Thursday, April 30, 2020

गुण

*उद्यमः साहसं धैर्यं बलं बुद्धि पराक्रमः।*
*षडेते यस्य तिष्ठन्ति तस्य देवोऽपि सशंकितः।।*

जिस व्यक्ति में उद्यमिता, साहस, धैर्य, बल, बुद्धि एवं पराक्रम, ये छः गुण होते हैं, उस से देवता भी सशंकित (भयभीत) रहते हैं।

A person who possesses these six virtues, namely continued and strenuous efforts, courage (capacity to take risks), patience, strength, intelligence and gallantry, even the Gods are apprehensive of such a person.

विश्व श्रमिक दिवस (1 मई) को आएँ कठिन श्रम हेतु संकल्पित हों।

*बार बार हाथों को धोना*
*घर में ही हम सबका होना*
*कठिन तपस्या हमने की है*
*निश्चित हारेगा कोरोना*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Wednesday, April 29, 2020

साधन

*वित्तं बन्धुर्वयः कर्म विद्या भवति पञ्चमी।*
*एतानि मान्यस्थानानि गरीयो यद्यत् उत्तरम।।*
                                                           
धन, स्वजन, आयु, सत्कर्म और विद्या, ये पांच साधन मनुष्य को प्रतिष्ठा एवं सम्मान दिलाने के साधन हैं। ये उत्तरोत्तर एक दूसरे से श्रेष्ठ हैं, अर्थात धन से स्वजन, स्वजन से आयु, आयु से सत्कर्म एवं अन्ततः विद्वता, विद्यार्जन ही सर्वश्रेष्ठ है।

Wealth, close relatives,  age of a person, meaningful activity and  knowledge being the five factors that bestow  respect and honourable position to a person in the society and these factors are respectively more venerable. In the last the knowledge is the best.

*घर में रहकर करो पढ़ाई*
*कोरोना से यही लड़ाई*
*स्वच्छ हाथ हो मुँह पर कपड़ा*
*शस्त्र यही है सबसे तगड़ा*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Tuesday, April 28, 2020

अंतर्मन

*उद्धरेत् आत्मनात्मानं नात्मानम् अवसादयेत्।*
*आत्मैव ह्रात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मन:।।*
गीता : अध्याय ६, श्लोक ५।

हम स्वयं अपने द्वारा अपना उद्धार करें एवं स्वयं को अधोगति अथवा अवसाद में न डालें क्योंकि हम स्वयं ही स्वयं के मित्र अथवा शत्रु होते हैं।

We should raise ourselves self by our own efforts and should not degrade ourselves; as we only are our own friend or foe.

*स्वयं संयम एक उपचार,*
*स्वयं करें स्व का उद्धार।*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Monday, April 27, 2020

आन्तरिक शक्ति

*अन्तःसारविहीनस्य  सहायः किं करिष्यति।*
*मलयेऽपि  स्थितो  वेणुर्वेणुरेव  न चन्दनः।।*

जिस व्यक्ति में स्वयं अपनी आन्तरिक शक्ति या सामर्थ्य न हो उसकी सहायता करने से कुछ भी लाभ नहीं होता है। उदाहरणार्थ मलय प्रदेश में चन्दन वृक्ष के वनों में उगे हुए बाँस के वृक्ष बाँस के ही  रहते हैं और चन्दन नहीं हो जाते हैं।

It is of no use to help a person who is devoid of inner strength and capability, just like the bamboo trees growing in the Malaya region in a forest of Sandalwood trees remain as bamboo trees and do not become sandal wood trees.

*हम अन्तस् की शक्ति बढ़ाएँ,*
*कोरोना को मार भगाएँ।*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Sunday, April 26, 2020

आचरण

*आचाराल्लभते आयु: आचारादीप्सिता: प्राजा:,*
*आचाराद्धनमक्षय्यम् आचारो हन्त्यलक्षणम्।।*

Good conduct means good behavior, gives longevity, great progeny, everlasting prosperity, and also destroys one's own faults. Every situation is not in our hands but our conduct is under our control.

