Tuesday, March 31, 2020

चिंता

*चिन्ताज्वरो मनुष्याणां क्षुधां निद्रां बलं हरेत्।*
*रूपमुत्साहबुध्दिं श्रीं जीवितं च न संशयः॥*

The fever of worry snatches away hunger, sleep, strength, beauty, enthusiasm, mind, wealth and life itself - there is no doubt.

"चिंता" रूपी ज्वर (बुखार) मनुष्य की भूख, नींद, बल, सौंदर्य, उत्साह, बुद्धि, समृद्धि और जीवन तक को भी हर लेता है । इसमें कोई संदेह नहीं है।

चिंता से बचें।

*अष्टम नवरात्र पर माँ के महागौरी स्वरुप को नमन*

*एक कार्य बस एक कार्य,*
*घर से बाहर नहीं स्वीकार्य*

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Monday, March 30, 2020

परोपकार

*संत विटप सरिता, गिरि धरनी।*
*पर हित हेतु सबन्ह कै करनी।।*

परहित को अपनाने हेतु तुलसीदास जी प्रकृति के समस्त सोपानों का उल्लेख करते हुए बताते हैं कि नदियाँ, पर्वत, पृथ्वी, वृक्ष एवं संत सदैव परोपकार में कर्मरत रहते हैं।

All the natural aspects like mountains, earth, rivers, trees along with noble persons do for others only.

*सप्तम नवरात्रि पर माँ के कालरात्रि स्वरूप को नमन*

*कोरोना को हराना है,*
*घर से कहीं न जाना है।*

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Sunday, March 29, 2020

श्रेष्ठ

*जिन्ह कै लहहिं न रिपु रन पीठी।* 
*नहिं पावहिं परतिय मनु डीठी॥*
*मंगन लहहिं न जिन्ह कै नाहीं।*
*ते नरबर थोरे जग माहीं॥*
रामचरितमानस : बालकाण्ड।

रण में शत्रु जिनकी पीठ नहीं देख पाते अर्थात्‌ जो लड़ाई के मैदान से भागते नहीं, परायी स्त्रियाँ जिनके मन और दृष्टि को नहीं खींच पातीं और जो किसी की सहायता मांगने पर पीछे नहीं हटते, ऐसे श्रेष्ठ पुरुष संसार में थोड़े हैं।

Who do not run away from the battleground, the other women can not touch and attract their minds, and who do not retreat when seeking help from someone, such great persons are  very few in the world.

*छठे नवरात्र पर माँ के कात्यायनी स्वरूप को नमन*

*घर से बाहर अभी न जाना,*
*घात लगा बैठा कोराना।*


शुभ दिन हो।

🌸🌺🌹🙏🏻

Wednesday, March 18, 2020

परिणाम

*एकवापीभवं  तोयं   पात्रापात्र  विशेषतः।*
*आम्रे मधुरतामेति  निम्बे कटुकतामपि।।*

एक ही तालाब का जल, विशेषतः योग्य तथा अयोग्य प्राप्तकर्ताओं  के द्वारा प्रयुक्त हो कर ,अलग अलग परिणाम देता है। उदाहरण स्वरूप आम के वृक्ष को सिंचित करने  से उसके फलों में मिठास उत्पन्न होती है  परन्तु नीम के वृक्ष में कटुकता ही उत्पन्न होती है।

एक ही साधन का सज्जन व्यक्ति सदुपयोग करते हैं और दुर्जन दुरुपयोग करते हैं और उसके परिणाम भी तदनुसार अच्छे और बुरे होते हैं।

Water from the same pond used for irrigation purposes produces different results depending upon the  competence
or incompetence of the recipients, e.g while the Mango tree produces sweet fruits, all the products of Neem tree  are bitter in taste."

The competent persons put to good use the resources available to them and the same resources are misused by incompetent persons producing bad results.

शुभ दिन हो। 

💐🌹🌸🙏🏼

Sunday, March 8, 2020

होलिका दहन

*जलु पय सरिस बिकाइ, देखहु प्रीति की रीति भलि।*
*बिलग होइ रसु जाइ, कपट खटाई परत पुनि॥*

प्रीति की सुन्दर रीत देखिये कि जल भी दूध के साथ मिलकर दूध के समान बिकता है, परन्तु कपट रूपी खटाई पड़ते ही जल अलग हो जाता है (दूध फट जाता है) एवं स्वाद (प्रेम) जाता रहता है।

Look at the beautiful way of Love that water is sold as milk while mixed with milk, but by citrus (deceit) milk and water separates and the taste (love) vanishes.

*परमात्मा के प्रति अटूट एवं गहन विश्वास के प्रतीक पर्व होलिका दहन की असीम शुभकामनाएँ।*

🌺🌻💐🙏

Saturday, March 7, 2020

महिला दिवस

*यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।*
*यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।।* 

*अर्थात-यत्र तु नार्यः पूज्यन्ते तत्र देवताः रमन्ते, यत्र तु एताः न पूज्यन्ते तत्र सर्वाः क्रियाः अफलाः (भवन्ति) ।*

अर्थ-जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ स्त्रियों की पूजा नही होती है, उनका सम्मान नही होता है वहाँ किये गये समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं।
👏💐महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं💐👏
*आचार्य राहुल*

Friday, March 6, 2020

प्रयत्न

*इह जगति हि न निरीहदेहिनं श्रियः संश्रयन्त।*

इस संसार में जो प्रयत्न नहीं करता है, कर्म नहीं करता है, उसे कभी सम्पन्नता नहीं मिलती है।

In this world one who does not put in effort (i.e. one who is inactive) does not acquire wealth.

गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी रामचरितमानस में लिखा है

_सकल पदारथ इह जग माहीं,_
_करमहीन नर पावत नाहीं।_

कर्म करें।

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏼

Thursday, March 5, 2020

जय श्री कृष्णा

*सत्यं माता पिता ज्ञानं धर्मो  भ्राता दया सखा।*
*शान्तिः पत्नी क्षमा पुत्रः षडेते  मम बान्धवाः।।*

सत्यवादिता (सच बोलना) मेरी माता के समान है, ज्ञान मेरे पिता के समान है। धार्मिक आचरण मेरे भाई के समान है तथा दया की भावना मेरे मित्र के समान है। मानसिक शान्ति मेरी पत्नी के तुल्य है तथा क्षमा की भावना मेरे पुत्र के समान है। ये छ: मेरे बन्धु बान्धव हैं।

Truthfulness is like my mother and  higher Knowledge is like my father. Religious austerity is like my brother and mercy and compassion is like my friend. Peace of mind is like my wife and forgiveness is like my son. All these six persons are my close relatives and friends.

युधिष्ठिर के इस कथन के अनुसार हमें भी इन को अपना परिजन मानते हुए इनका भली भाँति ध्यान रखना चाहिए।

शुभ दिन हो।

🌸🌺💐🙏🏻