Wednesday, July 29, 2020

सुख

*बैर न बिग्रह आस न त्रासा।*
*सुखमय ताहि सदा सब आसा॥*
रामचरितमानस : उत्तरकाण्ड

जो मनुष्य न किसी से वैर करे, न लड़ाई-झगड़ा करे, न आशा रखे, न भय ही करे। उसके लिए सभी दिशाएँ सदा सुखमयी हैं। अर्थात् वह सदैव सुखी रहता है।

The man who does not hate anyone, fight or quarrel, does not expect and does not have fear. All directions for him are always pleasant. That is, he is always happy.

*अपनी सुरक्षा हाथ हमारे,*
*हम खुद समझें रिपु कैसे हारे,*
*घर में अपने स्वच्छ रहें हम,*
*अपनी शक्ति से स्वस्थ रहें हम।*
 
शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏼