Sunday, December 1, 2019

नियति

*जनम मरन सब दुख सुख भोगा।*
*हानि लाभु प्रिय मिलन बियोगा॥*
*काल करम बस होहिं गोसाईं।* 
*बरबस राति दिवस की नाईं॥*
रामचरितमानस : अयोध्या काण्ड।

जन्म-मरण, सुख-दुःख के भोग, हानि-लाभ, प्रियजनों का मिलना-बिछुड़ना, ये सब कर्म एवं समय के अधीन हैं एवं रात और दिन की तरह नियमित बरबस होते रहते हैं।

Birth & Death, Joy & Sorrow, Profit & Loss and Meeting & Separating of Dears; these all events necessarily take place depending on time & karma like days and nights.

शुभ दिन हो।

🌸🌺💐🙏🏻