तेल निकल आए, परन्तु परमात्मा के सुमिरन के बिना संसार रूपी सागर से नहीं तरा जा सकता, यह सिद्धांत अटल है॥

Even butter can be produced by churning water and the oil can be abstracted from sand, But being not on the path of God, one can not distract from the attraction of this world. This theory is unattainable.

शुभ दिन हो।

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Thursday, September 10, 2020

महापुरुषों का साथ

*महाजनस्य संसर्गः, कस्य नोन्नतिकारकः।*
*पद्मपत्रस्थितं तोयम्, धत्ते मुक्ताफलश्रियम् ॥*

महापुरुषों का सामीप्य किसके लिए लाभदायक नहीं होता?
कमल के पत्ते पर पड़ी हुई पानी की बूँद भी मोती जैसी शोभा प्राप्त कर लेती है।

For whom is the company of great people not beneficial? Even a water droplet when on lotus petal, shines like a pearl.

शुभ दिन हो।

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निकटता

*माभूत्सज्जनयोगो  यदि  योगो मा पुनः स्नेहो,*
*स्नेहो यदि विरहो मा यदि विरहो जीविता आशा का।*

सज्जन व्यक्तियों से अति निकटता मत करो, और उनसे स्नेह होने पर सम्बन्ध विच्छेद न करो, क्योंकि यदि ऐसा हो जाए तो फिर जीवित रहने की आशा करना व्यर्थ है।

दुष्ट और सज्जन व्यक्तियों की तुलना करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी कहा है कि -
*मिलत एक दारुण दुःख देहीं।*
 *विछुरत एक प्राण हर लेहीं।*

One should not have close association with noble and righteous persons, and if perchance this happens do not develop affection with them.  However, if love and affection is developed, it should be ensured that there is no parting away or separation, because then what is the use of remaining alive.

शुभ दिन हो।

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Tuesday, September 8, 2020

दान

*उपर्जितानां वित्तानां त्याग एव हि रक्षणम्।*
*तडगोदरसंस्थानां परिवाह इवाम्भसाम्॥*

जैसे तालाब में भरे हुए जल को निकालते रहने से उसकी पवित्रता और शुद्धता बनी रहती है। उसी प्रकार उपार्जित धन को व्यय कर देना (दान अथवा भोग) ही उसकी रक्षा का एकमात्र उपाय है।

The water of a pond remains pure while being fetched regularly, likewise the money earned can be saved by donation or consumption only.

*धन का जब उपभोग करें,*
*सोचें समझें उपयोग करें।*


शुभ दिन हो।

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Monday, September 7, 2020

गुण अवगुण

*भलेउ पोच सब बिधि उपजाये।*
*गनि गुन दोष बेद बिलगाये॥*
*कहहिं बेद इतिहास पुराना।*
*बिधि प्रपंचु गुन अवगुन साना॥*
रामचरित मानस : बालकाण्ड।

भला अथवा बुरा, सभी प्रकृति जनित हैं, किन्तु गुण और दोषों को विचार कर वेदों ने उनको अलग-अलग कर दिया है। वेद, इतिहास और पुराण कहते हैं कि यह सृष्टि गुण एवं अवगुण दोनों से भरी हुई है॥

All the Good and Evil is created by spreme power Nature and can be distinguished by their characteristics. It is well known truth that this world is full of Good and Bad both.

तुलसीदास जी ने आगे की चौपाइयों में अच्छे एवं बुरे के कई उदाहरण देते हुए इस कथन की पुष्टि की है।

दुख सुख पाप पुन्य दिन राती।
साधु असाधु सुजाति कुजाती।।
दानव देव ऊँच अरु नीचू। 
अमिअ सुजीवनु माहुरु मीचू।।
माया ब्रह्म जीव जगदीसा।
लच्छि अलच्छि रंक अवनीसा।।
कासी मग सुरसरि क्रमनासा।
मरु मारव महिदेव गवासा।।
सरग नरक अनुराग बिरागा।
निगमागम गुन दोष बिभागा।।

*ज्यों काँटों की चुभन मिली, फूलों की मुस्कान को,*
*भला बुरा दोनों है जग में, मानें परम विधान को,*
*भेद करें हम, भले बुरे में, समझें निज कल्याण को,*
*है आवश्यक सामंजस्य, जीवन में उत्थान को।*

शुभ दिन हो।

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Sunday, September 6, 2020

क्रोध एवम लोभ

*क्रोधः सुदुर्जयः शत्रुः लोभो व्याधिरनन्तकः।।*

मनुष्य के स्वभाव में क्रोध एक ऐसे शत्रु के समान है जिस पर विजय प्राप्त करना बहुत कठिन होता है, तथा लोभ एक कभी दूर न होने वाली बीमारी के समान होता है।

Anger in a person is like an enemy very difficult to conquer or overcome, and greed is like an endless disease.

*क्रोध लोभ से बचना है,*
*सदा सुखी तब रहना है।*

शुभ दिन हो।

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Friday, September 4, 2020

धर्म

*राम बिमुख संपति प्रभुताई।*
*जाइ रही पाई बिनु पाई॥*
*सजल मूल जिन्ह सरितन्ह नाहीं।*
*बरषि गएँ पुनि तबहिं सुखाहीं।।*
रामचरित मानस : सुन्दर काण्ड।

गोस्वामी तुलसीदास जी ने अधर्म से प्राप्त ऐश्वर्य की भर्त्सना करते हुए लिखा है कि बिना धर्म की संपत्ति और प्रभुता रही हुई भी चली जाती है और उसका पाना, न पाने के सामान है। जिस प्रकार जिन नदियों के मूल में कोई जलस्रोत नहीं है, अर्थात्‌ जिन्हें केवल बरसात ही आसरा है, वे वर्षा बीत जाने पर तुरंत ही सूख जाती हैं।

The rivers which have not any source and depend for water on rain, dry up immediately after the rain is over. Similarly wealth obtained by incorrect and unethical means vanishes soon.

शुभ दिन हो।

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पाण्डित्य

*यस्य कृत्यं न विघ्नन्ति, शीतम् उष्णं भयं रतिः।* *समृद्धि: असमृद्धि: वा, स वै पण्डित उच्यते॥*

महाभारत : उद्योग पर्व।

महात्मा विदुर बताते हैं कि
जिसके किसी भी कार्य करने में शीत-उष्ण, (मौसम) सम्पन्नता-विपन्नता, भय-प्रेम आदि परिस्थितियाँ विघ्न उपस्थित नहीं करती हैं, वही पण्डित कहलाता है।

Whose actons/ deeds are not affected by  cold-hot (weather), prosperity-misfortune, fear-love etc. like circumstances, he is called a wise person.

शुभ दिन हो।

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Wednesday, September 2, 2020

फल

*तस्मात् असक्त: सततं कार्यं कर्म समाचार।*
*असक्त: अाचरन्कर्म परमाप्नोति पुरुष:।।*
गीता : अध्याय ३, श्लोक १९।

ज्ञानी पुरुष के समान फल की अपेक्षा नहीं रखते हुए, फल की आ‍सक्ति छोड़ कर अपना कर्त्तव्‍य कर्म सदैव करें; क्‍योंकि आ‍सक्ति छोड़ कर कर्म करने वाले मनुष्‍य को परमगति प्राप्‍त होती है।

By efficiently doing his duties without attachment or doing work without attachment, a man attains the supreme.

शुभ दिन हो।

🌸🌺💐🙏🏻

Tuesday, September 1, 2020

स्नेहाशीष

*यन्मातापितरौ क्लेशं सहेते संभवे नृणाम्।*
*न तस्य निष्कृतिः शक्या कर्तुं वर्षशतैरपि।।*
                                  
अपनी संतान के लालन पालन में माता और पिता जो क्लेश (समस्याएं और कष्ट) सहन करते हैं उसका प्रत्युपकार उनकी संतान के द्वारा सौ वर्षों तक उनकी सेवा करने से भी संभव नहीं है।

The troubles which parents face while upbringing their children can not be recompensed by their children even by taking care of their parents for one hundred years.

आज से प्रारम्भ श्राद्ध पक्ष में हम अपने पूर्वजों का स्नेहाशीष अधिकाधिक अनुभव करें।

शुभ दिन हो।

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Sunday, August 30, 2020

विद्यार्जन

*विद्वान् प्रशस्यते लोके विद्वान् सर्वत्र गौरवम्,*
*विद्वया लभते सर्वं विद्या सर्वत्र पूज्यते॥*

विद्वान की संसार में प्रशंसा होती है, विद्वान को सर्वत्र गौरव मिलता है, विद्या से सब कुछ प्राप्त होता है और विद्या की सर्वत्र पूजा होती है।

Knowledge is extolled by everyone; knowledge is considered great everywhere; one can attain everything with the help of knowledge; a wise and knowledged person is respected everywhere.

