*फूलइ फरइ न बेत, जदपि सुधा बरषहिं जलद।*
*मूरुख हृदयँ न चेत, जौं गुर मिलहिं बिरंचि सम॥*
रामचरितमानस : लंका काण्ड।
मंदोदरी के समझाने पर भी मदान्ध रावण के न समझने पर गोस्वामी तुलसीदास जी ने बेंत (बाँस) का उदाहरण देते हुए बताते हैं कि
यद्यपि बादल अमृत-सा जल बरसाते हैं तथापि बेत फूलता-फलता नहीं। इसी प्रकार ब्रह्मा के समान ज्ञानी गुरु मिलने पर भी मूर्ख के हृदय में चेत (ज्ञान) नहीं होता॥
Despite good rain like nectar, the bamboo does not flourish. Similarly, even after getting a knowledgeable mentor like Brahma, the fool hearted can't attain perception (intellect).
*व्यर्थ नहीं अभिमान करें,*
*सोचें तनिक विचार करें,*
व्यस्त रहें हम स्वस्थ रहें।
No comments:
Post a Comment