Tuesday, October 1, 2019

शुभ प्रभात

*अहं कर्तेत्यहंमानमहाकृष्णा हि दन्शितः।*
*नाहं कर्तेति विश्वासामृतं पीत्वा सुखी भव।।*
अष्टावक्र गीता : अध्याय १, श्लोक ८।

*मैं कर्ता हूँ* इस अहं रूपी सर्प के दंश से हम सभी पीड़ित हैं अतः *मैं कर्ता नहीं हूँ* इस अमृत का पान करें एवम् सुखी हो जाएँ।

*I am the doer*, we all have been suffering from this ego, so take the nectar of *I am not the doer* and be happy.

अहम् को त्यागें।

आज गाँधी जी एवं शास्त्री जी के जन्मदिवस पर राष्ट्र के प्रति समर्पित होने का भाव में भरें।

*चतुर्थ नौरात्रि पर माँ के कूष्मांडा स्वरूप को नमन*

शुभ दिन हो।

🌻🌹💐🙏🏼