नित्य विद्यार्जन करें।

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏻

Friday, August 28, 2020

गुण

*गुणिनि गुणज्ञो रमते नाऽगुणशीलस्य गुणिनि परितोषः।*
*अलिरेति वनात्पद्मं न   दर्दुरस्त्वेकवासोऽपि।।*

गुणवान व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के गुणों को देख कर आनन्दित होते हैं, परन्तु गुण रहित व्यक्तियों को दूसरों के गुणों को देख कर कोई प्रसन्नता नहीं होती है। 
देखो तो ! एक मधुमक्खी वन में खिले हुए कमल पुष्पों से उनका पराग प्राप्त करने हेतु स्वयं उनके पास चली जाती है, परन्तु मेंढक एक ही स्थान पर बने रहते हैं।

Virtuous persons always feel rejoiced on seeing the virtues of others, whereas worthless persons are never happy
on seeing the virtues of others. Look ! how a bee moves around a forest to collect the nectar from Lotus flowers, whereas frogs remain confined at one place.

*भगवान वामन की पूजा एवं परिवर्तिनी एकादशी (जलझूलनी एकादशी) की शुभकामना।*

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Thursday, August 27, 2020

धर्म

*ऐश्वर्यम् अध्रुवं प्राप्य ध्रुवधर्मं मतिं कुरु*
*क्षणादेव विनश्यन्ति सम्पदोऽप्यात्मना सह।*

ऐश्वर्य जो अस्थायी है, उसे प्राप्त करने के स्थान पर अपने चित्त वृत्तियों को धर्म के पालन की ओर लगाएँ, जो शाश्वत है। 
धन संपत्ति और यह शरीर तो क्षणभंगुर है।

Inspite acquiring prosperity and power, which are not permanent, we should direct our minds towards following the _Dharma_ which is eternal. Wealth and prosperity and even human life is destructible instantly.

धन से धर्म जरूरी है,
निज कर्तव्य जरूरी है।

शुभ दिन हो।

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Tuesday, August 25, 2020

अभिमान

*नहिं कोउ अस जनमा जग माहीं,*
*प्रभुता पाइ जाहि मद नाहीं।*

इस जग में अधिकांश मनुष्य पद पाकर अहंकारी हो जाते हैं। प्रयास करें अभिमान से बचें।

No one in mankind in this world who would not be arrogant after getting power.

शुभ दिन हो।

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Sunday, August 23, 2020

विवेक

*यस्य नास्ति स्वयंप्रज्ञा, शास्त्रंतस्य करोति किम्।*
*लोचनाभ्यांविहीनस्य, दर्पणः किं करिष्यति।।*

जिस प्रकार एक दृष्टिहीन व्यक्ति के लिए दर्पण कुछ नहीं कर सकता, उसी प्रकार जिसके पास प्रज्ञा (स्वविवेक) नहीं है, समस्त वेद और शास्त्र मिलकर भी उस व्यक्ति को सन्मार्ग की ओर नहीं ले जा सकते।

A mirror can not be useful for a blind person, similarly, where there is no prudence, all the Vedas and the scriptures can not even lead that person towards the right path.

शुभ दिन हो।

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Thursday, August 20, 2020

सदगुण

*दानं प्रियवाक्य सहितं ज्ञानमगर्वं क्षमान्वितं शौर्यं।*
*वित्तं त्यागनियुक्तं दुर्लभमेतत् चतुष्टय लोके।।*

याचकों को दान देते समय प्रिय वचन कहने वाले, अपने ज्ञानी होने पर गर्व न करने वाले, शूरवीर होने पर भी क्षमाशील तथा धनवान होते हुए भी दानशील, इन सद्गुणों से युक्त मनुष्य इस संसार में दुर्लभ होते हैं।

Persons endowed with four qualities, namely speaking politely while doing charity, not being proud of being knowledgeable, forgiving in nature in spite of being valorous, and wealthy but also very charitable and detached from their wealth, are very rare in this World.

*हरितालिका तीज दिवस, अनुपम यह त्योहार,*
*हर घर में खुशियाँ बढ़े, सुख समृद्धि अपार।*

शुभ दिन हो।

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Wednesday, August 19, 2020

कर्म

*सुखदु:खे समे कृत्वा लाभालाभो जयाजयौ।*
*ततो यूद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि।।*

कर्म करने की प्रेरणा देते हुए भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं:

जय-पराजय, लाभ-हानि और सुख-दु:ख को समान समझ कर, युद्ध के लिये उद्यत हो। इस प्रकार युद्ध करने से पाप को नहीं प्राप्त होगा।

Treating alike victory and defeat, gain and loss, pleasure and pain, get ready for the fight; thus you will not incur sin.

शुभ दिन हो।

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Tuesday, August 18, 2020

विद्या

*अविनीतस्य या विद्या सा चिरं नैव तिष्ठति।*
*मर्कटस्य गले बद्धा मणीनां मालिका यथा।।*

अविनीत (दुष्ट और दुर्व्यवहार् करने वाले) व्यक्ति द्वारा अर्जित विद्या उसके पास चिरकाल तक वैसे ही नहीं रह सकती है जिस प्रकार एक बंदर के गले में पडी हुई मणियों की माला उसके द्वारा शीघ्र नष्ट कर दी जाती है।
(एक बन्दर को हार के मूल्यवान होने का कोई ज्ञान नहीं होता है और वह उसका सदुपयॊग करने के बदले उसे देर सवेर नष्ट कर देता है। और यही हाल दुष्ट व्यक्ति द्वारा प्राप्त विद्या का भी होता है।)

The knowledge and learning earned by a wicked and rude person does not stay with him for a long time just like a necklace studded with precious stones put on the neck of a monkey.
(A monkey does not know the value of a necklace studded with precious stones and sooner or later breaks it and throws it, and so is the case of the knowledge acquired by a wicked person.)

शुभ दिन हो।

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Monday, August 17, 2020

उपदेश

*उपदेशो न दातव्यो यादृशे तादृशे नरे।*
*पश्य वानर मूर्खेण सुगृही निगृही कृता।।*

किसी मूर्ख एवं अनजान व्यक्ति को बिना माँगे कभी भी उपदेश नहीं देना चाहिए। संस्कृत के प्रसिद्ध ग्रन्थ हितोपदेश में वर्णित एक वानर और बया पक्षी की कहानी में एक मूर्ख वानर ने एक बया को उसका घोंसला तोड़ कर गृह विहीन कर दिया क्योंकि उसने वानर को तेज़ वर्षा में यहाँ वहाँ शरण ढूँढने पर घर बनाने की सलाह दी थी।

One should never preach or give guidance without being asked for to unknown and foolish persons. 
In a story from HITOPDESH, a monkey destroyed a beautiful abode of a weaving bird listening her advise to make home his own while the bird sees it searching shelter during the rain.

शुभ दिन हो।

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Sunday, August 16, 2020

मानसिकता

*ईर्ष्ययैव समुद्विग्नाः पुरुषाद्दुष्टचेतसः।*
*अतिसक्ता: पलायन्ते श्रीधृतिस्मृतिकीर्तयः।।*

दुष्ट मानसिकता वाले तथा दूसरों की उन्नति और समृद्धि पर अत्यधिक ईर्ष्या करने वाले व्यक्तियों की समृद्धि, आत्मबल, धैर्य, स्मृति तथा समाज में यश और प्रसिद्धि, शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं।

Those evil-minded persons who are addicted to jealousy and get perturbed over the prosperity of others, their fortune, glory, courage and self control, awareness and fame in society, all these vanishes quickly.

ईर्ष्या से बचें।

शुभ दिन हो।

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Friday, August 14, 2020

स्वतंत्रता दिवस

*पारतंत्र्यं महादु:खम् स्वातंत्र्यं परन्तं सुखम्।*

पराधीन होना महान दुःख है एवं स्वाधीन होना ही सबसे बड़ा सुख है।

Being Dependent is the greatest sorrow, while independence is the greatest happiness.

Value the independence.

हम अपनी स्वतंत्रता का महत्त्व समझें एवं इसका सम्मान करें।

*आज़ादी के महापर्व पर, हम  सङ्कल्प महान करें,*
*भारत फिर से विश्व गुरु हो, वह चरित्र निर्माण करें।*

भारत देश के *74वें स्वतंत्रता दिवस* पर कोटि कोटि शुभकामनाएँ एवं बधाई।

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Thursday, August 13, 2020

प्रार्थना

*आकाशात् पतितं तोयं यथा गच्छति सागरम्।*
*सर्वदेवनमस्कार: केशवं प्रति गच्छति॥*

जिस प्रकार आकाश से गिरा जल विविध नदियों के माध्यम से अंतत: सागर से जा मिलता है, उसी प्रकार उपासना प्रार्थना किसी भी रूप की की जाए, परम् सत्ता को प्राप्त होती है।

As the water falls down in rain, through different rivers, finally reaches the Ocean, the worship of any divine aspect ultimately reaches the Supreme Being.

*जिस स्वरूप से ध्यान लगे,*
*वह स्वरूप भगवान लगे,*

शुभ दिन हो।

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Wednesday, August 12, 2020

शुभ मंगल

*परोऽपि हितवान् बन्धुः बन्धुरप्यहितः परः।*
*अहितो देहजो व्याधिः हितमारण्यमौषधम्॥*

बीमारियाँ हमारे शरीर के भीतर रहते हुए भी हमारा बुरा करती हैं और औषधियाँ हमसे दूर वनों में रहकर भी हमारा भला करती हैं (अर्थात् व्याधियाँ हमारी शत्रु हैं और औषधियाँ मित्र)। इसी प्रकार रिश्तेदार न होते हुए भी जो हमारा हित करे वही वास्तव में अपना होता है और रिश्तेदार होते हुए भी हमारा अहित करे तो वह पराया ही होता है।

Illness stays within us and damages while medicines stay far from us and make us well. Similarly, not the one who stays near to us is our well-wisher, but who wishes well for us is our near and dear.

