Friday, January 3, 2020

आदि एवं अंत

*अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थित:।*
*अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च।* 

गीता : अध्याय 10, श्लोक 20

गीता के अध्यायों में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं अर्थात परमतत्व के विराट स्वरूप के बारे में अर्जुन को विस्तार से बताते हुए कहते हैं,

हे अर्जुन! मैं सब भूतों (नश्वर शरीरों) के हृदय में स्थित सबका आत्मा हूँ तथा सम्पूर्ण भूतों (घटनाओं) का आदि (प्रारम्भ), मध्य और अन्त भी मैं ही हूँ।

Arjuna! I am the Self, seated in the hearts of all creatures. I am the beginning, the middle and the end of all beings.

परमतत्व को समझें।

शुभ दिन हो।

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