अच्छे आचरण अर्थात सदव्यवहार से दीर्घ आयु, श्रेष्ठ सन्तति, चिर समृद्धि प्राप्त होती है, तथा अपने दोषों का भी नाश होता है। प्रत्येक परिस्थिति हमारे हाथ में नहीं किन्तु हमारा आचरण हमारे वश में है।

*घर से बाहर अब यदि जाएँ*
*दो ग़ज़ दूरी सभी निभाएँ।*
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Saturday, April 25, 2020

धर्म विमुख

*बलवान् अपि अशक्तोऽसौ धनवानपि निर्धनः।*
*श्रुतवान् अपि मूर्खोऽसौ यो धर्मविमुखो जनः॥*

जो व्यक्ति अपने धर्म (कर्तव्य) से विमुख होता है, वह बलवान हो कर भी असमर्थ, धनवान हो कर भी निर्धन तथा ज्ञानी हो कर भी मूर्ख होता है।

The person who deviates from his duties, his abilities, wealth and intellect are of no use.

*वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया "अक्षय तृतीया" (आखा तीज) भगवान परशुराम के अवतरण दिवस पर आएँ  अपने कर्तव्य निर्वहन हेतु उनके आदर्शों एवं तपस्या को अपने जीवन में उतारें एवं समस्त विघ्नों के विरुद्ध संकल्पित हों।*

*शनै शनै हम जीत रहे हैं,*
*किन्तु शत्रु भी बहुत बढ़े हैं,*
*नहीं साधना खत्म हुई है,*
*क्यों घर छोड़ें क्या जल्दी है।* 

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Thursday, April 23, 2020

समय

*समप्रकास तम पाख दुहु, नाम भेद बिधि कीन्ह।*
*ससि सोषक पोषक समुझि, जग जस अपजस दीन्ह॥*
रामचरित मानस : बालकाण्ड।

एक माह के दो पक्षों (शुक्ल एवं कृष्ण) में प्रकाश एवं अंधकार समान होता है किंतु दोनों की प्रकृति भिन्न है। एक चन्द्रमा को क्रमशः बढ़ाता जाता है और दूसरा घटाता जाता है, इसी कारण एक को यह जग यश देता है जबकि दूसरे को अपयश देता है।

Two fortnights of a month _Shukla_ and _Krishna_ are having same brightness and darkness, but are separated by the nature of both. One increases the moon gradually and other decreases, that is why the world praises one but condemn other.

*विकासोन्मुख रहें।*

*कठिन समय आया हम सब पर,*
*करें प्रार्थना निज घर रह कर।*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Wednesday, April 22, 2020

दान

*अति साहसमतिदुष्करमत्याश्चर्यं  च दानमर्थानाम्।*
*योऽपि ददाति शरीरं न ददाति स वित्तलेशमपि।।*

समाज की सेवा और उन्नति के लिये धन संपत्ति का दान करना एक अत्यन्त कठिन, साहसिक तथा प्रशंसनीय कार्य है। परन्तु कुछ (लोभी और कंजूस) व्यक्ति चाहे अपनी जान दे देंगे लेकिन अपनी संपत्ति का लेशमात्र अंश भी दान नहीं करते हैं।

Giving away wealth as charity for social purposes is a very arduous, difficult and a wonderful act. But some people (misers and greedy persons) will rather give up their life but will not spare even a very little portion of their wealth as charity.

*दान धर्म जप नियम निभाएँ,*
*किन्तु न घर से बाहर जाएँ,*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Tuesday, April 21, 2020

ज्ञान

*कर्मणा रहितं ज्ञानं पंगुना सदृशं  भवेत्।*
*न तेन प्राप्यते किन्चिन्न च किंचित्प्रसाध्यते।।*

यदि कोई व्यक्ति ज्ञानवान हो कर भी तदनुसार कर्म (ज्ञान का उपयोग) नहीं करता है तो उसकी स्थिति एक पंगु (चलने फिरने में असमर्थ) व्यक्ति के समान होती है। वह न तो उस ज्ञान से थोड़ा भी लाभ ले सकता है और न ही उस विषय में कोई उपलब्धि प्राप्त कर सकता है।

If a knowledgeable person does not use his knowledge by taking appropriate action, his position is like that of a crippled person. He can neither obtain even a little benefit out of such knowledge, nor any accomplishment in the field of his knowledge.