*नहीं दूर का शत्रु जरूरी,*
*नहीं पास का मित्र जरूरी,*
*हितकर हो जो वह अपना है,*
*चाहे हो कितनी भी दूरी।*

शुभ दिन हो।

🌹🌸💐🙏🏻

Tuesday, August 11, 2020

कृष्ण जन्माष्टमी

*यदा-यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।*
*अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्‌॥*
*परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।*
*धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥*
गीता : अध्याय ४, श्लोक ७-८।

*जब जब होय धर्म की हानी,* 
*बाढ़हिं असुर, अधम, अभिमानी,*
*तब तब प्रभु धर विविध शरीरा,* 
*हरहि कृपानिधि, सज्जन पीरा।*
रामचरितमानस : बालकाण्ड

जब जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ अर्थात्‌ साकार रूप में लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ। सज्जन पुरुषों की रक्षार्थ, पाप कर्म करने वालों को नष्ट करने के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं युग-युग में अर्थात् हर समय प्रकट होता हूँ। 

The assurance of Almighty to all mankind is, "Whenever virtue subsides and wickedness prevails, I manifest Myself. To establish virtue, to destroy evil, to save the good I come at every Yuga (age).

आज श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर परमसत्ता के इस सङ्कल्प को स्वयं में अवतरित करें, जो हमारी समस्त बुराइयों को नष्ट कर दे।

*श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।* 

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Sunday, August 9, 2020

धैर्य

*धीराः शोकं तरिष्यन्ति लभन्ते सिद्धिमुत्तमं।*
*धीरैः संप्राप्ते लक्ष्मी: धैर्यं सर्वत्र साधनम् ।।*

धैर्यवान व्यक्ति शोक रूपी सागर को तैर कर उत्तम सफलता तथा धन सम्पत्ति प्राप्त कर लेते हैं। धैर्य ही हर प्रकार की विपरीत परिस्थितियों पर सफलता पाने का उत्तम साधन है।

People who have patience are able to fathom the ocean of sorrows and achieve success in their endeavors and become rich.
Patience is the best means of achieving success in every field during adversity.

*धीरज सहचर यदि होता है,* 
*जीवन सहज सरल होता है,*
*समय चक्र है चलता रहता,*
*समय एक सा कब होता है।*


शुभ दिन हो।

🌺🌹💐🙏🏼

Thursday, August 6, 2020

यत्न

*यद्यत् परवशं कर्म तत्तद् यत्नेन वर्जयेत्।*
*यद्यदात्मवशं तु स्यात् तत्तत् सेवेत यत्नतः॥*
मनुस्मृति: ४/१५९ अ

जो कर्म दूसरे के आधीन हैं, उन को यत्न से छोड़ दें और जो अपने अधीन हैं, उनको यत्न से करें।

Try to avoid the work for which we have to depend on others. Try to finish the work fast for which we can do independently.

*कार्य अगर है अपने वश में, शीघ्र उसे निपटाएँ हम,*
*नाम राम का संग सदा हो, यह विश्वास जगाएँ हम।*

शुभ दिन हो।

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Monday, August 3, 2020

जय श्री राम

*तृषा जाइ बरु मृगजल पाना।* *बरु जामहिं सस सीस बिषाना।*
*अंधकारु बरु रबिहि नसावै।*
*राम बिमुख न जीव सुख पावै॥*
रामचरितमानस : उत्तर काण्ड।

तुलसीदास जी ने परम् तत्व से विमुख होकर सुखी होना नितान्त असम्भव कहा है चाहे नाना प्रकार के असम्भव कार्यों के होने की सम्भावना हो। यथा मरीचिका (मृगतृष्णा) के जल को पीने से भले ही प्यास बुझ जाए, खरगोश के सिर पर भले ही सींग निकल आवे, अन्धकार भले ही सूर्य का नाश कर दे, परन्तु श्री राम से अर्थात परमतत्व से विमुख होकर जीव सुख नहीं पा सकता।

Even thirst can be satisfied with water from Miraz, a hare can get thrones on its head, dark can destroy the Sun, But no one can get pleasure being against the path of *RAM* means the Almighty.

*राम राम मय सब जीवन हों,*
*पुलकित हर्षित सबके मन हों,*

शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏻

Sunday, August 2, 2020

रक्षा बंधन

*येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।*
*तेन त्वाम् अनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।*

श्रावणी पूर्णिमा एवं रक्षाबन्धन के इस पुनीत पर्व पर आएँ हम सभी रक्षासूत्र धारण करें एवं जिस प्रकार दानवों के महाबली राजा बलि इस सूत्र में बाँधे गये थे, अर्थात् धर्म में प्रयुक्त किये गये थे, उसी प्रकार हम भी इस सूत्र को धारण कर धर्म के लिए प्रतिबद्ध हों एवं निर्बल की रक्षा हेतु संकल्पित हों। ये रक्षा सूत्र स्थिर रहकर हमें अपना संकल्प स्मरण कराता रहे।

The mighty king of the Danavas *BALI* was tied in the sutra, that is, indulged in religion, similarly we too should commit to religion by wearing this sutra and be determined to protect the weak. These _Raksha Sutras_ should remain constant and remind us.

रक्षा बन्धन पर्व की अनंत शुभकामनाएँ।

*संकल्पित हों, संयमित हो,*
*स्वच्छ रहें तो सुरक्षित हों।*

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Wednesday, July 29, 2020

सुख

*बैर न बिग्रह आस न त्रासा।*
*सुखमय ताहि सदा सब आसा॥*
रामचरितमानस : उत्तरकाण्ड

जो मनुष्य न किसी से वैर करे, न लड़ाई-झगड़ा करे, न आशा रखे, न भय ही करे। उसके लिए सभी दिशाएँ सदा सुखमयी हैं। अर्थात् वह सदैव सुखी रहता है।

The man who does not hate anyone, fight or quarrel, does not expect and does not have fear. All directions for him are always pleasant. That is, he is always happy.

*अपनी सुरक्षा हाथ हमारे,*
*हम खुद समझें रिपु कैसे हारे,*
*घर में अपने स्वच्छ रहें हम,*
*अपनी शक्ति से स्वस्थ रहें हम।*
 
शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏼

Monday, July 27, 2020

सुख

*परोपकरणं येषां जागर्ति हृद्ये  सताम्।*
*नश्यन्ति विपदस्तेषां संपदः स्यु पदे पदे॥*

जिन सज्जन व्यक्तियों के हृदय में परोपकार की भावना जागृत है और जो अपना जीवन निर्बल लोगों की सहायता हेतु समर्पित कर देते हैं, उनके ऊपर आयी हुई सभी विपदाएँ नष्ट हो जाती हैं तथा उन्हें कदम कदम पर प्रसन्नता और संपत्ति की प्राप्ति होती है।

Those noble and righteous persons who have committed themselves to serve the meek and needy persons, the misfortune
and calamities befalling upon them disappear and they enjoy prosperity and happiness at every step.


*निर्बल निर्धन या निरूपाय,*
*हम ग़र उनके बनें सहाय,*
*ईश साथ हो जाते पल में,*
*धन वैभव भी सहज सुहाय।*

शुभ दिन हो।

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Sunday, July 26, 2020

राम भक्ति

*अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति,*
*नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत।*

तुलसीदास को गोस्वामी तुलसीदास बनाने में उनकी पत्नी रत्नावली का इस दोहे का अर्थ
”मेरे इस हाड़ माँस के शरीर के प्रति जितनी तुम्हारी आसक्ति है, उसकी तुलना में तनिक भी अगर प्रभु से होती तो तुम्हारा जीवन सँवर गया होता।"

गोस्वामी तुलसीदास जयंती पर आएँ हम सब प्रभु भक्ति की लौ लगाएँ।

*राम भगति सब सुख कर जाना,*
*गोस्वामी भए तुलसी माना,*
*जिसने राम मरम पहचाना,*
*पड़ा नहीं उसको पछताना।*

शुभ दिन हो।

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Saturday, July 25, 2020

गुण अवगुण

*प्रावृषेन्यस्य मालिन्यं, दोषः कोऽभीष्टवर्षिण:।*
*शरदाऽभ्रस्य शुभ्रत्वं, वद  कुत्रोपयुज्यते।।*

कौन कहता है कि वर्षा ऋतु में बादलों का कालापन उनका एक दोष है? उनसे ही तो जलवृष्टि की कामना की जाती है। भला शरद ऋतु के शुभ्र (सफ़ेद) बादलों की क्या उपयोगिता है?

Who says that the dark blackness of the rain clouds is their defect? Every one expects rain from them only. On the other hand what is the usefulness of pure white clouds of the autumn season?

