Monday, July 25, 2022

महादेव

साकार व निराकार परमात्मा के द्वंद्व को ध्यान में रखते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के अंतिम काण्ड उत्तरकाण्ड में (आठ श्लोक के रुद्राष्टकम् स्तोत्र में) परम शिव की स्तुति करते हुए ईश्वर का जो व्याख्यान किया है उससे साकार व निराकार के द्वंद्व को आसानी से समझ सकते हैं।

*न यावद् उमानाथ पादारविंदं। भजंतीह लोके परे वा नराणां॥*
*न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं। प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं॥*
रुद्राष्टकम : उत्तर कांड, रामचरितमानस।

हे उमानाथ जब तक आपके चरणकमलों को नहीं भजते, तब तक न तो इहलोक और परलोक में सुख-शांति मिलती है और न उनके तापों का नाश होता है। अतः हे समस्त जीवों के हृदय में निवास करने वाले हे प्रभो! प्रसन्न होइए॥

O _Umanath_ unless we worship you, we can't get peace in this world or either elsewhere. Kindly be pleased on us as you reside in the hearts of all of us.

आज श्रावणी शिवरात्रि पर आएँ हम उस निराकार परमात्मा के साकार शिव रूप का ध्यान एवं स्तुति करें।

*शिव को भज लें, जानें हम,*
*शक्तिवान शिव मानें हम,*
*भक्ति शक्ति से स्वस्थ रहें,*
*परम स्वयं पहचानें हम।* 

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Friday, July 22, 2022

स्वभाव

*संपत्सु महतां चित्तं  भवत्युत्पलकोमलं।*
*आपत्सु च महाशैलं शिलासंघात कर्कशम्।।*

महान व्यक्तियों का स्वभाव उनके सुखी और समृद्ध होने पर भी एक पुष्प के समान कोमल होता है एवं विपत्ति की स्थिति में पर्वत की शिलाओं के समान कठोर हो जाता है।

During prosperity the heart of a noble man is kind and soft like a flower. But in adverse times it becomes as hard as rock of a mountain.

*अनुकूल समय में सौम्य रहें हम,*
*विपरीत समय चट्टान बनें हम,*
*हम सब में अंश परम का है,*
*क्यों विचलित हों, क्यों टूटें हम।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Wednesday, July 20, 2022

जय श्री राम

*उमा राम गुन गूढ़, पंडित मुनि पावहिं बिरति।*
*पावहिं मोह बिमूढ़, जे हरि बिमुख न धर्म रति॥*

रामचरितमानस : अरण्य कांड।

भगवान शिव पार्वती को कहते हैं : हे पार्वती! श्री राम के गुण गूढ़ हैं, पण्डित और मुनि उन्हें समझकर वैराग्य प्राप्त करते हैं, किंतु जो भगवान से विमुख हैं और जिनको अपने धर्म (कर्तव्य) से प्रेम नहीं है, वे महामूढ़ मोह में उलझ जाते हैं।

The qualities of Shri Ram are esoteric, the pundits and sages attain detachment by understanding them, but those who are estranged from God and who do not love their religion (duties), they get entangled in the great delusion.

राम समझ कर मोह हटा लें,
नित नित अपना धर्म निभा लें,
सहज सरल है प्रभु को पाना,
*धर्म निभा लें प्रभु को पा लें।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Monday, July 18, 2022

बुद्धि

*मुक्ताभिमानी मुक्तो हि बद्धो बद्धाभिमान्यपि।*
*किवदन्तीह सत्येयं या मतिः सा गतिर्भवेत्॥१-११॥*
अष्टावक्र गीता

स्वयं को मुक्त मानने वाला मुक्त ही है और बद्ध मानने वाला बंधा हुआ ही है, यह कहावत सत्य है कि जैसी बुद्धि होती है वैसी ही गति होती है।

If you think you are free you are free. If you think you are bound you are bound. It is rightly said: You become what you think.

*पुत्र परम के हम मानें हम,*
*निज मन भी पहचानें हम,*
*मुक्त स्वयं को समझें हम,*
*स्वयं स्वयं को जानें हम।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Friday, July 15, 2022

महिमा

*अयि मलयजमहिमाऽयं कस्य गिरामस्तु  विषयस्ते।*
*उद्गिरतो यद्गरलं फणिनः पुष्णासि परिमलोद्गारैः।।*

हे प्रिय चन्दन के वृक्ष! तुम्हारी महिमा सभी लोगों में प्रसंशा और चर्चा का विषय है, क्योंकि तुम्हारी शाखाओं और जड़ों में रहने वाले सर्पों द्वारा तुम पर विष वमन करने पर भी तुम सर्वत्र अपनी सुगन्ध बढ़ा-चढ़ा कर फैला रहे हो।

इसी तथ्य को रहीम जी ने भी  कहा है,
*जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग*
*चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग*

O dear Sandalwood tree! your greatness is the subject matter of praise by people every where,  because in spite of very poisonous snakes dwelling in your branches and roots and spitting poison here and there, you continue to spread more and more fragrance all around.

श्रेष्ठ रहें हम उत्कृष्ट बनें,
सज्जन हों हम स्वस्थ रहें।

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Wednesday, July 13, 2022

हर हर महादेव

*आचारः प्रथमो  धर्मः इत्येतद्विदुषां  वचः।*
*तस्माद्र्रक्षेत् सदाचारं प्राणेभ्य अपि विशेषतः।।*
                       
दूसरों के प्रति अच्छा आचरण करना हमारा सर्व प्रथम धर्म (कर्तव्य) है, ऐसा विद्वज्ज्नों का कहना है। अतः सदाचार की रक्षा (अनुपालन) हमें अपने प्राणों से भी अधिक करनी चाहिए।

Noble and learned persons have proclaimed that good conduct towards others is our first and foremost duty. Therefore, we should  adhere to our good conduct even more than our life.

*अहम त्याग दें, मास अहम है,*
*सावन में शिव शक्ति परम है,*
*गुरु की शिक्षा साथ सदा हो,*
*संचित कर लें जो भी कम है।*

आज से प्रारम्भ शिव आराधना के श्रावण मास में स्वास्थ्य साधना करें।

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Monday, July 11, 2022

मोह / अहम

*मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला।*
*तिन्ह ते पुनि उपजहिं बहु सूला॥*
रामचरितमानस : उत्तर काण्ड।

मोह (सब कुछ मेरा होने का अहम) ही सब रोगों की जड़ है। इस एक से ही और बहुत से शूल (व्याधि) उत्पन्न होते हैं।

Moh (the ego that everything is mine) is the root of all miseries. This only produces many other diseases.

रहे कमल ज्यों ऊपर जल में,
हम जग में निर्लिप्त रहें,
*मोह मूल है हर व्याधि का,*
*मोह तजें हम स्वस्थ रहें।*

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

Tuesday, July 5, 2022

भक्ति

*जातें बेगि द्रवउँ मैं भाई।*
*सो मम भगति भगत सुखदाई॥*
रामचरितमानस : अरण्य कांड।

श्री राम लक्ष्मण को भक्ति की महिमा बताते हुए कहते हैं, हे भाई! जिससे मैं शीघ्र ही प्रसन्न होता हूँ, वह मेरी भक्ति है जो भक्तों को सुख देने वाली है।

Describing the importance of devotion to Lakshmana, Shri Ram says, O brother! By which I am soon pleased, it is devotion to me. The devotion to me gives happiness to the devotees.

राम चरण अनुराग रखें हम,
सुख पाएँ सन्मार्ग चलें हम।
योग ध्यान से स्वस्थ रहें हम।

🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