*धर्म यही कर्तव्य यही है,*
*घर में रहना बहुत सही है।*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Monday, April 20, 2020

संयम

*आपत्सु किं विषादेन सम्पतौ विस्मयेन किं।*
*भवितव्यं भवत्येव कर्मणामेष निश्चयः।।*

आपदा (दुर्भाग्य) के आने पर विषाद करने से और धन संपत्ति प्राप्त होने पर हर्ष एवं आश्चर्य करने से कुछ नहीं होगा क्योंकि जैसे कर्म (अच्छे या बुरे) किये गये होंगे, उनके अनुसार ही जो होना होता है, वह अवश्य ही घटित होगा।

It is futile to grieve while facing adversity or misfortune and also marveling at acquisition of wealth, because whatever is destined will definitely happen according to the deeds (good or bad).

*स्वयं संयमित हो सबको बोलें,*
*नियम एक बाहर मत डोलें।*
*नहीं काम आवश्यक जब तक,*
*बाहर व्यर्थ न शक्ति टटोलें।*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Sunday, April 19, 2020

कर्म

*जनम मरन सब दुख सुख भोगा।*
*हानि लाभु प्रिय मिलन बियोगा॥*
*काल करम बस होहिं गोसाईं।* 
*बरबस राति दिवस की नाईं॥*
रामचरितमानस : अयोध्या काण्ड।

जन्म-मरण, सुख-दुःख के भोग, हानि-लाभ, प्रियजनों का मिलना-बिछुड़ना, ये सब कर्म एवं समय के अधीन हैं एवं रात और दिन की तरह नियमित बरबस होते रहते हैं।

Birth & Death, Joy & Sorrow, Profit & Loss and Meeting & Separating of Dears; these all events necessarily take place depending on time & karma like days and nights.

*रहें दिवस कुछ निज गृह हम सब,*
*मिटें शूल संकट निश्चित तब।*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Saturday, April 18, 2020

प्रभाव

*जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं,*
*गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं।*

जिस प्रकार श्री कृष्ण जिन्होनें पर्वत को अपनी कनिष्ठा पर उठा लिया था एवं गिरधर कहाये थे, को मुरलीधर कह देने से कोई दुःख नहीं अर्थात कोई बुरा मानने की बात नहीं है, उसी प्रकार किसी सम्मानित एवं बड़े व्यक्ति को छोटा कह देने से उसकी कोई हानि नहीं होती है।

As _Krishna_ who picked a hill on his little finger and called _Girdhar_ won't be affected by calling him _Murlidhar_, a noble and saint person won't be affected by calling him lowly.

निंदा से प्रभावित न हों।

*हम समझें बात प्रधान की,*
*घर में रहना रक्षा प्राण की।*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Friday, April 17, 2020

विवेक

*यस्य नास्ति स्वयंप्रज्ञा, शास्त्रंतस्य करोति किम्।*
*लोचनाभ्यांविहीनस्य, दर्पणः किं करिष्यति।।*

जिस प्रकार एक दृष्टिहीन व्यक्ति के लिए दर्पण कुछ नहीं कर सकता, उसी प्रकार जिसके पास प्रज्ञा (स्वविवेक) नहीं है, समस्त वेद और शास्त्र मिलकर भी उस व्यक्ति को सन्मार्ग की ओर नहीं ले जा सकते।

A mirror can not be useful for a blind person, similarly, where there is no prudence, all the Vedas and the scriptures can not even lead that person towards the right path.

*घर में रहें, दायित्व यही है,*
*स्वस्थ रहें, महत्व यही है।*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Thursday, April 16, 2020

गुण

*गुणाः गुणज्ञेषु गुणा: भवन्ति ते निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषाः।*
*आस्व्याद्य  तोयाः प्रवहन्ति नद्यः समुद्रमासाद्य भवत्यपेयाः।।*

गुण विद्वान और गुणी व्यक्तियों के पास गुण के ही रूप में सुरक्षित रहते हैं परन्तु वे ही गुण गुणहीन और नीच व्यक्तियों के संसर्ग से दूषित हो कर दोषों में परिणित हो जाते हैं। उदाहरणार्थ नदियों में अच्छे स्वाद वाला पीने योग्य जल प्रवाहित होता है परन्तु वही जल समुद्र के जल से मिल कर अशुद्ध हो कर खारा हो जाता है और  पीने के योग्य नहीं रहता है।

Virtues and qualities are reserved with the scholars and virtuous persons as well as in the form of virtues, but those qualities become contaminated while with lowly persons and result in defects. Just like, potable water with good taste flows in the rivers, but the same water becomes saline after being mixed with sea and  is not able to drink.

