Tuesday, September 14, 2021

जय गणपति

*यमर्थसिध्दि: परमा न मोहयेत्*
*तथैव काले व्यसनं न मोहयेत्।*
*सुखं च दु:खं च तथैव मध्यमं*
*निषेवते य: स धुरन्धरो नर:॥*

जिसको सफलता, विफलता विचलित न कर सके,
किसी समय विपत्ति भी विचलित न कर सके तथा जो सुख दु:ख को और उनके बीच की स्थिति को समय के अनुसार सहन कर लेता है, वही मनुष्य धुरन्धर अथवा नेतृत्व करने वाला होता है।

One who is not affected with success and failure, is not affected by any misfortune, and who manages in joy and grief and the mean time equally is the true leader.

सफल विफल से न डरें हम,
श्रेष्ठ बनें नेतृत्व करें हम,
*व्यस्त रहें हम स्वस्थ रहें हम।*

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