*क्यों रूप रंग का ध्यान करें,*
*गुण अवगुण का भान करें,*
*सत्य असत्य पहचान करें,*
*जाँचें परखें, सम्मान करें,*

शुभ दिन हो।

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Thursday, July 23, 2020

राम बिमुख

*मित्र करइ सत रिपु कै करनी।* 
*ता कहँ बिबुधनदी बैतरनी॥*
*सब जगु ताहि अनलहु ते ताता।* 
*जो रघुबीर बिमुख सुनु भ्राता॥*
रामचरितमानस : अरण्य काण्ड।

तुलसीदास जी ने राम विमुख अर्थात अपने कर्तव्य, धर्म एवं स्वयं से विमुख हो, के लिए लिखा है कि उसके मित्र भी सैकड़ों शत्रुओं के समान हो जाते हैं, देवनदी गंगा भी उसके लिए वैतरणी (यमपुरी की नदी) हो जाती है और ये समस्त संसार उनके लिए अग्नि से भी अधिक गरम (जलाने वाला) हो जाता है।

The one who deviates his duties, religion and self, his friends also become like hundreds of enemies, _Devanadi_ Ganga also becomes a _Vaitarni_ (river of Yampuri) for him and this whole world becomes even hotter (burning) for him.

*मित्र बनें अरु मित्र बनाएँ,*
*रिपु हो कोई क्यों घबराएँ,*
*साथ सुसंग सदा रखना है,*
*जीवन सुख से भरा बिताएँ।*

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Wednesday, July 22, 2020

फल

*अचोद्यमानापि यथा पुष्पाणि  च फलानि च।*
*स्वं कालं नाsतिवर्तन्ते तथा कर्म पुराकृतम्।*

बिना किसी आदेश या प्रेरणा के जिस प्रकार पुष्प और फल अपने निर्धारित समय पर वृक्षों में उत्पन्न हो जाते हैं, उसी प्रकार मनुष्य द्वारा बहुत समय पूर्व किये हुए सत्कर्मों या दुष्कर्मों का फल भी समय आने पर स्वतः प्राप्त हो जाता है।

As flowers and fruits are grown on trees on their scheduled time without any order or inspiration, similarly, results of our deeds (good or bad) done even very long ago, automatically come to us when the time comes.

*कर्म करें हम जैसे जैसे,*
*फल पायेंगें वैसे वैसे,*
*अगर उछालें पत्थर नभ पर,*
*बरसें फूल कहो तब कैसे।*

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Tuesday, July 21, 2020

स्वार्थ

*कार्यार्थी भजते लोकं यावत्कार्य न सिद्धति।*
*उत्तीर्णे च परे पारे नौकायां किं प्रयोजनम्॥*

जब तक कार्य सिद्ध (स्वार्थ) नहीं होते हैं, तब तक लोग दूसरों की प्रशंसा (गुणगान) करते हैं। कार्य सिद्ध होने के बाद लोग दूसरे व्यक्ति को भूल जाते हैं। जिस प्रकार नदी पार करने के बाद नाव का कोई उपयोग नहीं रह जाता है।

As long as work is not done, people praise others. After the work is done, people forget the other person. Just as there is no use of boat after crossing the river.

*हम कृतज्ञता व्यक्त करें।,*
*नहीं कृतघ्नता वरण करें,*
*समय कठिन में बने सहायक,*
*उन्हें नहीं विस्मरण करें।*

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Monday, July 20, 2020

आचरण

*कन्दुको भित्तिनिक्षिप्त इव प्रतिफलन्मुहुः।*
*आपतत्यात्मनि प्रायो दोषोऽन्यस्य चिकीर्षतः॥*

जैसे दीवार पर फेंकी हुई गेंद झट से पलट कर फेंकने वाले की ओर आ जाती है, उसी प्रकार दूसरे के प्रति किया गया आचरण भी हमारे ही पास वापस आ जाता है।

Just as the ball thrown on the wall quickly turns to the thrower, similarly the behavior towards others also comes back to us.

*व्यवहार हमारा ऐसा हो,*
*स्वयं हमें पसंद जैसा हो,*
*भाव भरे हृदय में जैसे,*
*व्यवहार सदा ही वैसा हो।*

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Saturday, July 18, 2020

हर हर महादेव

साकार व निराकार परमात्मा के द्वंद्व को ध्यान में रखते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के अंतिम काण्ड उत्तरकाण्ड में (आठ श्लोक के रुद्राष्टकम् स्तोत्र में) परम शिव की स्तुति करते हुए ईश्वर का जो व्याख्यान किया है उससे साकार व निराकार के द्वंद्व को हम जैसे मूढ़ भी आसानी से समझ कर उस परम पिता परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

रुद्राष्टकम् का आठवाँ श्लोक :

*न जानामि योगं जपं नैव पूजां नतोहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम्।*
*जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो।।*

मैं न जप जानता हूँ, न तप और न ही पूजा। हे प्रभो! मैं सदा सर्वदा आपको ही नमन करता हूँ। 
हे प्रभो! जरावस्था व जन्म मृत्यु के दु:खों से संतप्त मुझ दु:खी की रक्षा करें। 
हे ईश्वर! मैं आपको नमन करता हूँ।

I don’t know Yoga, Japa (chanting of names), or Prayers. Still, I am bowing continuously and always to You. O Shambhu! O Prabhu! Save me from the sufferings of old age, rebirth, grief, sins, and troubles. I bow to You.

आज श्रावणी शिवरात्रि पर आएँ हम उस निराकार परमात्मा के साकार शिव रूप का ध्यान एवं स्तुति करें।

*शिव को भज लें, जानें हम,*
*शक्तिवान हैं शिव मानें हम,*
*हम संचित अपनी शक्ति करें,*
*रिपु प्रत्येक पहचानें हम।* 

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Friday, July 17, 2020

कामना

*अधना धनमिच्छन्ति वाचं चैव चतुष्पदाः।*
*मानवाः स्वर्गमिच्छन्ति मोक्षमिच्छन्ति देवताः॥*

निर्धन व्यक्ति धन की कामना करते हैं और चौपाये अर्थात पशु बोलने की शक्ति चाहते हैं। मनुष्य स्वर्ग की इच्छा करता है और स्वर्ग में रहने वाले देवता मोक्ष-प्राप्ति की इच्छा करते हैं। इस प्रकार जो प्राप्त है, सभी उससे आगे की कामना करते हैं।

A poor wishes for wealth, an animal wishes if it could speak. Man desires heaven while the deities living in heaven desire salvation. Thus everyone wishes beyond what he has.

*सदा आगे बढेंगें हम,*
*यही बस लक्ष्य लेंगें हम,*
*सहायक दूसरों के हित,*
*नयी आशा बनेंगें हम।*

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Thursday, July 16, 2020

प्रवृत्तियां

*ईर्ष्या लोभो मदः प्रीतिः क्रोधो भीतिश्च साहसं।*
*प्रवृत्तिच्छिद्रहेतूनि कार्ये सप्त बुधा जगुः।।*

ईर्ष्या, लोभ, अभिमान, मोह, क्रोध, भय, दुस्साहस, ये सात प्रवृत्तियां इस संसार में किसी भी कार्य के संपादन में बाधा और हानि पहुँचाती हैं, ऐसा चतुर और विद्वान् व्यक्तियों का कहना है।

Wise and learned men have proclaimed that in this World, Envy, Greed, Arrogance, Fascination, Anger, Fear and Over-confidence, all these seven traits are the main reason of causing impediments and defects in any work undertaken.

*ईर्ष्या त्यागें, मत लोभ करें,*
*न ही क्रोध, भय, अभिमान करें,*
*न मोह न अति विश्वास करें,*
*जग में पूरण सब काम करें।*

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Wednesday, July 15, 2020

अभाव

*कारुण्यं पुण्यानां कृतज्ञता पुरुष  चिह्नानां।*
*मायामोहमतीनां कृतघ्नता  नरकपातहेतूनां॥*

प्राणीमात्र के प्रति दया और कृतज्ञता की भावना तथा  धार्मिक प्रवृत्ति का होना, सज्जन व्यक्तियों की निशानी है। इसके विपरीत माया और मोह में लिप्त रहना और कृतघ्नता (परोपकार की भावना का अभाव) निश्चय ही लोगों के नरक में जाने का कारण होता है।

Compassion towards all living being and virtuous way of living, are the characteristics of a religious person. On the other hand inclination towards fraudulent behaviour, perplexity, and ingratitude are the reasons of people falling into the Hell.

*आएँ तनिक विचारें हम,*
*करुणा नहीं बिसारें हम,*
*है देवत्व हमारा गुण,*
*जीवन दीप सँवारें हम।*

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Tuesday, July 14, 2020

उत्तम जीवन

*आत्मार्थं जीवलोकेऽस्मिन्*
      *को न जीवति मानवः,*
*परं परोपकारार्थं*
      *यो जीवति स जीवति।।*

इस जीवलोक में स्वयं के लिए कौन नहीं जीता? परन्तु जो परोपकार अर्थात दूसरों के लिए निःस्वार्थ जीता है, वही श्रेष्ठ व उत्तम जीवन है।

Who in this world does not live for self? But he who lives benevolently means selfless for others, that life is the best life.