गुणवानों के साथ रहें।

*संजीवन है घर में रहना,*
*बाहर घूमे नित कोरोना।*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Wednesday, April 15, 2020

आचरण

*कृते प्रतिकृतं कुर्याद्धिंसिते प्रतिहिंसितम्।*
*तत्र दोषं न पश्यामि शठे शाठ्यं समाचरेत्।।*

विदुर नीति कहती है, किसी भी क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। हिंसा के बाद प्रति हिंसा होती है। उसमें कोई दोष भी नहीं है क्योंकि दुष्ट के साथ दुष्टता का आचरण उचित है।

There is a reaction to any action. Violence occurs after violence. There is no wrong in it, because evil conduct is right with the wicked.

*सेवा करते जो हम सबकी,*
*उनकी रक्षा बहुत जरूरी।*
*हम अपना कर्तव्य निभाएँ*
*घर से बाहर अभी न जाएँ।*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Tuesday, April 14, 2020

योग एवं चिंतन

*अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जना: पर्युपासते।*
*तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम् ।।*
गीता : अध्याय ९, श्लोक २२।

परमात्मा इस श्लोक के माध्यम से अपने सभी अनन्य भक्तों को, जो निरन्तर चिन्तन करते हुए निष्काम भाव से भजते हैं, निश्चिन्त करते हुए कहते हैं कि नित्य-निरन्तर मेरा चिन्तन करने वालों का योग क्षेम _(अप्राप्य उपलब्ध कराना (योग) एवं प्राप्य की रक्षा (क्षेम))_ मैं स्वयं वहन करता हूँ।

The Almighty assure those who are loving no one else constantly and worship thou in a disinterested spirit, to those ever united in thought with thy, the Almighty bring full security and personally attend to their needs.

ईश्वर में पूर्ण विश्वास रखें।

*21 दिवस के साधना काल को बढ़ा कर 40 दिवस का कर दिया गया है, शक्ति संचय करें।*

*घर पर रह कर साधना, प्रभु सुमिरन इक काम,*
 *जीत हमारी निश्चित है, कोरोना संग्राम।*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Monday, April 13, 2020

विचार

*दीपो भक्षयते ध्वान्तं कज्जलं च प्रसूयते।*
*यदन्नं भक्ष्यते नित्यं जायते तादृशी प्रजा॥*

जिस प्रकार दीपक अंधकार का भक्षण कर काला धुँआ/ काजल उत्पन्न करता है,
वैसे ही हम जिस प्रकार से उपार्जित अन्न ग्रहण करते हैं, हमारे विचार भी क्रमशः वैसे ही बन जाते हैं।

A lamp removes (eats) darkness and produces smoke side by side. Similarly money earned through deceptive/ sinful/ corrupt/unlawful means by an individual makes his mentality alike. 

जैसा खाओ अन्न, वैसा होगा मन। 


*बीस दिवस पूरे हुए, नहीं हुआ रिपु मंद,*
*अब प्रहार भीषण करें, रहें चाक चौबंद।*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Sunday, April 12, 2020

भक्ति एवं योग

*कहहु भगति पथ कवन प्रयासा।* 
*जोग न मख जप तप उपवासा।*
*सरल सुभाव न मन कुटिलाई।*
*जथा लाभ संतोष सदाई॥*
रामचरितमानस : उत्तरकाण्ड।

भक्ति के मार्ग में परिश्रम नहीं है, इसमें न योग की आवश्यकता है, न यज्ञ, जप, तप और उपवास की। भक्ति के मार्ग में केवल सरल स्वभाव हो, मन में कुटिलता न हो और जो कुछ मिले उसी में सदा संतोष रखें।

There is no need of hard work in the path of devotion, no need for Yoga, neither Yagna, Chanting, Tapa and Fasting. Only simple nature, mind with no evil and satisfaction in whatever gets are the only requirements in this path.

*लड़ना है बस घर में रहकर,*
*हम सब के हित है यह हितकर*

🙏🏼🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Saturday, April 11, 2020

प्रभु सुमिरन

*जाति पाँति कुल धर्म बड़ाई।*
*धन बल परिजन गुन चतुराई॥*
*भगति हीन नर सोहइ कैसा।*
*बिनु जल बारिद देखिअ जैसा॥*

भक्ति की महिमा बताते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा चाहे मनुष्य जाति, पाँति, कुल, धर्म, बड़ाई, धन, बल, कुटुम्ब, गुण और चतुरता आदि से सज्जित हो किन्तु भक्ति से रहित है, तो वह एक जलहीन बादल अर्थात  शोभाहीन दिखाई पड़ता है।

A person who is having a good race, power, religion, magnificence, wealth, strength, family, virtues and cleverness, but is devoid of devotion, then he is like a meager cloud.

