Wednesday, July 22, 2020

फल

*अचोद्यमानापि यथा पुष्पाणि  च फलानि च।*
*स्वं कालं नाsतिवर्तन्ते तथा कर्म पुराकृतम्।*

बिना किसी आदेश या प्रेरणा के जिस प्रकार पुष्प और फल अपने निर्धारित समय पर वृक्षों में उत्पन्न हो जाते हैं, उसी प्रकार मनुष्य द्वारा बहुत समय पूर्व किये हुए सत्कर्मों या दुष्कर्मों का फल भी समय आने पर स्वतः प्राप्त हो जाता है।

As flowers and fruits are grown on trees on their scheduled time without any order or inspiration, similarly, results of our deeds (good or bad) done even very long ago, automatically come to us when the time comes.

*कर्म करें हम जैसे जैसे,*
*फल पायेंगें वैसे वैसे,*
*अगर उछालें पत्थर नभ पर,*
*बरसें फूल कहो तब कैसे।*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