*कठिन समय है, रिपु है भारी,*
*करें मदद जो सम्भव सारी,*
*हम सब निज कर्तव्य निभाएँ,*
*भाव जगाएँ, पर उपकारी।*

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Monday, July 13, 2020

पथ

*अज्ञश्चाश्रद्दधानश्च संशयात्मा विनश्यति।*
*नायं लोकोऽस्ति न परो न सुखं संशयात्मन:।।*
गीता : अध्याय ४, श्लोक ४०।

विवेकहीन और श्रद्धारहित संशययुक्त मनुष्य परमार्थ से भटक जाता है। ऐसे संशययुक्त मनुष्य के लिये न इस लोक में न ही परलोक में सुख है ।

He who lacks discrimination, is devoid of faith, and is possessed by doubt, loses the spiritual path. For the doubting soul there is not any happiness either in this world or the world beyond.

*संशय मन में क्यों रखना है,*
*हम ईश्वर की ही रचना है,*
*योग नियम जप तप करना है,*
*क्रोध कुसंग से नित बचना है।*

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Sunday, July 12, 2020

पुण्य पाप

*परहित सरिस धर्म नहिं भाई ,*
*पर पीड़ा सम नहिं अधमाई।*
रामचरित मानस : उत्तर काण्ड।

दूसरों की भलाई के समान कोई धर्म नहीं है और दूसरों को दुःख पहुँचाने के समान कोई नीचता (पाप) नहीं है।

There is no religion like to do good for others and there is no degeneracy (sin) like hurting others.

*रहें स्वस्थ सारे, यही प्रार्थना हो,*
*हृदय में दया की भरी भावना हो,*

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Friday, July 10, 2020

दुर्वचन

*आवत गारी एक है, उलटन होय अनेक।*
*कह कबीर नहिं उलटिये, वही एक की एक॥*

अगर गाली अथवा दुर्वचन के प्रतिउत्तर में गाली ही दी जाए, तो गालियों की संख्या एक से बढ़कर अनेक हो जाती है। संत कबीर दास कहते हैं कि यदि गाली को पलटा न जाए अर्थात गाली का प्रतिउत्तर गाली से न दिया जाए, तो वह गाली एक ही रहेगी।

If we abuse to answer the abuse, then only abusive language increases. But if abuse is not to be reversed or answered by abusing then it will not multiply.

*कहें नहीं कुछ भला नहीं जो,*
*कहें नहीं जो ठीक लगे तो।*

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उद्धार

*पार्थ नैवेह नामुत्र विनाशस्तस्य विद्यते।*
*न हि कल्याणकृत्कश्चिद्दुर्गतिं तात गच्छति।।*
गीता : अध्याय ६, श्लोक ४०।

हे पार्थ! स्वयं के उद्धार एवं उत्थान हेतु अर्थात् परम की प्राप्ति हेतु कर्म करने वाला मनुष्य दुर्गति को प्राप्त नहीं होता।
उस पुरुष का न तो इस लोक में नाश होता है और न परलोक में ही। 

Dear Arjuna, who strives for self-redemption (i.e., God-realization, there is no fall for him either here or hereafter, never meets with evil destiny. 

*हम अपना उत्थान करें,*
*औरों का भी ध्यान करें,*
*स्वहित जाँचें परहित देखें,*
*स्व का सब का मान करें।*

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Wednesday, July 8, 2020

विचार

*आयुषः खण्डमादाय रविरस्तमयं गतः,*
*अहन्यहनि बोध्दव्यं किमेतेत् सुकृतं कृतम्।*

सूरज के अस्त होने पर हमारी आयु का एक दिन कम हो जाता है, यह जानते हुए हमें दिनभर के अपने किये हुए कार्य सद्कार्य पर विचार करना चाहिए।

Knowing that one day of age is reduced when the sun sets, we should consider the deeds good deeds done throughout the day.

*नित नित अच्छा करते जाएँ,*
*जीवन अपना सफल बनाएँ,*
*बाधाएँ आती हैं आएँ,*
*तनिक नहीं इनसे घबराएँ।*

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Tuesday, July 7, 2020

परमसत्ता

*यत्र योगेश्वर: कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धर:,*
*तत्र श्रीर्विजयो भूतिध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।*

गीता : अध्याय 18 श्लोक 78 

गीता का अंतिम श्लोक सम्पूर्ण सार बताता है:
जहाँ योगेश्वर भगवान् श्री कृष्ण (परम सत्ता) हैं और जहाँ गाण्डीव-धनुषधारी अर्जुन (पूर्ण समर्पित कर्ता) हैं, वहीं पर श्री, विजय, विभूति और अचल नीति है- ऐसा मेरा मत है।

The last verse of _GEETA_ tells the essence : Wherever there is Shree Krishna, the Lord of all Yog (Almighty) and wherever there is Arjun (a dedicated doer), the supreme archer, there will also certainly be unending opulence, victory, prosperity, and righteousness.

*हों अर्जुन सम पूर्ण समर्पित,*
*कृष्ण मिलेंगें है यह निश्चित।*

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Sunday, July 5, 2020

हर हर महादेव

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥  आप सभी को पवित्र श्रावण मास के प्रथम सोमवार की हार्दिक शुभकामनाएँ !!

Saturday, July 4, 2020

Wednesday, July 1, 2020

भाव

*यं यं वापि स्मरन्भावं त्यजत्यन्ते कलेवरम् ।*
*तं तमेवैति कौन्तेय सदा तद्भावभावित:।।*
गीता अध्याय ८, श्लोक ६।

हे कुंती पुत्र अर्जुन! यह मनुष्य अन्तकाल में जिस-जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर का त्याग करता है, वह उस भाव को ही प्राप्त होता है; क्योंकि वह सदा उसी भाव से भावित रहा है।

Arjuna,thinking of whatever entity one leaves the body at the time of death, that and that alone one attains, being over absorbed in its thought.

*करुणा साहस मन में भर लें,*
*हर विपदा से हम टक्कर लें,*
*जीत हमारी निश्चित होगी,*
*यही भाव हम मन में भर लें।*

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Tuesday, June 30, 2020

क्षमा एवं धैर्य

*ऐश्वर्येऽपि क्षमा यस्य दारिद्र्येऽपि हितैषिता।*
*आपत्तावपि  धीरत्वं  दधतो  मर्त्यता कथं।।*

जो व्यक्ति ऐश्वर्यवान होते हुए भी क्षमाशील होते हैं, दरिद्र होते हुए भी अन्य व्यक्तियों की सहायता को सदैव तत्पर रहते हैं, तथा विपत्ति आने पर भी अपना धैर्य नहीं खोते हैं तो वे भला मृत्यु से क्यों भयभीत होंगे?

Those persons who in spite of being powerful and prosperous are also forgiving in nature, in spite of being poor are always ready to help others, and remain courageous and firm even while facing a calamity, why will they be afraid of their mortality?

*क्षमा करें व धैर्य भी धरें,*
*सदा दूसरों की सहायता करें।*

*देवशयनी एकादशी से आज चातुर्मास प्रारम्भ हो रहा है, शुभ उत्सवों एवं त्यौहारों की अगुवानी करें।*
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Sunday, June 28, 2020

शुभ वाक्य

*प्रमादः सम्पदं हन्ति प्रश्रयं हन्ति विस्मयः।*
*व्यसनं हन्ति विनयं हन्ति शोकश्च धीरताम्।।*

असावधानी के कारण संपत्ति नष्ट हो जाती है तथा मृदु और सरल व्यवहार करने से अहंकार की भावना नष्ट हो जाती है। 
बुरी आदतों के कारण लोगों में नम्रता और सद्व्यवहार की भावना नष्ट हो जाती है तथा दुःख और शोक होने की स्थिति में धैर्य और विवेक नष्ट हो जाता है।

Wealth gets destroyed due to negligence. Courteous and modest behaviour destroys pride and arrogance. 
Bad habits result in destruction of the feeling of modesty and decency among men and grief among men tends to destroy their courage and wisdom.

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Friday, June 26, 2020

त्याग

*परोक्षे कार्यहन्तारं प्रतक्षे प्रियवादिनम् ।*
*वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम् ॥*

जो सामने होने पर मीठी मीठी बातें करता है, परंतु पीठ पीछे आपके कार्य बिगाड़ता है या नुकसान पहुंचाने का प्रयत्न करता है, उसका उसी प्रकार त्याग कर देना चाहिए, जैसे विष से भरे उस पात्र का किया जाता है, जिसमें ऊपर खीर भरी हो।

The person who is a sweet talker before us, but in back tries to sabotage our work or spoiled, should be abandoned like the vessel which is  full of venom, but upper layer is sweetened milk.

*संचित बल से हम जीतेंगें,*
*कोरोना को हम पीटेंगें।*

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Tuesday, June 23, 2020

आभूषण

*अष्टौ गुणा पुरुषं दीपयंति* 
    *प्रज्ञा सुशीलत्वदमौ श्रुतं च।*
*पराक्रमश्चबहुभाषिता च* 
    *दानं यथाशक्ति कृतज्ञता च॥*

बाहरी आडम्बर, वस्त्र, आभूषण नहीं अपितु ये आठ गुण पुरुष (मनुष्य) को सुशोभित करते हैं - बुद्धि, सत्चरित्र, आत्म-नियंत्रण, शास्त्र-अध्ययन, साहस, मितभाषिता, यथाशक्ति दान और कृतज्ञता।

External pomp, not clothing, ornaments, but these eight qualities beautify men (human) - intellect, good character, self-control, study, courage, reticency, virtuous charity and gratitude.