*प्रभु सुमिरन का समय मिला है,*
*घर में रहने में ही भला है।*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Friday, April 10, 2020

कठिन समय

*रहिमन विपदा हो भली, जो थोरे दिन होय।*
*हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥*

जीवन में कठिन समय अर्थात्  विपदा का होना अच्छा बताते हुए रहीम जी कहते हैं कि इसी दौरान यह पता चलता है कि दुनिया में कौन हमारा हित या अनहित सोचता है।

It is good in life to be bad time for a while because it distinguishes our well-wishers and others.

*सीखें जप तप योग अरु ध्याना,*
*घर से बाहर क्यों कर जाना*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Thursday, April 9, 2020

विनम्रता

*फल भारन नमि बिटप सब रहे भूमि निअराइ।*
*पर उपकारी पुरुष जिमि नवहिं सुसंपति पाइ॥*
रामचरितमानस : अरण्यकाण्ड।

जिस प्रकार फलदार वृक्ष, फलों से लदने पर नीचे झुक जाते हैं, अर्थात उस वृक्ष की डालियाँ जमीन की ओर झुक जाती हैं। उसी प्रकार परोपकारी व्यक्ति सुसम्पति पाकर और अधिक विनम्र हो जाते हैं।

Just as fruitful trees, when laden with fruits, bow down, that is, the branches of that tree lean towards the ground. In the same way, noble person become more humble after gaining wealth.

*शेष तपस्या अब कुछ दिन की,*
*हार है निश्चित कोरोना की,*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Wednesday, April 8, 2020

मृदुभाषी

*प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।*
*तस्मात्तदेव वक्तव्यं, वचने किं दरिद्रता।।*

मीठी वाणी बोलने से सभी व्यक्ति प्रसन्न और संतुष्ट होते हैं इसलिए सदैव मधुर वचन ही बोलना चाहिए। वाणी हमारे अधीन है और इसका कोई मूल्य भी नहीं देना पड़ता तो मीठे वचन बोलने में दरिद्रता कैसी?

तुलसी मीठे वचन ते, सुख उपजत चहुँ ओर।
वशीकरण यह मंत्र है, तज दे वचन कठोर।

All the people are happy and satisfied by soft and sweet words, therefore always speak sweet words. We have control over our words and have not to pay any price for soft words, then why to be miser in saying sweet words?

मृदुभाषी बनें।

*जीत रहे हम निश्चित जानो,*
*घर में रहना, बात सभी मानो,*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Tuesday, April 7, 2020

हनुमान जयंती

*हनुमान तेहि परस कर, कर पुनि कीन्ह प्रनाम।*
*राम काजु कीन्हें बिना, मोहि कहाँ बिश्राम॥*
रामचरितमानस : सुंदर काण्ड।

सीता जी की खोज करने समुद्र लाँघने को उद्यत हनुमान को मैनाक पर्वत ने बैठने हेतु प्रार्थना की तब हनुमान जी ने प्रेम से उनको अपने हाथों से स्पर्श कर प्रणाम किया और कहा- श्री रामचंद्रजी का काम किये बिना मुझे विश्राम नहीं करना है॥

We can learn from _Hanumaan_ that we should not rest until reach to goal.

आएँ हनुमान प्रकटोत्सव पर हम सभी अपने कार्यों को अविराम पूरा करने का संकल्प लें।

श्री हनुमान हमें अपना संकल्प पूरा करने की सामर्थ्य एवं शक्ति प्रदान करें।

*हनुमान जन्मोत्सव की असीम शुभकामनाएँ।*

सुमिरन अपने ईश का, घर महुँ कर दिन रात,
किन्तु न बाहर जाइये, कोरोना की घात।

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Monday, April 6, 2020

उत्साह

*उत्साहो बलवानार्य नास्त्युत्साहात्परं बलम्।*
*सोत्साहस्य च लोकेषु न किंचिदपि दुर्लभम्॥*
वाल्मीकि रामायण : किष्किन्धा काण्ड ; १/१२१

Enthusiasm is the power of men. Nothing is as powerful as enthusiasm. Nothing is difficult in this world for an enthusiastic person.

