Monday, October 25, 2021

अहम से बचे

*प्रकृते: क्रियमाणानि गुणै: कर्माणि सर्वश:।*
*अहंकारविमूढात्मा कर्ताहमिति मन्यते।।*
गीता : अध्याय ३, श्लोक २७।

वास्तव में सम्पूर्ण कर्म सब प्रकार से प्रकृति के गुणों द्वारा किये जाते हैं तथापि जिसका अन्त:करण अहंकार से मोहित हो रहा है, ऐसा अज्ञानी 'मैं कर्ता हूँ' ऐसा मानता है।

All actions are being performed by the modes of nature (Primordial matter). The foolish, whose mind is deluded by egoism, thinks: “I am the doer".

अहम से बचें, परम को समझें,
मैं करता हूँ, यह न समझें,
स्व में स्थित स्वस्थ रहें।

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