*राह कठिन माना है लेकिन, आगे बढ़ते जाना है,*
*हम जीतेंगें संशय कैसा, तनिक नहीं घबराना है।*

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Saturday, June 20, 2020

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

आप सभी को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुभ कामनाएं।
योग जीवन का आधार है।
योग करिये निरोग रहिये।
जीवन से अवसाद दूर करने में योग सहायक है।

प्रणाम 
योगाचार्य राहुल।

Friday, June 19, 2020

ज्ञान

*पहिले यह मन काग था, करता जीवन घात।*
*अब तो मन हंसा हुआ, मोती चुनि-चुनि खात॥*

कबीर कहते हैं कि सामान्य मनुष्य का मन एक कौए की  तरह होता है, जो कुछ भी उठा कर खा लेता है और जीवन को कष्ट पूर्ण कर लेता है।
लेकिन एक ज्ञानी का मन उस हंस के समान होता है जो चुन चुन कर केवल मोती खाता है।

Kabir says that the common man's mind is like a crow, which eats anything and make it's life miserable. But the mind of a wise man is like a swan that choose only pearls.

*जीवन में हर दम सत्य चुनें,*
*मोती चुनता वह हंस बनें,*
*बाधा विघ्नों से नहीं डरें,*
*हम व्यस्त रहें, हम स्वस्थ रहें।*

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Thursday, June 18, 2020

परमात्मा

*इहैव तैर्जितः सर्गो येषां साम्ये स्थितं मनः।*
*निर्दोषं हि समं ब्रह्म तस्माद्ब्रह्मणि ते स्थिताः।।*
गीता : अध्याय ५, श्लोक १९।

जिस मनुष्य का मन सम-भाव में स्थित रहता है, उसके द्वारा जन्म-मृत्यु के बन्धन रूपी संसार को जीत लिया जाता है क्योंकि वह ब्रह्म के समान निर्दोष एवं सम होता है और सदा परमात्मा में ही स्थित रहता है।

तुलसीदास जी ने भी इस तथ्य को सरल शब्दों में कहा है:
*समरथ कहुँ नहि दोष गुसाईं।*
*रवि पावक सुरसरि की नाईं।*
  
Those whose minds are established in sameness and equanimity have already conquered the conditions of birth and death. They are flawless like Almighty, and thus they are already situated in Almighty.

*सूर्य नमन नित नित करना है,*
*योग नियम से हर दुख हरना है,*

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Tuesday, June 16, 2020

मनुष्य जन्म

*नर तन सम नहिं कवनिउ देही। जीव चराचर जाचत तेही॥*
*नरक स्वर्ग अपबर्ग निसेनी। ग्यान बिराग भगति सुभ देनी॥*

रामचरित मानस : उत्तरकाण्ड।

तुलसीदास जी ने मनुष्य जन्म को श्रेष्ठ बताते हुए कहा है कि मनुष्य शरीर के समान कोई शरीर नहीं है। चर-अचर सभी जीव उसकी याचना करते हैं। यह मनुष्य शरीर ही नरक, स्वर्ग और मोक्ष की सीढ़ी है तथा कल्याणकारी ज्ञान, वैराग्य और भक्ति को देने वाला है॥

No creature is like human body. All creatures crave for him. This human body can take to hell, heaven or salvation, and gives wellness, knowledge, mortification and devotion.

*मिला मनुज तन स्वस्थ रहें हम,*
*समय कठिन है धैर्य धरें हम,*
*जीवन की कीमत पहचानें,*
*नित नित नव उत्साह गढ़ें हम।*

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Friday, June 12, 2020

आनंद

*अस्ति यद्यपि सर्वत्र नीरं नीरजमण्डितम्।*
*रमते नैव हंसस्य मानसं मानसं  विना।।*

यद्यपि बादलों द्वारा प्रदान किये गये निर्मल जल से पूरित जलाशय सर्वत्र इस पृथ्वी में हैं, परन्तु राजहंसों का मन मानसरोवर में जलविहार किये बिना आनन्दित नहीं होता है।              

Although there are many lakes in this world storing pure water bestowed by the clouds, Swans do not become happy unless they get the opportunity of swimming in the pristine waters of the famous lake 'Manasarovara'.

गुणवान और विशिष्ट व्यक्ति अपने समान व्यक्तियों के संपर्क में ही आनन्दित होते हैं।

*रक्षा स्वास्थ्य की बात अहम,*
*कुछ नहीं होगा, छोड़ें वहम,*
*रहें सुरक्षित घर में हम,*

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Thursday, June 11, 2020

समय

*रहिमन चुप ह्वै बैठिए, देखि दिनन का फेर।*
*जब नीकै दिन आईहैं, बनत न लगिहैं देर।।*

दिनों के फेर अर्थात् जब समय प्रतिकूल हो, तब शान्त चित्त हो कर प्रतीक्षा करें, व्यग्र-उग्र, क्षुब्ध-विक्षुब्ध न हों। जब समय अनुकूल होगा, तो बात बनने में देर नहीं लगेगी।

When our time is not in our favour we should wait quietly and not be anxious. As the time changes and become favourable, all will be alright.

*धैर्य हमारा सहचर हो,*
*मन में आशा भर भर हो,*
*विश्वास अटूट परम पर हो,*
*शुभ दिन सबके घर घर हो।*

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Monday, June 8, 2020

धर्म

*अनित्यानि शरीराणि विभवो  नैव शाश्वतः।*
*नित्यं संनिहितो मृत्युः कर्तव्यो  धर्मसङ्ग्रहः।।*

इस संसार में समस्त प्राणियों का जीवन नश्वर होता है तथा धन संपत्ति और समृद्धि भी शाश्वत (सदा बनी रहने वाली) नहीं होती है। मृत्यु हर समय प्राणहरण के लिये उद्यत रहती है। ऐसी स्थिति में मनुष्यों का कर्तव्य है कि धर्म के सिद्धान्तों को अपना कर उनका पालन करें।

All living beings in this World are perishable and their wealth, status and power is not eternal. Death is always present there to take away their life. So, it is the duty of every one to observe religious austerity.

*स्वस्थ रहें सब, यही कामना,*
*घर पर रह कर करें प्रार्थना।*

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Sunday, June 7, 2020

समय

*उदये सविता रक्तो रक्तश्चास्तमये तथा।*
*सम्पत्तौ च विपत्तौ च महतामेकरूपता।।*

जिस प्रकार सूर्य उदय एवं अस्त दोनों ही समय एक जैसा अर्थात सौम्य रक्त वर्ण होता है, वैसे ही महापुरुष संपत्ति एवं विपत्ति दोनों में एक समान रहते हैं।

The sun looks red while rising and setting. Great men too remain alike in both the good and bad times.

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Saturday, June 6, 2020

संयम

*दुर्जनः परिहर्तव्यो विद्ययालंकृतोपि सन्।*
*मणिना भूषितः सर्पः किमसौ न भयंकरः।।"*

विद्या के अलंकार से अलंकृत होने पर भी दुर्जन से दूर ही रहना चाहिए, क्योंकि मणि से भूषित होने पर भी क्या सर्प भयंकर नहीं होता।

A malfeasant person should be avoided even he is intellect. Is the serpent not fierce if being apprehensive with gem?

*एक नयी जीवन शैली से,*
*जीतेंगें दो गज़ दूरी से।*

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Thursday, June 4, 2020

सक्षम

*बन्धनस्योऽपि मातङ्गः सहस्रभरणक्षमः।*
*अपि स्वच्छन्द्चारी श्वा स्वोदरेणाऽपि दुःखितः।।*
                                               
एक मर्यादित हाथी अंकुश में होने पर हजार लोगों का परोक्ष रूप से भरणपोषण करने में सक्षम होता है, परन्तु एक स्वच्छन्द विचरण करने वाला कुत्ता स्वयं अपना ही पेट न भर सकने के कारण दुःखी रहता है।

An elephant even under bondage provides indirectly sustenance to thousands of people, whereas an independent stray dog leads a miserable life by not being able even to sustain himself properly.

*मर्यादा है सदा जरूरी,*
*रखें सभी से दो गज़ दूरी।*

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Tuesday, June 2, 2020

मार्ग

*तर्कोऽप्रतिष्ठः श्रुतयो विभिन्ना*
*नैको ऋषिर्यस्य मतं प्रमाणम्।*
*धर्मस्य तत्त्वं निहितं गुहायाम्*
*महाजनो येन गतः सः पन्थाः।।*

जीवन जीने के असली मार्ग के निर्धारण के लिए कोई सुस्थापित तर्क नहीं है, श्रुतियाँ (शास्त्रों तथा अन्य स्रोत) भी भाँति-भाँति की बातें करती हैं, ऐसा कोई ऋषि/ चिंतक/ विचारक नहीं है जिसके वचन प्रमाण कहे जा सकें। वास्तव में धर्म का मर्म तो बहुत गूढ़ है। इसलिए महापुरुष, समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति जिस मार्ग को अपनाते हैं, वही अनुकरणीय है।

Logic is devoid of conclusions and not foolproof, the scriptures have many derivative meanings, there is no one wise person whose philosophy can be termed as authentic or complete. In reality, the essence of Dharma is mysterious and hidden. Therefore, the path on which great realized souls have traversed, should be followed.