उत्साह पुरुषों का बल है, उत्साह से बढ़कर और कोई बल नहीं है। उत्साहित व्यक्ति के लिए इस लोक में कुछ भी दुर्लभ नहीं है। 

*उत्साह कभी नहीं खोना*
*हारेगा निश्चित कोरोना*

शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏼

Saturday, April 4, 2020

महादेव

*वयम् अमृतस्य पुत्रा:।*
                      श्वेताश्वर उपनिषद

हम अमृत तत्व से उत्पन्न हुए हैं। हम अविनाशी ईश्वर का एक अंश हैं।

We are children of the nector element. We are a part of eternal imperishable GOD.

शुभ दिन हो।

*देवपुत्र हम, यह विश्वास नहीं खोना,*
*यह निश्चित है, हारेगा कोरोना।*

🌸🌺💐🙏🏻

Friday, April 3, 2020

प्रभु स्मरण

*काम क्रोध मद लोभ सब नाथ नरक के पंथ।*
*सब परिहरि रघुबीरहि भजहूँ भजहिं जेहि संत।।*

Anger, Lust, Arrogance, Greed all these are gateway to the Hell/ disaster. So we should get rid of them by chanting the name of God. As they noblemen do.

काम क्रोध मद (अभिमान) लोभ, ये सभी नरक में ले जाने वाले रास्ते हैं, इसलिए इन सभी का त्याग कर के श्री रघुबीर (श्री राम जी) का स्मरण करें, जिनका संतजन भी भजन करते हैं।

*करउ दिन रात भजन भगवाना,*
*किन्तु न घर से बाहर जाना।*

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏼

Thursday, April 2, 2020

प्रकार

*काटेहिं पइ कदरी फरइ, कोटि जतन कोउ सींच।*
*बिनय न मान खगेस सुनु, डाटेहिं पइ नव नीच।।*

जिस प्रकार केले का पेड़ काटने पर ही फलता एवम् बढ़ता है, चाहे कोई कितना भी सींचे। उसी प्रकार नीच व्यक्ति (खलबुद्धि), विनय से नहीं मानता, बल्कि डाँटने पर ही रास्ते पर आता है।

Just as a banana tree grows well on cutting it, no matter how well watered. In the same way, the lowly person does not believe in humility, but sets right only after scolding.

शुभ दिन हो।

*कोई कुछ भी भले करे,*
*हम घर से बाहर नहीं फिरें।*

🌺🌸💐🙏🏼

Wednesday, April 1, 2020

रामनवमी

*जोग लगन ग्रह बार तिथि, सकल भये अनुकूल।*
*चर अरु अचर हर्षजुत, राम जनम सुखमूल॥*

योग, लग्न, ग्रह, वार और तिथि सभी अनुकूल हो गये। जड़ और चेतन सब हर्ष से भर गये। श्री राम का जन्म सभी सुखों को देने वाला  है॥

*नौमी तिथि मधु मास पुनीता।* *सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥*
*मध्यदिवस अति सीत न घामा।* 
*पावन काल लोक बिश्रामा॥*

*सीतल मंद सुरभि बह बाऊ।* *हरषित सुर संतन मन चाऊ॥*
*बन कुसुमित गिरिगन मनिआरा।* 
*स्रवहिं सकल सरिताऽमृत धारा।।*

चैत्र का पवित्र माह था, नवमी तिथि थी। शुक्ल पक्ष और भगवान का प्रिय अभिजित्‌ मुहूर्त था। दोपहर का समय था। न अधिक सर्दी थी, न अधिक धूप (गरमी) थी। वह पवित्र समय सब लोकों को शांति देने वाला था॥

शीतल, मंद और सुगंधित हवा बह रही थी। देवता हर्षित थे और संतों के मन में बड़ा चाव था। वन फल फूलों से लदे हुए थे, पर्वतों के समूह मणियों से जगमगा रहे थे और सारी नदियाँ अमृत की धारा बहा रही थीं॥

*आज माँ के सिद्धिदात्री स्वरूप का नमन करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के प्राकट्य दिवस रामनवमी की अनन्त शुभकामनाएँ।*

आएँ मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के पवित्र भाव के साथ संकल्पित हों एवं कोरोना को हराने हेतु मर्यादा का पालन करें।

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