*स्वयं स्वयं का करें बचाव,*
*यही एक उत्तम उपचार।*

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Sunday, May 31, 2020

गंगा दशहरा

*गंगा पापं, शशी तापं दैन्यं कल्पतरुस्तथा।*
*पापं तापं तथा दैन्यं हन्ति सज्जनसंगम।।*

सज्जनों की संगति की महिमा बताते हुए कहा गया है कि गंगास्नान से सब पाप, चन्द्रमा के दर्शन से ताप (गर्मी) एवं कल्पवृक्ष का दर्शन दरिद्रता को दूर कर देता है। परन्तु सज्जनों की संगति से पाप, ताप और दरिद्रता तीनों से दूर हो जाते हैं।

The value of noble person's good company is said by this. As all sins can be removed by taking dip in the holy water of Ganga, heat is vanished in Moon's cool light and paucity is cured by just seeing the _Kalpavriksha_, but the all three, paucity, heat and sins can be cured by only being with noble person.

*सर्व पाप हारी माँ गंगा एवं विवेक की अधिष्ठात्री देवी माँ गायत्री* के अवतरण दिवस ज्येष्ठ शुक्ल दशमी (गंगा दशमी, गायत्री जयन्ति) पर हम सभी पवित्र एवं विवेकवान बनें, ऐसी शुभकामनाएँ।

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Friday, May 29, 2020

दृढ़ निश्चय

*कारुण्येनात्मनो तृष्णा च  परितोषतः।*
*उत्थानेन जयेत्तन्द्रीं वितर्कः निश्चयाज्जयेत।।*

स्वयं पर करुणा (दया की भावना) से, तृष्णा (अत्यधिक लोभ) पर संतोष की भावना के द्वारा, तन्द्रा (आलस्य) पर जागृति के द्वारा, तथा संदेह (संशय) पर दृढ़ निश्चय से विजय प्राप्त करनी चाहिए।

One should conquer own self by practicing compassion, greed by being satisfied at whatever he possesses, drowsiness by always remaining alert, and indecision by being firm and decisive.

*करें नहीं अभिमान तनिक भी,*
*पालन कर लें दो ग़ज़ दूरी,*

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Thursday, May 28, 2020

फल

*सठ सन बिनय कुटिल सन प्रीति।*
*सहज कृपन सन सुंदर नीति॥*
*ममता रत सन ज्ञान कहानी।*
*अति लोभी सन बिरती बखानी॥*
*क्रोधिहि सम कामिहि हरिकथा।*
*ऊसर बीज बाएँ फल जथा॥*

मूर्ख से विनय, कुटिल के साथ प्रीति, स्वभाव से कंजूस व्यक्ति से उदारता की बात, मोहग्रस्त मनुष्य से ज्ञान की कथा, अत्यंत लोभी से वैराग्य का वर्णन, क्रोधी से शम (शांति) की बात और कामी से भगवान की कथा, इन सब का फल व्यर्थ होता है, जैसे ऊसर भूमि में बीज बोने से कोई फल नहीं मिलता है।

Supplication before an idiot, friendship with a rogue, inculcating liberality on a born miser, talking wisdom to one steeped in worldliness, glorifying dispassion before a man of excessive greed, a lecture on mindcontrol to an irascible man and a discourse on the exploits of Devine to a libidinous person are as futile as sowing seeds in a barren land.

*हम सब अपना भला विचारें,*
*संयमित रह ज़िन्दगी गुजारें,*

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Wednesday, May 27, 2020

अभिमान

*सुनहु राम कर सहज सुभाऊ।* 
*जन अभिमान न राखहिं काऊ॥*
*संसृत मूल सूलप्रद नाना।* 
*सकल सोक दायक अभिमाना॥*

ईश्वर परमसत्ता (श्री राम) का सहज स्वभाव है कि वे अपने भक्त में अभिमान कभी नहीं रहने देते, क्योंकि अभिमान जन्म-मरण रूपी संसार का मूल है और अनेक प्रकार के क्लेशों तथा समस्त दु:खों का देने वाला है॥

The arrogance is the root cause of all miseries and conflicts, so the Almighty first removes arrogance from his devotees.

*मुझे नहीं कोरोना होगा,*
*यह घमण्ड ही ले डूबेगा,*
*है बचाव ही श्रेष्ठ तरीका,*
*स्वच्छ हस्त, मुख मास्क लपेटा।*

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Tuesday, May 26, 2020

आवेश

*सहसा विदधीत न क्रियामविवेकः परमापदां पदम्।*
*वृणते हि विमृश्यकारिणं गुणलुब्धाः स्वयमेव संपदः।।*

आवेश में आ कर बिना सोचे समझे कोई कार्य नहीं करना चाहिए। 
विवेकशून्यता बड़ी विपत्तियों का द्वार है। 
जो व्यक्ति सोच समझकर कार्य करता है; गुणों से आकृष्ट होने वाली माँ लक्ष्मी स्वयं ही उसका चुनाव कर लेती है |

One should not indulge in action in a hurry.
Indiscretion becomes a step towards extreme troubles.
Glory (good results) always enticed by virtuosity prefer one who exercises discretion.

*विवेक साथ हो सदा,*
*निभाएँ हरेक कायदा,*
*सभी मिलें तो दूर से,*
*विनाश कौन कर सके।*

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Monday, May 25, 2020

आलस्य का त्याग

*श्रेयांसि च सकलान्यनलसानां हस्ते नित्यसान्निद्ध्यानि I*

इस संसार की सकल संपत्ति एवं श्रेय उन्हीं के हाथ में होता है जो सदैव आलस्य का त्याग कर कर्म में उद्यत रहते हैं।

The gross wealth and credit of this world is in the hands of those who always abandon laziness and remain engaged in _karma_ means action.

*स्व में स्थित घर में स्थित हो*
*इस शत्रु से जीत निश्चित हो।*

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Sunday, May 24, 2020

संगति

*संसारकटुवृक्षस्य द्वे फले   अमृतोपमे।*                                                                                                                         *सुभाषितरसास्वादःसङ्गतिः सुजने जने।।*                                           
 
संसार रुपी कड़ुवे पेड़ से अमृत तुल्य दो ही फल उपलब्ध हो सकते हैं, एक है मीठे बोलों का रसास्वादन और दूसरा है सज्जनों की संगति।

Only two fruits like nectar can be available from this bitter tree of the world, one is the taste of gentle words and other is the company of nobles.

*परिवर्तन जो भी होता है,*
*बीज सृजन के भी बोता है,*
*फिर अपनाएँ चलन पुराने,*
*नित्य प्रार्थना भजन सयाने।*

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Saturday, May 23, 2020

कीर्ति

*औचित्य प्रच्युताचारो युक्ता स्वार्थं न साधयेत्।*
*व्याजबालिवधेनैव  रामकीर्तिः कलङ्किता।।*

नैतिक रूप से अनुचित एवम् अशोभनीय कृत्य द्वारा अपने स्वार्थ की पूर्ति कभी नहीं की जाए।
वानरराज बालि (जिसने अपने अनुज की पत्नी हरण का अक्षम्य अपराध किया था) का वध छल से करने के कारण भगवान श्री राम की कीर्ति भी कलंकित हो गयी थी।

One should never take recourse to morally very low and unfair means to achieve his objectives.
By killing Baali, the King of Vanars (who had kidnapped his brother's wife), in a clandestine manner, even Lord Ram's name and fame was tarnished.

*हमने संयम सीखा है,*
*रहना घर में सीखा है,*
*स्वच्छ रहें अरु स्वस्थ रहें,*
*व्यस्त रहें अरु मस्त रहें।*

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Friday, May 22, 2020

साधना

*शिक्षा क्षयं गच्छति कालपर्ययात् सुबद्धमूला निपतन्ति पादपाः।*
*जलं जलस्थानगतं च शुष्यति हुतं च दत्तं च तथैव तिष्ठति।।*
             (कर्णभारम्-२२)

समय के साथ शिक्षा का क्षय हो जाता है, अच्छी तरह जड़ से जमा हुआ वृक्ष भी धराशाई हो जाता है। जलाशय में रहा पानी भी समय के साथ कालांतर मे सूख जाता है, परंतु यज्ञ की अग्नि में समर्पित आहूति और दिया गया दान कभी नष्ट नहीं होता, सदैव ही शाश्वत रहता है।

Over time, education disappears, a tree that is well-rooted also collapses. The water in the reservoir dries out over time, but the sacrificial offering in the fire of a _yajna_ and donation given are never destroyed, remain always in perpetuity.

*करी साधना घर रह कर,*
*स्वस्थ रखेगी जीवन भर,*
*निज स्वास्थ्य का ध्यान रखें,*
*घर पर रुक कर स्वस्थ रहें।*

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Thursday, May 21, 2020

उदारता

*पत्रपुष्पफलच्छायामूलवल्कलदारुभिः।*
*धन्यामहीरुहा येभ्यो निराशा यान्ति नाऽर्थिनः।।*
                                             
धन्य हैं वे वृक्ष जो अपने पत्तों, फूलों, फलों, जड़ों, छाल, लकड़ी और छाया से प्राणिमात्र की सहायता करते हैं और उनके पास से कोई भी याचक निराश नहीं लौटता है।

Blessed are the trees, who help all the living beings by providing their leaves, flowers, fruits, roots, bark and cool shade, and nobody  returns with empty hands.

*बड़ अमावस्या, वट सावित्री एवं शनि जयन्ति के इस विशेष पर्व पर सभी के सौभाग्य में वृद्धि हो ऐसी शुभकामनाएँ*

*हृदय उदारता भरें,*
*मनुष्यता मनुज धरें,*
*समस्त रोग से लड़ें,*
*निरोग हम सभी रहें।*

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Wednesday, May 20, 2020

प्रकार

*ऐश्वर्यमल्पमेत्य प्रायेण हि दुर्जनो भवति मानी।*
*सुमहत्प्राप्यैश्वर्यं प्रथमं प्रतिपद्यते  सुजनः।।*

दुर्जन, थोड़ा सा भी ऐश्वर्य पा कर प्रायः बहुत ही गर्वीले और चञ्चल (अधीर) हो जाते हैं, परन्तु सज्जन बहुत अधिक ऐश्वर्यवान हो कर भी शान्त और मृदुल स्वभाव के ही बने रहते हैं।

(तुलसीदास जी ने भी रामचरितमानस में कहा है :
*छुद्र नदी भरि चली तोराई।* 
*जस थोरहु धन खल इतराई।।*)

A wicked person having acquired even a bit of prosperity and power becomes very capricious and proud, whereas a noble person even after acquiring abundant power and prosperity still remains very calm and quiet.

*अपना अपना ध्यान रखें,*
*एक नियम का मान रखें,*
*व्यर्थ नहीं बाहर विचरें,*
*भीड़ भाड़ से दूर रहें।*

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Tuesday, May 19, 2020

विचार

*मनस्यन्यद्वचस्यन्यत्कार्ये चाऽन्यदुरात्मनाम् ।*
*मनस्येकं वचस्येकं कर्मण्येकं महात्मनाम् ।।*

दुष्ट और नीच व्यक्तियों के विचार कुछ और होते है पर वे कहते कुछ और ही हैं और करते भी कुछ और ही हैं। इसके विपरीत सज्जन और महान् व्यक्ति जो सोचते हैं वही कहते हैं और करते भी वही हैं।

The thoughts of wicked and mean persons are different than what they speak and ultimately do, whereas the thoughts, their expression and subsequent action by the noble and righteous persons are always the same.

*नियम सदा ही पालें हम,*
*अपना स्वास्थ्य सम्भालें हम,*
*मुँह पर मास्क लगालें हम,*
*घर से जाना टालें हम।*

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Monday, May 18, 2020

वाणी

*वाणी रसवती यस्य*
*यस्य श्रमवती क्रिया।*
*लक्ष्मी: दानवती यस्य* *सफलं तस्य जीवितम्॥*

जिस मनुष्य की वाणी मीठी है, जिसका कार्य परिश्रम से युक्त है, जिसका धन दान करने में प्रयुक्त होता है, उसका जीवन सफल है।

The person whose speech is sweet, whose work is full of hard work, whose money is used for noble causes, his life is successful.

*एक महामारी आयी है,*
*सारी दुनिया घबरायी है,*
*हमने खूब तपस्या की,*
*रीति बदल दी जीने की,*
*एक नया सोपान चढ़ें,*
*नया कीर्तिमान गढ़ें।*

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Sunday, May 17, 2020

कर्म

*आस्ते भग आसीनस्य, ऊर्ध्वंतिष्ठति तिष्ठतः ।*
*शेते निपद्यमानस्य, चरति चरतो भगः।*
*चरैवेति चरैवेति॥*

जो मनुष्य (कुछ काम किये बिना) बैठता है, उसका भाग्य भी बैठ जाता है। जो उठ खड़ा होता है, उसका भाग्य भी उठ जाता है। जो सोता है, उसका भाग्य भी सो जाता है एवम् जो चलने लगता है, उसका भाग्य भी चलने लगता है। 

अर्थात् कर्म से ही भाग्य है।

A person who sits (without doing anything), his fate also doesn't work. The one who is ready to work, his fate also starts working. 
The doers are helped with luck/ fate. The fate doesn't help undoer. 

*माना घर में ही रहना है,*
*किन्तु न कर्म कभी तजना है,*
*घर में रहकर काम करें,*
*निज स्वास्थ्य का ध्यान धरें।*

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Saturday, May 16, 2020

शपथ

*असद्भिः शपथेनोक्तं जले लिखितमक्षरम्।*
*सद्भिस्तु लीलया प्रोक्तं शिलालिखितमक्षरम्॥*

असभ्य ( दुष्ट स्वभाव के) व्यक्तियों द्वारा किसी कार्य को करने हेतु ली गयी शपथ जल में लिखे गये अक्षरों के समान (अस्थायी) होती है ,अर्थात वे उसका अनुपालन नहीं करते हैं। इस के विपरीत सभ्य (सज्जन और सत्यवादी) व्यक्तियों द्वारा हँसी मजाक में भी कही हुई कोई बात एक शिलालेख के समान (स्थायी) होती है,
अर्थात वे जो कहते हैं उसे अवश्य पूरा कर के दिखाते हैं।

The commitments made by persons of evil temperament even under oath are just like words written on the surface of water (which
disappear immediately) and are not honoured by them.  On the other
hand commitments made by upright and truthful persons even casually are like the words engraved on a slab of stone (permanent) and are duly honoured by them.

*हम भी अपना वचन निभाएँ,*
*कार्य बिना न बाहर जाएँ,*
*मुँह पर बाँधो मास्क सदा,*
*हाथ स्वच्छ हों सब सुखदा।*

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Friday, May 15, 2020

संयम

*यस्मै देवाः प्रयच्छन्ति पुरुषाय प्रराभवम्।*
*बुद्धिं तस्यापकर्षन्ति सोऽवाचीनानि पश्यति।।*

To make defeat one's fate, God snatches his wisdom first. Thus he does not see any good aspect of life, he can only see bad and bad.

जिसके भाग्य में पराजय हो, ईश्वर उसकी बुद्धि पहले ही छीन लेते हैं, इससे उस व्यक्ति को अच्छी बातें नहीं दिखायी देती, वह केवल बुरा-ही-बुरा देख पाता है।

*संयम का व्रत रखें सदा*
*अच्छा अच्छा लखें सदा*
*घर में रहना अभी जरूरी*
*भीड़ भाड़ से रखना दूरी*

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Thursday, May 14, 2020

मूर्खो से बचे

*मूर्खेण सह संयोगो विषादपि सुदुर्जरः।*
*विज्ञेन सह संयोगः सुधारससमः स्मृतः॥*

मूर्खों से सम्पर्क विष से भी अधिक अनिष्टकारी होता है और इसके विपरीत विद्वानों का सम्पर्क अमृत तुल्य माना गया है।

To befriend and deal with a fool will do greater damage than poison. But accompany with a wise man is similar to have nectar.

*खतरा अभी टला नहीं है,*
*ये मामूली बला नहीं है,*
*मूर्खों से भी बचें स्वयं हम*
*संयमित हो रहें स्वयं हम।*

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Wednesday, May 13, 2020

ध्यान

*दुर्लभं त्रयमेवैतत् देवानुग्रहहेतुकम्।*
*मनुष्यत्वं मुमुक्षुत्वं महापुरूषसंश्रय:॥*

यह तीन दुर्लभ हैं और देवताओं की कृपा से ही मिलते हैं : मनुष्य जन्म, मोक्ष की इच्छा और महापुरुषों का साथ।

These three are very difficult to get and can be achieved only by the grace of the God : birth as human, desire for salvation and company of the nobles.

*मिला मनुज तन इसे बचाएँ,*
*हम अपना आरोग्य बढ़ाएँ,*
*ध्यान, योग नियमित अपनाएँ*
*हर बीमारी दूर भगाएँ*

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Tuesday, May 12, 2020

सदगुण

*दानं प्रियवाक्य सहितं ज्ञानमगर्वं क्षमान्वितं शौर्यं।*
*वित्तं त्यागनियुक्तं दुर्लभमेतत् चतुष्टय लोके।।*

याचकों को दान देते समय प्रिय वचन कहने वाले, अपने ज्ञानी होने पर गर्व न करने वाले, शूरवीर होने पर भी क्षमाशील, तथा धनवान होते हुए भी दानशील, इन सद्गुणों से युक्त मनुष्य इस संसार में दुर्लभ होते हैं।

Persons endowed with four qualities, namely speaking politely while doing charity, not being proud of being knowledgeable, forgiving in nature in spite of being valorous, and wealthy but also very charitable and detached from their wealth, are very rare in this World.

*स्व पर यदि निर्भर हो जाएँ*
*सब सुख जीवन में भर जाएँ*
*विश्व पटल पर हम छा जाएँ*
*जन जन में विश्वास जगाएँ।*

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